< ମାର୍କଃ 12 >

1 ଅନନ୍ତରଂ ଯୀଶୁ ର୍ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତେନ ତେଭ୍ୟଃ କଥଯିତୁମାରେଭେ, କଶ୍ଚିଦେକୋ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରଂ ୱିଧାଯ ତଚ୍ଚତୁର୍ଦିକ୍ଷୁ ୱାରଣୀଂ କୃତ୍ୱା ତନ୍ମଧ୍ୟେ ଦ୍ରାକ୍ଷାପେଷଣକୁଣ୍ଡମ୍ ଅଖନତ୍, ତଥା ତସ୍ୟ ଗଡମପି ନିର୍ମ୍ମିତୱାନ୍ ତତସ୍ତତ୍କ୍ଷେତ୍ରଂ କୃଷୀୱଲେଷୁ ସମର୍ପ୍ୟ ଦୂରଦେଶଂ ଜଗାମ|
तब यीशु दृष्टान्तों म उन्को सी बाते करन लग्यो: “कोयी आदमी न अंगूर की बाड़ी लगायी, अऊर ओको चारयी तरफ सी बाड़ी ख बान्ध दियो, अऊर रसकुण्ड खोद्यो, अऊर मचान बनाय क, किसानों ख ओको ठेका दे क परदेश ख चली गयो।”
2 ତଦନନ୍ତରଂ ଫଲକାଲେ କୃଷୀୱଲେଭ୍ୟୋ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରଫଲାନି ପ୍ରାପ୍ତୁଂ ତେଷାଂ ସୱିଧେ ଭୃତ୍ୟମ୍ ଏକଂ ପ୍ରାହିଣୋତ୍|
तब अंगूर की बाड़ी को फसल को सिजन आयो त ओन किसानों को जवर एक सेवक ख भेज्यो कि अपनो हिस्सा ले ले,
3 କିନ୍ତୁ କୃଷୀୱଲାସ୍ତଂ ଧୃତ୍ୱା ପ୍ରହୃତ୍ୟ ରିକ୍ତହସ୍ତଂ ୱିସସୃଜୁଃ|
पर बटईदार न ओको सेवक ख पकड़ क पिट्यो, अऊर खाली हाथ भेज दियो।
4 ତତଃ ସ ପୁନରନ୍ୟମେକଂ ଭୃତ୍ୟଂ ପ୍ରଷଯାମାସ, କିନ୍ତୁ ତେ କୃଷୀୱଲାଃ ପାଷାଣାଘାତୈସ୍ତସ୍ୟ ଶିରୋ ଭଙ୍କ୍ତ୍ୱା ସାପମାନଂ ତଂ ୱ୍ୟସର୍ଜନ୍|
तब मालिक न एक अऊर सेवक ख ओको जवर भेज्यो; अऊर उन्न ओको मुंड फोड़ डाल्यो अऊर ओको अपमान करयो।
5 ତତଃ ପରଂ ସୋପରଂ ଦାସଂ ପ୍ରାହିଣୋତ୍ ତଦା ତେ ତଂ ଜଘ୍ନୁଃ, ଏୱମ୍ ଅନେକେଷାଂ କସ୍ୟଚିତ୍ ପ୍ରହାରଃ କସ୍ୟଚିଦ୍ ୱଧଶ୍ଚ ତୈଃ କୃତଃ|
तब मालिक न एक अऊर सेवक ख भेज्यो; उन्न ओख भी मार डाल्यो। तब उन्न अऊर बहुत सो ख भेज्यो; उन्म सी उन्न कुछ ख पिट्यो अऊर कुछ ख मार डाल्यो।
6 ତତଃ ପରଂ ମଯା ସ୍ୱପୁତ୍ରେ ପ୍ରହିତେ ତେ ତମୱଶ୍ୟଂ ସମ୍ମଂସ୍ୟନ୍ତେ, ଇତ୍ୟୁକ୍ତ୍ୱାୱଶେଷେ ତେଷାଂ ସନ୍ନିଧୌ ନିଜପ୍ରିଯମ୍ ଅଦ୍ୱିତୀଯଂ ପୁତ୍ରଂ ପ୍ରେଷଯାମାସ|
आखरी म अपनो प्रिय बेटा ख भेज्यो, यो सोच क कि हि मोरो बेटा को आदर करेंन,
7 କିନ୍ତୁ କୃଷୀୱଲାଃ ପରସ୍ପରଂ ଜଗଦୁଃ, ଏଷ ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ, ଆଗଚ୍ଛତ ୱଯମେନଂ ହନ୍ମସ୍ତଥା କୃତେ ଽଧିକାରୋଯମ୍ ଅସ୍ମାକଂ ଭୱିଷ୍ୟତି|
पर उन बटईदारों न आपस म कह्यो, योच त वारिस आय; आवो, हम येख भी मार डाल्बो, तब पूरी जायजाद हमरी होय जायेंन।
8 ତତସ୍ତଂ ଧୃତ୍ୱା ହତ୍ୱା ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରାଦ୍ ବହିଃ ପ୍ରାକ୍ଷିପନ୍|
अऊर उन्न ओख पकड़ क मार डाल्यो, अऊर अंगूर की बाड़ी को बाहेर फेक दियो।
9 ଅନେନାସୌ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରପତିଃ କିଂ କରିଷ୍ୟତି? ସ ଏତ୍ୟ ତାନ୍ କୃଷୀୱଲାନ୍ ସଂହତ୍ୟ ତତ୍କ୍ଷେତ୍ରମ୍ ଅନ୍ୟେଷୁ କୃଷୀୱଲେଷୁ ସମର୍ପଯିଷ୍ୟତି|
“यीशु न पुच्छ्यो येको पर अंगूर की बाड़ी को मालिक का करेंन? ऊ आय क उन किसानों को नाश करेंन, अऊर अंगूर की बाड़ी दूसरों ख दे देयेंन।
10 ଅପରଞ୍ଚ, "ସ୍ଥପତଯଃ କରିଷ୍ୟନ୍ତି ଗ୍ରାୱାଣଂ ଯନ୍ତୁ ତୁଚ୍ଛକଂ| ପ୍ରାଧାନପ୍ରସ୍ତରଃ କୋଣେ ସ ଏୱ ସଂଭୱିଷ୍ୟତି|
का तुम्न शास्त्र म नहीं पढ़्यो:” “जो गोटा ख राजमिस्त्रियों न नकारयो होतो, उच गोटा महत्वपूर्ण भय गयो।
11 ଏତତ୍ କର୍ମ୍ମ ପରେଶସ୍ୟାଂଦ୍ଭୁତଂ ନୋ ଦୃଷ୍ଟିତୋ ଭୱେତ୍|| " ଇମାଂ ଶାସ୍ତ୍ରୀଯାଂ ଲିପିଂ ଯୂଯଂ କିଂ ନାପାଠିଷ୍ଟ?
यो प्रभु की तरफ सी भयो; अऊर हमरी नजर म अद्भुत नजारा हय!”
12 ତଦାନୀଂ ସ ତାନୁଦ୍ଦିଶ୍ୟ ତାଂ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତକଥାଂ କଥିତୱାନ୍, ତ ଇତ୍ଥଂ ବୁଦ୍ୱ୍ୱା ତଂ ଧର୍ତ୍ତାମୁଦ୍ୟତାଃ, କିନ୍ତୁ ଲୋକେଭ୍ୟୋ ବିଭ୍ୟୁଃ, ତଦନନ୍ତରଂ ତେ ତଂ ୱିହାଯ ୱୱ୍ରଜୁଃ|
तब धर्मशास्त्रियों न यीशु ख पकड़नो चाह्यो; कहालीकि हि समझ गयो होतो कि ओन हमरो विरोध म यो दृष्टान्त कह्यो हय। पर हि लोगों सी डरत होतो, येकोलायी हि ओख छोड़ क चली गयो।
13 ଅପରଞ୍ଚ ତେ ତସ୍ୟ ୱାକ୍ୟଦୋଷଂ ଧର୍ତ୍ତାଂ କତିପଯାନ୍ ଫିରୂଶିନୋ ହେରୋଦୀଯାଂଶ୍ଚ ଲୋକାନ୍ ତଦନ୍ତିକଂ ପ୍ରେଷଯାମାସୁଃ|
तब उन्न यीशु ख ओकीच बातों म फसान लायी कुछ फरीसियों अऊर राजा हेरोदेस को पक्ष को कुछ लोग ओको जवर भेज्यो।
14 ତ ଆଗତ୍ୟ ତମୱଦନ୍, ହେ ଗୁରୋ ଭୱାନ୍ ତଥ୍ୟଭାଷୀ କସ୍ୟାପ୍ୟନୁରୋଧଂ ନ ମନ୍ୟତେ, ପକ୍ଷପାତଞ୍ଚ ନ କରୋତି, ଯଥାର୍ଥତ ଈଶ୍ୱରୀଯଂ ମାର୍ଗଂ ଦର୍ଶଯତି ୱଯମେତତ୍ ପ୍ରଜାନୀମଃ, କୈସରାଯ କରୋ ଦେଯୋ ନ ୱାଂ? ୱଯଂ ଦାସ୍ୟାମୋ ନ ୱା?
उन्न आय क यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हम जानजे हंय, कि तय सच्चो हय, अऊर कोयी की परवाह नहीं करय; कहालीकि तय आदमियों को मुंह देख क बाते नहीं करय, पर परमेश्वर को सच्चो रस्ता सिखावय हय। त का हमरो नियम को अनुसार रोम को राजा ख कर देनो सही हय यां नहीं?”
15 କିନ୍ତୁ ସ ତେଷାଂ କପଟଂ ଜ୍ଞାତ୍ୱା ଜଗାଦ, କୁତୋ ମାଂ ପରୀକ୍ଷଧ୍ୱେ? ଏକଂ ମୁଦ୍ରାପାଦଂ ସମାନୀଯ ମାଂ ଦର୍ଶଯତ|
हम कर देबो यां नहीं देबो? यीशु न उन्को कपट जान क उन्को सी कह्यो, “मोख कहाली फसावन कि कोशिश कर रह्यो हय? एक चांदी को सिक्का मोरो जवर लावो, अऊर मोख देखन देवो।”
16 ତଦା ତୈରେକସ୍ମିନ୍ ମୁଦ୍ରାପାଦେ ସମାନୀତେ ସ ତାନ୍ ପପ୍ରଚ୍ଛ, ଅତ୍ର ଲିଖିତଂ ନାମ ମୂର୍ତ୍ତି ର୍ୱା କସ୍ୟ? ତେ ପ୍ରତ୍ୟୂଚୁଃ, କୈସରସ୍ୟ|
हि सिक्का ले आयो, अऊर यीशु न उन्को सी कह्यो, “यो कौन्को चेहरा अऊर नाम हय?” उन्न कह्यो “रोम को राजा को।”
17 ତଦା ଯୀଶୁରୱଦତ୍ ତର୍ହି କୈସରସ୍ୟ ଦ୍ରୱ୍ୟାଣି କୈସରାଯ ଦତ୍ତ, ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ଦ୍ରୱ୍ୟାଣି ତୁ ଈଶ୍ୱରାଯ ଦତ୍ତ; ତତସ୍ତେ ୱିସ୍ମଯଂ ମେନିରେ|
यीशु न उन्को सी कह्यो, “जो कैसर राजा को आय, ऊ राजा ख देवो, अऊर जो परमेश्वर को आय ऊ परमेश्वर ख देवो।” तब हि चकित भयो।
18 ଅଥ ମୃତାନାମୁତ୍ଥାନଂ ଯେ ନ ମନ୍ୟନ୍ତେ ତେ ସିଦୂକିନୋ ଯୀଶୋଃ ସମୀପମାଗତ୍ୟ ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛୁଃ;
फिर कुछ सदूकियों जो कह्य हंय कि पुनरुत्थान हयच नहाय, यीशु को जवर आय क ओको सी पूछन लग्यो,
19 ହେ ଗୁରୋ କଶ୍ଚିଜ୍ଜନୋ ଯଦି ନିଃସନ୍ତତିଃ ସନ୍ ଭାର୍ୟ୍ୟାଯାଂ ସତ୍ୟାଂ ମ୍ରିଯତେ ତର୍ହି ତସ୍ୟ ଭ୍ରାତା ତସ୍ୟ ଭାର୍ୟ୍ୟାଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ଭ୍ରାତୁ ର୍ୱଂଶୋତ୍ପତ୍ତିଂ କରିଷ୍ୟତି, ୱ୍ୟୱସ୍ଥାମିମାଂ ମୂସା ଅସ୍ମାନ୍ ପ୍ରତି ୱ୍ୟଲିଖତ୍|
“हे गुरु, मूसा न हमरो लायी एक व्यवस्था लिख्यो हय कि यदि कोयी को भाऊ बिना सन्तान को मर जाये अऊर ओकी पत्नी रह जाये, त ओको भाऊ ओकी पत्नी सी बिहाव कर ले अऊर अपनो भाऊ लायी वंश पैदा कर सके।
20 କିନ୍ତୁ କେଚିତ୍ ସପ୍ତ ଭ୍ରାତର ଆସନ୍, ତତସ୍ତେଷାଂ ଜ୍ୟେଷ୍ଠଭ୍ରାତା ୱିୱହ୍ୟ ନିଃସନ୍ତତିଃ ସନ୍ ଅମ୍ରିଯତ|
सात भाऊ होतो। सब सी बड़ो भाऊ बिहाव कर क् बिना सन्तान को मर गयो।
21 ତତୋ ଦ୍ୱିତୀଯୋ ଭ୍ରାତା ତାଂ ସ୍ତ୍ରିଯମଗୃହଣତ୍ କିନ୍ତୁ ସୋପି ନିଃସନ୍ତତିଃ ସନ୍ ଅମ୍ରିଯତ; ଅଥ ତୃତୀଯୋପି ଭ୍ରାତା ତାଦୃଶୋଭୱତ୍|
तब दूसरों भाऊ न वा बाई सी बिहाव कर लियो अऊर ऊ भी बिना सन्तान को मर गयो; अऊर वसोच तीसरो न भी करयो।
22 ଇତ୍ଥଂ ସପ୍ତୈୱ ଭ୍ରାତରସ୍ତାଂ ସ୍ତ୍ରିଯଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ନିଃସନ୍ତାନାଃ ସନ୍ତୋଽମ୍ରିଯନ୍ତ, ସର୍ୱ୍ୱଶେଷେ ସାପି ସ୍ତ୍ରୀ ମ୍ରିଯତେ ସ୍ମ|
अऊर सातों भाऊ न वा बाई सी बिहाव कर लियो अऊर उन्ख भी सन्तान नहीं भयी। आखरी म वा बाई भी मर गयी।
23 ଅଥ ମୃତାନାମୁତ୍ଥାନକାଲେ ଯଦା ତ ଉତ୍ଥାସ୍ୟନ୍ତି ତଦା ତେଷାଂ କସ୍ୟ ଭାର୍ୟ୍ୟା ସା ଭୱିଷ୍ୟତି? ଯତସ୍ତେ ସପ୍ତୈୱ ତାଂ ୱ୍ୟୱହନ୍|
जब पुनरुत्थान होन को दिन मरयो हुयो लोग जीन्दो होयेंन, त वा बाई उन्म सी कौन की पत्नी होयेंन? कहालीकि वा सातों की पत्नी बनी होती।”
24 ତତୋ ଯୀଶୁଃ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ ଶାସ୍ତ୍ରମ୍ ଈଶ୍ୱରଶକ୍ତିଞ୍ଚ ଯୂଯମଜ୍ଞାତ୍ୱା କିମଭ୍ରାମ୍ୟତ ନ?
यीशु न उन्को सी कह्यो, “का तुम यो वजह सी भ्रम म पड़यो हय कि तुम नहीं त शास्त्रच ख जानय हय, अऊर नहीं परमेश्वर को सामर्थ ख?
25 ମୃତଲୋକାନାମୁତ୍ଥାନଂ ସତି ତେ ନ ୱିୱହନ୍ତି ୱାଗ୍ଦତ୍ତା ଅପି ନ ଭୱନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ସ୍ୱର୍ଗୀଯଦୂତାନାଂ ସଦୃଶା ଭୱନ୍ତି|
कहालीकि जब मरयो हुयो लोग दुबारा सी जीन्दो होयेंन, त हि स्वर्ग को स्वर्गदूतों को जसो होयेंन अऊर हि बिहाव नहीं करेंन।
26 ପୁନଶ୍ଚ "ଅହମ୍ ଇବ୍ରାହୀମ ଈଶ୍ୱର ଇସ୍ହାକ ଈଶ୍ୱରୋ ଯାକୂବଶ୍ଚେଶ୍ୱରଃ" ଯାମିମାଂ କଥାଂ ସ୍ତମ୍ବମଧ୍ୟେ ତିଷ୍ଠନ୍ ଈଶ୍ୱରୋ ମୂସାମୱାଦୀତ୍ ମୃତାନାମୁତ୍ଥାନାର୍ଥେ ସା କଥା ମୂସାଲିଖିତେ ପୁସ୍ତକେ କିଂ ଯୁଷ୍ମାଭି ର୍ନାପାଠି?
अब मरयो हुयो ख जीन्दो होन को बारे म का तुम्न मूसा की किताब म जरती हुयी झाड़ी को बारे म नहीं पढ़्यो? कि परमेश्वर न ओको सी कह्यो, ‘मय अब्राहम को परमेश्वर, अऊर इसहाक को परमेश्वर, अऊर याकूब को परमेश्वर आय?’
27 ଈଶ୍ୱରୋ ଜୀୱତାଂ ପ୍ରଭୁଃ କିନ୍ତୁ ମୃତାନାଂ ପ୍ରଭୁ ର୍ନ ଭୱତି, ତସ୍ମାଦ୍ଧେତୋ ର୍ୟୂଯଂ ମହାଭ୍ରମେଣ ତିଷ୍ଠଥ|
परमेश्वर मरयो हुयो को नहीं, पर जीन्दो को परमेश्वर आय; तुम पूरी तरह शंका म पड़यो हय!”
28 ଏତର୍ହି ଏକୋଧ୍ୟାପକ ଏତ୍ୟ ତେଷାମିତ୍ଥଂ ୱିଚାରଂ ଶୁଶ୍ରାୱ; ଯୀଶୁସ୍ତେଷାଂ ୱାକ୍ୟସ୍ୟ ସଦୁତ୍ତରଂ ଦତ୍ତୱାନ୍ ଇତି ବୁଦ୍ୱ୍ୱା ତଂ ପୃଷ୍ଟୱାନ୍ ସର୍ୱ୍ୱାସାମ୍ ଆଜ୍ଞାନାଂ କା ଶ୍ରେଷ୍ଠା? ତତୋ ଯୀଶୁଃ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ,
जब धर्मशास्त्रियों म सी एक न आय क उन्ख चर्चा करतो सुन्यो, अऊर यो जान क कि यीशु न सदूकियों ख अच्छो तरह सी उत्तर दियो, ओको सी पुच्छ्यो, “कौन सी आज्ञा महत्वपूर्ण हय?”
29 "ହେ ଇସ୍ରାଯେଲ୍ଲୋକା ଅୱଧତ୍ତ, ଅସ୍ମାକଂ ପ୍ରଭୁଃ ପରମେଶ୍ୱର ଏକ ଏୱ,
यीशु न उत्तर दियो, “सब आज्ञावों म सी महत्वपूर्ण यो हय: ‘हे इस्राएल को लोगों सुनो,’ प्रभु हमरो परमेश्वर एकच प्रभु हय।
30 ଯୂଯଂ ସର୍ୱ୍ୱନ୍ତଃକରଣୈଃ ସର୍ୱ୍ୱପ୍ରାଣୈଃ ସର୍ୱ୍ୱଚିତ୍ତୈଃ ସର୍ୱ୍ୱଶକ୍ତିଭିଶ୍ଚ ତସ୍ମିନ୍ ପ୍ରଭୌ ପରମେଶ୍ୱରେ ପ୍ରୀଯଧ୍ୱଂ," ଇତ୍ୟାଜ୍ଞା ଶ୍ରେଷ୍ଠା|
अऊर तय प्रभु अपनो परमेश्वर सी अपनो पूरो दिल सी, अऊर अपनो पूरो जीव सी, अऊर अपनो पूरी बुद्धि सी, अऊर अपनो पूरी शक्ति सी, प्रेम रखजो।”
31 ତଥା "ସ୍ୱପ୍ରତିୱାସିନି ସ୍ୱୱତ୍ ପ୍ରେମ କୁରୁଧ୍ୱଂ," ଏଷା ଯା ଦ୍ୱିତୀଯାଜ୍ଞା ସା ତାଦୃଶୀ; ଏତାଭ୍ୟାଂ ଦ୍ୱାଭ୍ୟାମ୍ ଆଜ୍ଞାଭ୍ୟାମ୍ ଅନ୍ୟା କାପ୍ୟାଜ୍ଞା ଶ୍ରେଷ୍ଠା ନାସ୍ତି|
अऊर दूसरी महत्वपूर्ण आज्ञा या हय, तय अपनो पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम रखजो। “इन दोयी आज्ञा सी बढ़ क अऊर कोयी महत्वपूर्ण आज्ञा नहाय हय।”
32 ତଦା ସୋଧ୍ୟାପକସ୍ତମୱଦତ୍, ହେ ଗୁରୋ ସତ୍ୟଂ ଭୱାନ୍ ଯଥାର୍ଥଂ ପ୍ରୋକ୍ତୱାନ୍ ଯତ ଏକସ୍ମାଦ୍ ଈଶ୍ୱରାଦ୍ ଅନ୍ୟୋ ଦ୍ୱିତୀଯ ଈଶ୍ୱରୋ ନାସ୍ତି;
धर्मशास्त्री न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, बहुत अच्छो! तय न सच कह्यो, कि परमेश्वर एकच हय, अऊर ओख छोड़ अऊर कोयी परमेश्वर नहाय।
33 ଅପରଂ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ତଃକରଣୈଃ ସର୍ୱ୍ୱପ୍ରାଣୈଃ ସର୍ୱ୍ୱଚିତ୍ତୈଃ ସର୍ୱ୍ୱଶକ୍ତିଭିଶ୍ଚ ଈଶ୍ୱରେ ପ୍ରେମକରଣଂ ତଥା ସ୍ୱମୀପୱାସିନି ସ୍ୱୱତ୍ ପ୍ରେମକରଣଞ୍ଚ ସର୍ୱ୍ୱେଭ୍ୟୋ ହୋମବଲିଦାନାଦିଭ୍ୟଃ ଶ୍ରଷ୍ଠଂ ଭୱତି|
अऊर ओख अपनो पूरो दिल सी, अऊर पूरी बुद्धि सी, अऊर पूरो ताकत सी प्रेम करजो; अऊर पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम करजो, होमबली अऊर बलिदानों कि तुलना म इन दोयी आज्ञावों को पालन करनो जादा महत्वपूर्ण हय।”
34 ତତୋ ଯୀଶୁଃ ସୁବୁଦ୍ଧେରିୱ ତସ୍ୟେଦମ୍ ଉତ୍ତରଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତଂ ଭାଷିତୱାନ୍ ତ୍ୱମୀଶ୍ୱରସ୍ୟ ରାଜ୍ୟାନ୍ନ ଦୂରୋସି| ଇତଃ ପରଂ ତେନ ସହ କସ୍ୟାପି ୱାକ୍ୟସ୍ୟ ୱିଚାରଂ କର୍ତ୍ତାଂ କସ୍ୟାପି ପ୍ରଗଲ୍ଭତା ନ ଜାତା|
जब यीशु न देख्यो कि ओन समझदारी सी उत्तर दियो, त ओको सी कह्यो, “तय परमेश्वर को राज्य सी दूर नहाय।” अऊर येको बाद कोयी न ओको सी कोयी न प्रश्न पूछन की हिम्मत नहीं करी।
35 ଅନନ୍ତରଂ ମଧ୍ୟେମନ୍ଦିରମ୍ ଉପଦିଶନ୍ ଯୀଶୁରିମଂ ପ୍ରଶ୍ନଂ ଚକାର, ଅଧ୍ୟାପକା ଅଭିଷିକ୍ତଂ (ତାରକଂ) କୁତୋ ଦାଯୂଦଃ ସନ୍ତାନଂ ୱଦନ୍ତି?
तब यीशु न मन्दिर म शिक्षा देत हुयो यो कह्यो, “धर्मशास्त्री कह्य हंय कि मसीह दाऊद को वंश कसो होय सकय हय?
36 ସ୍ୱଯଂ ଦାଯୂଦ୍ ପୱିତ୍ରସ୍ୟାତ୍ମନ ଆୱେଶେନେଦଂ କଥଯାମାସ| ଯଥା| "ମମ ପ୍ରଭୁମିଦଂ ୱାକ୍ୟୱଦତ୍ ପରମେଶ୍ୱରଃ| ତୱ ଶତ୍ରୂନହଂ ଯାୱତ୍ ପାଦପୀଠଂ କରୋମି ନ| ତାୱତ୍ କାଲଂ ମଦୀଯେ ତ୍ୱଂ ଦକ୍ଷପାର୍ଶ୍ୱ୍ ଉପାୱିଶ| "
दाऊद न पवित्र आत्मा म होय क कह्यो हय;” प्रभु परमेश्वर न मोरो प्रभु सी कह्यो, “मय तुम्ख अपनो दायो तरफ बैठाऊं, जब तक कि मय तोरो दुश्मनों ख तोरो पाय को खल्लो नहीं कर देऊ।”
37 ଯଦି ଦାଯୂଦ୍ ତଂ ପ୍ରଭୂଂ ୱଦତି ତର୍ହି କଥଂ ସ ତସ୍ୟ ସନ୍ତାନୋ ଭୱିତୁମର୍ହତି? ଇତରେ ଲୋକାସ୍ତତ୍କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱାନନନ୍ଦୁଃ|
दाऊद त खुदच ओख प्रभु कह्य हय, तब ऊ ओको वंश कसो होय सकय हय? अऊर भीड़ को लोग खुशी सी ओकी सुनत होतो।
38 ତଦାନୀଂ ସ ତାନୁପଦିଶ୍ୟ କଥିତୱାନ୍ ଯେ ନରା ଦୀର୍ଘପରିଧେଯାନି ହଟ୍ଟେ ୱିପନୌ ଚ
यीशु न अपनो शिक्षा सी सिखावत होतो, “धर्मशास्त्रियों सी चौकस रहो, जो लम्बो चोंगा वालो कपड़ा पहिन क बाजारों म घुमत फिरत होतो कि आदर सत्कार मिलेंन।
39 ଲୋକକୃତନମସ୍କାରାନ୍ ଭଜନଗୃହେ ପ୍ରଧାନାସନାନି ଭୋଜନକାଲେ ପ୍ରଧାନସ୍ଥାନାନି ଚ କାଙ୍କ୍ଷନ୍ତେ;
अऊर आराधनालयों म मुख्य आसन अऊर जेवन म आदर सम्मान को जागा भी चाहत होतो।
40 ୱିଧୱାନାଂ ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ଗ୍ରସିତ୍ୱା ଛଲାଦ୍ ଦୀର୍ଘକାଲଂ ପ୍ରାର୍ଥଯନ୍ତେ ତେଭ୍ୟ ଉପାଧ୍ୟାଯେଭ୍ୟଃ ସାୱଧାନା ଭୱତ; ତେଽଧିକତରାନ୍ ଦଣ୍ଡାନ୍ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟନ୍ତି|
हि विधवावों को धन जायजाद कपट सी हड़प लेत होतो, अऊर दिखावन लायी बहुत देर तक प्रार्थना करत रहत होतो। हि परमेश्वर सी अधिक सजा पायेंन।”
41 ତଦନନ୍ତରଂ ଲୋକା ଭାଣ୍ଡାଗାରେ ମୁଦ୍ରା ଯଥା ନିକ୍ଷିପନ୍ତି ଭାଣ୍ଡାଗାରସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖେ ସମୁପୱିଶ୍ୟ ଯୀଶୁସ୍ତଦୱଲୁଲୋକ; ତଦାନୀଂ ବହୱୋ ଧନିନସ୍ତସ୍ୟ ମଧ୍ୟେ ବହୂନି ଧନାନି ନିରକ୍ଷିପନ୍|
यीशु मन्दिर को आगु बैठ क देख रह्य होतो कि लोग मन्दिर को दान भण्डार म कसो तरह पैसा डालय हंय; अऊर बहुत सो अमीरों न बहुत सो पैसा डाल्यो।
42 ପଶ୍ଚାଦ୍ ଏକା ଦରିଦ୍ରା ୱିଧୱା ସମାଗତ୍ୟ ଦ୍ୱିପଣମୂଲ୍ୟାଂ ମୁଦ୍ରୈକାଂ ତତ୍ର ନିରକ୍ଷିପତ୍|
इतनो म एक गरीब विधवा न आय क तांबा को दोय छोटो सिक्का डाल्यो, जेकी कीमत लगभग एक पैसा को बराबर होती।
43 ତଦା ଯୀଶୁଃ ଶିଷ୍ୟାନ୍ ଆହୂଯ କଥିତୱାନ୍ ଯୁଷ୍ମାନହଂ ଯଥାର୍ଥଂ ୱଦାମି ଯେ ଯେ ଭାଣ୍ଡାଗାରେଽସ୍ମିନ ଧନାନି ନିଃକ୍ଷିପନ୍ତି ସ୍ମ ତେଭ୍ୟଃ ସର୍ୱ୍ୱେଭ୍ୟ ଇଯଂ ୱିଧୱା ଦରିଦ୍ରାଧିକମ୍ ନିଃକ୍ଷିପତି ସ୍ମ|
तब यीशु न अपनो चेलावों ख जवर बुलाय क उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच कहू हय कि मन्दिर को दान भण्डार म डालन वालो म सी यो गरीब विधवा न सब सी बढ़ क दान डाल्यो हय।
44 ଯତସ୍ତେ ପ୍ରଭୂତଧନସ୍ୟ କିଞ୍ଚିତ୍ ନିରକ୍ଷିପନ୍ କିନ୍ତୁ ଦୀନେଯଂ ସ୍ୱଦିନଯାପନଯୋଗ୍ୟଂ କିଞ୍ଚିଦପି ନ ସ୍ଥାପଯିତ୍ୱା ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ନିରକ୍ଷିପତ୍|
कहालीकि सब न अपनो धन की बढ़ती म सी डाल्यो हय, पर येन अपनो घटती म सी जो कुछ ओको होतो मतलब अपनी पूरी जीविका डाल दियो हय।”

< ମାର୍କଃ 12 >