< ଲୂକଃ 8 >
1 ଅପରଞ୍ଚ ଯୀଶୁ ର୍ଦ୍ୱାଦଶଭିଃ ଶିଷ୍ୟୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ନାନାନଗରେଷୁ ନାନାଗ୍ରାମେଷୁ ଚ ଗଚ୍ଛନ୍ ଇଶ୍ୱରୀଯରାଜତ୍ୱସ୍ୟ ସୁସଂୱାଦଂ ପ୍ରଚାରଯିତୁଂ ପ୍ରାରେଭେ|
येको बाद यीशु नगर-नगर अऊर गांव-गांव प्रचार करतो हुयो, अऊर परमेश्वर को राज्य को सुसमाचार सुनावतो हुयो फिरन लग्यो, अऊर हि बारा चेला ओको संग होतो,
2 ତଦା ଯସ୍ୟାଃ ସପ୍ତ ଭୂତା ନିରଗଚ୍ଛନ୍ ସା ମଗ୍ଦଲୀନୀତି ୱିଖ୍ୟାତା ମରିଯମ୍ ହେରୋଦ୍ରାଜସ୍ୟ ଗୃହାଧିପତେଃ ହୋଷେ ର୍ଭାର୍ୟ୍ୟା ଯୋହନା ଶୂଶାନା
अऊर कुछ बाईयां भी होती जो दुष्ट आत्मावों सी अऊर बीमारियों सी छुड़ायी गयी होती, अऊर हि यो आय: मरियम जो मगदलीनी कहलावत होती, जेको म सी सात दुष्ट आत्मायें निकली होती,
3 ପ୍ରଭୃତଯୋ ଯା ବହ୍ୱ୍ୟଃ ସ୍ତ୍ରିଯଃ ଦୁଷ୍ଟଭୂତେଭ୍ୟୋ ରୋଗେଭ୍ୟଶ୍ଚ ମୁକ୍ତାଃ ସତ୍ୟୋ ନିଜୱିଭୂତୀ ର୍ୱ୍ୟଯିତ୍ୱା ତମସେୱନ୍ତ, ତାଃ ସର୍ୱ୍ୱାସ୍ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧମ୍ ଆସନ୍|
अऊर हेरोदेस को भण्डारी खुजा की पत्नी योअन्ना, अऊर सूसन्नाह, अऊर बहुत सी दूसरी बाईयां। जो अपनी जायजाद सी यीशु अऊर ओको चेलावों की सेवा करत होती।
4 ଅନନ୍ତରଂ ନାନାନଗରେଭ୍ୟୋ ବହୱୋ ଲୋକା ଆଗତ୍ୟ ତସ୍ୟ ସମୀପେଽମିଲନ୍, ତଦା ସ ତେଭ୍ୟ ଏକାଂ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତକଥାଂ କଥଯାମାସ| ଏକଃ କୃଷୀବଲୋ ବୀଜାନି ୱପ୍ତୁଂ ବହିର୍ଜଗାମ,
जब बड़ी भीड़ जमा भयी अऊर नगर-नगर को लोग ओको जवर आवत होतो, त ओन दृष्टान्त म कह्यो।
5 ତତୋ ୱପନକାଲେ କତିପଯାନି ବୀଜାନି ମାର୍ଗପାର୍ଶ୍ୱେ ପେତୁଃ, ତତସ୍ତାନି ପଦତଲୈ ର୍ଦଲିତାନି ପକ୍ଷିଭି ର୍ଭକ୍ଷିତାନି ଚ|
“एक बोवन वालो बीज बोवन निकल्यो। बोवतो हुयो कुछ बीज रस्ता को किनार गिरयो, अऊर खुंद्यो गयो, अऊर आसमान को पक्षिंयों न ओख खाय लियो।
6 କତିପଯାନି ବୀଜାନି ପାଷାଣସ୍ଥଲେ ପତିତାନି ଯଦ୍ୟପି ତାନ୍ୟଙ୍କୁରିତାନି ତଥାପି ରସାଭାୱାତ୍ ଶୁଶୁଷୁଃ|
कुछ गोटाड़ी जागा पर गिरयो, अऊर उग्यो पर ओल नहीं मिलनो सी सूख गयो।
7 କତିପଯାନି ବୀଜାନି କଣ୍ଟକିୱନମଧ୍ୟେ ପତିତାନି ତତଃ କଣ୍ଟକିୱନାନି ସଂୱୃଦ୍ଧ୍ୟ ତାନି ଜଗ୍ରସୁଃ|
कुछ बीज काटा को बीच म गिरयो, अऊर झाड़ियों न संग-संग बढ़ क ओख दबाय दियो।
8 ତଦନ୍ୟାନି କତିପଯବୀଜାନି ଚ ଭୂମ୍ୟାମୁତ୍ତମାଯାଂ ପେତୁସ୍ତତସ୍ତାନ୍ୟଙ୍କୁରଯିତ୍ୱା ଶତଗୁଣାନି ଫଲାନି ଫେଲୁଃ| ସ ଇମା କଥାଂ କଥଯିତ୍ୱା ପ୍ରୋଚ୍ଚୈଃ ପ୍ରୋୱାଚ, ଯସ୍ୟ ଶ୍ରୋତୁଂ ଶ୍ରୋତ୍ରେ ସ୍ତଃ ସ ଶୃଣୋତୁ|
कुछ बीज अच्छी जमीन पर गिरयो, अऊर उग क सौ गुना फर लायो।” यो कह्य क यीशु न ऊचो आवाज सी कह्यो, “जेको सुनन को कान हय ऊ सुन ले!”
9 ତତଃ ପରଂ ଶିଷ୍ୟାସ୍ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛୁରସ୍ୟ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତସ୍ୟ କିଂ ତାତ୍ପର୍ୟ୍ୟଂ?
यीशु को चेलावों न ओको सी पुच्छ्यो कि यो दृष्टान्त को अर्थ का हय?
10 ତତଃ ସ ୱ୍ୟାଜହାର, ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟସ୍ୟ ଗୁହ୍ୟାନି ଜ୍ଞାତୁଂ ଯୁଷ୍ମଭ୍ୟମଧିକାରୋ ଦୀଯତେ କିନ୍ତ୍ୱନ୍ୟେ ଯଥା ଦୃଷ୍ଟ୍ୱାପି ନ ପଶ୍ୟନ୍ତି ଶ୍ରୁତ୍ୱାପି ମ ବୁଧ୍ୟନ୍ତେ ଚ ତଦର୍ଥଂ ତେଷାଂ ପୁରସ୍ତାତ୍ ତାଃ ସର୍ୱ୍ୱାଃ କଥା ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତେନ କଥ୍ୟନ୍ତେ|
ओन कह्यो, “तुम ख परमेश्वर को राज्य को भेदो की समझ दियो हय, पर दूसरों ख दृष्टान्तों म सुनायो जावय हय, येकोलायी कि ‘हि देखतो हुयो भी नहीं देखय, अऊर सुनतो हुयो भी नहीं समझय।’
11 ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତସ୍ୟାସ୍ୟାଭିପ୍ରାଯଃ, ଈଶ୍ୱରୀଯକଥା ବୀଜସ୍ୱରୂପା|
“दृष्टान्त को अर्थ यो हय: बीज परमेश्वर को वचन हय।
12 ଯେ କଥାମାତ୍ରଂ ଶୃଣ୍ୱନ୍ତି କିନ୍ତୁ ପଶ୍ଚାଦ୍ ୱିଶ୍ୱସ୍ୟ ଯଥା ପରିତ୍ରାଣଂ ନ ପ୍ରାପ୍ନୁୱନ୍ତି ତଦାଶଯେନ ଶୈତାନେତ୍ୟ ହୃଦଯାତୃ ତାଂ କଥାମ୍ ଅପହରତି ତ ଏୱ ମାର୍ଗପାର୍ଶ୍ୱସ୍ଥଭୂମିସ୍ୱରୂପାଃ|
रस्ता को किनार को हि आय, जिन्न सुन्यो, तब शैतान आय क उन्को मन म सी वचन उठाय लेवय हय कि कहीं असो नहीं होय कि हि विश्वास कर क् उद्धार पायेंन।
13 ଯେ କଥଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ସାନନ୍ଦଂ ଗୃହ୍ଲନ୍ତି କିନ୍ତ୍ୱବଦ୍ଧମୂଲତ୍ୱାତ୍ ସ୍ୱଲ୍ପକାଲମାତ୍ରଂ ପ୍ରତୀତ୍ୟ ପରୀକ୍ଷାକାଲେ ଭ୍ରଶ୍ୟନ୍ତି ତଏୱ ପାଷାଣଭୂମିସ୍ୱରୂପାଃ|
चट्टान पर को हि आय कि जब सुनय हंय, त खुशी सी वचन ख स्वीकार त करय हंय, पर जड़ी नहीं पकड़न सी हि थोड़ी देर तक विश्वास रखय हंय अऊर परीक्षा को समय बहक जावय हंय।
14 ଯେ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଯାନ୍ତି ୱିଷଯଚିନ୍ତାଯାଂ ଧନଲୋଭେନ ଏହିକସୁଖେ ଚ ମଜ୍ଜନ୍ତ ଉପଯୁକ୍ତଫଲାନି ନ ଫଲନ୍ତି ତ ଏୱୋପ୍ତବୀଜକଣ୍ଟକିଭୂସ୍ୱରୂପାଃ|
काटो की झाड़ियों म गिरयो, यो हि आय जो सुनय हंय, पर आगु चल क, चिन्ता अऊर धन, अऊर जीवन को सूख विलाश म फस जावय हंय अऊर उन्को फर नहीं पकय।
15 କିନ୍ତୁ ଯେ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ସରଲୈଃ ଶୁଦ୍ଧୈଶ୍ଚାନ୍ତଃକରଣୈଃ କଥାଂ ଗୃହ୍ଲନ୍ତି ଧୈର୍ୟ୍ୟମ୍ ଅୱଲମ୍ବ୍ୟ ଫଲାନ୍ୟୁତ୍ପାଦଯନ୍ତି ଚ ତ ଏୱୋତ୍ତମମୃତ୍ସ୍ୱରୂପାଃ|
पर अच्छी जमीन म को हि आय, जो वचन सुन क अच्छो अऊर शुद्ध मन म सम्भाल्यो रह्य हंय, अऊर धीरज सी फर लावय हंय।
16 ଅପରଞ୍ଚ ପ୍ରଦୀପଂ ପ୍ରଜ୍ୱାଲ୍ୟ କୋପି ପାତ୍ରେଣ ନାଚ୍ଛାଦଯତି ତଥା ଖଟ୍ୱାଧୋପି ନ ସ୍ଥାପଯତି, କିନ୍ତୁ ଦୀପାଧାରୋପର୍ୟ୍ୟେୱ ସ୍ଥାପଯତି, ତସ୍ମାତ୍ ପ୍ରୱେଶକା ଦୀପ୍ତିଂ ପଶ୍ୟନ୍ତି|
“कोयी दीया जलाय क बर्तन सी नहीं झाकय, अऊर नहीं खटिया को खल्लो रखय हय, पर दीवट पर रखय हय कि अन्दर आवन वालो प्रकाश पाये।
17 ଯନ୍ନ ପ୍ରକାଶଯିଷ୍ୟତେ ତାଦୃଗ୍ ଅପ୍ରକାଶିତଂ ୱସ୍ତୁ କିମପି ନାସ୍ତି ଯଚ୍ଚ ନ ସୁୱ୍ୟକ୍ତଂ ପ୍ରଚାରଯିଷ୍ୟତେ ତାଦୃଗ୍ ଗୃପ୍ତଂ ୱସ୍ତୁ କିମପି ନାସ୍ତି|
“कुछ लूक्यो नहाय जो जान्यो नहीं जाये, अऊर नहीं कुछ लूक्यो हय जो जाननो नहीं पाये अऊर दिख नहीं जाय।
18 ଅତୋ ଯୂଯଂ କେନ ପ୍ରକାରେଣ ଶୃଣୁଥ ତତ୍ର ସାୱଧାନା ଭୱତ, ଯସ୍ୟ ସମୀପେ ବର୍ଦ୍ଧତେ ତସ୍ମୈ ପୁନର୍ଦାସ୍ୟତେ କିନ୍ତୁ ଯସ୍ୟାଶ୍ରଯେ ନ ବର୍ଦ୍ଧତେ ତସ୍ୟ ଯଦ୍ୟଦସ୍ତି ତଦପି ତସ୍ମାତ୍ ନେଷ୍ୟତେ|
“येकोलायी चौकस रहो कि तुम कौन्सो तरह सी सुनय हय? कहालीकि जेको जवर हय ओख दियो जायेंन, अऊर जेको जवर नहाय ओको सी ऊ भी ले लियो जायेंन, जेक ऊ अपनो समझय हय।”
19 ଅପରଞ୍ଚ ଯୀଶୋ ର୍ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ ତସ୍ୟ ସମୀପଂ ଜିଗମିଷୱଃ
यीशु की माय अऊर ओको भाऊ ओको जवर आयो, पर भीड़ को वजह ओको सी मुलाखात नहीं कर सक्यो।
20 କିନ୍ତୁ ଜନତାସମ୍ବାଧାତ୍ ତତ୍ସନ୍ନିଧିଂ ପ୍ରାପ୍ତୁଂ ନ ଶେକୁଃ| ତତ୍ପଶ୍ଚାତ୍ ତୱ ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ ତ୍ୱାଂ ସାକ୍ଷାତ୍ ଚିକୀର୍ଷନ୍ତୋ ବହିସ୍ତିଷ୍ଠନତୀତି ୱାର୍ତ୍ତାଯାଂ ତସ୍ମୈ କଥିତାଯାଂ
ओको सी कह्यो गयो, “तोरी माय अऊर तोरो भाऊ बाहेर खड़ो हुयो, तोरो सी मिलनो चाहवय हंय।”
21 ସ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ; ଯେ ଜନା ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତଦନୁରୂପମାଚରନ୍ତି ତଏୱ ମମ ମାତା ଭ୍ରାତରଶ୍ଚ|
यीशु न येको उत्तर म उन्को सी कह्यो, “मोरी माय अऊर मोरो भाऊ हि आय, जो परमेश्वर को वचन सुनय अऊर मानय हंय।”
22 ଅନନ୍ତରଂ ଏକଦା ଯୀଶୁଃ ଶିଷ୍ୟୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ନାୱମାରୁହ୍ୟ ଜଗାଦ, ଆଯାତ ୱଯଂ ହ୍ରଦସ୍ୟ ପାରଂ ଯାମଃ, ତତସ୍ତେ ଜଗ୍ମୁଃ|
फिर एक दिन यीशु अऊर ओको चेला डोंगा पर चढ़्यो, अऊर ओन उन्को सी कह्यो, “आवो, झील को ओन पार चलबो।” येकोलायी उन्न डोंगा खोल दियो अऊर निकल गयो।
23 ତେଷୁ ନୌକାଂ ୱାହଯତ୍ସୁ ସ ନିଦଦ୍ରୌ;
पर जब डोंगा चल रह्यो होतो, त यीशु सोय गयो: अऊर झील म अचानक आन्धी आयी, अऊर डोंगा पानी सी भरन लग्यो अऊर हि खतरा म पड़ गयो।
24 ଅଥାକସ୍ମାତ୍ ପ୍ରବଲଝଞ୍ଭ୍ଶଗମାଦ୍ ହ୍ରଦେ ନୌକାଯାଂ ତରଙ୍ଗୈରାଚ୍ଛନ୍ନାଯାଂ ୱିପତ୍ ତାନ୍ ଜଗ୍ରାସ| ତସ୍ମାଦ୍ ଯୀଶୋରନ୍ତିକଂ ଗତ୍ୱା ହେ ଗୁରୋ ହେ ଗୁରୋ ପ୍ରାଣା ନୋ ଯାନ୍ତୀତି ଗଦିତ୍ୱା ତଂ ଜାଗରଯାମ୍ବଭୂୱୁଃ| ତଦା ସ ଉତ୍ଥାଯ ୱାଯୁଂ ତରଙ୍ଗାଂଶ୍ଚ ତର୍ଜଯାମାସ ତସ୍ମାଦୁଭୌ ନିୱୃତ୍ୟ ସ୍ଥିରୌ ବଭୂୱତୁଃ|
तब उन्न जवर आय क ओख जगायो, अऊर कह्यो, “मालिक! मालिक! हम नाश होय रह्यो हंय।” तब यीशु न उठ क आन्धी ख अऊर पानी की लहरो ख डाट्यो अऊर हि थम गयी अऊर चैन मिल गयो।
25 ସ ତାନ୍ ବଭାଷେ ଯୁଷ୍ମାକଂ ୱିଶ୍ୱାସଃ କ? ତସ୍ମାତ୍ତେ ଭୀତା ୱିସ୍ମିତାଶ୍ଚ ପରସ୍ପରଂ ଜଗଦୁଃ, ଅହୋ କୀଦୃଗଯଂ ମନୁଜଃ ପୱନଂ ପାନୀଯଞ୍ଚାଦିଶତି ତଦୁଭଯଂ ତଦାଦେଶଂ ୱହତି|
तब ओन उन्को सी कह्यो, “तुम्हरो विश्वास कित हय?” पर हि डर गयो अऊर अचम्भित होय क आपस म कहन लग्यो, “यो कौन आय जो आन्धी अऊर पानी ख भी आज्ञा देवय हय, अऊर हि ओकी मानय हंय?”
26 ତତଃ ପରଂ ଗାଲୀଲ୍ପ୍ରଦେଶସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖସ୍ଥଗିଦେରୀଯପ୍ରଦେଶେ ନୌକାଯାଂ ଲଗନ୍ତ୍ୟାଂ ତଟେଽୱରୋହମାୱାଦ୍
तब यीशु अऊर ओको चेला गिरासेनियों को देश म पहुंच्यो, जो गलील की झील को ओन पार होतो।
27 ବହୁତିଥକାଲଂ ଭୂତଗ୍ରସ୍ତ ଏକୋ ମାନୁଷଃ ପୁରାଦାଗତ୍ୟ ତଂ ସାକ୍ଷାଚ୍ଚକାର| ସ ମନୁଷୋ ୱାସୋ ନ ପରିଦଧତ୍ ଗୃହେ ଚ ନ ୱସନ୍ କେୱଲଂ ଶ୍ମଶାନମ୍ ଅଧ୍ୟୁୱାସ|
जब ऊ किनार पर उतरयो त ऊ नगर को एक आदमी ओख मिल्यो जेको म दुष्ट आत्मायें होती। ऊ बहुत दिनो सी कपड़ा नहीं पहिनत होतो अऊर घर म नहीं रहत होतो बल्की कब्रस्थान म रहत होतो।
28 ସ ଯୀଶୁଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱୈୱ ଚୀଚ୍ଛବ୍ଦଂ ଚକାର ତସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖେ ପତିତ୍ୱା ପ୍ରୋଚ୍ଚୈର୍ଜଗାଦ ଚ, ହେ ସର୍ୱ୍ୱପ୍ରଧାନେଶ୍ୱରସ୍ୟ ପୁତ୍ର, ମଯା ସହ ତୱ କଃ ସମ୍ବନ୍ଧଃ? ତ୍ୱଯି ୱିନଯଂ କରୋମି ମାଂ ମା ଯାତଯ|
ऊ यीशु ख देख क चिल्लायो अऊर ओको आगु गिर क ऊंचो आवाज सी कह्यो, “हे परमेश्वर को बेटा यीशु! मोख तोरो सी का काम? मय तोरो सी बिनती करू हय, मोख सजा मत दे।”
29 ଯତଃ ସ ତଂ ମାନୁଷଂ ତ୍ୟକ୍ତ୍ୱା ଯାତୁମ୍ ଅମେଧ୍ୟଭୂତମ୍ ଆଦିଦେଶ; ସ ଭୂତସ୍ତଂ ମାନୁଷମ୍ ଅସକୃଦ୍ ଦଧାର ତସ୍ମାଲ୍ଲୋକାଃ ଶୃଙ୍ଖଲେନ ନିଗଡେନ ଚ ବବନ୍ଧୁଃ; ସ ତଦ୍ ଭଂକ୍ତ୍ୱା ଭୂତୱଶତ୍ୱାତ୍ ମଧ୍ୟେପ୍ରାନ୍ତରଂ ଯଯୌ|
कहालीकि यीशु ऊ दुष्ट आत्मा ख ऊ आदमी म सी निकालन की आज्ञा दे रह्यो होतो, येकोलायी कि ऊ ओख पर बार बार हावी होत होती। लोग ओख संकली अऊर बेड़ियों सी हाथ पाय बान्धत होतो अऊर पहरा देत होतो तब भी ऊ बन्धनों ख तोड़ डालत होतो, अऊर दुष्ट आत्मा ओख जंगल म भटकावत फिरत होती।
30 ଅନନ୍ତରଂ ଯୀଶୁସ୍ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛ ତୱ କିନ୍ନାମ? ସ ଉୱାଚ, ମମ ନାମ ବାହିନୋ ଯତୋ ବହୱୋ ଭୂତାସ୍ତମାଶିଶ୍ରିଯୁଃ|
यीशु न ओको सी पुच्छ्यो, “तोरो का नाम हय?” ओन कह्यो, “सेना,” कहालीकि बहुत सी दुष्ट आत्मायें ओको म घुस गयी होती।
31 ଅଥ ଭୂତା ୱିନଯେନ ଜଗଦୁଃ, ଗଭୀରଂ ଗର୍ତ୍ତଂ ଗନ୍ତୁଂ ମାଜ୍ଞାପଯାସ୍ମାନ୍| (Abyssos )
उन्न यीशु सी बिनती करी कि हम्ख अधोलोक म जान की आज्ञा मत दे। (Abyssos )
32 ତଦା ପର୍ୱ୍ୱତୋପରି ୱରାହୱ୍ରଜଶ୍ଚରତି ତସ୍ମାଦ୍ ଭୂତା ୱିନଯେନ ପ୍ରୋଚୁଃ, ଅମୁଂ ୱରାହୱ୍ରଜମ୍ ଆଶ୍ରଯିତୁମ୍ ଅସ୍ମାନ୍ ଅନୁଜାନୀହି; ତତଃ ସୋନୁଜଜ୍ଞୌ|
उत पहाड़ी पर डुक्कर को एक बड़ो झुण्ड चर रह्यो होतो, येकोलायी उन्न ओको सी बिनती करी कि हम्ख उन्म घुसन दे। ओन उन्ख जान दियो।
33 ତତଃ ପରଂ ଭୂତାସ୍ତଂ ମାନୁଷଂ ୱିହାଯ ୱରାହୱ୍ରଜମ୍ ଆଶିଶ୍ରିଯୁଃ ୱରାହୱ୍ରଜାଶ୍ଚ ତତ୍କ୍ଷଣାତ୍ କଟକେନ ଧାୱନ୍ତୋ ହ୍ରଦେ ପ୍ରାଣାନ୍ ୱିଜୃହୁଃ|
तब दुष्ट आत्मायें ऊ आदमी म सी निकल क डुक्कर म गयी अऊर ऊ झुण्ड ढलान पर सी झपट क झील म जाय गिरयो अऊर डुब मरयो।
34 ତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ଶୂକରରକ୍ଷକାଃ ପଲାଯମାନା ନଗରଂ ଗ୍ରାମଞ୍ଚ ଗତ୍ୱା ତତ୍ସର୍ୱ୍ୱୱୃତ୍ତାନ୍ତଂ କଥଯାମାସୁଃ|
चरावन वालो न यो जो भयो होतो देख क भग्यो, अऊर नगर म अऊर गांव म जाय क ओको खबर दियो।
35 ତତଃ କିଂ ୱୃତ୍ତମ୍ ଏତଦ୍ଦର୍ଶନାର୍ଥଂ ଲୋକା ନିର୍ଗତ୍ୟ ଯୀଶୋଃ ସମୀପଂ ଯଯୁଃ, ତଂ ମାନୁଷଂ ତ୍ୟକ୍ତଭୂତଂ ପରିହିତୱସ୍ତ୍ରଂ ସ୍ୱସ୍ଥମାନୁଷୱଦ୍ ଯୀଶୋଶ୍ଚରଣସନ୍ନିଧୌ ସୂପୱିଶନ୍ତଂ ୱିଲୋକ୍ୟ ବିଭ୍ୟୁଃ|
लोग यो जो भयो होतो ओख देखन ख निकल्यो, अऊर यीशु को जवर आय क जो आदमी सी दुष्ट आत्मायें निकली होती, ओख यीशु को पाय को जवर कपड़ा पहिन्यो सुदबुद म बैठ्यो हुयो देख्यो अऊर डर गयो;
36 ଯେ ଲୋକାସ୍ତସ୍ୟ ଭୂତଗ୍ରସ୍ତସ୍ୟ ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟକରଣଂ ଦଦୃଶୁସ୍ତେ ତେଭ୍ୟଃ ସର୍ୱ୍ୱୱୃତ୍ତାନ୍ତଂ କଥଯାମାସୁଃ|
अऊर देखन वालो न लोगों ख बतायो कि ऊ दुष्ट आत्मावों को सतायो हुयो आदमी कसो तरह सी अच्छो भयो।
37 ତଦନନ୍ତରଂ ତସ୍ୟ ଗିଦେରୀଯପ୍ରଦେଶସ୍ୟ ଚତୁର୍ଦିକ୍ସ୍ଥା ବହୱୋ ଜନା ଅତିତ୍ରସ୍ତା ୱିନଯେନ ତଂ ଜଗଦୁଃ, ଭୱାନ୍ ଅସ୍ମାକଂ ନିକଟାଦ୍ ୱ୍ରଜତୁ ତସ୍ମାତ୍ ସ ନାୱମାରୁହ୍ୟ ତତୋ ୱ୍ୟାଘୁଟ୍ୟ ଜଗାମ|
तब गिरासेनियों को आजु बाजू को सब लोगों न यीशु सी बिनती करी कि हमरो इत सी चली जा; कहालीकि उन पर बड़ो डर छाय गयो होतो। येकोलायी ऊ डोंगा पर चढ़ क लौट गयो।
38 ତଦାନୀଂ ତ୍ୟକ୍ତଭୂତମନୁଜସ୍ତେନ ସହ ସ୍ଥାତୁଂ ପ୍ରାର୍ଥଯାଞ୍ଚକ୍ରେ
जो आदमी म सी दुष्ट आत्मायें निकली होती ऊ ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोख अपनो संग रहन दे, पर यीशु न ओख बिदा कर क् कह्यो।
39 କିନ୍ତୁ ତଦର୍ଥମ୍ ଈଶ୍ୱରଃ କୀଦୃଙ୍ମହାକର୍ମ୍ମ କୃତୱାନ୍ ଇତି ନିୱେଶନଂ ଗତ୍ୱା ୱିଜ୍ଞାପଯ, ଯୀଶୁଃ କଥାମେତାଂ କଥଯିତ୍ୱା ତଂ ୱିସସର୍ଜ| ତତଃ ସ ୱ୍ରଜିତ୍ୱା ଯୀଶୁସ୍ତଦର୍ଥଂ ଯନ୍ମହାକର୍ମ୍ମ ଚକାର ତତ୍ ପୁରସ୍ୟ ସର୍ୱ୍ୱତ୍ର ପ୍ରକାଶଯିତୁଂ ପ୍ରାରେଭେ|
“अपनो घर ख लौट जा अऊर लोगों सी बताव कि परमेश्वर न तोरो लायी कसो बड़ो बड़ो काम करयो हंय।” ऊ जाय क पूरो नगर म प्रचार करन लग्यो कि यीशु न मोरो लायी कसो बड़ो-बड़ो काम करयो।
40 ଅଥ ଯୀଶୌ ପରାୱୃତ୍ୟାଗତେ ଲୋକାସ୍ତଂ ଆଦରେଣ ଜଗୃହୁ ର୍ୟସ୍ମାତ୍ତେ ସର୍ୱ୍ୱେ ତମପେକ୍ଷାଞ୍ଚକ୍ରିରେ|
जब यीशु लौट्यो त लोग ओको सी खुशी को संग मिल्यो, कहालीकि हि सब ओकी रस्ता देख रह्यो होतो।
41 ତଦନନ୍ତରଂ ଯାଯୀର୍ନାମ୍ନୋ ଭଜନଗେହସ୍ୟୈକୋଧିପ ଆଗତ୍ୟ ଯୀଶୋଶ୍ଚରଣଯୋଃ ପତିତ୍ୱା ସ୍ୱନିୱେଶନାଗମନାର୍ଥଂ ତସ୍ମିନ୍ ୱିନଯଂ ଚକାର,
इतनो म याईर नाम को एक आदमी जो यहूदियों को आराधनालय को मुखिया होतो, आयो अऊर यीशु को पाय पर गिर क ओको सी बिनती करन लग्यो कि मोरो घर चल।
42 ଯତସ୍ତସ୍ୟ ଦ୍ୱାଦଶୱର୍ଷୱଯସ୍କା କନ୍ୟୈକାସୀତ୍ ସା ମୃତକଲ୍ପାଭୱତ୍| ତତସ୍ତସ୍ୟ ଗମନକାଲେ ମାର୍ଗେ ଲୋକାନାଂ ମହାନ୍ ସମାଗମୋ ବଭୂୱ|
कहालीकि ओकी बारा साल की एकलौती बेटी होती, अऊर वा मरन पर होती। जब यीशु जाय रह्यो होतो, तब लोग ओको पर गिरत पड़त होतो।
43 ଦ୍ୱାଦଶୱର୍ଷାଣି ପ୍ରଦରରୋଗଗ୍ରସ୍ତା ନାନା ୱୈଦ୍ୟୈଶ୍ଚିକିତ୍ସିତା ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ୱ୍ୟଯିତ୍ୱାପି ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟଂ ନ ପ୍ରାପ୍ତା ଯା ଯୋଷିତ୍ ସା ଯୀଶୋଃ ପଶ୍ଚାଦାଗତ୍ୟ ତସ୍ୟ ୱସ୍ତ୍ରଗ୍ରନ୍ଥିଂ ପସ୍ପର୍ଶ|
एक बाई जेक बारा साल सी खून बहन को रोग होतो, अऊर जो अपनी पूरी जीवन की कमायी बैद्धो को पीछू कुछ खर्चा कर लियो होती, तब भी कोयी को हाथ सी चंगी नहीं भय सकी,
44 ତସ୍ମାତ୍ ତତ୍କ୍ଷଣାତ୍ ତସ୍ୟା ରକ୍ତସ୍ରାୱୋ ରୁଦ୍ଧଃ|
भीड़ को पीछू सी आय क ओको कपड़ा को कोना ख छूयो, अऊर तुरतच ओको खून बहन की बीमारी सी ठीक भय गयी।
45 ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁରୱଦତ୍ କେନାହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟଃ? ତତୋଽନେକୈରନଙ୍ଗୀକୃତେ ପିତରସ୍ତସ୍ୟ ସଙ୍ଗିନଶ୍ଚାୱଦନ୍, ହେ ଗୁରୋ ଲୋକା ନିକଟସ୍ଥାଃ ସନ୍ତସ୍ତୱ ଦେହେ ଘର୍ଷଯନ୍ତି, ତଥାପି କେନାହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟଇତି ଭୱାନ୍ କୁତଃ ପୃଚ୍ଛତି?
येख पर यीशु न कह्यो, “मोख कौन छूयो?” जब सब मुकरन लग्यो, त पतरस न कह्यो। “हे मालिक, तोख त भीड़ दबाय रही हय अऊर तोरो पर गिर पड़य हय।”
46 ଯୀଶୁଃ କଥଯାମାସ, କେନାପ୍ୟହଂ ସ୍ପୃଷ୍ଟୋ, ଯତୋ ମତ୍ତଃ ଶକ୍ତି ର୍ନିର୍ଗତେତି ମଯା ନିଶ୍ଚିତମଜ୍ଞାଯି|
पर यीशु न कह्यो, “कोयी न मोख छूयो हय, कहालीकि मय न जान लियो हय कि मोरो म सी सामर्थ निकली हय।”
47 ତଦା ସା ନାରୀ ସ୍ୱଯଂ ନ ଗୁପ୍ତେତି ୱିଦିତ୍ୱା କମ୍ପମାନା ସତୀ ତସ୍ୟ ସମ୍ମୁଖେ ପପାତ; ଯେନ ନିମିତ୍ତେନ ତଂ ପସ୍ପର୍ଶ ସ୍ପର୍ଶମାତ୍ରାଚ୍ଚ ଯେନ ପ୍ରକାରେଣ ସ୍ୱସ୍ଥାଭୱତ୍ ତତ୍ ସର୍ୱ୍ୱଂ ତସ୍ୟ ସାକ୍ଷାଦାଚଖ୍ୟୌ|
जब बाई न देख्यो कि मय लूक नहीं सकू, तब कापती हुयी आयी अऊर ओको पाय पर गिर क सब लोगों को आगु बतायो कि ओन कौन्सो वजह सी ओख छूयो, अऊर कसी तुरतच चंगी भय गयी।
48 ତତଃ ସ ତାଂ ଜଗାଦ ହେ କନ୍ୟେ ସୁସ୍ଥିରା ଭୱ, ତୱ ୱିଶ୍ୱାସସ୍ତ୍ୱାଂ ସ୍ୱସ୍ଥାମ୍ ଅକାର୍ଷୀତ୍ ତ୍ୱଂ କ୍ଷେମେଣ ଯାହି|
यीशु न ओको सी कह्यो, “बेटी, तोरो विश्वास न तोख चंगो करयो हय, शान्ति सी चली जा।”
49 ଯୀଶୋରେତଦ୍ୱାକ୍ୟୱଦନକାଲେ ତସ୍ୟାଧିପତେ ର୍ନିୱେଶନାତ୍ କଶ୍ଚିଲ୍ଲୋକ ଆଗତ୍ୟ ତଂ ବଭାଷେ, ତୱ କନ୍ୟା ମୃତା ଗୁରୁଂ ମା କ୍ଲିଶାନ|
यीशु यो कहतच रह्यो होतो कि कोयी न यहूदी आराधनालय को मुखिया को तरफ सी आय क कह्यो, “तोरी बेटी मर गयी: गुरु ख दु: ख मत दे।”
50 କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁସ୍ତଦାକର୍ଣ୍ୟାଧିପତିଂ ୱ୍ୟାଜହାର, ମା ଭୈଷୀଃ କେୱଲଂ ୱିଶ୍ୱସିହି ତସ୍ମାତ୍ ସା ଜୀୱିଷ୍ୟତି|
यीशु न यो सुन क याईर ख कह्यो, “मत डर; केवल विश्वास रख, त वा ठीक होय जायेंन।”
51 ଅଥ ତସ୍ୟ ନିୱେଶନେ ପ୍ରାପ୍ତେ ସ ପିତରଂ ଯୋହନଂ ଯାକୂବଞ୍ଚ କନ୍ୟାଯା ମାତରଂ ପିତରଞ୍ଚ ୱିନା, ଅନ୍ୟଂ କଞ୍ଚନ ପ୍ରୱେଷ୍ଟୁଂ ୱାରଯାମାସ|
घर म आय क ओन पतरस, यूहन्ना, याकूब, अऊर बेटी को माय-बाप ख छोड़ दूसरों कोयी ख अपनो संग अन्दर आवन नहीं दियो।
52 ଅପରଞ୍ଚ ଯେ ରୁଦନ୍ତି ୱିଲପନ୍ତି ଚ ତାନ୍ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ଜନାନ୍ ଉୱାଚ, ଯୂଯଂ ମା ରୋଦିଷ୍ଟ କନ୍ୟା ନ ମୃତା ନିଦ୍ରାତି|
सब ओको लायी विलाप कर क् रोय रह्यो होतो, पर यीशु न कह्यो, “रोवो मत; वा मरी नहाय पर सोय रही हय।”
53 କିନ୍ତୁ ସା ନିଶ୍ଚିତଂ ମୃତେତି ଜ୍ଞାତ୍ୱା ତେ ତମୁପଜହସୁଃ|
हि यो जान क कि वा मर गयी हय ओकी हसी करन लग्यो।
54 ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ବହିଃ କୃତ୍ୱା କନ୍ୟାଯାଃ କରୌ ଧୃତ୍ୱାଜୁହୁୱେ, ହେ କନ୍ୟେ ତ୍ୱମୁତ୍ତିଷ୍ଠ,
पर यीशु न ओको हाथ पकड़्यो, अऊर पुकार क कह्यो, “हे बेटी, उठ!”
55 ତସ୍ମାତ୍ ତସ୍ୟାଃ ପ୍ରାଣେଷୁ ପୁନରାଗତେଷୁ ସା ତତ୍କ୍ଷଣାଦ୍ ଉତ୍ତସ୍ୟୌ| ତଦାନୀଂ ତସ୍ୟୈ କିଞ୍ଚିଦ୍ ଭକ୍ଷ୍ୟଂ ଦାତୁମ୍ ଆଦିଦେଶ|
तब ओको जीव लौट आयो अऊर वा तुरतच उठ क खड़ी भय गयी। तब यीशु न आज्ञा दियो कि ओख कुछ खान ख दे।
56 ତତସ୍ତସ୍ୟାଃ ପିତରୌ ୱିସ୍ମଯଂ ଗତୌ କିନ୍ତୁ ସ ତାୱାଦିଦେଶ ଘଟନାଯା ଏତସ୍ୟାଃ କଥାଂ କସ୍ମୈଚିଦପି ମା କଥଯତଂ|
ओको माय-बाप अचम्भित भयो, पर यीशु न उन्ख चितायो कि यो जो भयो हय कोयी सी मत कहजो।