< อิพฺริณ: 4 >

1 อปรํ ตทฺวิศฺรามปฺราปฺเต: ปฺรติชฺญา ยทิ ติษฺฐติ ตรฺหฺยสฺมากํ กศฺจิตฺ เจตฺ ตสฺยา: ผเลน วญฺจิโต ภเวตฺ วยมฺ เอตสฺมาทฺ พิภีม: ฯ
इसलिये हम इस विषय में विशेष सावधान रहें कि जब तक उनके विश्राम में प्रवेश की प्रतिज्ञा मान्य है, आप में से कोई भी उसमें प्रवेश से चूक न जाए.
2 ยโต 'สฺมากํ สมีเป ยทฺวตฺ ตทฺวตฺ เตษำ สมีเป'ปิ สุสํวาท: ปฺรจาริโต 'ภวตฺ กินฺตุ ไต: ศฺรุตํ วากฺยํ ตานฺ ปฺรติ นิษฺผลมฺ อภวตฺ, ยตเสฺต โศฺรตาโร วิศฺวาเสน สารฺทฺธํ ตนฺนามิศฺรยนฺฯ
हमें भी ईश्वरीय सुसमाचार उसी प्रकार सुनाया गया था जैसे उन्हें, किंतु सुना हुआ वह ईश्वरीय सुसमाचार उनके लिए लाभप्रद सिद्ध नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने इसे विश्वास से ग्रहण नहीं किया था.
3 ตทฺ วิศฺรามสฺถานํ วิศฺวาสิภิรสฺมาภิ: ปฺรวิศฺยเต ยตเสฺตโนกฺตํ, "อหํ โกปาตฺ ศปถํ กฺฤตวานฺ อิมํ, ปฺรเวกฺษฺยเต ชไนเรไต รฺน วิศฺรามสฺถลํ มมฯ " กินฺตุ ตสฺย กรฺมฺมาณิ ชคต: สฺฤษฺฏิกาลาตฺ สมาปฺตานิ สนฺติฯ
हमने, जिन्होंने विश्वास किया, उस विश्राम में प्रवेश पाया, ठीक जैसा उनका कहना था, “जैसे मैंने अपने क्रोध में शपथ खाई, ‘वे मेरे विश्राम में प्रवेश कभी न पाएंगे.’” यद्यपि उनके काम सृष्टि के प्रारंभ से ही पूरे हो चुके थे.
4 ยต: กสฺมึศฺจิตฺ สฺถาเน สปฺตมํ ทินมธิ เตเนทมฺ อุกฺตํ, ยถา, "อีศฺวร: สปฺตเม ทิเน สฺวกฺฤเตภฺย: สรฺวฺวกรฺมฺมโภฺย วิศศฺรามฯ "
उन्होंने सातवें दिन के संबंध में किसी स्थान पर इस प्रकार वर्णन किया था: “तब सातवें दिन परमेश्वर ने अपने सभी कामों से विश्राम किया.”
5 กินฺเตฺวตสฺมินฺ สฺถาเน ปุนเสฺตโนจฺยเต, ยถา, "ปฺรเวกฺษฺยเต ชไนเรไต รฺน วิศฺรามสฺถลํ มมฯ "
एक बार फिर इसी भाग में, “वे मेरे विश्राम में प्रवेश कभी न करेंगे.”
6 ผลตสฺตตฺ สฺถานํ ไกศฺจิตฺ ปฺรเวษฺฏวฺยํ กินฺตุ เย ปุรา สุสํวาทํ ศฺรุตวนฺตไสฺตรวิศฺวาสาตฺ ตนฺน ปฺรวิษฺฏมฺ,
इसलिये कि कुछ के लिए यह प्रवेश अब भी खुला आमंत्रण है तथा उनके लिए भी, जिन्हें इसके पूर्व ईश्वरीय सुसमाचार सुनाया तो गया किंतु वे अपनी अनाज्ञाकारिता के कारण प्रवेश न कर पाए,
7 อิติ เหโต: ส ปุนรทฺยนามกํ ทินํ นิรูปฺย ทีรฺฆกาเล คเต'ปิ ปูรฺโวฺวกฺตำ วาจํ ทายูทา กถยติ, ยถา, "อทฺย ยูยํ กถำ ตสฺย ยทิ สํโศฺรตุมิจฺฉถ, ตรฺหิ มา กุรุเตทานีํ กฐินานิ มนำสิ ว: ฯ "
परमेश्वर ने एक दिन दोबारा तय किया, “आज.” इसी दिन के विषय में एक लंबे समय के बाद उन्होंने दावीद के मुख से यह कहा था, ठीक जैसा कि पहले भी कहा था: “यदि आज तुम उनकी आवाज सुनो तो अपने हृदय कठोर न कर लेना.”
8 อปรํ ยิโหศูโย ยทิ ตานฺ วฺยศฺรามยิษฺยตฺ ตรฺหิ ตต: ปรมฺ อปรสฺย ทินสฺย วาคฺ อีศฺวเรณ นากถยิษฺยตฯ
यदि उन्हें यहोशू द्वारा विश्राम प्रदान किया गया होता तो परमेश्वर इसके बाद एक अन्य दिन का वर्णन न करते.
9 อต อีศฺวรสฺย ปฺรชาภิ: กรฺตฺตวฺย เอโก วิศฺรามสฺติษฺฐติฯ
इसलिये परमेश्वर की प्रजा के लिए अब भी एक शब्बाथ का विश्राम तय है;
10 อปรมฺ อีศฺวโร ยทฺวตฺ สฺวกฺฤตกรฺมฺมโภฺย วิศศฺราม ตทฺวตฺ ตสฺย วิศฺรามสฺถานํ ปฺรวิษฺโฏ ชโน'ปิ สฺวกฺฤตกรฺมฺมโภฺย วิศฺรามฺยติฯ
क्योंकि वह, जो परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करता है, अपने कामों से भी विश्राम करता है, जिस प्रकार स्वयं परमेश्वर ने विश्राम किया था.
11 อโต วยํ ตทฺ วิศฺรามสฺถานํ ปฺรเวษฺฏุํ ยตามไห, ตทวิศฺวาโสทาหรเณน โก'ปิ น ปตตุฯ
इसलिये हम उस विश्राम में प्रवेश का पूरे साहस से प्रयास करें, कि किसी को भी उसी प्रकार अनाज्ञाकारिता का दंड भोगना न पड़े.
12 อีศฺวรสฺย วาโท'มร: ปฺรภาววิศิษฺฏศฺจ สรฺวฺวสฺมาทฺ ทฺวิธารขงฺคาทปิ ตีกฺษฺณ: , อปรํ ปฺราณาตฺมโน รฺคฺรนฺถิมชฺชโยศฺจ ปริเภทาย วิจฺเฉทการี มนสศฺจ สงฺกลฺปานามฺ อภิเปฺรตานาญฺจ วิจารก: ฯ
परमेश्वर का वचन जीवित, सक्रिय तथा किसी भी दोधारी तलवार से कहीं अधिक धारदार है, जो हमारे भीतर में प्रवेश कर हमारी आत्मा, प्राण, जोड़ों तथा मज्जा को भेद देता है. यह हमारे हृदय के उद्धेश्यों तथा विचारों को पहचानने में सक्षम है.
13 อปรํ ยสฺย สมีเป สฺวียา สฺวียา กถาสฺมาภิ: กถยิตวฺยา ตสฺยาโคจร: โก'ปิ ปฺราณี นาสฺติ ตสฺย ทฺฤษฺเฏา สรฺวฺวเมวานาวฺฤตํ ปฺรกาศิตญฺจาเสฺตฯ
जिन्हें हमें हिसाब देना है, उनकी दृष्टि से कोई भी प्राणी छिपा नहीं है—सभी वस्तुएं उनके सामने साफ़ और खुली हुई हैं.
14 อปรํ ย อุจฺจตมํ สฺวรฺคํ ปฺรวิษฺฏ เอตาทฺฤศ เอโก วฺยกฺติรรฺถต อีศฺวรสฺย ปุโตฺร ยีศุรสฺมากํ มหายาชโก'สฺติ, อโต เหโต รฺวยํ ธรฺมฺมปฺรติชฺญำ ทฺฤฒมฺ อาลมฺพามไหฯ
इसलिये कि वह, जो आकाशमंडल में से होकर पहुंच गए, जब वह महापुरोहित—परमेश्वर-पुत्र, मसीह येशु—हमारी ओर हैं; हम अपने विश्वास में स्थिर बने रहें.
15 อสฺมากํ โย มหายาชโก 'สฺติ โส'สฺมากํ ทุ: ไข รฺทุ: ขิโต ภวิตุมฺ อศกฺโต นหิ กินฺตุ ปาปํ วินา สรฺวฺววิษเย วยมิว ปรีกฺษิต: ฯ
वह ऐसे महापुरोहित नहीं हैं, जो हमारी दुर्बलताओं में सहानुभूति न रख सकें परंतु वह ऐसे महापुरोहित हैं, जो प्रत्येक पक्ष में हमारे समान ही परखे गए फिर भी निष्पाप ही रहे;
16 อเตอว กฺฤปำ คฺรหีตุํ ปฺรโยชนีโยปการารฺถมฺ อนุคฺรหํ ปฺราปฺตุญฺจ วยมฺ อุตฺสาเหนานุคฺรหสึหาสนสฺย สมีปํ ยาม: ฯ
इसलिये हम अनुग्रह के सिंहासन के सामने निडर होकर जाएं, कि हमें ज़रूरत के अवसर पर कृपा तथा अनुग्रह प्राप्‍त हो.

< อิพฺริณ: 4 >