< ลูก: 6 >
1 อจรญฺจ ปรฺวฺวโณ ทฺวิตียทินาตฺ ปรํ ปฺรถมวิศฺรามวาเร ศสฺยกฺเษเตฺรณ ยีโศรฺคมนกาเล ตสฺย ศิษฺยา: กณิศํ ฉิตฺตฺวา กเรษุ มรฺทฺทยิตฺวา ขาทิตุมาเรภิเรฯ
एक शब्बाथ पर प्रभु येशु अन्न के खेत से होकर जा रहे थे. उनके शिष्यों ने बालें तोड़कर, मसल-मसल कर खाना प्रारंभ कर दिया.
2 ตสฺมาตฺ กิยนฺต: ผิรูศินสฺตานวทนฺ วิศฺรามวาเร ยตฺ กรฺมฺม น กรฺตฺตวฺยํ ตตฺ กุต: กุรุถ?
यह देख कुछ फ़रीसियों ने कहा, “आप शब्बाथ पर यह काम क्यों कर रहे हैं, जो नियम विरुद्ध?”
3 ยีศุ: ปฺรตฺยุวาจ ทายูทฺ ตสฺย สงฺคินศฺจ กฺษุธารฺตฺตา: กึ จกฺรุ: ส กถมฺ อีศฺวรสฺย มนฺทิรํ ปฺรวิศฺย
प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या आपने यह कभी नहीं पढ़ा कि भूख लगने पर दावीद और उनके साथियों ने क्या किया था?
4 เย ทรฺศนียา: ปูปา ยาชกานฺ วินานฺยสฺย กสฺยาปฺยโภชนียาสฺตานานีย สฺวยํ พุภเช สงฺคิโภฺยปิ ทเทา ตตฺ กึ ยุษฺมาภิ: กทาปิ นาปาฐิ?
दावीद ने परमेश्वर के भवन में प्रवेश कर वह समर्पित रोटी खाई, जिसका खाना पुरोहितों के अतिरिक्त किसी अन्य के लिए नियम विरुद्ध था? यही रोटी उन्होंने अपने साथियों को भी दी.”
5 ปศฺจาตฺ ส ตานวทตฺ มนุชสุโต วิศฺรามวารสฺยาปิ ปฺรภุ รฺภวติฯ
प्रभु येशु ने उनसे कहा, “मनुष्य का पुत्र शब्बाथ का प्रभु है.”
6 อนนฺตรมฺ อนฺยวิศฺรามวาเร ส ภชนเคหํ ปฺรวิศฺย สมุปทิศติฯ ตทา ตตฺสฺถาเน ศุษฺกทกฺษิณกร เอก: ปุมานฺ อุปตสฺถิวานฺฯ
एक अन्य शब्बाथ पर प्रभु येशु यहूदी सभागृह में शिक्षा देने लगे. वहां एक व्यक्ति था, जिसका दायां हाथ लक़वा मारा हुआ था.
7 ตสฺมาทฺ อธฺยาปกา: ผิรูศินศฺจ ตสฺมินฺ โทษมาโรปยิตุํ ส วิศฺรามวาเร ตสฺย สฺวาสฺถฺยํ กโรติ นเวติ ปฺรตีกฺษิตุมาเรภิเรฯ
फ़रीसी और शास्त्री इस अवसर की ताक में थे कि शब्बाथ पर प्रभु येशु इस व्यक्ति को स्वस्थ करें और वह उन पर दोष लगा सकें.
8 ตทา ยีศุเสฺตษำ จินฺตำ วิทิตฺวา ตํ ศุษฺกกรํ ปุมำสํ โปฺรวาจ, ตฺวมุตฺถาย มธฺยสฺถาเน ติษฺฐฯ
प्रभु येशु को उनके मनों में उठ रहे विचारों का पूरा पता था. उन्होंने उस व्यक्ति को, जिसका हाथ सूखा हुआ था, आज्ञा दी, “उठो! यहां सबके मध्य खड़े हो जाओ.” वह उठकर वहां खड़ा हो गया.
9 ตสฺมาตฺ ตสฺมินฺ อุตฺถิตวติ ยีศุสฺตานฺ วฺยาชหาร, ยุษฺมานฺ อิมำ กถำ ปฺฤจฺฉามิ, วิศฺรามวาเร หิตมฺ อหิตํ วา, ปฺราณรกฺษณํ ปฺราณนาศนํ วา, เอเตษำ กึ กรฺมฺมกรณียมฺ?
तब प्रभु येशु ने फ़रीसियों और शास्त्रियों को संबोधित कर प्रश्न किया, “यह बताइए, शब्बाथ पर क्या करना उचित है; भलाई या बुराई? जीवन रक्षा या विनाश?”
10 ปศฺจาตฺ จตุรฺทิกฺษุ สรฺวฺวานฺ วิโลกฺย ตํ มานวํ พภาเษ, นิชกรํ ปฺรสารย; ตตเสฺตน ตถา กฺฤต อิตรกรวตฺ ตสฺย หสฺต: สฺวโสฺถภวตฺฯ
उन सब पर एक दृष्टि डालते हुए प्रभु येशु ने उस व्यक्ति को आज्ञा दी, “अपना हाथ बढ़ाओ!” उसने ऐसा ही किया—उसका हाथ स्वस्थ हो गया था.
11 ตสฺมาตฺ เต ปฺรจณฺฑโกปานฺวิตา ยีศุํ กึ กริษฺยนฺตีติ ปรสฺปรํ ปฺรมนฺตฺริตา: ฯ
यह देख फ़रीसी और शास्त्री क्रोध से जलने लगे. वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे कि प्रभु येशु के साथ अब क्या किया जाए.
12 ตต: ปรํ ส ปรฺวฺวตมารุเหฺยศฺวรมุทฺทิศฺย ปฺรารฺถยมาน: กฺฤตฺสฺนำ ราตฺรึ ยาปิตวานฺฯ
एक दिन प्रभु येशु पर्वत पर प्रार्थना करने चले गए और सारी रात वह परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे.
13 อถ ทิเน สติ ส สรฺวฺวานฺ ศิษฺยานฺ อาหูตวานฺ เตษำ มเธฺย
प्रातःकाल उन्होंने अपने चेलों को अपने पास बुलाया और उनमें से बारह को चुनकर उन्हें प्रेरित पद प्रदान किया.
14 ปิตรนามฺนา ขฺยาต: ศิโมนฺ ตสฺย ภฺราตา อานฺทฺริยศฺจ ยากูพฺ โยหนฺ จ ผิลิปฺ พรฺถลมยศฺจ
शिमओन, (जिन्हें वह पेतरॉस नाम से पुकारते थे) उनके भाई आन्द्रेयास, याकोब, योहन, फ़िलिप्पॉस, बारथोलोमेयॉस
15 มถิ: โถมา อาลฺผียสฺย ปุโตฺร ยากูพฺ ชฺวลนฺตนามฺนา ขฺยาต: ศิโมนฺ
मत्तियाह, थोमॉस, हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब, राष्ट्रवादी शिमओन,
16 จ ยากูโพ ภฺราตา ยิหูทาศฺจ ตํ ย: ปรกเรษุ สมรฺปยิษฺยติ ส อีษฺกรีโยตียยิหูทาศฺไจตานฺ ทฺวาทศ ชนานฺ มโนนีตานฺ กฺฤตฺวา ส ชคฺราห ตถา เปฺรริต อิติ เตษำ นาม จการฯ
याकोब के पुत्र यहूदाह, तथा कारियोतवासी यहूदाह, जिसने उनके साथ धोखा किया.
17 ตต: ปรํ ส ไต: สห ปรฺวฺวตาทวรุหฺย อุปตฺยกายำ ตเสฺถา ตตสฺตสฺย ศิษฺยสงฺโฆ ยิหูทาเทศาทฺ ยิรูศาลมศฺจ โสร: สีโทนศฺจ ชลเธ โรธโส ชนนิหาศฺจ เอตฺย ตสฺย กถาศฺรวณารฺถํ โรคมุกฺตฺยรฺถญฺจ ตสฺย สมีเป ตสฺถุ: ฯ
प्रभु येशु उनके साथ पर्वत से उतरे और आकर एक समतल स्थल पर खड़े हो गए. येरूशलेम तथा समुद्र के किनारे के नगर सोर और सीदोन से आए लोगों तथा सुननेवालों का एक बड़ा समूह वहां इकट्ठा था,
18 อเมธฺยภูตคฺรสฺตาศฺจ ตนฺนิกฏมาคตฺย สฺวาสฺถฺยํ ปฺราปุ: ฯ
जो उनके प्रवचन सुनने और अपने रोगों से चंगाई के उद्देश्य से वहां आया था. इस समूह में दुष्टात्मा से पीड़ित भी शामिल थे, जिन्हें प्रभु येशु दुष्टात्मा मुक्त करते जा रहे थे.
19 สรฺเวฺวษำ สฺวาสฺถฺยกรณปฺรภาวสฺย ปฺรกาศิตตฺวาตฺ สรฺเวฺว โลกา เอตฺย ตํ สฺปฺรษฺฏุํ เยติเรฯ
सभी लोग उन्हें छूने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि उनसे निकली हुई सामर्थ्य उन सभी को स्वस्थ कर रही थी.
20 ปศฺจาตฺ ส ศิษฺยานฺ ปฺรติ ทฺฤษฺฏึ กุตฺวา ชคาท, เห ทริทฺรา ยูยํ ธนฺยา ยต อีศฺวรีเย ราเชฺย โว'ธิกาโรสฺติฯ
अपने शिष्यों की ओर दृष्टि करते हुए प्रभु येशु ने उनसे कहा: “धन्य हो तुम सभी जो निर्धन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है.
21 เห อธุนา กฺษุธิตโลกา ยูยํ ธนฺยา ยโต ยูยํ ตรฺปฺสฺยถ; เห อิห โรทิโน ชนา ยูยํ ธนฺยา ยโต ยูยํ หสิษฺยถฯ
धन्य हो तुम जो भूखे हो, क्योंकि तुम तृप्त किए जाओगे. धन्य हो तुम जो इस समय रो रहे हो, क्योंकि तुम आनंदित होगे.
22 ยทา โลกา มนุษฺยสูโน รฺนามเหโต รฺยุษฺมานฺ ฤตียิษฺยนฺเต ปฺฤถกฺ กฺฤตฺวา นินฺทิษฺยนฺติ, อธมานิว ยุษฺมานฺ สฺวสมีปาทฺ ทูรีกริษฺยนฺติ จ ตทา ยูยํ ธนฺยา: ฯ
धन्य हो तुम सभी जिनसे सभी मनुष्य घृणा करते हैं, तुम्हारा बहिष्कार करते हैं, तुम्हारी निंदा करते हैं, तुम्हारे नाम को मनुष्य के पुत्र के कारण बुराई करनेवाला घोषित कर देते हैं.
23 สฺวรฺเค ยุษฺมากํ ยเถษฺฏํ ผลํ ภวิษฺยติ, เอตทรฺถํ ตสฺมินฺ ทิเน โปฺรลฺลสต อานนฺเทน นฺฤตฺยต จ, เตษำ ปูรฺวฺวปุรุษาศฺจ ภวิษฺยทฺวาทิน: ปฺรติ ตไถว วฺยวาหรนฺฯ
“उस दिन आनंदित होकर हर्षोल्लास में उछलो-कूदो, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा. उनके पूर्वजों ने भी भविष्यद्वक्ताओं को इसी प्रकार सताया था.
24 กินฺตุ หา หา ธนวนฺโต ยูยํ สุขํ ปฺราปฺนุตฯ หนฺต ปริตฺฤปฺตา ยูยํ กฺษุธิตา ภวิษฺยถ;
“धिक्कार है तुम पर! तुम जो धनी हो, तुम अपने सारे सुख भोग चुके.
25 อิห หสนฺโต ยูยํ วต ยุษฺมาภิ: โศจิตวฺยํ โรทิตวฺยญฺจฯ
धिक्कार है तुम पर! तुम जो अब तृप्त हो, क्योंकि तुम्हारे लिए भूखा रहना निर्धारित है. धिक्कार है तुम पर! तुम जो इस समय हंस रहे हो, क्योंकि तुम शोक तथा विलाप करोगे.
26 สรฺไวฺวลาไก รฺยุษฺมากํ สุขฺยาเตา กฺฤตายำ ยุษฺมากํ ทุรฺคติ รฺภวิษฺยติ ยุษฺมากํ ปูรฺวฺวปุรุษา มฺฤษาภวิษฺยทฺวาทิน: ปฺรติ ตทฺวตฺ กฺฤตวนฺต: ฯ
धिक्कार है तुम पर! जब सब मनुष्य तुम्हारी प्रशंसा करते हैं क्योंकि उनके पूर्वज झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ यही किया करते थे.”
27 เห โศฺรตาโร ยุษฺมภฺยมหํ กถยามิ, ยูยํ ศตฺรุษุ ปฺรียธฺวํ เย จ ยุษฺมานฺ ทฺวิษนฺติ เตษามปิ หิตํ กุรุตฯ
“किंतु तुम, जो इस समय मेरे प्रवचन सुन रहे हो, अपने शत्रुओं से प्रेम करो तथा उनके साथ भलाई, जो तुमसे घृणा करते हैं.
28 เย จ ยุษฺมานฺ ศปนฺติ เตภฺย อาศิษํ ทตฺต เย จ ยุษฺมานฺ อวมนฺยนฺเต เตษำ มงฺคลํ ปฺรารฺถยธฺวํฯ
जो तुम्हें शाप देते हैं उनको आशीष दो, और जो तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करें उनके लिए प्रार्थना करो.
29 ยทิ กศฺจิตฺ ตว กโปเล จเปฏาฆาตํ กโรติ ตรฺหิ ตํ ปฺรติ กโปลมฺ อนฺยํ ปราวรฺตฺตฺย สมฺมุขีกุรุ ปุนศฺจ ยทิ กศฺจิตฺ ตว คาตฺรียวสฺตฺรํ หรติ ตรฺหิ ตํ ปริเธยวสฺตฺรมฺ อปิ คฺรหีตุํ มา วารยฯ
यदि कोई तुम्हारे एक गाल पर प्रहार करे उसकी ओर दूसरा भी फेर दो. यदि कोई तुम्हारी चादर लेना चाहे तो उसे अपना कुर्ता भी देने में संकोच न करो.
30 ยสฺตฺวำ ยาจเต ตไสฺม เทหิ, ยศฺจ ตว สมฺปตฺตึ หรติ ตํ มา ยาจสฺวฯ
जब भी कोई तुमसे कुछ मांगे तो उसे अवश्य दो और यदि कोई तुम्हारी कोई वस्तु ले ले तो उसे वापस न मांगो
31 ปเรภฺย: สฺวานฺ ปฺรติ ยถาจรณมฺ อเปกฺษเธฺว ปรานฺ ปฺรติ ยูยมปิ ตถาจรตฯ
अन्यों के साथ तुम्हारा व्यवहार वैसा ही हो जैसे व्यवहार की आशा तुम उनसे करते हो.
32 เย ชนา ยุษฺมาสุ ปฺรียนฺเต เกวลํ เตษุ ปฺรียมาเณษุ ยุษฺมากํ กึ ผลํ? ปาปิโลกา อปิ เสฺวษุ ปฺรียมาเณษุ ปฺรียนฺเตฯ
“यदि तुम उन्हीं से प्रेम करते हो, जो तुमसे प्रेम करते हैं तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं.
33 ยทิ หิตการิณ เอว หิตํ กุรุถ ตรฺหิ ยุษฺมากํ กึ ผลํ? ปาปิโลกา อปิ ตถา กุรฺวฺวนฺติฯ
वैसे ही यदि तुम उन्हीं के साथ भलाई करते हो, जिन्होंने तुम्हारे साथ भलाई की है, तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं.
34 เยภฺย ฤณปริโศธสฺย ปฺราปฺติปฺรตฺยาศาเสฺต เกวลํ เตษุ ฤเณ สมรฺปิเต ยุษฺมากํ กึ ผลํ? ปุน: ปฺราปฺตฺยาศยา ปาปีโลกา อปิ ปาปิชเนษุ ฤณมฺ อรฺปยนฺติฯ
और यदि तुम उन्हीं को कर्ज़ देते हो, जिनसे राशि वापस प्राप्त करने की आशा होती है तो तुमने कौन सा प्रशंसनीय काम कर दिखाया? ऐसा तो परमेश्वर से दूर रहनेवाले लोग भी करते हैं—इस आशा में कि उनकी सारी राशि उन्हें लौटा दी जाएगी.
35 อโต ยูยํ ริปุษฺวปิ ปฺรียธฺวํ, ปรหิตํ กุรุต จ; ปุน: ปฺราปฺตฺยาศำ ตฺยกฺตฺวา ฤณมรฺปยต, ตถา กฺฤเต ยุษฺมากํ มหาผลํ ภวิษฺยติ, ยูยญฺจ สรฺวฺวปฺรธานสฺย สนฺตานา อิติ ขฺยาตึ ปฺราปฺสฺยถ, ยโต ยุษฺมากํ ปิตา กฺฤตฆฺนานำ ทุรฺวฺฏตฺตานาญฺจ หิตมาจรติฯ
सही तो यह है कि तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनका उपकार करो और कुछ भी वापस प्राप्त करने की आशा किए बिना उन्हें कर्ज़ दे दो. तब तुम्हारा ईनाम असाधारण होगा और तुम परम प्रधान की संतान ठहराए जाओगे क्योंकि वह उनके प्रति भी कृपालु हैं, जो उपकार नहीं मानते और बुरे हैं.
36 อต เอว ส ยถา ทยาลุ รฺยูยมปิ ตาทฺฤศา ทยาลโว ภวตฯ
कृपालु बनो, ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारे पिता कृपालु हैं.
37 อปรญฺจ ปรานฺ โทษิโณ มา กุรุต ตสฺมาทฺ ยูยํ โทษีกฺฤตา น ภวิษฺยถ; อทณฺฑฺยานฺ มา ทณฺฑยต ตสฺมาทฺ ยูยมปิ ทณฺฑํ น ปฺราปฺสฺยถ; ปเรษำ โทษานฺ กฺษมธฺวํ ตสฺมาทฺ ยุษฺมากมปิ โทษา: กฺษมิษฺยนฺเตฯ
“किसी का न्याय मत करो तो तुम्हारा भी न्याय नहीं किया जाएगा. किसी पर दोष मत लगाओ तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा. क्षमा करो तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा.
38 ทานานิทตฺต ตสฺมาทฺ ยูยํ ทานานิ ปฺราปฺสฺยถ, วรญฺจ โลกา: ปริมาณปาตฺรํ ปฺรทลยฺย สญฺจาลฺย โปฺรญฺจาลฺย ปริปูรฺยฺย ยุษฺมากํ โกฺรเฑษุ สมรฺปยิษฺยนฺติ; ยูยํ เยน ปริมาเณน ปริมาถ เตไนว ปริมาเณน ยุษฺมตฺกฺฤเต ปริมาสฺยเตฯ
उदारतापूर्वक दो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा—पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उंडेल (यानी अत्यंत उदारतापूर्वक) देंगे. देने के तुम्हारे नाप के अनुसार ही तुम प्राप्त करोगे.”
39 อถ ส เตโภฺย ทฺฤษฺฏานฺตกถามกถยตฺ, อนฺโธ ชน: กิมนฺธํ ปนฺถานํ ทรฺศยิตุํ ศกฺโนติ? ตสฺมาทฺ อุภาวปิ กึ ครฺตฺเต น ปติษฺยต: ?
प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा भी शिक्षा दी. “क्या कोई अंधा दूसरे अंधे का मार्गदर्शन कर सकता है? क्या वे दोनों ही गड्ढे में न गिरेंगे?
40 คุโร: ศิโษฺย น เศฺรษฺฐ: กินฺตุ ศิเษฺย สิทฺเธ สติ ส คุรุตุโลฺย ภวิตุํ ศกฺโนติฯ
विद्यार्थी अपने शिक्षक से बढ़कर नहीं है परंतु हर एक, जिसने शिक्षा पूरी कर ली है, वह अपने शिक्षक के समान होगा.
41 อปรญฺจ ตฺวํ สฺวจกฺษุษิ นาสามฺ อทฺฤษฺฏฺวา ตว ภฺราตุศฺจกฺษุษิ ยตฺตฺฤณมสฺติ ตเทว กุต: ปศฺยมิ?
“तुम भला अपने भाई की आंख के कण की ओर उंगली क्यों उठाते हो जबकि तुम स्वयं अपनी आंख में पड़े लट्ठे की ओर ध्यान नहीं देते?
42 สฺวจกฺษุษิ ยา นาสา วิทฺยเต ตามฺ อชฺญาตฺวา, ภฺราตสฺตว เนตฺราตฺ ตฺฤณํ พหิ: กโรมีติ วากฺยํ ภฺราตรํ กถํ วกฺตุํ ศกฺโนษิ? เห กปฏินฺ ปูรฺวฺวํ สฺวนยนาตฺ นาสำ พหิ: กุรุ ตโต ภฺราตุศฺจกฺษุษสฺตฺฤณํ พหิ: กรฺตฺตุํ สุทฺฤษฺฏึ ปฺราปฺสฺยสิฯ
या तुम भला यह कैसे कह सकते हो ‘ज़रा ठहरो, मैं तुम्हारी आंख से वह कण निकाल देता हूं,’ जबकि तुम्हारी अपनी आंख में तो लट्ठा पड़ा हुआ देख नहीं सकते हो? अरे पाखंडी! पहले तो स्वयं अपनी आंख में से उस लट्ठे को तो निकाल! तभी तू स्पष्ट रूप से देख सकेगा और अपने भाई की आंख में से उस कण को निकाल सकेगा.”
43 อนฺยญฺจ อุตฺตมสฺตรุ: กทาปิ ผลมนุตฺตมํ น ผลติ, อนุตฺตมตรุศฺจ ผลมุตฺตมํ น ผลติ การณาทต: ผไลสฺตรโว ชฺญายนฺเตฯ
“कोई भी अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं लाता और न बुरा पेड़ अच्छा फल.
44 กณฺฏกิปาทปาตฺ โกปิ อุฑุมฺพรผลานิ น ปาตยติ ตถา ศฺฤคาลโกลิวฺฤกฺษาทปิ โกปิ ทฺรากฺษาผลํ น ปาตยติฯ
हर एक पेड़ उसके अपने फलों के द्वारा पहचाना जाता है. कंटीले वृक्षों में से लोग अंजीर या कंटीली झाड़ियों में से अंगूर इकट्ठा नहीं किया करते.
45 ตทฺวตฺ สาธุโลโก'นฺต: กรณรูปาตฺ สุภาณฺฑาคาราทฺ อุตฺตมานิ ทฺรวฺยาณิ พหิ: กโรติ, ทุษฺโฏ โลกศฺจานฺต: กรณรูปาตฺ กุภาณฺฑาคาราตฺ กุตฺสิตานิ ทฺรวฺยาณิ นิรฺคมยติ ยโต'นฺต: กรณานำ ปูรฺณภาวานุรูปาณิ วจำสิ มุขานฺนิรฺคจฺฉนฺติฯ
भला व्यक्ति हृदय में भरे हुए उत्तम भंडार में से उत्तम ही निकालता है तथा बुरा व्यक्ति अपने हृदय में भरे हुए बुरे भंडार में से बुरा; क्योंकि उसका मुख उसके हृदय में भरी हुई वस्तुओं में से ही निकालता है.”
46 อปรญฺจ มมาชฺญานุรูปํ นาจริตฺวา กุโต มำ ปฺรโภ ปฺรโภ อิติ วทถ?
“तुम लोग मुझे, प्रभु, प्रभु कहकर क्यों पुकारते हो जबकि मेरी आज्ञाओं का पालन ही नहीं करते?
47 ย: กศฺจินฺ มม นิกฏมฺ อาคตฺย มม กถา นิศมฺย ตทนุรูปํ กรฺมฺม กโรติ ส กสฺย สทฺฤโศ ภวติ ตทหํ ยุษฺมานฺ ชฺญาปยามิฯ
मैं तुम्हें बताऊंगा कि वह व्यक्ति किस प्रकार का है, जो मेरे पास आता है, मेरे संदेश को सुनता तथा उसका पालन करता है:
48 โย ชโน คภีรํ ขนิตฺวา ปาษาณสฺถเล ภิตฺตึ นิรฺมฺมาย สฺวคฺฤหํ รจยติ เตน สห ตโสฺยปมา ภวติ; ยต อาปฺลาวิชลเมตฺย ตสฺย มูเล เวเคน วหทปิ ตทฺเคหํ ลาฑยิตุํ น ศกฺโนติ ยตสฺตสฺย ภิตฺติ: ปาษาโณปริ ติษฺฐติฯ
वह उस घर बनानेवाले के जैसा है, जिसने गहरी खुदाई करके चट्टान पर नींव डाली. मूसलाधार बारिश के तेज बहाव ने उस घर पर ठोकरें मारी किंतु उसे हिला न पाया क्योंकि वह घर मजबूत था.
49 กินฺตุ ย: กศฺจินฺ มม กถา: ศฺรุตฺวา ตทนุรูปํ นาจรติ ส ภิตฺตึ วินา มฺฤทุปริ คฺฤหนิรฺมฺมาตฺรา สมาโน ภวติ; ยต อาปฺลาวิชลมาคตฺย เวเคน ยทา วหติ ตทา ตทฺคฺฤหํ ปตติ ตสฺย มหตฺ ปตนํ ชายเตฯ
वह व्यक्ति, जो मेरे संदेश को सुनता है किंतु उसका पालन नहीं करता, उस व्यक्ति के समान है, जिसने भूमि पर बिना नींव के घर बनाया और जिस क्षण उस पर तेज बहाव ने ठोकरें मारी, वह ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया.”