< یوہَنَح 6 >
تَتَح پَرَں یِیشُ رْگالِیلْ پْرَدیشِییَسْیَ تِوِرِیانامْنَح سِنْدھوح پارَں گَتَوانْ۔ | 1 |
इन बातों के बाद मसीह येशु गलील अर्थात् तिबेरियॉस झील के उस पार चले गए.
تَتو وْیادھِمَلّوکَسْواسْتھْیَکَرَنَرُوپانِ تَسْیاشْچَرْیّانِ کَرْمّانِ درِشْٹْوا بَہَوو جَناسْتَتْپَشْچادْ اَگَچّھَنْ۔ | 2 |
उनके द्वारा रोगियों को स्वास्थ्यदान के अद्भुत चिह्नों से प्रभावित एक बड़ी भीड़ उनके साथ हो ली.
تَتو یِیشُح پَرْوَّتَمارُہْیَ تَتْرَ شِشْیَیح ساکَمْ۔ | 3 |
मसीह येशु पर्वत पर जाकर वहां अपने शिष्यों के साथ बैठ गए.
تَسْمِنْ سَمَیَ نِسْتاروتْسَوَنامْنِ یِہُودِییانامَ اُتْسَوَ اُپَسْتھِتی | 4 |
यहूदियों का फ़सह उत्सव पास था.
یِیشُ رْنیتْرے اُتّولْیَ بَہُلوکانْ سْوَسَمِیپاگَتانْ وِلوکْیَ پھِلِپَں پرِشْٹَوانْ ایتیشاں بھوجَنایَ بھوجَدْرَوْیانِ وَیَں کُتْرَ کْریتُں شَکْرُمَح؟ | 5 |
जब मसीह येशु ने बड़ी भीड़ को अपनी ओर आते देखा तो फ़िलिप्पॉस से पूछा, “इन सबको खिलाने के लिए हम भोजन कहां से मोल लेंगे?”
واکْیَمِدَں تَسْیَ پَرِیکْشارْتھَمْ اَوادِیتْ کِنْتُ یَتْ کَرِشْیَتِ تَتْ سْوَیَمْ اَجاناتْ۔ | 6 |
मसीह येशु ने यह प्रश्न उन्हें परखने के लिए किया था क्योंकि वह जानते थे कि वह क्या करने पर थे.
پھِلِپَح پْرَتْیَووچَتْ ایتیشامْ ایکَیکو یَدْیَلْپَمْ اَلْپَں پْراپْنوتِ تَرْہِ مُدْراپادَدْوِشَتینَ کْرِیتَپُوپا اَپِ نْیُونا بھَوِشْیَنْتِ۔ | 7 |
फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटियां भी उनके लिए पर्याप्त नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल पाए.”
شِمونْ پِتَرَسْیَ بھْراتا آنْدْرِیاکھْیَح شِشْیانامیکو وْیاہرِتَوانْ | 8 |
मसीह येशु के शिष्य शिमओन पेतरॉस के भाई आन्द्रेयास ने उन्हें सूचित किया,
اَتْرَ کَسْیَچِدْ بالَکَسْیَ سَمِیپے پَنْچَ یاوَپُوپاح کْشُدْرَمَتْسْیَدْوَیَنْچَ سَنْتِ کِنْتُ لوکاناں ایتاواتاں مَدھْیے تَیح کِں بھَوِشْیَتِ؟ | 9 |
“यहां एक लड़का है, जिसके पास जौ की पांच रोटियां और दो मछलियां हैं किंतु उनसे इतने लोगों का क्या होगा?”
پَشْچادْ یِیشُرَوَدَتْ لوکانُپَویشَیَتَ تَتْرَ بَہُیَوَسَسَتّواتْ پَنْچَسَہَسْتْریبھْیو نْیُونا اَدھِکا وا پُرُشا بھُومْیامْ اُپاوِشَنْ۔ | 10 |
मसीह येशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो” और वे सब, जिनमें पुरुषों की ही संख्या पांच हज़ार थी, घनी घास पर बैठ गए.
تَتو یِیشُسْتانْ پُوپانادایَ اِیشْوَرَسْیَ گُنانْ کِیرْتَّیِتْوا شِشْییشُ سَمارْپَیَتْ تَتَسْتے تیبھْیَ اُپَوِشْٹَلوکیبھْیَح پُوپانْ یَتھیشْٹَمَتْسْیَنْچَ پْرادُح۔ | 11 |
तब मसीह येशु ने रोटियां लेकर धन्यवाद दिया और उनकी ज़रूरत के अनुसार बांट दीं और उसी प्रकार मछलियां भी.
تیشُ ترِپْتیشُ سَ تانَووچَدْ ایتیشاں کِنْچِدَپِ یَتھا ناپَچِییَتے تَتھا سَرْوّانْیَوَشِشْٹانِ سَںگرِہْلِیتَ۔ | 12 |
जब वे सब तृप्त हो गए तो मसीह येशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी, “शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर लो कि कुछ भी नाश न हो,”
تَتَح سَرْوّیشاں بھوجَناتْ پَرَں تے تیشاں پَنْچاناں یاوَپُوپاناں اَوَشِشْٹانْیَکھِلانِ سَںگرِہْیَ دْوادَشَڈَلَّکانْ اَپُورَیَنْ۔ | 13 |
उन्होंने जौ की उन पांच रोटियों के शेष टुकड़े इकट्ठा किए, जिनसे बारह टोकरे भर गए.
اَپَرَں یِیشوریتادرِشِیمْ آشْچَرْیَّکْرِیاں درِشْٹْوا لوکا مِتھو وَکْتُماریبھِرے جَگَتِ یَسْیاگَمَنَں بھَوِشْیَتِ سَ ایوایَمْ اَوَشْیَں بھَوِشْیَدْوَکْتّا۔ | 14 |
लोगों ने इस अद्भुत चिह्न को देखकर कहा, “निःसंदेह यह वही भविष्यवक्ता हैं, संसार जिनकी प्रतीक्षा कर रहा है.”
اَتَایوَ لوکا آگَتْیَ تَماکْرَمْیَ راجانَں کَرِشْیَنْتِ یِیشُسْتیشامْ اِیدرِشَں مانَسَں وِجْنایَ پُنَشْچَ پَرْوَّتَمْ ایکاکِی گَتَوانْ۔ | 15 |
जब मसीह येशु को यह मालूम हुआ कि लोग उन्हें ज़बरदस्ती राजा बनाने के उद्देश्य से ले जाना चाहते हैं तो वह फिर से पर्वत पर अकेले चले गए.
سایَںکالَ اُپَسْتھِتے شِشْیا جَلَدھِتَٹَں وْرَجِتْوا ناوَمارُہْیَ نَگَرَدِشِ سِنْدھَو واہَیِتْواگَمَنْ۔ | 16 |
जब संध्या हुई तो मसीह येशु के शिष्य झील के तट पर उतर गए.
تَسْمِنْ سَمَیے تِمِرَ اُپاتِشْٹھَتْ کِنْتُ یِیشُسْتیشاں سَمِیپَں ناگَچّھَتْ۔ | 17 |
अंधेरा हो चुका था और मसीह येशु अब तक उनके पास नहीं पहुंचे थे. उन्होंने नाव पर सवार होकर गलील झील के दूसरी ओर कफ़रनहूम नगर के लिए प्रस्थान किया.
تَدا پْرَبَلَپَوَنَوَہَناتْ ساگَرے مَہاتَرَنْگو بھَوِتُمْ آریبھے۔ | 18 |
उसी समय तेज हवा के कारण झील में लहरें बढ़ने लगीं.
تَتَسْتے واہَیِتْوا دْوِتْرانْ کْروشانْ گَتاح پَشْچادْ یِیشُں جَلَدھیرُپَرِ پَدْبھْیاں وْرَجَنْتَں نَوکانْتِکَمْ آگَچّھَنْتَں وِلوکْیَ تْراسَیُکْتا اَبھَوَنْ | 19 |
नाव को लगभग पांच किलोमीटर खेने के बाद शिष्यों ने मसीह येशु को जल सतह पर चलते और नाव की ओर आते देखा. यह देखकर वे भयभीत हो गए.
کِنْتُ سَ تانُکْتَّوانْ اَیَمَہَں ما بھَیشْٹَ۔ | 20 |
मसीह येशु ने उनसे कहा, “भयभीत मत हो, मैं हूं.”
تَدا تے تَں سْوَیرَں ناوِ گرِہِیتَوَنْتَح تَدا تَتْکْشَنادْ اُدِّشْٹَسْتھانے نَورُپاسْتھاتْ۔ | 21 |
यह सुन शिष्य मसीह येशु को नाव में चढ़ाने को तैयार हो गए. इसके बाद नाव उस किनारे पर पहुंच गई जहां उन्हें जाना था.
یَیا ناوا شِشْیا اَگَچّھَنْ تَدَنْیا کاپِ نَوکا تَسْمِنْ سْتھانے ناسِیتْ تَتو یِیشُح شِشْیَیح ساکَں ناگَمَتْ کیوَلاح شِشْیا اَگَمَنْ ایتَتْ پارَسْتھا لوکا جْناتَوَنْتَح۔ | 22 |
अगले दिन झील के उस पार रह गई भीड़ को मालूम हुआ कि वहां केवल एक छोटी नाव थी और मसीह येशु शिष्यों के साथ उसमें नहीं गए थे—केवल शिष्य ही उसमें दूसरे पार गए थे.
کِنْتُ تَتَح پَرَں پْرَبھُ رْیَتْرَ اِیشْوَرَسْیَ گُنانْ اَنُکِیرْتّیَ لوکانْ پُوپانْ اَبھوجَیَتْ تَتْسْتھانَسْیَ سَمِیپَسْتھَتِوِرِیایا اَپَراسْتَرَنَیَ آگَمَنْ۔ | 23 |
तब तिबेरियॉस नगर से अन्य नावें उस स्थान पर आईं, जहां प्रभु ने बड़ी भीड़ को भोजन कराया था.
یِیشُسْتَتْرَ ناسْتِ شِشْیا اَپِ تَتْرَ نا سَنْتِ لوکا اِتِ وِجْنایَ یِیشُں گَویشَیِتُں تَرَنِبھِح کَپھَرْناہُومْ پُرَں گَتاح۔ | 24 |
जब भीड़ ने देखा कि न तो मसीह येशु वहां हैं और न ही उनके शिष्य, तो वे मसीह येशु को खोजते हुए नावों द्वारा कफ़रनहूम नगर पहुंच गए.
تَتَسْتے سَرِتْپَتیح پارے تَں ساکْشاتْ پْراپْیَ پْراووچَنْ ہے گُرو بھَوانْ اَتْرَ سْتھانے کَداگَمَتْ؟ | 25 |
झील के इस पार मसीह येशु को पाकर उन्होंने उनसे पूछा, “रब्बी, आप यहां कब पहुंचे?”
تَدا یِیشُسْتانْ پْرَتْیَوادِیدْ یُشْمانَہَں یَتھارْتھَتَرَں وَدامِ آشْچَرْیَّکَرْمَّدَرْشَنادّھیتو رْنَ کِنْتُ پُوپَبھوجَناتْ تینَ ترِپْتَتْوانْچَ ماں گَویشَیَتھَ۔ | 26 |
मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: तुम मुझे इसलिये नहीं खोज रहे कि तुमने अद्भुत चिह्न देखे हैं परंतु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्त हुए हो.
کْشَیَنِییَبھَکْشْیارْتھَں ما شْرامِشْٹَ کِنْتْوَنْتایُرْبھَکْشْیارْتھَں شْرامْیَتَ، تَسْماتْ تادرِشَں بھَکْشْیَں مَنُجَپُتْرو یُشْمابھْیَں داسْیَتِ؛ تَسْمِنْ تاتَ اِیشْوَرَح پْرَمانَں پْراداتْ۔ (aiōnios ) | 27 |
उस भोजन के लिए मेहनत मत करो, जो नाशमान है परंतु उसके लिए, जो अनंत जीवन तक ठहरता है, जो मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने समर्थन के साथ मात्र उसी को यह अधिकार सौंपा है.” (aiōnios )
تَدا تےپرِچّھَنْ اِیشْوَرابھِمَتَں کَرْمَّ کَرْتُّمْ اَسْمابھِح کِں کَرْتَّوْیَں؟ | 28 |
इस पर उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “हमसे परमेश्वर की इच्छा क्या है?”
تَتو یِیشُرَوَدَدْ اِیشْوَرو یَں پْرَیرَیَتْ تَسْمِنْ وِشْوَسَنَمْ اِیشْوَرابھِمَتَں کَرْمَّ۔ | 29 |
“यह कि तुम परमेश्वर के भेजे हुए पर विश्वास करो,” मसीह येशु ने उत्तर दिया.
تَدا تے وْیاہَرَنْ بھَوَتا کِں لَکْشَنَں دَرْشِتَں یَدّرِشْٹْوا بھَوَتِ وِشْوَسِشْیامَح؟ تْوَیا کِں کَرْمَّ کرِتَں؟ | 30 |
इस पर उन्होंने मसीह येशु से दोबारा पूछा, “आप ऐसा कौन सा अद्भुत चिह्न दिखा सकते हैं कि हम आप में विश्वास करें? क्या है वह काम?
اَسْماکَں پُورْوَّپُرُشا مَہاپْرانْتَرے مانّاں بھوکْتُّں پْراپُح یَتھا لِپِراسْتے۔ سْوَرْگِییانِ تُ بھَکْشْیانِ پْرَدَدَو پَرَمیشْوَرَح۔ | 31 |
हमारे पूर्वजों ने बंजर भूमि में मन्ना खाया; पवित्र शास्त्र के अनुसार: भोजन के लिए परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग से रोटी दी.”
تَدا یِیشُرَوَدَدْ اَہَں یُشْمانَتِیَتھارْتھَں وَدامِ مُوسا یُشْمابھْیَں سْوَرْگِییَں بھَکْشْیَں ناداتْ کِنْتُ مَمَ پِتا یُشْمابھْیَں سْوَرْگِییَں پَرَمَں بھَکْشْیَں دَداتِ۔ | 32 |
इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: स्वर्ग से वह रोटी तुम्हें मोशेह ने नहीं दी; मेरे पिता ही हैं, जो तुम्हें स्वर्ग से वास्तविक रोटी देते हैं.
یَح سْوَرْگادَوَرُہْیَ جَگَتے جِیوَنَں دَداتِ سَ اِیشْوَرَدَتَّبھَکْشْیَرُوپَح۔ | 33 |
क्योंकि परमेश्वर की रोटी वह है, जो स्वर्ग से आती है, और संसार को जीवन प्रदान करती है.”
تَدا تے پْراووچَنْ ہے پْرَبھو بھَکْشْیَمِدَں نِتْیَمَسْمَبھْیَں دَداتُ۔ | 34 |
यह सुनकर उन्होंने विनती की, “प्रभु, अब से हमें यही रोटी दें.”
یِیشُرَوَدَدْ اَہَمیوَ جِیوَنَرُوپَں بھَکْشْیَں یو جَنو مَمَ سَنِّدھِمْ آگَچّھَتِ سَ جاتُ کْشُدھارْتّو نَ بھَوِشْیَتِ، تَتھا یو جَنو ماں پْرَتْییتِ سَ جاتُ ترِشارْتّو نَ بھَوِشْیَتِ۔ | 35 |
इस पर मसीह येशु ने घोषणा की, “मैं ही हूं वह जीवन की रोटी. जो मेरे पास आएगा, वह भूखा न रहेगा और जो मुझमें विश्वास करेगा, कभी प्यासा न रहेगा.
ماں درِشْٹْواپِ یُویَں نَ وِشْوَسِتھَ یُشْمانَہَمْ اِتْیَووچَں۔ | 36 |
मैं तुमसे पहले भी कह चुका हूं कि तुम मुझे देखकर भी मुझमें विश्वास नहीं करते.
پِتا مَہْیَں یاوَتو لوکانَدَداتْ تے سَرْوَّ ایوَ مَمانْتِکَمْ آگَمِشْیَنْتِ یَح کَشْچِچَّ مَمَ سَنِّدھِمْ آیاسْیَتِ تَں کیناپِ پْرَکارینَ نَ دُورِیکَرِشْیامِ۔ | 37 |
वे सभी, जो पिता ने मुझे दिए हैं, मेरे पास आएंगे और हर एक, जो मेरे पास आता है, मैं उसको कभी भी न छोड़ूंगा.
نِجابھِمَتَں سادھَیِتُں نَ ہِ کِنْتُ پْریرَیِتُرَبھِمَتَں سادھَیِتُں سْوَرْگادْ آگَتوسْمِ۔ | 38 |
मैं स्वर्ग से अपनी इच्छा पूरी करने नहीं, अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिए आया हूं.
سَ یانْ یانْ لوکانْ مَہْیَمَدَداتْ تیشامیکَمَپِ نَ ہارَیِتْوا شیشَدِنے سَرْوّانَہَمْ اُتّھاپَیامِ اِدَں مَتْپْریرَیِتُح پِتُرَبھِمَتَں۔ | 39 |
मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उन्होंने मुझे सौंपा है, उसमें से मैं कुछ भी न खोऊं परंतु अंतिम दिन में उसे फिर से जीवित करूं.
یَح کَشْچِنْ مانَوَسُتَں وِلوکْیَ وِشْوَسِتِ سَ شیشَدِنے مَیوتّھاپِتَح سَنْ اَنَنْتایُح پْراپْسْیَتِ اِتِ مَتْپْریرَکَسْیابھِمَتَں۔ (aiōnios ) | 40 |
क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि हर एक, जो पुत्र को अपनाकर उसमें विश्वास करे, वह अनंत काल का जीवन प्राप्त करे तथा मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूं.” (aiōnios )
تَدا سْوَرْگادْ یَدْ بھَکْشْیَمْ اَواروہَتْ تَدْ بھَکْشْیَمْ اَہَمیوَ یِہُودِییَلوکاسْتَسْیَیتَدْ واکْیے وِوَدَمانا وَکْتُّماریبھِری | 41 |
मसीह येशु का यह दावा सुनकर: “स्वर्ग से उतरी रोटी मैं ही हूं,” यहूदी अगुए कुड़कुड़ाने लगे
یُوشَپھَح پُتْرو یِیشُ رْیَسْیَ ماتاپِتَرَو وَیَں جانِیمَ ایشَ کِں سَایوَ نَ؟ تَرْہِ سْوَرْگادْ اَواروہَمْ اِتِ واکْیَں کَتھَں وَکْتِّ؟ | 42 |
और आपस में मंत्रणा करने लगे, “क्या यह योसेफ़ का पुत्र येशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो अब यह कैसे कह रहा है कि यह स्वर्ग से आया है?”
تَدا یِیشُسْتانْ پْرَتْیَوَدَتْ پَرَسْپَرَں ما وِوَدَدھْوَں | 43 |
यह जानकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “कुड़कुड़ाओ मत,
مَتْپْریرَکینَ پِتْرا ناکرِشْٹَح کوپِ جَنو مَمانْتِکَمْ آیاتُں نَ شَکْنوتِ کِنْتْواگَتَں جَنَں چَرَمےہْنِ پْروتّھاپَیِشْیامِ۔ | 44 |
कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक मेरे भेजनेवाले—पिता—उसे अपनी ओर खींच न लें. मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूंगा.
تے سَرْوَّ اِیشْوَرینَ شِکْشِتا بھَوِشْیَنْتِ بھَوِشْیَدْوادِناں گْرَنْتھیشُ لِپِرِتّھَماسْتے اَتو یَح کَشْچِتْ پِتُح سَکاشاتْ شْرُتْوا شِکْشَتے سَ ایوَ مَمَ سَمِیپَمْ آگَمِشْیَتِ۔ | 45 |
भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में यह लिखा हुआ है: वे सब परमेश्वर द्वारा सिखाए हुए होंगे, अतः हर एक, जिसने पिता परमेश्वर को सुना और उनसे सीखा है, मेरे पास आता है.
یَ اِیشْوَرادْ اَجایَتَ تَں وِنا کوپِ مَنُشْیو جَنَکَں نادَرْشَتْ کیوَلَح سَایوَ تاتَمْ اَدْراکْشِیتْ۔ | 46 |
किसी ने पिता परमेश्वर को नहीं देखा सिवाय उसके, जो पिता परमेश्वर से है, केवल उसी ने उन्हें देखा है.
اَہَں یُشْمانْ یَتھارْتھَتَرَں وَدامِ یو جَنو مَیِ وِشْواسَں کَروتِ سونَنْتایُح پْراپْنوتِ۔ (aiōnios ) | 47 |
मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: अनंत काल का जीवन उसी का है, जो विश्वास करता है. (aiōnios )
اَہَمیوَ تَجِّیوَنَبھَکْشْیَں۔ | 48 |
मैं ही हूं जीवन की रोटी.
یُشْماکَں پُورْوَّپُرُشا مَہاپْرانْتَرے مَنّابھَکْشْیَں بھُوکْتّاپِ مرِتاح | 49 |
बंजर भूमि में तुम्हारे पूर्वजों ने मन्ना खाया फिर भी उनकी मृत्यु हो गई.
کِنْتُ یَدْبھَکْشْیَں سْوَرْگاداگَچّھَتْ تَدْ یَدِ کَشْچِدْ بھُنْکْتّے تَرْہِ سَ نَ مْرِیَتے۔ | 50 |
मैं ही स्वर्ग से उतरी रोटी हूं कि जो कोई इसे खाए, उसकी मृत्यु न हो.
یَجِّیوَنَبھَکْشْیَں سْوَرْگاداگَچّھَتْ سوہَمیوَ اِدَں بھَکْشْیَں یو جَنو بھُنْکْتّے سَ نِتْیَجِیوِی بھَوِشْیَتِ۔ پُنَشْچَ جَگَتو جِیوَنارْتھَمَہَں یَتْ سْوَکِییَپِشِتَں داسْیامِ تَدیوَ مَیا وِتَرِتَں بھَکْشْیَمْ۔ (aiōn ) | 51 |
स्वर्ग से उतरी जीवन की रोटी मैं ही हूं. जो कोई यह रोटी खाता है, वह हमेशा जीवित रहेगा. जो रोटी मैं दूंगा, वह संसार के जीवन के लिए भेंट मेरा शरीर है.” (aiōn )
تَسْمادْ یِہُودِییاح پَرَسْپَرَں وِوَدَمانا وَکْتُّماریبھِرے ایشَ بھوجَنارْتھَں سْوِییَں پَلَلَں کَتھَمْ اَسْمَبھْیَں داسْیَتِ؟ | 52 |
यह सुनकर यहूदी अगुए आपस में विवाद करने लगे, “यह व्यक्ति कैसे हमें अपना शरीर खाने के लिए दे सकता है?”
تَدا یِیشُسْتانْ آووچَدْ یُشْمانَہَں یَتھارْتھَتَرَں وَدامِ مَنُشْیَپُتْرَسْیامِشے یُشْمابھِ رْنَ بھُکْتّے تَسْیَ رُدھِرے چَ نَ پِیتے جِیوَنینَ سارْدّھَں یُشْماکَں سَمْبَنْدھو ناسْتِ۔ | 53 |
मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर न खाओ और उसका लहू न पियो, तुममें जीवन नहीं.
یو مَمامِشَں سْوادَتِ مَمَ سُدھِرَنْچَ پِوَتِ سونَنْتایُح پْراپْنوتِ تَتَح شیشےہْنِ تَمَہَمْ اُتّھاپَیِشْیامِ۔ (aiōnios ) | 54 |
अनंत काल का जीवन उसी का है, जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है; अंतिम दिन मैं उसे फिर से जीवित करूंगा. (aiōnios )
یَتو مَدِییَمامِشَں پَرَمَں بھَکْشْیَں تَتھا مَدِییَں شونِتَں پَرَمَں پییَں۔ | 55 |
मेरा शरीर ही वास्तविक भोजन और मेरा लहू ही वास्तविक पेय है.
یو جَنو مَدِییَں پَلَلَں سْوادَتِ مَدِییَں رُدھِرَنْچَ پِوَتِ سَ مَیِ وَسَتِ تَسْمِنَّہَنْچَ وَسامِ۔ | 56 |
जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है, वही है, जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें.
مَتْپْریرَیِتْرا جِیوَتا تاتینَ یَتھاہَں جِیوامِ تَدْوَدْ یَح کَشْچِنْ مامَتِّ سوپِ مَیا جِیوِشْیَتِ۔ | 57 |
जैसे जीवन्त पिता परमेश्वर ने मुझे भेजा है और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसे ही वह भी, जो मुझे ग्रहण करता है, मेरे कारण जीवित रहेगा.
یَدْبھَکْشْیَں سْوَرْگاداگَچّھَتْ تَدِدَں یَنْمانّاں سْوادِتْوا یُشْماکَں پِتَرومْرِیَنْتَ تادرِشَمْ اِدَں بھَکْشْیَں نَ بھَوَتِ اِدَں بھَکْشْیَں یو بھَکْشَتِ سَ نِتْیَں جِیوِشْیَتِ۔ (aiōn ) | 58 |
यह वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी हुई है; वैसी नहीं, जो पूर्वजों ने खाई और फिर भी उनकी मृत्यु हो गई; परंतु वह, जो यह रोटी खाता है, हमेशा जीवित रहेगा.” (aiōn )
یَدا کَپھَرْناہُومْ پُرْیّاں بھَجَنَگیہے اُپادِشَتْ تَدا کَتھا ایتا اَکَتھَیَتْ۔ | 59 |
मसीह येशु ने ये बातें कफ़रनहूम नगर के यहूदी सभागृह में शिक्षा देते हुए बताईं.
تَدیتّھَں شْرُتْوا تَسْیَ شِشْیانامْ اَنیکے پَرَسْپَرَمْ اَکَتھَیَنْ اِدَں گاڈھَں واکْیَں واکْیَمِیدرِشَں کَح شْروتُں شَکْرُیاتْ؟ | 60 |
यह बातें सुनकर उनके अनेक शिष्यों ने कहा, “बहुत कठोर है यह शिक्षा. कौन इसे स्वीकार कर सकता है?”
کِنْتُ یِیشُح شِشْیانامْ اِتّھَں وِوادَں سْوَچِتّے وِجْنایَ کَتھِتَوانْ اِدَں واکْیَں کِں یُشْماکَں وِگھْنَں جَنَیَتِ؟ | 61 |
अपने चेलों की बड़बड़ाहट का अहसास होने पर मसीह येशु ने कहा, “क्या यह तुम्हारे लिए ठोकर का कारण है?
یَدِ مَنُجَسُتَں پُورْوَّواسَسْتھانَمْ اُورْدْوَّں گَچّھَنْتَں پَشْیَتھَ تَرْہِ کِں بھَوِشْیَتِ؟ | 62 |
तुम तब क्या करोगे जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊपर स्वर्ग में जाते देखोगे, जहां वह पहले था?
آتْمَیوَ جِیوَنَدایَکَح وَپُ رْنِشْپھَلَں یُشْمَبھْیَمَہَں یانِ وَچاںسِ کَتھَیامِ تانْیاتْما جِیوَنَنْچَ۔ | 63 |
आत्मा ही हैं, जो शरीर को जीवन देती है. केवल शरीर का कुछ महत्व नहीं. जो वचन मैंने तुमसे कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी.
کِنْتُ یُشْماکَں مَدھْیے کیچَنَ اَوِشْواسِنَح سَنْتِ کے کے نَ وِشْوَسَنْتِ کو وا تَں پَرَکَریشُ سَمَرْپَیِشْیَتِ تانْ یِیشُراپْرَتھَمادْ ویتِّ۔ | 64 |
फिर भी तुममें कुछ हैं, जो मुझमें विश्वास नहीं करते.” मसीह येशु प्रारंभ से जानते थे कि कौन हैं, जो उनमें विश्वास नहीं करेंगे और कौन है वह, जो उनके साथ धोखा करेगा.
اَپَرَمَپِ کَتھِتَوانْ اَسْماتْ کارَنادْ اَکَتھَیَں پِتُح سَکاشاتْ شَکْتِّمَپْراپْیَ کوپِ مَمانْتِکَمْ آگَنْتُں نَ شَکْنوتِ۔ | 65 |
तब मसीह येशु ने आगे कहा, “इसलिये मैंने तुमसे यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक पिता उसे मेरे पास न आने दें.”
تَتْکالےنیکے شِشْیا وْیاگھُٹْیَ تینَ سارْدّھَں پُنَ رْناگَچّھَنْ۔ | 66 |
इसके परिणामस्वरूप मसीह येशु के अनेक चेले पीछे हट गए और उनके पीछे चलना छोड़ दिया.
تَدا یِیشُ رْدْوادَشَشِشْیانْ اُکْتَّوانْ یُویَمَپِ کِں یاسْیَتھَ؟ | 67 |
यह देख मसीह येशु ने अपने बारह शिष्यों से अभिमुख हो उनसे पूछा, “कहीं तुम भी तो लौट जाना नहीं चाहते?”
تَتَح شِمونْ پِتَرَح پْرَتْیَووچَتْ ہے پْرَبھو کَسْیابھْیَرْنَں گَمِشْیامَح؟ (aiōnios ) | 68 |
शिमओन पेतरॉस ने उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएं? अनंत काल के जीवन की बातें तो आप ही के पास हैं. (aiōnios )
اَنَنْتَجِیوَنَدایِنْیو یاح کَتھاسْتاسْتَوَیوَ۔ بھَوانْ اَمَریشْوَرَسْیابھِشِکْتَّپُتْرَ اِتِ وِشْوَسْیَ نِشْچِتَں جانِیمَح۔ | 69 |
हमने विश्वास किया और जान लिया है कि आप ही परमेश्वर के पवित्र जन हैं.”
تَدا یِیشُرَوَدَتْ کِمَہَں یُشْماکَں دْوادَشَجَنانْ مَنونِیتانْ نَ کرِتَوانْ؟ کِنْتُ یُشْماکَں مَدھْییپِ کَشْچِدیکو وِگھْنَکارِی وِدْیَتے۔ | 70 |
मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्या स्वयं मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? यह होने पर भी तुममें से एक इबलीस है.”
اِماں کَتھَں سَ شِمونَح پُتْرَمْ اِیشْکَرِییوتِییَں یِہُودامْ اُدِّشْیَ کَتھِتَوانْ یَتو دْوادَشاناں مَدھْیے گَنِتَح سَ تَں پَرَکَریشُ سَمَرْپَیِشْیَتِ۔ | 71 |
(उनका इशारा कारियोतवासी शिमओन के पुत्र यहूदाह की ओर था क्योंकि उन बारह शिष्यों में से वही मसीह येशु के साथ धोखा करने पर था.)