< ମଥିଃ 12 >
1 ଅନନ୍ତରଂ ଯୀଶୁ ର୍ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ଶ୍ସ୍ୟମଧ୍ୟେନ ଗଚ୍ଛତି, ତଦା ତଚ୍ଛିଷ୍ୟା ବୁଭୁକ୍ଷିତାଃ ସନ୍ତଃ ଶ୍ସ୍ୟମଞ୍ଜରୀଶ୍ଛତ୍ୱା ଛିତ୍ୱା ଖାଦିତୁମାରଭନ୍ତ|
ऊ समय यीशु आराम दिन म खेतो म सी होय क जाय रह्यो होतो, अऊर ओको चेलावों ख भूख लगी त हि गहूं को लोम्बा तोड़-तोड़ क खान लग्यो।
2 ତଦ୍ ୱିଲୋକ୍ୟ ଫିରୂଶିନୋ ଯୀଶୁଂ ଜଗଦୁଃ, ପଶ୍ୟ ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ଯତ୍ କର୍ମ୍ମାକର୍ତ୍ତୱ୍ୟଂ ତଦେୱ ତୱ ଶିଷ୍ୟାଃ କୁର୍ୱ୍ୱନ୍ତି|
फरीसियों न यो देख क ओको सी कह्यो, “देख, तोरो चेला ऊ काम कर रह्यो हंय, जो आराम को दिन मूसा को नियम को अनुसार उचित नहाय।”
3 ସ ତାନ୍ ପ୍ରତ୍ୟାୱଦତ, ଦାଯୂଦ୍ ତତ୍ସଙ୍ଗିନଶ୍ଚ ବୁଭୁକ୍ଷିତାଃ ସନ୍ତୋ ଯତ୍ କର୍ମ୍ମାକୁର୍ୱ୍ୱନ୍ ତତ୍ କିଂ ଯୁଷ୍ମାଭି ର୍ନାପାଠି?
यीशु उन्को सी कह्यो, “का तुम्न नहीं पढ़्यो, कि जब दाऊद अऊर ओको संगी ख भूख लगी त ओन का करयो?
4 ଯେ ଦର୍ଶନୀଯାଃ ପୂପାଃ ଯାଜକାନ୍ ୱିନା ତସ୍ୟ ତତ୍ସଙ୍ଗିମନୁଜାନାଞ୍ଚାଭୋଜନୀଯାସ୍ତ ଈଶ୍ୱରାୱାସଂ ପ୍ରୱିଷ୍ଟେନ ତେନ ଭୁକ୍ତାଃ|
ऊ कसो परमेश्वर को मन्दिर म गयो, अऊर अर्पन की रोटी खायी, ओख अऊर ओको संगियों ख उन्की रोटी मूसा को नियम को अनुसार उचित नहाय। पर केवल याजकों ख उचित होतो?
5 ଅନ୍ୟଚ୍ଚ ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ମଧ୍ୟେମନ୍ଦିରଂ ୱିଶ୍ରାମୱାରୀଯଂ ନିଯମଂ ଲଙ୍ୱନ୍ତୋପି ଯାଜକା ନିର୍ଦୋଷା ଭୱନ୍ତି, ଶାସ୍ତ୍ରମଧ୍ୟେ କିମିଦମପି ଯୁଷ୍ମାଭି ର୍ନ ପଠିତଂ?
का तुम न मूसा की व्यवस्था म नहीं पढ़्यो कि याजक आराम दिन को मन्दिर म आराम दिन की विधि ख तोड़न पर भी निर्दोष ठहरय हंय?
6 ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି, ଅତ୍ର ସ୍ଥାନେ ମନ୍ଦିରାଦପି ଗରୀଯାନ୍ ଏକ ଆସ୍ତେ|
पर मय तुम सी कहू हय कि इत ऊ हय जो आराधनालय सी भी बड़ो हय।”
7 କିନ୍ତୁ ଦଯାଯାଂ ମେ ଯଥା ପ୍ରୀତି ର୍ନ ତଥା ଯଜ୍ଞକର୍ମ୍ମଣି| ଏତଦ୍ୱଚନସ୍ୟାର୍ଥଂ ଯଦି ଯୁଯମ୍ ଅଜ୍ଞାସିଷ୍ଟ ତର୍ହି ନିର୍ଦୋଷାନ୍ ଦୋଷିଣୋ ନାକାର୍ଷ୍ଟ|
“यदि तुम येको मतलब जानतो, ‘मय दया सी सन्तुष्ट होऊं हय, बलिदान सी नहीं,’ त तुम निर्दोष ख दोषी नहीं ठहरायतो।
8 ଅନ୍ୟଚ୍ଚ ମନୁଜସୁତୋ ୱିଶ୍ରାମୱାରସ୍ୟାପି ପତିରାସ୍ତେ|
आदमी को बेटा त आराम दिन को भी प्रभु आय।”
9 ଅନନ୍ତରଂ ସ ତତ୍ସ୍ଥାନାତ୍ ପ୍ରସ୍ଥାଯ ତେଷାଂ ଭଜନଭୱନଂ ପ୍ରୱିଷ୍ଟୱାନ୍, ତଦାନୀମ୍ ଏକଃ ଶୁଷ୍କକରାମଯୱାନ୍ ଉପସ୍ଥିତୱାନ୍|
उत सी चल क यीशु उन्को सभागृह म आयो।
10 ତତୋ ଯୀଶୁମ୍ ଅପୱଦିତୁଂ ମାନୁଷାଃ ପପ୍ରଚ୍ଛୁଃ, ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ନିରାମଯତ୍ୱଂ କରଣୀଯଂ ନ ୱା?
उत एक आदमी होतो, जेको हाथ म लकवा भयो होतो। फरीसियों न यीशु पर दोष लगावन लायी ओको सी पुच्छ्यो, “का आराम को दिन नियम को अनुसार चंगो करनो उचित हय?”
11 ତେନ ସ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ, ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ଯଦି କସ୍ୟଚିଦ୍ ଅୱି ର୍ଗର୍ତ୍ତେ ପତତି, ତର୍ହି ଯସ୍ତଂ ଘୃତ୍ୱା ନ ତୋଲଯତି, ଏତାଦୃଶୋ ମନୁଜୋ ଯୁଷ୍ମାକଂ ମଧ୍ୟେ କ ଆସ୍ତେ?
यीशु न उन्को सी कह्यो, “तुम म असो कौन हय जेकी एकच मेंढीं हय, अऊर ऊ आराम दिन गड्डा म गिर जाये, त ऊ ओख पकड़ क नहीं निकालेंन?
12 ଅୱେ ର୍ମାନୱଃ କିଂ ନହି ଶ୍ରେଯାନ୍? ଅତୋ ୱିଶ୍ରାମୱାରେ ହିତକର୍ମ୍ମ କର୍ତ୍ତୱ୍ୟଂ|
भलो, आदमी की कीमत मेंढा सी कितनो बढ़ क हय! येकोलायी आराम दिन म भलायी करनो नियम को अनुसार उचित हय।”
13 ଅନନ୍ତରଂ ସ ତଂ ମାନୱଂ ଗଦିତୱାନ୍, କରଂ ପ୍ରସାରଯ; ତେନ କରେ ପ୍ରସାରିତେ ସୋନ୍ୟକରୱତ୍ ସ୍ୱସ୍ଥୋଽଭୱତ୍|
तब यीशु न ऊ आदमी सी कह्यो, “अपनो हाथ बढ़ाव।” ओन बढ़ायो, अऊर ऊ तब दूसरों हाथ को जसो अच्छो भय गयो।
14 ତଦା ଫିରୂଶିନୋ ବହିର୍ଭୂଯ କଥଂ ତଂ ହନିଷ୍ୟାମ ଇତି କୁମନ୍ତ୍ରଣାଂ ତତ୍ପ୍ରାତିକୂଲ୍ୟେନ ଚକ୍ରୁଃ|
तब फरीसियों न बाहेर जाय क ओको विरोध म चर्चा करयो कि ओख कसो तरह सी नाश करबो।
15 ତତୋ ଯୀଶୁସ୍ତଦ୍ ୱିଦିତ୍ୱା ସ୍ଥନାନ୍ତରଂ ଗତୱାନ୍; ଅନ୍ୟେଷୁ ବହୁନରେଷୁ ତତ୍ପଶ୍ଚାଦ୍ ଗତେଷୁ ତାନ୍ ସ ନିରାମଯାନ୍ କୃତ୍ୱା ଇତ୍ୟାଜ୍ଞାପଯତ୍,
यो जान क यीशु उत सी चली गयो। अऊर बहुत लोग ओको पीछू होय लियो, अऊर ओन सब ख चंगो करयो,
अऊर उन्ख चितायो कि मोख प्रगट मत करजो,
17 ତସ୍ମାତ୍ ମମ ପ୍ରୀଯୋ ମନୋନୀତୋ ମନସସ୍ତୁଷ୍ଟିକାରକଃ| ମଦୀଯଃ ସେୱକୋ ଯସ୍ତୁ ୱିଦ୍ୟତେ ତଂ ସମୀକ୍ଷତାଂ| ତସ୍ୟୋପରି ସ୍ୱକୀଯାତ୍ମା ମଯା ସଂସ୍ଥାପଯିଷ୍ୟତେ| ତେନାନ୍ୟଦେଶଜାତେଷୁ ୱ୍ୟୱସ୍ଥା ସଂପ୍ରକାଶ୍ୟତେ|
ताकि जो वचन यशायाह भविष्यवक्ता सी कह्यो गयो होतो, ऊ पूरो हो:
18 କେନାପି ନ ୱିରୋଧଂ ସ ୱିୱାଦଞ୍ଚ କରିଷ୍ୟତି| ନ ଚ ରାଜପଥେ ତେନ ୱଚନଂ ଶ୍ରାୱଯିଷ୍ୟତେ|
“देखो, यो मोरो सेवक आय, जेक मय न चुन्यो हय: मोरो प्रिय, जेकोसी मोरो मन खुश हय: मय अपनी आत्मा ओको पर डालू, अऊर ऊ गैरयहूदियों ख न्याय को सुसमाचार देयेंन।
19 ୱ୍ୟୱସ୍ଥା ଚଲିତା ଯାୱତ୍ ନହି ତେନ କରିଷ୍ୟତେ| ତାୱତ୍ ନଲୋ ୱିଦୀର୍ଣୋଽପି ଭଂକ୍ଷ୍ୟତେ ନହି ତେନ ଚ| ତଥା ସଧୂମୱର୍ତ୍ତିଞ୍ଚ ନ ସ ନିର୍ୱ୍ୱାପଯିଷ୍ୟତେ|
ऊ नहीं झगड़ा करेंन, अऊर नहीं धूम मचायेंन, अऊर नहीं बजारों म जोर सी चिल्लाय क भाषन सुनायेंन।
20 ପ୍ରତ୍ୟାଶାଞ୍ଚ କରିଷ୍ୟନ୍ତି ତନ୍ନାମ୍ନି ଭିନ୍ନଦେଶଜାଃ|
ऊ कुचल्यो हुयो घास ख नहीं तोड़ेंन, अऊर धुवा देन वाली बत्ती ख नहीं बुझायेंन, जब तक ऊ न्याय ख मजबूत नहीं कराये।
21 ଯାନ୍ୟେତାନି ୱଚନାନି ଯିଶଯିଯଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନା ପ୍ରୋକ୍ତାନ୍ୟାସନ୍, ତାନି ସଫଲାନ୍ୟଭୱନ୍|
अऊर पूरो राष्ट्र को लोग ओको नाम पर आशा रखेंन।”
22 ଅନନ୍ତରଂ ଲୋକୈ ସ୍ତତ୍ସମୀପମ୍ ଆନୀତୋ ଭୂତଗ୍ରସ୍ତାନ୍ଧମୂକୈକମନୁଜସ୍ତେନ ସ୍ୱସ୍ଥୀକୃତଃ, ତତଃ ସୋଽନ୍ଧୋ ମୂକୋ ଦ୍ରଷ୍ଟୁଂ ୱକ୍ତୁଞ୍ଚାରବ୍ଧୱାନ୍|
तब लोग एक अन्धा अऊर मुक्का ख यीशु को जवर लायो; जेको म दुष्ट आत्मायें होती, अऊर ओन ओख अच्छो करयो, अऊर ऊ बोलन अऊर देखन लग्यो।
23 ଅନେନ ସର୍ୱ୍ୱେ ୱିସ୍ମିତାଃ କଥଯାଞ୍ଚକ୍ରୁଃ, ଏଷଃ କିଂ ଦାଯୂଦଃ ସନ୍ତାନୋ ନହି?
येको पर सब लोग अचम्भित होय क कहन लग्यो, “यो का दाऊद की सन्तान आय?”
24 କିନ୍ତୁ ଫିରୂଶିନସ୍ତତ୍ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଗଦିତୱନ୍ତଃ, ବାଲ୍ସିବୂବ୍ନାମ୍ନୋ ଭୂତରାଜସ୍ୟ ସାହାଯ୍ୟଂ ୱିନା ନାଯଂ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯତି|
पर फरीसियों न यो सुन क कह्यो, “यो त दुष्ट आत्मावों को मुखिया बालजबूल की मदत को बिना शैतानी आत्मावों ख नहीं निकालय।”
25 ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁସ୍ତେଷାମ୍ ଇତି ମାନସଂ ୱିଜ୍ଞାଯ ତାନ୍ ଅୱଦତ୍ କିଞ୍ଚନ ରାଜ୍ୟଂ ଯଦି ସ୍ୱୱିପକ୍ଷାଦ୍ ଭିଦ୍ୟତେ, ତର୍ହି ତତ୍ ଉଚ୍ଛିଦ୍ୟତେ; ଯଚ୍ଚ କିଞ୍ଚନ ନଗରଂ ୱା ଗୃହଂ ସ୍ୱୱିପକ୍ଷାଦ୍ ୱିଭିଦ୍ୟତେ, ତତ୍ ସ୍ଥାତୁଂ ନ ଶକ୍ନୋତି|
यीशु न उन्को मन की बात जान क उन्को सी कह्यो, “जो कोयी राज्य म फूट होवय हय, ऊ उजड़ जावय हय; अऊर कोयी नगर यां घराना जेको म फूट होवय हय, बन्यो नहीं रहेंन।”
26 ତଦ୍ୱତ୍ ଶଯତାନୋ ଯଦି ଶଯତାନଂ ବହିଃ କୃତ୍ୱା ସ୍ୱୱିପକ୍ଷାତ୍ ପୃଥକ୍ ପୃଥକ୍ ଭୱତି, ତର୍ହି ତସ୍ୟ ରାଜ୍ୟଂ କେନ ପ୍ରକାରେଣ ସ୍ଥାସ୍ୟତି?
अऊर यदि शैतानच शैतान ख निकाले, त ऊ अपनोच विरोधी भय गयो हय; तब ओको राज्य कसो बन्यो रहेंन?
27 ଅହଞ୍ଚ ଯଦି ବାଲ୍ସିବୂବା ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯାମି, ତର୍ହି ଯୁଷ୍ମାକଂ ସନ୍ତାନାଃ କେନ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯନ୍ତି? ତସ୍ମାଦ୍ ଯୁଷ୍ମାକମ୍ ଏତଦ୍ୱିଚାରଯିତାରସ୍ତ ଏୱ ଭୱିଷ୍ୟନ୍ତି|
भलो, यदि मय बालजबूल की मदत सी दुष्ट आत्मावों ख निकालू हय, त तुम्हरो अनुयायी कौन की मदत सी निकालय हंय? येकोलायी हिच तुम्हरो न्याय करेंन।
28 କିନ୍ତୱହଂ ଯଦୀଶ୍ୱରାତ୍ମନା ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯାମି, ତର୍ହୀଶ୍ୱରସ୍ୟ ରାଜ୍ୟଂ ଯୁଷ୍ମାକଂ ସନ୍ନିଧିମାଗତୱତ୍|
पर यदि मय परमेश्वर की आत्मा की मदत सी दुष्ट आत्मावों ख निकालू हय, त परमेश्वर को राज्य तुम्हरो जवर आय गयो हय।
29 ଅନ୍ୟଞ୍ଚ କୋପି ବଲୱନ୍ତ ଜନଂ ପ୍ରଥମତୋ ନ ବଦ୍ୱ୍ୱା କେନ ପ୍ରକାରେଣ ତସ୍ୟ ଗୃହଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ତଦ୍ଦ୍ରୱ୍ୟାଦି ଲୋଠଯିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି? କିନ୍ତୁ ତତ୍ କୃତ୍ୱା ତଦୀଯଗୃସ୍ୟ ଦ୍ରୱ୍ୟାଦି ଲୋଠଯିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି|
“कसो कोयी आदमी कोयी ताकतवर को घर म घुस क ओको माल लूट सकय हय जब तक कि पहिले ऊ ताकतवर ख नहीं बान्ध ले? तब तक ऊ ओको घर को माल लूट नहीं लेयेंन।”
30 ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ମମ ସ୍ୱପକ୍ଷୀଯୋ ନହି ସ ୱିପକ୍ଷୀଯ ଆସ୍ତେ, ଯଶ୍ଚ ମଯା ସାକଂ ନ ସଂଗୃହ୍ଲାତି, ସ ୱିକିରତି|
जो मोरो संग नहाय ऊ मोरो विरोध म हय, अऊर जो मोरो संग नहीं ऊ जमा करय हय अऊर बिखरावय हय।
31 ଅତଏୱ ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି, ମନୁଜାନାଂ ସର୍ୱ୍ୱପ୍ରକାରପାପାନାଂ ନିନ୍ଦାଯାଶ୍ଚ ମର୍ଷଣଂ ଭୱିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି, କିନ୍ତୁ ପୱିତ୍ରସ୍ୟାତ୍ମନୋ ୱିରୁଦ୍ଧନିନ୍ଦାଯା ମର୍ଷଣଂ ଭୱିତୁଂ ନ ଶକ୍ନୋତି|
येकोलायी मय तुम सी कहू हय कि आदमी को सब तरह को पाप अऊर निन्दा माफ करयो जायेंन, पर पवित्र आत्मा कि निन्दा माफ नहीं करी जायेंन।
32 ଯୋ ମନୁଜସୁତସ୍ୟ ୱିରୁଦ୍ଧାଂ କଥାଂ କଥଯତି, ତସ୍ୟାପରାଧସ୍ୟ କ୍ଷମା ଭୱିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି, କିନ୍ତୁ ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ପୱିତ୍ରସ୍ୟାତ୍ମନୋ ୱିରୁଦ୍ଧାଂ କଥାଂ କଥଯତି ନେହଲୋକେ ନ ପ୍ରେତ୍ୟ ତସ୍ୟାପରାଧସ୍ୟ କ୍ଷମା ଭୱିତୁଂ ଶକ୍ନୋତି| (aiōn )
जो कोयी आदमी को बेटा को विरोध म कोयी बात कहेंन, ओको यो अपराध माफ करयो जायेंन, पर जो कोयी पवित्र आत्मा को विरोध म कुछ कहेंन, ओको अपराध नहीं त यो जगत म अऊर नहीं स्वर्ग म माफ करयो जायेंन। (aiōn )
33 ପାଦପଂ ଯଦି ଭଦ୍ରଂ ୱଦଥ, ତର୍ହି ତସ୍ୟ ଫଲମପି ସାଧୁ ୱକ୍ତୱ୍ୟଂ, ଯଦି ଚ ପାଦପଂ ଅସାଧୁଂ ୱଦଥ, ତର୍ହି ତସ୍ୟ ଫଲମପ୍ୟସାଧୁ ୱକ୍ତୱ୍ୟଂ; ଯତଃ ସ୍ୱୀଯସ୍ୱୀଯଫଲେନ ପାଦପଃ ପରିଚୀଯତେ|
“यदि एक झाड़ अच्छो हय, त ओको फर भी अच्छो रहेंन, यदि एक झाड़ बुरो हय, त ओको फर भी बुरो रहेंन; कहालीकि झाड़ अपनो फर सीच पहिचान्यो जावय हय।
34 ରେ ଭୁଜଗୱଂଶା ଯୂଯମସାଧୱଃ ସନ୍ତଃ କଥଂ ସାଧୁ ୱାକ୍ୟଂ ୱକ୍ତୁଂ ଶକ୍ଷ୍ୟଥ? ଯସ୍ମାଦ୍ ଅନ୍ତଃକରଣସ୍ୟ ପୂର୍ଣଭାୱାନୁସାରାଦ୍ ୱଦନାଦ୍ ୱଚୋ ନିର୍ଗଚ୍ଛତି|
हे सांप को बच्चां, तुम बुरो होय क कसी अच्छी बाते कह्य सकय हय? कहालीकि जो मन म भरयो हय, उच मुंह पर आवय हय।
35 ତେନ ସାଧୁର୍ମାନୱୋଽନ୍ତଃକରଣରୂପାତ୍ ସାଧୁଭାଣ୍ଡାଗାରାତ୍ ସାଧୁ ଦ୍ରୱ୍ୟଂ ନିର୍ଗମଯତି, ଅସାଧୁର୍ମାନୁଷସ୍ତ୍ୱସାଧୁଭାଣ୍ଡାଗାରାଦ୍ ଅସାଧୁୱସ୍ତୂନି ନିର୍ଗମଯତି|
अच्छो आदमी मन को अन्दर सी अच्छी बाते निकालय हय, अऊर बुरो आदमी उच मन सी बुरी बाते निकालय हय।
36 କିନ୍ତ୍ୱହଂ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ୱଦାମି, ମନୁଜା ଯାୱନ୍ତ୍ୟାଲସ୍ୟୱଚାଂସି ୱଦନ୍ତି, ୱିଚାରଦିନେ ତଦୁତ୍ତରମୱଶ୍ୟଂ ଦାତୱ୍ୟଂ,
“अऊर मय तुम सी कहू हय कि जो बुरी बाते आदमी कहेंन, न्याय को दिन हि हर एक वा बात को हिसाब देयेंन।
37 ଯତସ୍ତ୍ୱଂ ସ୍ୱୀଯୱଚୋଭି ର୍ନିରପରାଧଃ ସ୍ୱୀଯୱଚୋଭିଶ୍ଚ ସାପରାଧୋ ଗଣିଷ୍ୟସେ|
कहालीकि तय अपनी बातों को वजह निर्दोष, अऊर अपनी बातों को वजह दोषी ठहरायो जाजो।”
38 ତଦାନୀଂ କତିପଯା ଉପାଧ୍ୟାଯାଃ ଫିରୂଶିନଶ୍ଚ ଜଗଦୁଃ, ହେ ଗୁରୋ ୱଯଂ ଭୱତ୍ତଃ କିଞ୍ଚନ ଲକ୍ଷ୍ମ ଦିଦୃକ୍ଷାମଃ|
येको पर कुछ धर्मशास्त्रियों अऊर फरीसियों न ओको सी कह्यो, “हे गुरु, हम तोरो सी एक चमत्कार को चिन्ह देखनो चाहजे हय।”
39 ତଦା ସ ପ୍ରତ୍ୟୁକ୍ତୱାନ୍, ଦୁଷ୍ଟୋ ୱ୍ୟଭିଚାରୀ ଚ ୱଂଶୋ ଲକ୍ଷ୍ମ ମୃଗଯତେ, କିନ୍ତୁ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନୋ ଯୂନସୋ ଲକ୍ଷ୍ମ ୱିହାଯାନ୍ୟତ୍ କିମପି ଲକ୍ଷ୍ମ ତେ ନ ପ୍ରଦର୍ଶଯିଷ୍ୟନ୍ତେ|
ओन उन्ख उत्तर दियो, “यो पीढ़ी को बुरो अऊर व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूंढय हंय, पर योना भविष्यवक्ता को चिन्ह ख छोड़ कोयी अऊर चिन्ह उन्ख नहीं दियो जायेंन।
40 ଯତୋ ଯୂନମ୍ ଯଥା ତ୍ର୍ୟହୋରାତ୍ରଂ ବୃହନ୍ମୀନସ୍ୟ କୁକ୍ଷାୱାସୀତ୍, ତଥା ମନୁଜପୁତ୍ରୋପି ତ୍ର୍ୟହୋରାତ୍ରଂ ମେଦିନ୍ୟା ମଧ୍ୟେ ସ୍ଥାସ୍ୟତି|
योना तीन दिन अऊर तीन रात बड़ी मच्छी को पेट म रह्यो, वसोच आदमी को बेटा तीन दिन अऊर तीन रात धरती को अन्दर रहेंन।
41 ଅପରଂ ନୀନିୱୀଯା ମାନୱା ୱିଚାରଦିନ ଏତଦ୍ୱଂଶୀଯାନାଂ ପ୍ରତିକୂଲମ୍ ଉତ୍ଥାଯ ତାନ୍ ଦୋଷିଣଃ କରିଷ୍ୟନ୍ତି, ଯସ୍ମାତ୍ତେ ଯୂନସ ଉପଦେଶାତ୍ ମନାଂସି ପରାୱର୍ତ୍ତଯାଞ୍ଚକ୍ରିରେ, କିନ୍ତ୍ୱତ୍ର ଯୂନସୋପି ଗୁରୁତର ଏକ ଆସ୍ତେ|
नीनवे को लोग न्याय को दिन यो पीढ़ी को लोगों को संग उठ क उन्ख दोषी ठहरायेंन, कहालीकि उन्न योना को प्रचार सुन क मन फिरायो; अऊर देखो, इत ऊ हय जो योना सी भी बड़ो हय।
42 ପୁନଶ୍ଚ ଦକ୍ଷିଣଦେଶୀଯା ରାଜ୍ଞୀ ୱିଚାରଦିନ ଏତଦ୍ୱଂଶୀଯାନାଂ ପ୍ରତିକୂଲମୁତ୍ଥାଯ ତାନ୍ ଦୋଷିଣଃ କରିଷ୍ୟତି ଯତଃ ସା ରାଜ୍ଞୀ ସୁଲେମନୋ ୱିଦ୍ୟାଯାଃ କଥାଂ ଶ୍ରୋତୁଂ ମେଦିନ୍ୟାଃ ସୀମ୍ନ ଆଗଚ୍ଛତ୍, କିନ୍ତୁ ସୁଲେମନୋପି ଗୁରୁତର ଏକୋ ଜନୋଽତ୍ର ଆସ୍ତେ|
दक्षिन की रानी न्याय को दिन यो पीढ़ी को लोगों को संग उठ क उन्ख दोषी ठहरायेंन, कहालीकि ऊ सुलैमान को ज्ञान सुनन लायी धरती को छोर सी आयी हय; अऊर देखो, इत ऊ हय जो सुलैमान सी भी बड़ो हय।
43 ଅପରଂ ମନୁଜାଦ୍ ବହିର୍ଗତୋ ଽପୱିତ୍ରଭୂତଃ ଶୁଷ୍କସ୍ଥାନେନ ଗତ୍ୱା ୱିଶ୍ରାମଂ ଗୱେଷଯତି, କିନ୍ତୁ ତଦଲଭମାନଃ ସ ୱକ୍ତି, ଯସ୍ମା; ନିକେତନାଦ୍ ଆଗମଂ, ତଦେୱ ୱେଶ୍ମ ପକାୱୃତ୍ୟ ଯାମି|
“जब दुष्ट आत्मा आदमी म सी निकल जावय हय, त सूखी जागा म आराम ढूंढती फिरय हय, अऊर नहीं पावय हय।
44 ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ତତ୍ ସ୍ଥାନମ୍ ଉପସ୍ଥାଯ ତତ୍ ଶୂନ୍ୟଂ ମାର୍ଜ୍ଜିତଂ ଶୋଭିତଞ୍ଚ ୱିଲୋକ୍ୟ ୱ୍ରଜନ୍ ସ୍ୱତୋପି ଦୁଷ୍ଟତରାନ୍ ଅନ୍ୟସପ୍ତଭୂତାନ୍ ସଙ୍ଗିନଃ କରୋତି|
तब कह्य हय, ‘मय अपनो उच घर म जित सी निकली होती, उतच लौट जाऊं।’ अऊर लौट क आवय हय त ओख खाली, झाड़्यो-बुहारयो अऊर सज्यो-सजायो पावय हय।
45 ତତସ୍ତେ ତତ୍ ସ୍ଥାନଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ନିୱସନ୍ତି, ତେନ ତସ୍ୟ ମନୁଜସ୍ୟ ଶେଷଦଶା ପୂର୍ୱ୍ୱଦଶାତୋତୀୱାଶୁଭା ଭୱତି, ଏତେଷାଂ ଦୁଷ୍ଟୱଂଶ୍ୟାନାମପି ତଥୈୱ ଘଟିଷ୍ୟତେ|
तब ऊ जाय क अपनो सी अऊर बुरी सात आत्मावों ख अपनो संग लावय हय। अऊर हि ओको म घुस क उत वाश करय हंय, अऊर ऊ आदमी की पुरानी दशा पहिले सी भी बुरी होय जावय हय। त यो पीढ़ी को बुरो लोगों की दशा भी असीच होयेंन।”
46 ମାନୱେଭ୍ୟ ଏତାସାଂ କଥନାଂ କଥନକାଲେ ତସ୍ୟ ମାତା ସହଜାଶ୍ଚ ତେନ ସାକଂ କାଞ୍ଚିତ୍ କଥାଂ କଥଯିତୁଂ ୱାଞ୍ଛନ୍ତୋ ବହିରେୱ ସ୍ଥିତୱନ୍ତଃ|
जब यीशु भीड़ सी बाते कर रह्यो होतो, तब ओकी माय अऊर भाऊ बाहेर खड़ो होतो अऊर ओको सी बाते करनो चाहत होतो।
47 ତତଃ କଶ୍ଚିତ୍ ତସ୍ମୈ କଥିତୱାନ୍, ପଶ୍ୟ ତୱ ଜନନୀ ସହଜାଶ୍ଚ ତ୍ୱଯା ସାକଂ କାଞ୍ଚନ କଥାଂ କଥଯିତୁଂ କାମଯମାନା ବହିସ୍ତିଷ୍ଠନ୍ତି|
कोयी न यीशु सी कह्यो, “देख, तोरी माय अऊर तोरो भाऊ बाहेर खड़ो हंय। अऊर तोरो सी बाते करनो चाहवय हंय।”
48 କିନ୍ତୁ ସ ତଂ ପ୍ରତ୍ୟୱଦତ୍, ମମ କା ଜନନୀ? କେ ୱା ମମ ସହଜାଃ?
यो सुन क यीशु न कहन वालो ख उत्तर दियो, “कौन आय मोरी माय? अऊर कौन हंय मोरो भाऊ?”
49 ପଶ୍ଚାତ୍ ଶିଷ୍ୟାନ୍ ପ୍ରତି କରଂ ପ୍ରସାର୍ୟ୍ୟ କଥିତୱାନ୍, ପଶ୍ୟ ମମ ଜନନୀ ମମ ସହଜାଶ୍ଚୈତେ;
अऊर अपनो चेलावों को तरफ अपनो हाथ बढ़ाय क कह्यो, “देखो, मोरी माय अऊर मोरो भाऊ हि आय।
50 ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ମମ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥସ୍ୟ ପିତୁରିଷ୍ଟଂ କର୍ମ୍ମ କୁରୁତେ, ସଏୱ ମମ ଭ୍ରାତା ଭଗିନୀ ଜନନୀ ଚ|
कहालीकि जो कोयी मोरो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलय हय, उच मोरो भाऊ, अऊर मोरी बहिन, अऊर मोरी माय आय।”