< mathiH 20 >

1 svargarAjyam etAdRzA kenacid gRhasyena samaM, yo'tiprabhAte nijadrAkSAkSetre kRSakAn niyoktuM gatavAn|
यीशु नै अपणे चेल्यां ताहीं सिखाण खात्तर एक और उदाहरण दिया, “सुर्ग का राज्य किसे घर के माल्लिक की ढाळ सै, जो तड़कैए लिकड़या के अपणे अंगूर के बाग म्ह मजदूरां नै लावै।
2 pazcAt taiH sAkaM dinaikabhRtiM mudrAcaturthAMzaM nirUpya tAn drAkSAkSetraM prerayAmAsa|
वो मजदूरां नै एक दीनार (एक दिन की मजदूरी) रोज की दिहाड़ी पै ल्याया अर उननै अपणे अंगूर के बाग म्ह भेज्या।”
3 anantaraM praharaikavelAyAM gatvA haTTe katipayAn niSkarmmakAn vilokya tAnavadat,
“फेर सबेरै के नौ बजे पाच्छै उसनै लिकड़कै और माणसां ताहीं बजार म्ह खड़े देख्या,
4 yUyamapi mama drAkSAkSetraM yAta, yuSmabhyamahaM yogyabhRtiM dAsyAmi, tataste vavrajuH|
अर उसनै कह्या, ‘थम भी अंगूर के बाग म्ह जाओ, अर मै एक दिन की जो भी मजदूरी थारी बणै सै वा थमनै दियुँगा।’ अर वे भी काम पै चले गये।
5 punazca sa dvitIyatRtIyayoH praharayo rbahi rgatvA tathaiva kRtavAn|
फेर उसनै बारहां बजे अर तीन बजे कै लोवै लिकड़कै उस्से तरियां करया।
6 tato daNDadvayAvaziSTAyAM velAyAM bahi rgatvAparAn katipayajanAn niSkarmmakAn vilokya pRSTavAn, yUyaM kimartham atra sarvvaM dinaM niSkarmmANastiSThatha?
तकरीबन पाँच बजे फेर वो अपणे घर तै गया अर उसनै फेर कई माणसां ताहीं ओड़ै खड़े देख्या, अर उसनै कह्या, ‘थम क्यांतै सारे दिन उरै बेकार खड़े रहों सों?’ उननै उसतै कह्या, ‘ज्यांतै के किसे नै म्हारै ताहीं मजदूरी पै कोनी लगाया।’”
7 te pratyavadan, asmAn na kopi karmamaNi niyuMkte| tadAnIM sa kathitavAn, yUyamapi mama drAkSAkSetraM yAta, tena yogyAM bhRtiM lapsyatha|
“उसनै उनतै कह्या, ‘थम भी मेरे अंगूर के बाग म्ह काम करण खात्तर जाओ।’”
8 tadanantaraM sandhyAyAM satyAM saeva drAkSAkSetrapatiradhyakSaM gadivAn, kRSakAn AhUya zeSajanamArabhya prathamaM yAvat tebhyo bhRtiM dehi|
“साँझ नै अंगूर के बाग के माल्लिक नै अपणे भण्डारी तै कह्या, ‘मजदूरां ताहीं बुलाकै पाच्छल्यां तै लेकै पैहल्या ताहीं उननै मजदूरी दे-दे।’”
9 tena ye daNDadvayAvasthite samAyAtAsteSAm ekaiko jano mudrAcaturthAMzaM prApnot|
“जो पाँच बजे लगाये थे, उन ताहीं एक-एक दीनार (एक दिन की मजदूरी) मिल्या।
10 tadAnIM prathamaniyuktA janA AgatyAnumitavanto vayamadhikaM prapsyAmaH, kintu tairapi mudrAcaturthAMzo'lAbhi|
जो पैहल्या आये उननै यो सोच्या के म्हारै ताहीं घणा मिलैगा, पर उननै भी एक-एक दीनार (एक दिन की मजदूरी) ए मिल्या।
11 tataste taM gRhItvA tena kSetrapatinA sAkaM vAgyuddhaM kurvvantaH kathayAmAsuH,
मजदूरी तो उननै ले ली पर वे अंगूर के बाग के माल्लिक पै बिरड़ाकै कहण लाग्गे,
12 vayaM kRtsnaM dinaM tApaklezau soDhavantaH, kintu pazcAtAyA se janA daNDadvayamAtraM parizrAntavantaste'smAbhiH samAnAMzAH kRtAH|
‘जो पाच्छै लाग्गे थे, उननै बस एक घंटा काम करया, अर तन्नै म्हारै ताहीं भी उतनाए दिया जितना उन ताहीं, जिब के हमनै दिन-भर बोझ ठाया अर घाम सहया?’”
13 tataH sa teSAmekaM pratyuvAca, he vatsa, mayA tvAM prati kopyanyAyo na kRtaH kiM tvayA matsamakSaM mudrAcaturthAMzo nAGgIkRtaH?
“बाग के माल्लिक नै उन म्ह तै एक ताहीं जवाब दिया, ‘हे दोस्त, मन्नै तेरे गैल कोए अन्याय कोनी करया। के तन्नै ए मेरै तै एक दीनार (एक दिन की मजदूरी) कोनी तय करया था?
14 tasmAt tava yat prApyaM tadAdAya yAhi, tubhyaM yati, pazcAtIyaniyuktalokAyApi tati dAtumicchAmi|
जो तेरा सै, ठा ले अर चल्या जा; मेरी मर्जी, के जितना तन्नै दियुँ उतनाए इस पाच्छले ताहीं भी दियुँ।
15 svecchayA nijadravyavyavaharaNaM kiM mayA na karttavyaM? mama dAtRtvAt tvayA kim IrSyAdRSTiH kriyate?
के यो ठीक कोनी के मै अपणे धन का जो चाहूँ वो करुँ? के मेरै भले होण कै कारण तू कड़वी नजर तै देक्खै सै?’”
16 ittham agrIyalokAH pazcatIyA bhaviSyanti, pazcAtIyajanAzcagrIyA bhaviSyanti, ahUtA bahavaH kintvalpe manobhilaSitAH|
“इस तरियां तै जो पाच्छले सै, वे पैहले होंगे, जो पैहले सै, पाच्छले होवैगें।”
17 tadanantaraM yIzu ryirUzAlamnagaraM gacchan mArgamadhye ziSyAn ekAnte vabhASe,
जब यीशु अपणे बारहां चेल्यां गैल यरुशलेम नगर म्ह जाण लागरया था तो उन ताहीं एकान्त म्ह लेग्या, अर राह म्ह चालते-चालते उनतै बोल्या,
18 pazya vayaM yirUzAlamnagaraM yAmaH, tatra pradhAnayAjakAdhyApakAnAM kareSu manuSyaputraH samarpiSyate;
“देक्खो, हम यरुशलेम नगर म्ह जावां सा; अर मै माणस का बेट्टा प्रधान याजकां अर शास्त्रियाँ कै हाथ्थां पकड़वाया जाऊँगा, वे मेरे खात्तर मौत की सजा तय करैगें।
19 te ca taM hantumAjJApya tiraskRtya vetreNa praharttuM kruze dhAtayituJcAnyadezIyAnAM kareSu samarpayiSyanti, kintu sa tRtIyadivase zmazAnAd utthApiSyate|
अर मेरे ताहीं गैर यहूदियाँ कै हाथ्थां म्ह सौपैगें, वे मेरा मजाक उड़ावैगें, कोड़े मारैगें, क्रूस पै चढ़ावैगें, अर मै तीसरे दिन जिन्दा हो जाऊँगा।”
20 tadAnIM sivadIyasya nArI svaputrAvAdAya yIzoH samIpam etya praNamya kaJcanAnugrahaM taM yayAce|
फेर जब्दी कै बेट्याँ की माँ नै, अपणे बेट्याँ कै गेल्या यीशु कै धोरै आकै प्रणाम करया, अर उसतै कुछ माँगण लाग्गी।
21 tadA yIzustAM proktavAn, tvaM kiM yAcase? tataH sA babhASe, bhavato rAjatve mamAnayoH sutayorekaM bhavaddakSiNapArzve dvitIyaM vAmapArzva upaveSTum AjJApayatu|
यीशु नै उसतै कह्या, “तू के चाहवै सै?” वा यीशु तै बोल्ली, “मन्नै वचन दे, के मेरे ये दो बेट्टे तेरे राज्य म्ह एक तेरे सोळे अर दुसरा तेरे ओळै कान्ही बेठ्ठै।”
22 yIzuH pratyuvAca, yuvAbhyAM yad yAcyate, tanna budhyate, ahaM yena kaMsena pAsyAmi yuvAbhyAM kiM tena pAtuM zakyate? ahaJca yena majjenena majjiSye, yuvAbhyAM kiM tena majjayituM zakyate? te jagaduH zakyate|
यीशु नै जवाब दिया, “थमनै न्ही बेरा के थम के माँग्गो सों। जो दुख का कटोरा मै पीण पै सूं, के थम वो दुख का कटोरा पी सको सो?” उननै उस ताहीं कह्या, “पी सकां सा।”
23 tadA sa uktavAn, yuvAM mama kaMsenAvazyaM pAsyathaH, mama majjanena ca yuvAmapi majjiSyethe, kintu yeSAM kRte mattAtena nirUpitam idaM tAn vihAyAnyaM kamapi maddakSiNapArzve vAmapArzve ca samupavezayituM mamAdhikAro nAsti|
उसनै उनतै कह्या, “थम मेरे दुख का कटोरा तो पी ल्योगे, पर अपणे सोळे अर ओळै कान्ही किसे ताहीं बिठाणा मेरा काम कोनी, पर जिनकै खात्तर मेरै पिता की ओड़ तै त्यार करया गया, उननै ए खात्तर सै।”
24 etAM kathAM zrutvAnye dazaziSyAstau bhrAtarau prati cukupuH|
न्यू सुणकै दसो चेल्लें उन दोन्नु भाईयाँ पै छो करण लाग्गे।
25 kintu yIzuH svasamIpaM tAnAhUya jagAda, anyadezIyalokAnAM narapatayastAn adhikurvvanti, ye tu mahAntaste tAn zAsati, iti yUyaM jAnItha|
यीशु नै उन ताहीं धोरै बुलाकै कह्या, “थम जाणो सो के गैर यहूदियाँ के हाकिम उनपै राज करै सै; अर जो बड़े सै, वे उनपै हक जमावै सै।
26 kintu yuSmAkaM madhye na tathA bhavet, yuSmAkaM yaH kazcit mahAn bubhUSati, sa yuSmAn seveta;
पर थारे म्ह इसा कोनी होवैगा; जो कोए थारे म्ह बड्ड़ा होणा चाहवै, वो थारा सेवक बणै,
27 yazca yuSmAkaM madhye mukhyo bubhUSati, sa yuSmAkaM dAso bhavet|
अर जो थारे म्ह प्रधान होणा चाहवैं, वो दास बणै,
28 itthaM manujaputraH sevyo bhavituM nahi, kintu sevituM bahUnAM paritrANamUlyArthaM svaprANAn dAtuJcAgataH|
जिसा के मै माणस का बेट्टा, ज्यांतै कोनी आया के मेरी सेवा-पाणी करी जावै, पर ज्यांतै आया के खुद सेवा-पाणी करुँ, अर घणखरयां के छुटकारै कै खात्तर अपणी जान देऊँ।”
29 anantaraM yirIhonagarAt teSAM bahirgamanasamaye tasya pazcAd bahavo lokA vavrajuH|
जिब वे यरीहो नगर तै लिकड़ै थे, तो एक बड्डी भीड़ यीशु कै पाच्छै हो ली।
30 aparaM vartmapArzva upavizantau dvAvandhau tena mArgeNa yIzo rgamanaM nizamya proccaiH kathayAmAsatuH, he prabho dAyUdaH santAna, Avayo rdayAM vidhehi|
अर दो आन्धे, जो सड़क कै किनारे बेठ्ठे थे, न्यू सुणकै के यीशु जाण लागरया सै, रुक्का मारकै कहण लाग्गे, “हे प्रभु, हे दाऊद की ऊलाद, म्हारै पै दया कर।”
31 tato lokAH sarvve tuSNImbhavatamityuktvA tau tarjayAmAsuH; tathApi tau punaruccaiH kathayAmAsatuH he prabho dAyUdaH santAna, AvAM dayasva|
माणसां नै उन ताहीं धमकाया के बोल-बाल्ले रहवै; पर वे और भी रुक्के मारकै बोल्ले, “हे प्रभु, दाऊद की ऊलाद, म्हारै पै दया कर।”
32 tadAnIM yIzuH sthagitaH san tAvAhUya bhASitavAn, yuvayoH kRte mayA kiM karttarvyaM? yuvAM kiM kAmayethe?
फेर यीशु नै खड़े होकै, उन ताहीं बुलाया अर कह्या, “थम के चाहवो सो के मै थारे खात्तर करुँ?”
33 tadA tAvuktavantau, prabho netrANi nau prasannAni bhaveyuH|
उननै उसतै कह्या, “हे प्रभु, योए के हम देक्खण लाग जावां।”
34 tadAnIM yIzustau prati pramannaH san tayo rnetrANi pasparza, tenaiva tau suvIkSAJcakrAte tatpazcAt jagmutuzca|
यीशु नै तरस खाकै उनकी आँखां पै हाथ लगाया, अर वे जिब्बे देखण लाग्गै; अर उसकै पाच्छै हो लिये।

< mathiH 20 >