< ลูก: 24 >

1 อถ สปฺตาหปฺรถมทิเน'ติปฺรตฺยูเษ ตา โยษิต: สมฺปาทิตํ สุคนฺธิทฺรวฺยํ คฺฤหีตฺวา ตทนฺยาภิ: กิยตีภิ: สฺตฺรีภิ: สห ศฺมศานํ ยยุ: ฯ
सप्‍ताह के प्रथम दिन पौ फटते ही वे तैयार किए गए उबटन-लेपों को लेकर कंदरा-क़ब्र पर आईं.
2 กินฺตุ ศฺมศานทฺวาราตฺ ปาษาณมปสาริตํ ทฺฤษฺฏฺวา
उन्होंने कब्र के द्वार का पत्थर कब्र से लुढ़का हुआ पाया
3 ตา: ปฺรวิศฺย ปฺรโภ เรฺทหมปฺราปฺย
किंतु जब उन्होंने कब्र की गुफ़ा में प्रवेश किया, वहां प्रभु येशु का शरीर नहीं था.
4 วฺยากุลา ภวนฺติ เอตรฺหิ เตโชมยวสฺตฺรานฺวิเตา เทฺวา ปุรุเษา ตาสำ สมีเป สมุปสฺถิเตา
जब वे इस स्थिति का निरीक्षण कर ही रही थी, एकाएक उजले वस्त्रों में दो व्यक्ति उनके पास आ खड़े हुए.
5 ตสฺมาตฺตา: ศงฺกายุกฺตา ภูมาวโธมุขฺยสฺยสฺถุ: ฯ ตทา เตา ตา อูจตุ รฺมฺฤตานำ มเธฺย ชีวนฺตํ กุโต มฺฤคยถ?
भय में डरी हुई स्त्रियों की दृष्टि भूमि की ओर ही थी कि उन्होंने स्त्रियों से प्रश्न किया, “आप लोग एक जीवित को मरे हुओं के मध्य क्यों खोज रही हैं?
6 โสตฺร นาสฺติ ส อุทสฺถาตฺฯ
वह यहां नहीं हैं—वह दोबारा जीवित हो गए हैं. याद कीजिए जब वह आपके साथ गलील प्रदेश में थे, उन्होंने आपसे क्या कहा था:
7 ปาปินำ กเรษุ สมรฺปิเตน กฺรุเศ หเตน จ มนุษฺยปุเตฺรณ ตฺฤตียทิวเส ศฺมศานาทุตฺถาตวฺยมฺ อิติ กถำ ส คลีลิ ติษฺฐนฺ ยุษฺมภฺยํ กถิตวานฺ ตำ สฺมรตฯ
‘यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र कुकर्मियों के हाथों में सौंपा जाए, क्रूस पर चढ़ाया जाए और तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित हो जाए.’”
8 ตทา ตสฺย สา กถา ตาสำ มน: สุ ชาตาฯ
अब उन्हें प्रभु येशु की बातों की याद आई.
9 อนนฺตรํ ศฺมศานาทฺ คตฺวา ตา เอกาทศศิษฺยาทิภฺย: สรฺเวฺวภฺยสฺตำ วารฺตฺตำ กถยามาสุ: ฯ
वे सभी स्त्रियां कब्र की गुफ़ा से लौट गईं और सारा हाल ग्यारह शिष्यों तथा बाकियों को सुनाया.
10 มคฺทลีนีมริยมฺ, โยหนา, ยากูโพ มาตา มริยมฺ ตทนฺยา: สงฺคิโนฺย โยษิตศฺจ เปฺรริเตภฺย เอตา: สรฺวฺวา วารฺตฺตา: กถยามาสุ:
जिन स्त्रियों ने प्रेरितों को यह हाल सुनाया, वे थी: मगदालावासी मरियम, योहान्‍ना तथा याकोब की माता मरियम तथा उनके अलावा अन्य स्त्रियां.
11 กินฺตุ ตาสำ กถามฺ อนรฺถกาขฺยานมาตฺรํ พุทฺธฺวา โกปิ น ปฺรไตฺยตฺฯ
प्रेरितों को यह समाचार बेमतलब लगा. उन्होंने इसका विश्वास नहीं किया.
12 ตทา ปิตร อุตฺถาย ศฺมศานานฺติกํ ทธาว, ตตฺร จ ปฺรโหฺว ภูตฺวา ปารฺไศฺวกสฺถาปิตํ เกวลํ วสฺตฺรํ ททรฺศ; ตสฺมาทาศฺจรฺยฺยํ มนฺยมาโน ยทฆฏต ตนฺมนสิ วิจารยนฺ ปฺรตเสฺถฯ
किंतु पेतरॉस उठे और कब्र की गुफ़ा की ओर दौड़ पड़े. उन्होंने झुककर भीतर देखा और वहां उन्हें वे पट्टियां, जो शव पर लपेटी गई थी, अलग रखी हुई दिखीं. इस घटना पर अचंभित पेतरॉस घर लौट गए.
13 ตสฺมินฺเนว ทิเน เทฺวา ศิเยฺยา ยิรูศาลมศฺจตุษฺโกฺรศานฺตริตมฺ อิมฺมายุคฺรามํ คจฺฉนฺเตา
उसी दिन दो शिष्य इम्माउस नामक गांव की ओर जा रहे थे, जो येरूशलेम नगर से लगभग ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर था.
14 ตาสำ ฆฏนานำ กถามกถยตำ
सारा घटनाक्रम ही उनकी आपस की बातों का विषय था.
15 ตโยราลาปวิจารโย: กาเล ยีศุราคตฺย ตาภฺยำ สห ชคาม
जब वे विचार-विमर्श और बातचीत में मगन ही थे, स्वयं प्रभु येशु उनके पास पहुंचकर उनके साथ साथ चलने लगे.
16 กินฺตุ ยถา เตา ตํ น ปริจินุตสฺตทรฺถํ ตโย รฺทฺฤษฺฏิ: สํรุทฺธาฯ
किंतु उनकी आंखें ऐसी बंद कर दी गई थी कि वे प्रभु येशु को पहचानने न पाएं.
17 ส เตา ปฺฤษฺฏวานฺ ยุวำ วิษณฺเณา กึ วิจารยนฺเตา คจฺฉถ: ?
प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “आप लोग किस विषय पर बातचीत कर रहे हैं?” वे रुक गए. उनके मुख पर उदासी छायी हुई थी.
18 ตตสฺตโย: กฺลิยปานามา ปฺรตฺยุวาจ ยิรูศาลมปุเร'ธุนา ยานฺยฆฏนฺต ตฺวํ เกวลวิเทศี กึ ตทฺวฺฤตฺตานฺตํ น ชานาสิ?
उनमें से एक ने, जिसका नाम क्लोपस था, इसके उत्तर में उनसे यह प्रश्न किया, “आप येरूशलेम में आए अकेले ऐसे परदेशी हैं कि आपको यह मालूम नहीं कि यहां इन दिनों में क्या-क्या हुआ है!”
19 ส ปปฺรจฺฉ กา ฆฏนา: ? ตทา เตา วกฺตุมาเรภาเต ยีศุนามา โย นาสรตีโย ภวิษฺยทฺวาที อีศฺวรสฺย มานุษาณาญฺจ สากฺษาตฺ วาเกฺย กรฺมฺมณิ จ ศกฺติมานาสีตฺ
“क्या-क्या हुआ है?” प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया. उन्होंने उत्तर दिया, “नाज़रेथवासी प्रभु येशु से संबंधित घटनाएं—प्रभु येशु, जो वास्तव में परमेश्वर और सभी जनसाधारण की नज़र में और काम में सामर्थ्यी भविष्यवक्ता थे.
20 ตมฺ อสฺมากํ ปฺรธานยาชกา วิจารกาศฺจ เกนาปิ ปฺรกาเรณ กฺรุเศ วิทฺธฺวา ตสฺย ปฺราณานนาศยนฺ ตทียา ฆฏนา: ;
उन्हें प्रधान पुरोहितों और हमारे सरदारों ने मृत्यु दंड दिया और क्रूस पर चढ़ा दिया.
21 กินฺตุ ย อิสฺราเยลียโลกานฺ อุทฺธารยิษฺยติ ส เอวายมฺ อิตฺยาศาสฺมาภิ: กฺฤตาฯ ตทฺยถา ตถาสฺตุ ตสฺยา ฆฏนายา อทฺย ทินตฺรยํ คตํฯ
हमारी आशा यह थी कि प्रभु येशु इस्राएल राष्ट्र को स्वतंत्र करवा देंगे. यह आज से तीन दिन पूर्व की घटना है.
22 อธิกนฺตฺวสฺมากํ สงฺคินีนำ กิยตฺสฺตฺรีณำ มุเขโภฺย'สมฺภววากฺยมิทํ ศฺรุตํ;
किंतु हमारे समुदाय की कुछ स्त्रियों ने हमें आश्चर्य में डाल दिया है. पौ फटते ही वे कब्र पर गई थी
23 ตา: ปฺรตฺยูเษ ศฺมศานํ คตฺวา ตตฺร ตสฺย เทหมฺ อปฺราปฺย วฺยาฆุเฏฺยตฺวา โปฺรกฺตวตฺย: สฺวรฺคีสทูเตา ทฺฤษฺฏาวสฺมาภิเสฺตา จาวาทิษฺฏำ ส ชีวิตวานฺฯ
किंतु उन्हें वहां प्रभु येशु का शव नहीं मिला. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने वहां स्वर्गदूतों को देखा है; जिन्होंने उन्हें सूचना दी कि प्रभु येशु जीवित हैं.
24 ตโตสฺมากํ ไกศฺจิตฺ ศฺมศานมคมฺยต เต'ปิ สฺตฺรีณำ วากฺยานุรูปํ ทฺฤษฺฏวนฺต: กินฺตุ ตํ นาปศฺยนฺฯ
हमारे कुछ साथी भी कब्र पर गए थे और उन्होंने ठीक वैसा ही पाया जैसा स्त्रियों ने बताया था किंतु प्रभु येशु को उन्होंने नहीं देखा.”
25 ตทา ส ตาวุวาจ, เห อโพเธา เห ภวิษฺยทฺวาทิภิรุกฺตวากฺยํ ปฺรเตฺยตุํ วิลมฺพมาเนา;
तब प्रभु येशु ने उनसे कहा, “ओ मूर्खो! भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मंदबुद्धियो!
26 เอตตฺสรฺวฺวทุ: ขํ ภุกฺตฺวา สฺวภูติปฺราปฺติ: กึ ขฺรีษฺฏสฺย น นฺยายฺยา?
क्या मसीह के लिए यह ज़रूरी न था कि वह सभी यातनाएं सह कर अपनी महिमा में प्रवेश करे?”
27 ตต: ส มูสาคฺรนฺถมารภฺย สรฺวฺวภวิษฺยทฺวาทินำ สรฺวฺวศาสฺเตฺร สฺวสฺมินฺ ลิขิตาขฺยานาภิปฺรายํ โพธยามาสฯ
तब प्रभु येशु ने पवित्र शास्त्र में स्वयं से संबंधित उन सभी लिखी बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया—मोशेह से प्रारंभ कर सभी भविष्यद्वक्ताओं तक.
28 อถ คมฺยคฺรามาภฺยรฺณํ ปฺราปฺย เตนาเคฺร คมนลกฺษเณ ทรฺศิเต
तब वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां उनको जाना था. प्रभु येशु के व्यवहार से ऐसा भास हुआ मानो वह आगे बढ़ना चाह रहे हों
29 เตา สาธยิตฺวาวทตำ สหาวาภฺยำ ติษฺฐ ทิเน คเต สติ ราตฺริรภูตฺ; ตต: ส ตาภฺยำ สารฺทฺธํ สฺถาตุํ คฺฤหํ ยเยาฯ
किंतु उन शिष्यों ने विनती की, “हमारे साथ ही ठहर जाइए क्योंकि दिन ढल चला है और शाम होने को है.” इसलिये प्रभु येशु उनके साथ भीतर चले गए.
30 ปศฺจาทฺโภชโนปเวศกาเล ส ปูปํ คฺฤหีตฺวา อีศฺวรคุณานฺ ชคาท ตญฺจ ภํกฺตฺวา ตาภฺยำ ทเทาฯ
जब वे सब भोजन के लिए बैठे, प्रभु येशु ने रोटी लेकर आशीर्वाद के साथ उसे तोड़ा और उन्हें दे दिया.
31 ตทา ตโย รฺทฺฤษฺเฏา ปฺรสนฺนายำ ตํ ปฺรตฺยภิชฺญตุ: กินฺตุ ส ตโย: สากฺษาทนฺตรฺทเธฯ
तब उनकी आंखों को देखने लायक बना दिया गया और वे प्रभु येशु को पहचान गए किंतु उसी क्षण प्रभु येशु उनकी आंखों से ओझल हो गए.
32 ตตเสฺตา มิโถภิธาตุมฺ อารพฺธวนฺเตา คมนกาเล ยทา กถามกถยตฺ ศาสฺตฺรารฺถญฺจโพธยตฺ ตทาวโย รฺพุทฺธิ: กึ น ปฺราชฺวลตฺ?
वे आपस में विचार करने लगे, “मार्ग में जब वह हमसे बातचीत कर रहे थे और पवित्र शास्त्र की व्याख्या कर रहे थे तो हमारे मन में उत्तेजना हुई थी न!”
33 เตา ตตฺกฺษณาทุตฺถาย ยิรูศาลมปุรํ ปฺรตฺยายยตุ: , ตตฺสฺถาเน ศิษฺยาณามฺ เอกาทศานำ สงฺคินาญฺจ ทรฺศนํ ชาตํฯ
तत्काल ही वे उठे और येरूशलेम को लौट गए. वहां उन्होंने ग्यारह शिष्यों और अन्यों को, जो वहां इकट्ठा थे, यह कहते पाया,
34 เต โปฺรจุ: ปฺรภุรุทติษฺฐทฺ อิติ สตฺยํ ศิโมเน ทรฺศนมทาจฺจฯ
“हां, यह सच है! प्रभु मरे हुओं में से दोबारा जीवित हो गए हैं और शिमओन को दिखाई भी दिए हैं.”
35 ตต: ปถ: สรฺวฺวฆฏนายา: ปูปภญฺชเนน ตตฺปริจยสฺย จ สรฺวฺววฺฤตฺตานฺตํ เตา วกฺตุมาเรภาเตฯ
तब इन दो शिष्यों ने भी मार्ग में हुई घटना का ब्यौरा सुनाया कि किस प्रकार भोजन करते समय वे प्रभु येशु को पहचानने में समर्थ हो गए थे.
36 อิตฺถํ เต ปรสฺปรํ วทนฺติ ตตฺกาเล ยีศุ: สฺวยํ เตษำ มธฺย โปฺรตฺถย ยุษฺมากํ กลฺยาณํ ภูยาทฺ อิตฺยุวาจ,
जब वे इस बारे में बातें कर ही रहे थे, स्वयं प्रभु येशु उनके बीच आ खड़े हुए और उनसे बोले, “तुममें शांति बनी रहे.”
37 กินฺตุ ภูตํ ปศฺยาม อิตฺยนุมาย เต สมุทฺวิวิชิเร เตฺรษุศฺจฯ
वे अचंभित और भयभीत हो गए और उन्हें लगा कि वे किसी दुष्टात्मा को देख रहे हैं.
38 ส อุวาจ, กุโต ทุ: ขิตา ภวถ? ยุษฺมากํ มน: สุ สนฺเทห อุเทติ จ กุต: ?
प्रभु येशु ने उनसे कहा, “तुम घबरा क्यों हो रहे हो? क्यों उठ रहे हैं तुम्हारे मन में ये संदेह?
39 เอโษหํ, มม กเรา ปศฺยต วรํ สฺปฺฤษฺฏฺวา ปศฺยต, มม ยาทฺฤศานิ ปศฺยถ ตาทฺฤศานิ ภูตสฺย มำสาสฺถีนิ น สนฺติฯ
देखो, ये मेरे हाथ और पांव. यह मैं ही हूं. मुझे स्पर्श करके देख लो क्योंकि दुष्टात्मा के हाड़-मांस नहीं होता, जैसा तुम देख रहे हो कि मेरे हैं.”
40 อิตฺยุกฺตฺวา ส หสฺตปาทานฺ ทรฺศยามาสฯ
यह कहकर उन्होंने उन्हें अपने हाथ और पांव दिखाए
41 เต'สมฺภวํ ชฺญาตฺวา สานนฺทา น ปฺรตฺยยนฺฯ ตต: ส ตานฺ ปปฺรจฺฉ, อตฺร ยุษฺมากํ สมีเป ขาทฺยํ กิญฺจิทสฺติ?
और जब वे आश्चर्य और आनंद की स्थिति में विश्वास नहीं कर पा रहे थे, प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यहां कुछ भोजन है?”
42 ตตเสฺต กิยทฺทคฺธมตฺสฺยํ มธุ จ ททุ:
उन्होंने प्रभु येशु को भूनी हुई मछली का एक टुकड़ा दिया
43 ส ตทาทาย เตษำ สากฺษาทฺ พุภุเช
और प्रभु येशु ने उसे लेकर उनके सामने खाया.
44 กถยามาส จ มูสาวฺยวสฺถายำ ภวิษฺยทฺวาทินำ คฺรนฺเถษุ คีตปุสฺตเก จ มยิ ยานิ สรฺวฺวาณิ วจนานิ ลิขิตานิ ตทนุรูปาณิ ฆฏิษฺยนฺเต ยุษฺมาภิ: สารฺทฺธํ สฺถิตฺวาหํ ยเทตทฺวากฺยมฺ อวทํ ตทิทานีํ ปฺรตฺยกฺษมภูตฺฯ
तब प्रभु येशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम लोगों से यही कहा था: वह सब पूरा होना ज़रूरी है, जो मेरे विषय में मोशेह की व्यवस्था, भविष्यद्वक्ताओं के लेख तथा भजन की पुस्तकों में लिखा गया है.”
45 อถ เตภฺย: ศาสฺตฺรโพธาธิการํ ทตฺวาวทตฺ,
तब प्रभु येशु ने उनकी समझ खोल दी कि वे पवित्र शास्त्र को समझ सकें
46 ขฺรีษฺเฏเนตฺถํ มฺฤติยาตนา โภกฺตวฺยา ตฺฤตียทิเน จ ศฺมศานาทุตฺถาตวฺยญฺเจติ ลิปิรสฺติ;
और उनसे कहा, “यह लिखा है कि मसीह यातनाएं सहे और तीसरे दिन मरे हुओं में से दोबारा जीवित किया जाए,
47 ตนฺนามฺนา ยิรูศาลมมารภฺย สรฺวฺวเทเศ มน: ปราวรฺตฺตนสฺย ปาปโมจนสฺย จ สุสํวาท: ปฺรจารยิตวฺย: ,
और येरूशलेम से प्रारंभ कर सभी राष्ट्रों में उसके नाम में पाप क्षमा के लिए पश्चाताप की घोषणा की जाए.
48 เอษุ สรฺเวฺวษุ ยูยํ สากฺษิณ: ฯ
तुम सभी इन घटनाओं के गवाह हो.
49 อปรญฺจ ปศฺยต ปิตฺรา ยตฺ ปฺรติชฺญาตํ ตตฺ เปฺรษยิษฺยามิ, อเตอว ยาวตฺกาลํ ยูยํ สฺวรฺคียำ ศกฺตึ น ปฺราปฺสฺยถ ตาวตฺกาลํ ยิรูศาลมฺนคเร ติษฺฐตฯ
जिसकी प्रतिज्ञा मेरे पिता ने की है, उसे मैं तुम्हारे लिए भेजूंगा किंतु आवश्यक यह है कि तुम येरूशलेम में उस समय तक ठहरे रहो, जब तक स्वर्ग से भेजी गई सामर्थ्य से परिपूर्ण न हो जाओ.”
50 อถ ส ตานฺ ไพถนียาปรฺยฺยนฺตํ นีตฺวา หสฺตาวุตฺโตลฺย อาศิษ วกฺตุมาเรเภ
तब प्रभु येशु उन्हें बैथनियाह नामक गांव तक ले गए और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी.
51 อาศิษํ วทนฺเนว จ เตภฺย: ปฺฤถคฺ ภูตฺวา สฺวรฺคาย นีโต'ภวตฺฯ
जब वह उन्हें आशीष दे ही रहे थे वह उनसे विदा हो गए और स्वर्ग में उठा लिये गये.
52 ตทา เต ตํ ภชมานา มหานนฺเทน ยิรูศาลมํ ปฺรตฺยาชคฺมุ: ฯ
तब उन्होंने येशु की आराधना की और बहुत ही आनंद में येरूशलेम लौट गए.
53 ตโต นิรนฺตรํ มนฺทิเร ติษฺฐนฺต อีศฺวรสฺย ปฺรศํสำ ธนฺยวาทญฺจ กรฺตฺตมฺ อาเรภิเรฯ อิติ๚
वे मंदिर में नियमित रूप से परमेश्वर की स्तुति करते रहते थे.

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