< อิพฺริณ: 10 >

1 วฺยวสฺถา ภวิษฺยนฺมงฺคลานำ ฉายาสฺวรูปา น จ วสฺตูนำ มูรฺตฺติสฺวรูปา ตโต เหโต รฺนิตฺยํ ทียมาไนเรกวิไธ รฺวารฺษิกพลิภิ: ศรณาคตโลกานฺ สิทฺธานฺ กรฺตฺตุํ กทาปิ น ศกฺโนติฯ
क्योंकि व्यवस्था जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उनका असली स्वरूप नहीं, इसलिए उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रतिवर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आनेवालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकती।
2 ยทฺยศกฺษฺยตฺ ตรฺหิ เตษำ พลีนำ ทานํ กึ น นฺยวรฺตฺติษฺยต? ยต: เสวาการิเษฺวกกฺฤตฺว: ปวิตฺรีภูเตษุ เตษำ โก'ปิ ปาปโพธ: ปุน รฺนาภวิษฺยตฺฯ
नहीं तो उनका चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिए कि जब सेवा करनेवाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उनका विवेक उन्हें पापी न ठहराता।
3 กินฺตุ ไต รฺพลิทาไน: ปฺรติวตฺสรํ ปาปานำ สฺมารณํ ชายเตฯ
परन्तु उनके द्वारा प्रतिवर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है।
4 ยโต วฺฤษาณำ ฉาคานำ วา รุธิเรณ ปาปโมจนํ น สมฺภวติฯ
क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे।
5 เอตตฺการณาตฺ ขฺรีษฺเฏน ชคตฺ ปฺรวิเศฺยทมฺ อุจฺยเต, ยถา, "เนษฺฏฺวา พลึ น ไนเวทฺยํ เทโห เม นิรฺมฺมิตสฺตฺวยาฯ
इसी कारण मसीह जगत में आते समय कहता है, “बलिदान और भेंट तूने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार की।
6 น จ ตฺวํ พลิภิ รฺหไวฺย: ปาปคฺไหฺน รฺวา ปฺรตุษฺยสิฯ
होमबलियों और पापबलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
7 อวาทิษํ ตไทวาหํ ปศฺย กุรฺเวฺว สมาคมํฯ ธรฺมฺมคฺรนฺถสฺย สรฺเค เม วิทฺยเต ลิขิตา กถาฯ อีศ มโน'ภิลาษเสฺต มยา สมฺปูรยิษฺยเตฯ "
तब मैंने कहा, ‘देख, मैं आ गया हूँ, (पवित्रशास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूँ।’”
8 อิตฺยสฺมินฺ ปฺรถมโต เยษำ ทานํ วฺยวสฺถานุสาราทฺ ภวติ ตานฺยธิ เตเนทมุกฺตํ ยถา, พลิไนเวทฺยหวฺยานิ ปาปฆฺนญฺโจปจารกํ, เนมานิ วาญฺฉสิ ตฺวํ หิ น ไจเตษุ ปฺรตุษฺยสีติฯ
ऊपर तो वह कहता है, “न तूने बलिदान और भेंट और होमबलियों और पापबलियों को चाहा, और न उनसे प्रसन्न हुआ,” यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं।
9 ตต: ปรํ เตโนกฺตํ ยถา, "ปศฺย มโน'ภิลาษํ เต กรฺตฺตุํ กุรฺเวฺว สมาคมํ;" ทฺวิตียมฺ เอตทฺ วากฺยํ สฺถิรีกรฺตฺตุํ ส ปฺรถมํ ลุมฺปติฯ
फिर यह भी कहता है, “देख, मैं आ गया हूँ, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूँ,” अतः वह पहले को हटा देता है, ताकि दूसरे को स्थापित करे।
10 เตน มโน'ภิลาเษณ จ วยํ ยีศุขฺรีษฺฏไสฺยกกฺฤตฺว: สฺวศรีโรตฺสรฺคาตฺ ปวิตฺรีกฺฤตา อภวามฯ
१०उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।
11 อปรมฺ เอไกโก ยาชก: ปฺรติทินมฺ อุปาสนำ กุรฺวฺวนฺ ไยศฺจ ปาปานิ นาศยิตุํ กทาปิ น ศกฺยนฺเต ตาทฺฤศานฺ เอกรูปานฺ พลีนฺ ปุน: ปุนรุตฺสฺฤชนฺ ติษฺฐติฯ
११और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रतिदिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है।
12 กินฺตฺวเสา ปาปนาศกมฺ เอกํ พลึ ทตฺวานนฺตกาลารฺถมฺ อีศฺวรสฺย ทกฺษิณ อุปวิศฺย
१२पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
13 ยาวตฺ ตสฺย ศตฺรวสฺตสฺย ปาทปีฐํ น ภวนฺติ ตาวตฺ ปฺรตีกฺษมาณสฺติษฺฐติฯ
१३और उसी समय से इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, कि उसके बैरी उसके पाँवों के नीचे की चौकी बनें।
14 ยต เอเกน พลิทาเนน โส'นนฺตกาลารฺถํ ปูยมานานฺ โลกานฺ สาธิตวานฺฯ
१४क्योंकि उसने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
15 เอตสฺมินฺ ปวิตฺร อาตฺมาปฺยสฺมากํ ปกฺเษ ปฺรมาณยติ
१५और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उसने पहले कहा था
16 "ยโต เหโตสฺตทฺทินาตฺ ปรมฺ อหํ ไต: สารฺทฺธมฺ อิมํ นิยมํ สฺถิรีกริษฺยามีติ ปฺรถมต อุกฺตฺวา ปรเมศฺวเรเณทํ กถิตํ, เตษำ จิตฺเต มม วิธีนฺ สฺถาปยิษฺยามิ เตษำ มน: สุ จ ตานฺ เลขิษฺยามิ จ,
१६“प्रभु कहता है; कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूँगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूँगा और मैं उनके विवेक में डालूँगा।”
17 อปรญฺจ เตษำ ปาปานฺยปราธำศฺจ ปุน: กทาปิ น สฺมาริษฺยามิฯ "
१७(फिर वह यह कहता है, ) “मैं उनके पापों को, और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूँगा।”
18 กินฺตุ ยตฺร ปาปโมจนํ ภวติ ตตฺร ปาปารฺถกพลิทานํ ปุน รฺน ภวติฯ
१८और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।
19 อโต เห ภฺราตร: , ยีโศ รุธิเรณ ปวิตฺรสฺถานปฺรเวศายาสฺมากมฺ อุตฺสาโห ภวติ,
१९इसलिए हे भाइयों, जबकि हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नये और जीविते मार्ग से पवित्रस्थान में प्रवेश करने का साहस हो गया है,
20 ยต: โส'สฺมทรฺถํ ติรสฺกริณฺยารฺถต: สฺวศรีเรณ นวีนํ ชีวนยุกฺตญฺไจกํ ปนฺถานํ นิรฺมฺมิตวานฺ,
२०जो उसने परदे अर्थात् अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
21 อปรญฺเจศฺวรียปริวารสฺยาธฺยกฺษ เอโก มหายาชโก'สฺมากมสฺติฯ
२१और इसलिए कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है।
22 อโต เหโตรสฺมาภิ: สรลานฺต: กรไณ รฺทฺฤฒวิศฺวาไส: ปาปโพธาตฺ ปฺรกฺษาลิตมโนภิ รฺนิรฺมฺมลชเล สฺนาตศรีไรศฺเจศฺวรมฺ อุปาคตฺย ปฺรตฺยาศายา: ปฺรติชฺญา นิศฺจลา ธารยิตวฺยาฯ
२२तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएँ।
23 ยโต ยสฺตามฺ องฺคีกฺฤตวานฺ ส วิศฺวสนีย: ฯ
२३और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा की है, वह विश्वासयोग्य है।
24 อปรํ เปฺรมฺนิ สตฺกฺริยาสุ ไจไกกโสฺยตฺสาหวฺฤทฺธฺยรฺถมฺ อสฺมาภิ: ปรสฺปรํ มนฺตฺรยิตวฺยํฯ
२४और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें।
25 อปรํ กติปยโลกา ยถา กุรฺวฺวนฺติ ตถาสฺมาภิ: สภากรณํ น ปริตฺยกฺตวฺยํ ปรสฺปรมฺ อุปเทษฺฏวฺยญฺจ ยตสฺตตฺ มหาทินมฺ อุตฺตโรตฺตรํ นิกฏวรฺตฺติ ภวตีติ ยุษฺมาภิ รฺทฺฤศฺยเตฯ
२५और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों-ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों-त्यों और भी अधिक यह किया करो।
26 สตฺยมตสฺย ชฺญานปฺราปฺเต: ปรํ ยทิ วยํ สฺวํจฺฉยา ปาปาจารํ กุรฺมฺมสฺตรฺหิ ปาปานำ กฺฤเต 'นฺยตฺ กิมปิ พลิทานํ นาวศิษฺยเต
२६क्योंकि सच्चाई की पहचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
27 กินฺตุ วิจารสฺย ภยานกา ปฺรตีกฺษา ริปุนาศกานลสฺย ตาปศฺจาวศิษฺยเตฯ
२७हाँ, दण्ड की एक भयानक उम्मीद और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
28 ย: กศฺจิตฺ มูสโส วฺยวสฺถามฺ อวมนฺยเต ส ทยำ วินา ทฺวโยสฺติสฺฤณำ วา สากฺษิณำ ปฺรมาเณน หนฺยเต,
२८जबकि मूसा की व्यवस्था का न माननेवाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।
29 ตสฺมาตฺ กึ พุธฺยเธฺว โย ชน อีศฺวรสฺย ปุตฺรมฺ อวชานาติ เยน จ ปวิตฺรีกฺฤโต 'ภวตฺ ตตฺ นิยมสฺย รุธิรมฺ อปวิตฺรํ ชานาติ, อนุคฺรหกรมฺ อาตฺมานมฺ อปมนฺยเต จ, ส กิยนฺมหาโฆรตรทณฺฑสฺย โยโคฺย ภวิษฺยติ?
२९तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पाँवों से रौंदा, और वाचा के लहू को जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना हैं, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
30 ยต: ปรเมศฺวร: กถยติ, "ทานํ ผลสฺย มตฺกรฺมฺม สูจิตํ ปฺรททามฺยหํฯ " ปุนรปิ, "ตทา วิจารยิษฺยนฺเต ปเรเศน นิชา: ปฺรชา: ฯ " อิทํ ย: กถิตวานฺ ตํ วยํ ชานีม: ฯ
३०क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने कहा, “पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूँगा।” और फिर यह, कि “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।”
31 อมเรศฺวรสฺย กรโย: ปตนํ มหาภยานกํฯ
३१जीविते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।
32 เห ภฺราตร: , ปูรฺวฺวทินานิ สฺมรต ยตสฺตทานีํ ยูยํ ทีปฺตึ ปฺราปฺย พหุทุรฺคติรูปํ สํคฺรามํ สหมานา เอกโต นินฺทาเกฺลไศ: เกาตุกีกฺฤตา อภวต,
३२परन्तु उन पहले दिनों को स्मरण करो, जिनमें तुम ज्योति पाकर दुःखों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे।
33 อนฺยตศฺจ ตทฺโภคินำ สมำศิโน 'ภวตฯ
३३कुछ तो यह, कि तुम निन्दा, और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यह, कि तुम उनके सहभागी हुए जिनकी दुर्दशा की जाती थी।
34 ยูยํ มม พนฺธนสฺย ทุ: เขน ทุ: ขิโน 'ภวต, ยุษฺมากมฺ อุตฺตมา นิตฺยา จ สมฺปตฺติ: สฺวรฺเค วิทฺยต อิติ ชฺญาตฺวา สานนฺทํ สรฺวฺวสฺวสฺยาปหรณมฺ อสหธฺวญฺจฯ
३४क्योंकि तुम कैदियों के दुःख में भी दुःखी हुए, और अपनी सम्पत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली सम्पत्ति है।
35 อเตอว มหาปุรสฺการยุกฺตํ ยุษฺมากมฺ อุตฺสาหํ น ปริตฺยชตฯ
३५इसलिए, अपना साहस न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
36 ยโต ยูยํ เยเนศฺวรเสฺยจฺฉำ ปาลยิตฺวา ปฺรติชฺญายา: ผลํ ลภธฺวํ ตทรฺถํ ยุษฺมาภิ ไรฺธรฺยฺยาวลมฺพนํ กรฺตฺตวฺยํฯ
३६क्योंकि तुम्हें धीरज रखना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
37 เยนาคนฺตวฺยํ ส สฺวลฺปกาลาตฺ ปรมฺ อาคมิษฺยติ น จ วิลมฺพิษฺยเตฯ
३७“क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जबकि आनेवाला आएगा, और देर न करेगा।
38 "ปุณฺยวานฺ ชโน วิศฺวาเสน ชีวิษฺยติ กินฺตุ ยทิ นิวรฺตฺตเต ตรฺหิ มม มนสฺตสฺมินฺ น โตษํ ยาสฺยติฯ "
३८और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उससे प्रसन्न न होगा।”
39 กินฺตุ วยํ วินาศชนิกำ ธรฺมฺมาตฺ นิวฺฤตฺตึ น กุรฺวฺวาณา อาตฺมน: ปริตฺราณาย วิศฺวาสํ กุรฺวฺวามเหฯ
३९पर हम हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएँ पर विश्वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएँ।

< อิพฺริณ: 10 >