< ๒ กรินฺถิน: 12 >

1 อาตฺมศฺลาฆา มมานุปยุกฺตา กินฺตฺวหํ ปฺรโภ รฺทรฺศนาเทศานามฺ อาขฺยานํ กถยิตุํ ปฺรวรฺตฺเตฯ
यद्यपि घमण्ड करना तो मेरे लिये ठीक नहीं, फिर भी करना पड़ता है; पर मैं प्रभु के दिए हुए दर्शनों और प्रकाशनों की चर्चा करूँगा।
2 อิตศฺจตุรฺทศวตฺสเรภฺย: ปูรฺวฺวํ มยา ปริจิต เอโก ชนสฺตฺฤตียํ สฺวรฺคมนียต, ส สศรีเรณ นิ: ศรีเรณ วา ตตฺ สฺถานมนียต ตทหํ น ชานามิ กินฺตฺวีศฺวโร ชานาติฯ
मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूँ, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देहसहित, न जाने देहरहित, परमेश्वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया।
3 ส มานว: สฺวรฺคํ นีต: สนฺ อกถฺยานิ มรฺตฺตฺยวาคตีตานิ จ วากฺยานิ ศฺรุตวานฺฯ
मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूँ न जाने देहसहित, न जाने देहरहित परमेश्वर ही जानता है।
4 กินฺตุ ตทานีํ ส สศรีโร นิ: ศรีโร วาสีตฺ ตนฺมยา น ชฺญายเต ตทฺ อีศฺวเรไณว ชฺญายเตฯ
कि स्वर्गलोक पर उठा लिया गया, और ऐसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिनका मुँह में लाना मनुष्य को उचित नहीं।
5 ตมธฺยหํ ศฺลาฆิเษฺย มามธิ นาเนฺยน เกนจิทฺ วิษเยณ ศฺลาฆิเษฺย เกวลํ สฺวเทารฺพฺพเลฺยน ศฺลาฆิเษฺยฯ
ऐसे मनुष्य पर तो मैं घमण्ड करूँगा, परन्तु अपने पर अपनी निर्बलताओं को छोड़, अपने विषय में घमण्ड न करूँगा।
6 ยทฺยหมฺ อาตฺมศฺลาฆำ กรฺตฺตุมฺ อิจฺเฉยํ ตถาปิ นิรฺพฺโพธ อิว น ภวิษฺยามิ ยต: สตฺยเมว กถยิษฺยามิ, กินฺตุ โลกา มำ ยาทฺฤศํ ปศฺยนฺติ มม วากฺยํ ศฺรุตฺวา วา ยาทฺฤศํ มำ มนฺยเต ตสฺมาตฺ เศฺรษฺฐํ มำ ยนฺน คณยนฺติ ตทรฺถมหํ ตโต วิรํสฺยามิฯ
क्योंकि यदि मैं घमण्ड करना चाहूँ भी तो मूर्ख न होऊँगा, क्योंकि सच बोलूँगा; तो भी रुक जाता हूँ, ऐसा न हो, कि जैसा कोई मुझे देखता है, या मुझसे सुनता है, मुझे उससे बढ़कर समझे।
7 อปรมฺ อุตฺกฺฤษฺฏทรฺศนปฺราปฺติโต ยทหมฺ อาตฺมาภิมานี น ภวามิ ตทรฺถํ ศรีรเวธกมฺ เอกํ ศูลํ มหฺยมฺ อทายิ ตตฺ มทียาตฺมาภิมานนิวารณารฺถํ มม ตาฑยิตา ศยตาโน ทูต: ฯ
और इसलिए कि मैं प्रकाशनों की बहुतायत से फूल न जाऊँ, मेरे शरीर में एक काँटा चुभाया गया अर्थात् शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊँ।
8 มตฺตสฺตสฺย ปฺรสฺถานํ ยาจิตุมหํ ตฺริสฺตมธิ ปฺรภุมุทฺทิศฺย ปฺรารฺถนำ กฺฤตวานฺฯ
इसके विषय में मैंने प्रभु से तीन बार विनती की, कि मुझसे यह दूर हो जाए।
9 ตต: ส มามุกฺตวานฺ มมานุคฺรหสฺตว สรฺวฺวสาธก: , ยโต เทารฺพฺพลฺยาตฺ มม ศกฺติ: ปูรฺณตำ คจฺฉตีติฯ อต: ขฺรีษฺฏสฺย ศกฺติ รฺยนฺมามฺ อาศฺรยติ ตทรฺถํ สฺวเทารฺพฺพเลฺยน มม ศฺลาฆนํ สุขทํฯ
और उसने मुझसे कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकिमेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है।” इसलिए मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूँगा, कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे।
10 ตสฺมาตฺ ขฺรีษฺฏเหโต เรฺทารฺพฺพลฺยนินฺทาทริทฺรตาวิปกฺษตากษฺฏาทิษุ สนฺตุษฺยามฺยหํฯ ยทาหํ ทุรฺพฺพโล'สฺมิ ตไทว สพโล ภวามิฯ
१०इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूँ; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवन्त होता हूँ।
11 เอเตนาตฺมศฺลาฆเนนาหํ นิรฺพฺโพธ อิวาภวํ กินฺตุ ยูยํ ตสฺย การณํ ยโต มม ปฺรศํสา ยุษฺมาภิเรว กรฺตฺตวฺยาสีตฺฯ ยทฺยปฺยมฺ อคโณฺย ภเวยํ ตถาปิ มุขฺยตเมภฺย: เปฺรริเตภฺย: เกนาปิ ปฺรกาเรณ นาหํ นฺยูโน'สฺมิฯ
११मैं मूर्ख तो बना, परन्तु तुम ही ने मुझसे यह बरबस करवाया: तुम्हें तो मेरी प्रशंसा करनी चाहिए थी, क्योंकि यद्यपि मैं कुछ भी नहीं, फिर भी उन बड़े से बड़े प्रेरितों से किसी बात में कम नहीं हूँ।
12 สรฺวฺวถาทฺภุตกฺริยาศกฺติลกฺษไณ: เปฺรริตสฺย จิหฺนานิ ยุษฺมากํ มเธฺย สไธรฺยฺยํ มยา ปฺรกาศิตานิฯ
१२प्रेरित के लक्षण भी तुम्हारे बीच सब प्रकार के धीरज सहित चिन्हों, और अद्भुत कामों, और सामर्थ्य के कामों से दिखाए गए।
13 มม ปาลนารฺถํ ยูยํ มยา ภารากฺรานฺตา นาภวไตตทฺ เอกํ นฺยูนตฺวํ วินาปราภฺย: สมิติโภฺย ยุษฺมากํ กึ นฺยูนตฺวํ ชาตํ? อเนน มม โทษํ กฺษมธฺวํฯ
१३तुम कौन सी बात में और कलीसियाओं से कम थे, केवल इसमें कि मैंने तुम पर अपना भार न रखा मेरा यह अन्याय क्षमा करो।
14 ปศฺยต ตฺฤตียวารํ ยุษฺมตฺสมีปํ คนฺตุมุทฺยโต'สฺมิ ตตฺราปฺยหํ ยุษฺมานฺ ภารากฺรานฺตานฺ น กริษฺยามิฯ ยุษฺมากํ สมฺปตฺติมหํ น มฺฤคเย กินฺตุ ยุษฺมาเนว, ยต: ปิโตฺร: กฺฤเต สนฺตานานำ ธนสญฺจโย'นุปยุกฺต: กินฺตุ สนฺตานานำ กฺฤเต ปิโตฺร รฺธนสญฺจย อุปยุกฺต: ฯ
१४अब, मैं तीसरी बार तुम्हारे पास आने को तैयार हूँ, और मैं तुम पर कोई भार न रखूँगा; क्योंकि मैं तुम्हारी सम्पत्ति नहीं, वरन् तुम ही को चाहता हूँ। क्योंकि बच्चों को माता-पिता के लिये धन बटोरना न चाहिए, पर माता-पिता को बच्चों के लिये।
15 อปรญฺจ ยุษฺมาสุ พหุ ปฺรียมาโณ'ปฺยหํ ยทิ ยุษฺมตฺโต'ลฺปํ ปฺรม ลเภ ตถาปิ ยุษฺมากํ ปฺราณรกฺษารฺถํ สานนฺทํ พหุ วฺยยํ สรฺวฺววฺยยญฺจ กริษฺยามิฯ
१५मैं तुम्हारी आत्माओं के लिये बहुत आनन्द से खर्च करूँगा, वरन् आप भी खर्च हो जाऊँगा क्या जितना बढ़कर मैं तुम से प्रेम रखता हूँ, उतना ही घटकर तुम मुझसे प्रेम रखोगे?
16 ยูยํ มยา กิญฺจิทปิ น ภารากฺรานฺตา อิติ สตฺยํ, กินฺตฺวหํ ธูรฺตฺต: สนฺ ฉเลน ยุษฺมานฺ วญฺจิตวานฺ เอตตฺ กึ เกนจิทฺ วกฺตวฺยํ?
१६ऐसा हो सकता है, कि मैंने तुम पर बोझ नहीं डाला, परन्तु चतुराई से तुम्हें धोखा देकर फँसा लिया।
17 ยุษฺมตฺสมีปํ มยา เย โลกา: ปฺรหิตาเสฺตษาเมเกน กึ มม โก'ปฺยรฺถลาโภ ชาต: ?
१७भला, जिन्हें मैंने तुम्हारे पास भेजा, क्या उनमें से किसी के द्वारा मैंने छल करके तुम से कुछ ले लिया?
18 อหํ ตีตํ วินีย เตน สารฺทฺธํ ภฺราตรเมกํ เปฺรษิตวานฺ ยุษฺมตฺตสฺตีเตน กิมฺ อรฺโถ ลพฺธ: ? เอกสฺมินฺ ภาว เอกสฺย ปทจิเหฺนษุ จาวำ กึ น จริตวนฺเตา?
१८मैंने तीतुस को समझाकर उसके साथ उस भाई को भेजा, तो क्या तीतुस ने छल करके तुम से कुछ लिया? क्या हम एक ही आत्मा के चलाए न चले? क्या एक ही मार्ग पर न चले?
19 ยุษฺมากํ สมีเป วยํ ปุน โรฺทษกฺษาลนกถำ กถยาม อิติ กึ พุธฺยเธฺว? เห ปฺริยตมา: , ยุษฺมากํ นิษฺฐารฺถํ วยมีศฺวรสฺย สมกฺษํ ขฺรีษฺเฏน สรฺวฺวาเณฺยตานิ กถยาม: ฯ
१९तुम अभी तक समझ रहे होंगे कि हम तुम्हारे सामने प्रत्युत्तर दे रहे हैं, हम तो परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं, और हे प्रियों, सब बातें तुम्हारी उन्नति ही के लिये कहते हैं।
20 อหํ ยทาคมิษฺยามิ, ตทา ยุษฺมานฺ ยาทฺฤศานฺ ทฺรษฺฏุํ เนจฺฉามิ ตาทฺฤศานฺ ทฺรกฺษฺยามิ, ยูยมปิ มำ ยาทฺฤศํ ทฺรษฺฏุํ เนจฺฉถ ตาทฺฤศํ ทฺรกฺษฺยถ, ยุษฺมนฺมเธฺย วิวาท อีรฺษฺยา โกฺรโธ วิปกฺษตา ปราปวาท: กรฺเณชปนํ ทรฺป: กลหศฺไจเต ภวิษฺยนฺติ;
२०क्योंकि मुझे डर है, कहीं ऐसा न हो, कि मैं आकर जैसा चाहता हूँ, वैसा तुम्हें न पाऊँ; और मुझे भी जैसा तुम नहीं चाहते वैसा ही पाओ, कि तुम में झगड़ा, डाह, क्रोध, विरोध, ईर्ष्या, चुगली, अभिमान और बखेड़े हों।
21 เตนาหํ ยุษฺมตฺสมีปํ ปุนราคตฺย มทีเยศฺวเรณ นมยิเษฺย, ปูรฺวฺวํ กฺฤตปาปานฺ โลกานฺ สฺวียาศุจิตาเวศฺยาคมนลมฺปฏตาจรณาทฺ อนุตาปมฺ อกฺฤตวนฺโต ทฺฤษฺฏฺวา จ ตานธิ มม โศโก ชนิษฺยต อิติ พิเภมิฯ
२१और कहीं ऐसा न हो कि जब मैं वापस आऊँगा, मेरा परमेश्वर मुझे अपमानित करे और मुझे बहुतों के लिये फिर शोक करना पड़े, जिन्होंने पहले पाप किया था, और उस गंदे काम, और व्यभिचार, और लुचपन से, जो उन्होंने किया, मन नहीं फिराया।

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