< गालातिनः 1 >

1 मनुष्येभ्यो नहि मनुष्यैरपि नहि किन्तु यीशुख्रीष्टेन मृतगणमध्यात् तस्योत्थापयित्रा पित्रेश्वरेण च प्रेरितो योऽहं पौलः सोऽहं
या चिट्ठी मुझ पौलुस की ओड़ तै सै, मै प्रेरित होण कै खात्तर बुलाया गया सूं। मेरा प्रेरित होणा किसे माणस या माणसां की ओड़ तै न्ही बल्के यीशु मसीह के जरिये होया सै, जिस ताहीं पिता परमेसवर नै मरे होए म्ह तै जिवाया।
2 मत्सहवर्त्तिनो भ्रातरश्च वयं गालातीयदेशस्थाः समितीः प्रति पत्रं लिखामः।
या चिट्ठी गलातिया परदेस की कलीसियाओं कै खात्तर, उन सारे बिश्वासी भाईयाँ की ओड़ तै सै, जो मेरै गेल्या सै।
3 पित्रेश्वरेणास्मांक प्रभुना यीशुना ख्रीष्टेन च युष्मभ्यम् अनुग्रहः शान्तिश्च दीयतां।
मै प्रार्थना करुँ सूं, के परमेसवर पिता अर म्हारे प्रभु यीशु मसीह की ओड़ तै थमनै अनुग्रह अर शान्ति मिल्दी रहवै।
4 अस्माकं तातेश्वरेस्येच्छानुसारेण वर्त्तमानात् कुत्सितसंसाराद् अस्मान् निस्तारयितुं यो (aiōn g165)
म्हारे परमेसवर अर पिता की मर्जी के मुताबिक मसीह यीशु नै अपणे-आप ताहीं म्हारे पापां के कारण बलिदान कर दिया ताके हम आज की दुनिया के माणसां के बुरे असर तै बचे रहवां। (aiōn g165)
5 यीशुरस्माकं पापहेतोरात्मोत्सर्गं कृतवान् स सर्व्वदा धन्यो भूयात्। तथास्तु। (aiōn g165)
परमेसवर का गुणगान अर बड़ाई युगायुग होंदी रहवै। आमीन। (aiōn g165)
6 ख्रीष्टस्यानुग्रहेण यो युष्मान् आहूतवान् तस्मान्निवृत्य यूयम् अतितूर्णम् अन्यं सुसंवादम् अन्ववर्त्तत तत्राहं विस्मयं मन्ये।
मन्नै अचम्भा होवै सै के परमेसवर नै थारे ताहीं मसीह के अनुग्रह तै बुलाया उसतै थम इतनी तावळे भटक कै अलग ए तरियां के सुसमाचार पै बिश्वास करण लाग्गे।
7 सोऽन्यसुसंवादः सुसंवादो नहि किन्तु केचित् मानवा युष्मान् चञ्चलीकुर्व्वन्ति ख्रीष्टीयसुसंवादस्य विपर्य्ययं कर्त्तुं चेष्टन्ते च।
सच्चा सुसमाचार एके सै, जो के मसीह का सै, पर बात या सै, के कुछ लोग इसे सै जो मसीह के सुसमाचार नै बदलना चाहवै सै, अर थमनै भरमाणा चाहवै सै।
8 युष्माकं सन्निधौ यः सुसंवादोऽस्माभि र्घोषितस्तस्माद् अन्यः सुसंवादोऽस्माकं स्वर्गीयदूतानां वा मध्ये केनचिद् यदि घोष्यते तर्हि स शप्तो भवतु।
पर जै म्हारे म्ह तै, या सुर्ग तै उतरया होया कोए सुर्गदूत भी उस सुसमाचार नै छोड़ जो हमनै थारे ताहीं सुणाया सै, कोए अलग सुसमाचार थारे ताहीं सुणावै, तो परमेसवर उस ताहीं श्राप देगा।
9 पूर्व्वं यद्वद् अकथयाम, इदानीमहं पुनस्तद्वत् कथयामि यूयं यं सुसंवादं गृहीतवन्तस्तस्माद् अन्यो येन केनचिद् युष्मत्सन्निधौ घोष्यते स शप्तो भवतु।
जिसा हमनै पैहल्या कह्या सै, उसाए मै इब फेर कहूँ सूं के उस सुसमाचार नै छोड़ जिस ताहीं थमनै मान्या सै, जै कोए अलग सुसमाचार सुणावै सै, तो श्रापित हो।
10 साम्प्रतं कमहम् अनुनयामि? ईश्वरं किंवा मानवान्? अहं किं मानुषेभ्यो रोचितुं यते? यद्यहम् इदानीमपि मानुषेभ्यो रुरुचिषेय तर्हि ख्रीष्टस्य परिचारको न भवामि।
मै माणसां नै खुश करण की कोशिश न्ही करदा, पर परमेसवर नै खुश करण की कोशिश करुँ सूं, जै मै इब लग माणसां नै खुश करदा रहन्दा तो मसीह का दास न्ही होंदा।
11 हे भ्रातरः, मया यः सुसंवादो घोषितः स मानुषान्न लब्धस्तदहं युष्मान् ज्ञापयामि।
हे बिश्वासी भाईयो, मै थमनै बता द्यु सूं, के जो सुसमाचार मन्नै सुणाया सै, वो माणस के जरिये बणाया गया कोन्या।
12 अहं कस्माच्चित् मनुष्यात् तं न गृहीतवान् न वा शिक्षितवान् केवलं यीशोः ख्रीष्टस्य प्रकाशनादेव।
क्यूँके वो मन्नै मेरे पूर्वजां, की ओड़ तै न्ही पोंहच्या, अर ना माणसां के जरिये सिखाया गया, पर यीशु मसीह नै सुसमाचार समझण म्ह मेरी मदद करी।
13 पुरा यिहूदिमताचारी यदाहम् आसं तदा यादृशम् आचरणम् अकरवम् ईश्वरस्य समितिं प्रत्यतीवोपद्रवं कुर्व्वन् यादृक् तां व्यनाशयं तदवश्यं श्रुतं युष्माभिः।
थमनै सुणा होगा के यहूदी पंथ म्ह जो मेरा चाल-चलण था वो किसा था, मै परमेसवर की कलीसिया के बिश्वासियाँ ताहीं घणा काल अर उन ताहीं नाश करण की कोशिश करया करुँ था।
14 अपरञ्च पूर्व्वपुरुषपरम्परागतेषु वाक्येष्वन्यापेक्षातीवासक्तः सन् अहं यिहूदिधर्म्मते मम समवयस्कान् बहून् स्वजातीयान् अत्यशयि।
अर मै यहूदी मत म्ह अपणे पूर्वजां की शिक्षा का अध्यन करण अर उन ताहीं मानण म्ह अपणे हम उम्र के यहूदियाँ म्ह भोत उत्सुक था।
15 किञ्च य ईश्वरो मातृगर्भस्थं मां पृथक् कृत्वा स्वीयानुग्रहेणाहूतवान्
पर परमेसवर की जिब इच्छा होई के वो मेरे पै अपणे बेट्टे नै जाहिर करै के मै गैर यहूदियाँ म्ह उसका सुसमाचार सुणाऊँ, उसनै मेरे ताहीं मेरी माँ की कोख म्ह ए चुण लिया, अर अपणे अनुग्रह तै मेरे ताहीं बुला लिया था। तो मन्नै किसे की राय कोनी ली,
16 स यदा मयि स्वपुत्रं प्रकाशितुं भिन्नदेशीयानां समीपे भया तं घोषयितुञ्चाभ्यलषत् तदाहं क्रव्यशोणिताभ्यां सह न मन्त्रयित्वा
17 पूर्व्वनियुक्तानां प्रेरितानां समीपं यिरूशालमं न गत्वारवदेशं गतवान् पश्चात् तत्स्थानाद् दम्मेषकनगरं परावृत्यागतवान्।
अर ना यरुशलेम म्ह उनकै धोरै ग्या जो मेरै तै पैहल्या प्रेरित चुणे गये थे, पर जिब्बे अरब देश म्ह चल्या गया अर फेर ओड़ै तै दमिश्क नगर म्ह बोहड़ ग्या।
18 ततः परं वर्षत्रये व्यतीतेऽहं पितरं सम्भाषितुं यिरूशालमं गत्वा पञ्चदशदिनानि तेन सार्द्धम् अतिष्ठं।
फेर तीन साल के पाच्छै मै पतरस जो प्रेरित सै उसतै मिलण खात्तर यरुशलेम ग्या, अर उसकै धोरै पन्द्रह दिन तैई रह्या।
19 किन्तु तं प्रभो र्भ्रातरं याकूबञ्च विना प्रेरितानां नान्यं कमप्यपश्यं।
पर मै प्रभु यीशु मसीह के भाई याकूब नै छोड़ और किसे प्रेरित तै न्ही मिल्या।
20 यान्येतानि वाक्यानि मया लिख्यन्ते तान्यनृतानि न सन्ति तद् ईश्वरो जानाति।
परमेसवर मेरा गवाह सै के मन्नै थारे ताहीं जो लिख्या सै उस म्ह कुछ भी झूठ कोनी।
21 ततः परम् अहं सुरियां किलिकियाञ्च देशौ गतवान्।
उन प्रेरितां के मिलण कै बाद मै सीरिया अर किलिकिया के परदेसां म्ह आया।
22 तदानीं यिहूदादेशस्थानां ख्रीष्टस्य समितीनां लोकाः साक्षात् मम परिचयमप्राप्य केवलं जनश्रुतिमिमां लब्धवन्तः,
पर यहूदिया परदेस की कलीसियां के बिश्वासी भाईयाँ नै जो मसीह म्ह बिश्वास करै थे, उननै मेरा मुँह कदे न्ही देख्या था,
23 यो जनः पूर्व्वम् अस्मान् प्रत्युपद्रवमकरोत् स तदा यं धर्म्ममनाशयत् तमेवेदानीं प्रचारयतीति।
पर न्यूए सुण्या करै थे के एक बखत था जो हमनै सताण आळा था, इब वोए उस बिश्वास का सुसमाचार सुणावै सै जिसनै पैहल्या नाश करै था।
24 तस्मात् ते मामधीश्वरं धन्यमवदन्।
अर वे मेरै बारै म्ह परमेसवर की बड़ाई लगातार करै थे।

< गालातिनः 1 >