< لُوکَح 24 >

اَتھَ سَپْتاہَپْرَتھَمَدِنےتِپْرَتْیُوشے تا یوشِتَح سَمْپادِتَں سُگَنْدھِدْرَوْیَں گرِہِیتْوا تَدَنْیابھِح کِیَتِیبھِح سْتْرِیبھِح سَہَ شْمَشانَں یَیُح۔ 1
सप्‍ताह के प्रथम दिन पौ फटते ही वे तैयार किए गए उबटन-लेपों को लेकर कंदरा-क़ब्र पर आईं.
کِنْتُ شْمَشانَدْواراتْ پاشانَمَپَسارِتَں درِشْٹْوا 2
उन्होंने कब्र के द्वार का पत्थर कब्र से लुढ़का हुआ पाया
تاح پْرَوِشْیَ پْرَبھو رْدیہَمَپْراپْیَ 3
किंतु जब उन्होंने कब्र की गुफ़ा में प्रवेश किया, वहां प्रभु येशु का शरीर नहीं था.
وْیاکُلا بھَوَنْتِ ایتَرْہِ تیجومَیَوَسْتْرانْوِتَو دْوَو پُرُشَو تاساں سَمِیپے سَمُپَسْتھِتَو 4
जब वे इस स्थिति का निरीक्षण कर ही रही थी, एकाएक उजले वस्त्रों में दो व्यक्ति उनके पास आ खड़े हुए.
تَسْماتّاح شَنْکایُکْتا بھُوماوَدھومُکھْیَسْیَسْتھُح۔ تَدا تَو تا اُوچَتُ رْمرِتاناں مَدھْیے جِیوَنْتَں کُتو مرِگَیَتھَ؟ 5
भय में डरी हुई स्त्रियों की दृष्टि भूमि की ओर ही थी कि उन्होंने स्त्रियों से प्रश्न किया, “आप लोग एक जीवित को मरे हुओं के मध्य क्यों खोज रही हैं?
سوتْرَ ناسْتِ سَ اُدَسْتھاتْ۔ 6
वह यहां नहीं हैं—वह दोबारा जीवित हो गए हैं. याद कीजिए जब वह आपके साथ गलील प्रदेश में थे, उन्होंने आपसे क्या कहा था:
پاپِناں کَریشُ سَمَرْپِتینَ کْرُشے ہَتینَ چَ مَنُشْیَپُتْرینَ ترِتِییَدِوَسے شْمَشانادُتّھاتَوْیَمْ اِتِ کَتھاں سَ گَلِیلِ تِشْٹھَنْ یُشْمَبھْیَں کَتھِتَوانْ تاں سْمَرَتَ۔ 7
‘यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र कुकर्मियों के हाथों में सौंपा जाए, क्रूस पर चढ़ाया जाए और तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित हो जाए.’”
تَدا تَسْیَ سا کَتھا تاساں مَنَحسُ جاتا۔ 8
अब उन्हें प्रभु येशु की बातों की याद आई.
اَنَنْتَرَں شْمَشانادْ گَتْوا تا ایکادَشَشِشْیادِبھْیَح سَرْوّیبھْیَسْتاں وارْتّاں کَتھَیاماسُح۔ 9
वे सभी स्त्रियां कब्र की गुफ़ा से लौट गईं और सारा हाल ग्यारह शिष्यों तथा बाकियों को सुनाया.
مَگْدَلِینِیمَرِیَمْ، یوہَنا، یاکُوبو ماتا مَرِیَمْ تَدَنْیاح سَنْگِنْیو یوشِتَشْچَ پْریرِتیبھْیَ ایتاح سَرْوّا وارْتّاح کَتھَیاماسُح 10
जिन स्त्रियों ने प्रेरितों को यह हाल सुनाया, वे थी: मगदालावासी मरियम, योहान्‍ना तथा याकोब की माता मरियम तथा उनके अलावा अन्य स्त्रियां.
کِنْتُ تاساں کَتھامْ اَنَرْتھَکاکھْیانَماتْرَں بُدّھوا کوپِ نَ پْرَتْیَیتْ۔ 11
प्रेरितों को यह समाचार बेमतलब लगा. उन्होंने इसका विश्वास नहीं किया.
تَدا پِتَرَ اُتّھایَ شْمَشانانْتِکَں دَدھاوَ، تَتْرَ چَ پْرَہْوو بھُوتْوا پارْشْوَیکَسْتھاپِتَں کیوَلَں وَسْتْرَں دَدَرْشَ؛ تَسْماداشْچَرْیَّں مَنْیَمانو یَدَگھَٹَتَ تَنْمَنَسِ وِچارَیَنْ پْرَتَسْتھے۔ 12
किंतु पेतरॉस उठे और कब्र की गुफ़ा की ओर दौड़ पड़े. उन्होंने झुककर भीतर देखा और वहां उन्हें वे पट्टियां, जो शव पर लपेटी गई थी, अलग रखी हुई दिखीं. इस घटना पर अचंभित पेतरॉस घर लौट गए.
تَسْمِنّیوَ دِنے دْوَو شِیَّو یِرُوشالَمَشْچَتُشْکْروشانْتَرِتَمْ اِمّایُگْرامَں گَچّھَنْتَو 13
उसी दिन दो शिष्य इम्माउस नामक गांव की ओर जा रहे थे, जो येरूशलेम नगर से लगभग ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर था.
تاساں گھَٹَناناں کَتھامَکَتھَیَتاں 14
सारा घटनाक्रम ही उनकी आपस की बातों का विषय था.
تَیورالاپَوِچارَیوح کالے یِیشُراگَتْیَ تابھْیاں سَہَ جَگامَ 15
जब वे विचार-विमर्श और बातचीत में मगन ही थे, स्वयं प्रभु येशु उनके पास पहुंचकर उनके साथ साथ चलने लगे.
کِنْتُ یَتھا تَو تَں نَ پَرِچِنُتَسْتَدَرْتھَں تَیو رْدرِشْٹِح سَںرُدّھا۔ 16
किंतु उनकी आंखें ऐसी बंद कर दी गई थी कि वे प्रभु येशु को पहचानने न पाएं.
سَ تَو پرِشْٹَوانْ یُواں وِشَنَّو کِں وِچارَیَنْتَو گَچّھَتھَح؟ 17
प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “आप लोग किस विषय पर बातचीत कर रहे हैं?” वे रुक गए. उनके मुख पर उदासी छायी हुई थी.
تَتَسْتَیوح کْلِیَپاناما پْرَتْیُواچَ یِرُوشالَمَپُرےدھُنا یانْیَگھَٹَنْتَ تْوَں کیوَلَوِدیشِی کِں تَدْورِتّانْتَں نَ جاناسِ؟ 18
उनमें से एक ने, जिसका नाम क्लोपस था, इसके उत्तर में उनसे यह प्रश्न किया, “आप येरूशलेम में आए अकेले ऐसे परदेशी हैं कि आपको यह मालूम नहीं कि यहां इन दिनों में क्या-क्या हुआ है!”
سَ پَپْرَچّھَ کا گھَٹَناح؟ تَدا تَو وَکْتُماریبھاتے یِیشُناما یو ناسَرَتِییو بھَوِشْیَدْوادِی اِیشْوَرَسْیَ مانُشانانْچَ ساکْشاتْ واکْیے کَرْمَّنِ چَ شَکْتِماناسِیتْ 19
“क्या-क्या हुआ है?” प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया. उन्होंने उत्तर दिया, “नाज़रेथवासी प्रभु येशु से संबंधित घटनाएं—प्रभु येशु, जो वास्तव में परमेश्वर और सभी जनसाधारण की नज़र में और काम में सामर्थ्यी भविष्यवक्ता थे.
تَمْ اَسْماکَں پْرَدھانَیاجَکا وِچارَکاشْچَ کیناپِ پْرَکارینَ کْرُشے وِدّھوا تَسْیَ پْرانانَناشَیَنْ تَدِییا گھَٹَناح؛ 20
उन्हें प्रधान पुरोहितों और हमारे सरदारों ने मृत्यु दंड दिया और क्रूस पर चढ़ा दिया.
کِنْتُ یَ اِسْراییلِییَلوکانْ اُدّھارَیِشْیَتِ سَ ایوایَمْ اِتْیاشاسْمابھِح کرِتا۔ تَدْیَتھا تَتھاسْتُ تَسْیا گھَٹَنایا اَدْیَ دِنَتْرَیَں گَتَں۔ 21
हमारी आशा यह थी कि प्रभु येशु इस्राएल राष्ट्र को स्वतंत्र करवा देंगे. यह आज से तीन दिन पूर्व की घटना है.
اَدھِکَنْتْوَسْماکَں سَنْگِنِیناں کِیَتْسْتْرِیناں مُکھیبھْیوسَمْبھَوَواکْیَمِدَں شْرُتَں؛ 22
किंतु हमारे समुदाय की कुछ स्त्रियों ने हमें आश्चर्य में डाल दिया है. पौ फटते ही वे कब्र पर गई थी
تاح پْرَتْیُوشے شْمَشانَں گَتْوا تَتْرَ تَسْیَ دیہَمْ اَپْراپْیَ وْیاگھُٹْییتْوا پْروکْتَوَتْیَح سْوَرْگِیسَدُوتَو درِشْٹاوَسْمابھِسْتَو چاوادِشْٹاں سَ جِیوِتَوانْ۔ 23
किंतु उन्हें वहां प्रभु येशु का शव नहीं मिला. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने वहां स्वर्गदूतों को देखा है; जिन्होंने उन्हें सूचना दी कि प्रभु येशु जीवित हैं.
تَتوسْماکَں کَیشْچِتْ شْمَشانَمَگَمْیَتَ تےپِ سْتْرِیناں واکْیانُرُوپَں درِشْٹَوَنْتَح کِنْتُ تَں ناپَشْیَنْ۔ 24
हमारे कुछ साथी भी कब्र पर गए थे और उन्होंने ठीक वैसा ही पाया जैसा स्त्रियों ने बताया था किंतु प्रभु येशु को उन्होंने नहीं देखा.”
تَدا سَ تاوُواچَ، ہے اَبودھَو ہے بھَوِشْیَدْوادِبھِرُکْتَواکْیَں پْرَتْییتُں وِلَمْبَمانَو؛ 25
तब प्रभु येशु ने उनसे कहा, “ओ मूर्खो! भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मंदबुद्धियो!
ایتَتْسَرْوَّدُحکھَں بھُکْتْوا سْوَبھُوتِپْراپْتِح کِں کھْرِیشْٹَسْیَ نَ نْیایّا؟ 26
क्या मसीह के लिए यह ज़रूरी न था कि वह सभी यातनाएं सह कर अपनी महिमा में प्रवेश करे?”
تَتَح سَ مُوساگْرَنْتھَمارَبھْیَ سَرْوَّبھَوِشْیَدْوادِناں سَرْوَّشاسْتْرے سْوَسْمِنْ لِکھِتاکھْیانابھِپْرایَں بودھَیاماسَ۔ 27
तब प्रभु येशु ने पवित्र शास्त्र में स्वयं से संबंधित उन सभी लिखी बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया—मोशेह से प्रारंभ कर सभी भविष्यद्वक्ताओं तक.
اَتھَ گَمْیَگْرامابھْیَرْنَں پْراپْیَ تیناگْرے گَمَنَلَکْشَنے دَرْشِتی 28
तब वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां उनको जाना था. प्रभु येशु के व्यवहार से ऐसा भास हुआ मानो वह आगे बढ़ना चाह रहे हों
تَو سادھَیِتْواوَدَتاں سَہاوابھْیاں تِشْٹھَ دِنے گَتے سَتِ راتْرِرَبھُوتْ؛ تَتَح سَ تابھْیاں سارْدّھَں سْتھاتُں گرِہَں یَیَو۔ 29
किंतु उन शिष्यों ने विनती की, “हमारे साथ ही ठहर जाइए क्योंकि दिन ढल चला है और शाम होने को है.” इसलिये प्रभु येशु उनके साथ भीतर चले गए.
پَشْچادْبھوجَنوپَویشَکالے سَ پُوپَں گرِہِیتْوا اِیشْوَرَگُنانْ جَگادَ تَنْچَ بھَںکْتْوا تابھْیاں دَدَو۔ 30
जब वे सब भोजन के लिए बैठे, प्रभु येशु ने रोटी लेकर आशीर्वाद के साथ उसे तोड़ा और उन्हें दे दिया.
تَدا تَیو رْدرِشْٹَو پْرَسَنّایاں تَں پْرَتْیَبھِجْنَتُح کِنْتُ سَ تَیوح ساکْشادَنْتَرْدَدھے۔ 31
तब उनकी आंखों को देखने लायक बना दिया गया और वे प्रभु येशु को पहचान गए किंतु उसी क्षण प्रभु येशु उनकी आंखों से ओझल हो गए.
تَتَسْتَو مِتھوبھِدھاتُمْ آرَبْدھَوَنْتَو گَمَنَکالے یَدا کَتھامَکَتھَیَتْ شاسْتْرارْتھَنْچَبودھَیَتْ تَداوَیو رْبُدّھِح کِں نَ پْراجْوَلَتْ؟ 32
वे आपस में विचार करने लगे, “मार्ग में जब वह हमसे बातचीत कर रहे थे और पवित्र शास्त्र की व्याख्या कर रहे थे तो हमारे मन में उत्तेजना हुई थी न!”
تَو تَتْکْشَنادُتّھایَ یِرُوشالَمَپُرَں پْرَتْیایَیَتُح، تَتْسْتھانے شِشْیانامْ ایکادَشاناں سَنْگِنانْچَ دَرْشَنَں جاتَں۔ 33
तत्काल ही वे उठे और येरूशलेम को लौट गए. वहां उन्होंने ग्यारह शिष्यों और अन्यों को, जो वहां इकट्ठा थे, यह कहते पाया,
تے پْروچُح پْرَبھُرُدَتِشْٹھَدْ اِتِ سَتْیَں شِمونے دَرْشَنَمَداچَّ۔ 34
“हां, यह सच है! प्रभु मरे हुओं में से दोबारा जीवित हो गए हैं और शिमओन को दिखाई भी दिए हैं.”
تَتَح پَتھَح سَرْوَّگھَٹَنایاح پُوپَبھَنْجَنینَ تَتْپَرِچَیَسْیَ چَ سَرْوَّورِتّانْتَں تَو وَکْتُماریبھاتے۔ 35
तब इन दो शिष्यों ने भी मार्ग में हुई घटना का ब्यौरा सुनाया कि किस प्रकार भोजन करते समय वे प्रभु येशु को पहचानने में समर्थ हो गए थे.
اِتّھَں تے پَرَسْپَرَں وَدَنْتِ تَتْکالے یِیشُح سْوَیَں تیشاں مَدھْیَ پْروتّھَیَ یُشْماکَں کَلْیانَں بھُویادْ اِتْیُواچَ، 36
जब वे इस बारे में बातें कर ही रहे थे, स्वयं प्रभु येशु उनके बीच आ खड़े हुए और उनसे बोले, “तुममें शांति बनी रहे.”
کِنْتُ بھُوتَں پَشْیامَ اِتْیَنُمایَ تے سَمُدْوِوِجِرے تْریشُشْچَ۔ 37
वे अचंभित और भयभीत हो गए और उन्हें लगा कि वे किसी दुष्टात्मा को देख रहे हैं.
سَ اُواچَ، کُتو دُحکھِتا بھَوَتھَ؟ یُشْماکَں مَنَحسُ سَنْدیہَ اُدیتِ چَ کُتَح؟ 38
प्रभु येशु ने उनसे कहा, “तुम घबरा क्यों हो रहे हो? क्यों उठ रहे हैं तुम्हारे मन में ये संदेह?
ایشوہَں، مَمَ کَرَو پَشْیَتَ وَرَں سْپرِشْٹْوا پَشْیَتَ، مَمَ یادرِشانِ پَشْیَتھَ تادرِشانِ بھُوتَسْیَ ماںساسْتھِینِ نَ سَنْتِ۔ 39
देखो, ये मेरे हाथ और पांव. यह मैं ही हूं. मुझे स्पर्श करके देख लो क्योंकि दुष्टात्मा के हाड़-मांस नहीं होता, जैसा तुम देख रहे हो कि मेरे हैं.”
اِتْیُکْتْوا سَ ہَسْتَپادانْ دَرْشَیاماسَ۔ 40
यह कहकर उन्होंने उन्हें अपने हाथ और पांव दिखाए
تےسَمْبھَوَں جْناتْوا سانَنْدا نَ پْرَتْیَیَنْ۔ تَتَح سَ تانْ پَپْرَچّھَ، اَتْرَ یُشْماکَں سَمِیپے کھادْیَں کِنْچِدَسْتِ؟ 41
और जब वे आश्चर्य और आनंद की स्थिति में विश्वास नहीं कर पा रहे थे, प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यहां कुछ भोजन है?”
تَتَسْتے کِیَدَّگْدھَمَتْسْیَں مَدھُ چَ دَدُح 42
उन्होंने प्रभु येशु को भूनी हुई मछली का एक टुकड़ा दिया
سَ تَدادایَ تیشاں ساکْشادْ بُبھُجی 43
और प्रभु येशु ने उसे लेकर उनके सामने खाया.
کَتھَیاماسَ چَ مُوساوْیَوَسْتھایاں بھَوِشْیَدْوادِناں گْرَنْتھیشُ گِیتَپُسْتَکے چَ مَیِ یانِ سَرْوّانِ وَچَنانِ لِکھِتانِ تَدَنُرُوپانِ گھَٹِشْیَنْتے یُشْمابھِح سارْدّھَں سْتھِتْواہَں یَدیتَدْواکْیَمْ اَوَدَں تَدِدانِیں پْرَتْیَکْشَمَبھُوتْ۔ 44
तब प्रभु येशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम लोगों से यही कहा था: वह सब पूरा होना ज़रूरी है, जो मेरे विषय में मोशेह की व्यवस्था, भविष्यद्वक्ताओं के लेख तथा भजन की पुस्तकों में लिखा गया है.”
اَتھَ تیبھْیَح شاسْتْرَبودھادھِکارَں دَتْواوَدَتْ، 45
तब प्रभु येशु ने उनकी समझ खोल दी कि वे पवित्र शास्त्र को समझ सकें
کھْرِیشْٹینیتّھَں مرِتِیاتَنا بھوکْتَوْیا ترِتِییَدِنے چَ شْمَشانادُتّھاتَوْیَنْچیتِ لِپِرَسْتِ؛ 46
और उनसे कहा, “यह लिखा है कि मसीह यातनाएं सहे और तीसरे दिन मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया जाए,
تَنّامْنا یِرُوشالَمَمارَبھْیَ سَرْوَّدیشے مَنَحپَراوَرْتَّنَسْیَ پاپَموچَنَسْیَ چَ سُسَںوادَح پْرَچارَیِتَوْیَح، 47
और येरूशलेम से प्रारंभ कर सभी राष्ट्रों में उसके नाम में पाप क्षमा के लिए पश्चाताप की घोषणा की जाए.
ایشُ سَرْوّیشُ یُویَں ساکْشِنَح۔ 48
तुम सभी इन घटनाओं के गवाह हो.
اَپَرَنْچَ پَشْیَتَ پِتْرا یَتْ پْرَتِجْناتَں تَتْ پْریشَیِشْیامِ، اَتَایوَ یاوَتْکالَں یُویَں سْوَرْگِییاں شَکْتِں نَ پْراپْسْیَتھَ تاوَتْکالَں یِرُوشالَمْنَگَرے تِشْٹھَتَ۔ 49
जिसकी प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, उसे मैं तुम्हारे लिए भेजूंगा किंतु आवश्यक यह है कि तुम येरूशलेम में उस समय तक ठहरे रहो, जब तक स्वर्ग से भेजी गई सामर्थ्य से परिपूर्ण न हो जाओ.”
اَتھَ سَ تانْ بَیتھَنِییاپَرْیَّنْتَں نِیتْوا ہَسْتاوُتّولْیَ آشِشَ وَکْتُماریبھی 50
तब प्रभु येशु उन्हें बैथनियाह नामक गांव तक ले गए और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी.
آشِشَں وَدَنّیوَ چَ تیبھْیَح پرِتھَگْ بھُوتْوا سْوَرْگایَ نِیتوبھَوَتْ۔ 51
जब वह उन्हें आशीष दे ही रहे थे वह उनसे विदा हो गए और स्वर्ग में उठा लिये गये.
تَدا تے تَں بھَجَمانا مَہانَنْدینَ یِرُوشالَمَں پْرَتْیاجَگْمُح۔ 52
तब उन्होंने येशु की आराधना की और बहुत ही आनंद में येरूशलेम लौट गए.
تَتو نِرَنْتَرَں مَنْدِرے تِشْٹھَنْتَ اِیشْوَرَسْیَ پْرَشَںساں دھَنْیَوادَنْچَ کَرْتَّمْ آریبھِرے۔ اِتِ۔۔ 53
वे मंदिर में नियमित रूप से परमेश्वर की स्तुति करते रहते थे.

< لُوکَح 24 >