< Псалтирь 123 >

1 Песнь восхождения. К Тебе возвожу очи мои, Живущий на небесах!
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. मैं अपनी आंखें आपकी ओर उठाए हुए हूं, आपकी ओर, जिनका सिंहासन स्वर्ग में स्थापित है.
2 Вот, как очи рабов обращены на руку господ их, как очи рабы - на руку госпожи ее, так очи наши - к Господу, Богу нашему, доколе Он помилует нас.
वैसे ही जिस प्रकार दासों की दृष्टि अपने स्वामी के हाथ की ओर लगी रहती है, जैसी दासी की दृष्टि अपनी स्वामिनी के हाथ की ओर लगी रहती है. ठीक इसी प्रकार हमारी दृष्टि याहवेह, हमारे परमेश्वर की ओर लगी रहती है, जब तक वह हम पर कृपादृष्टि नहीं करते.
3 Помилуй нас, Господи, помилуй нас, ибо довольно мы насыщены презрением;
हम पर कृपा कीजिए, याहवेह, हम पर कृपा कीजिए, हमने बहुत तिरस्कार सहा है.
4 довольно насыщена душа наша поношением от надменных и уничижением от гордых.
हमने अहंकारियों द्वारा घोर उपहास भी सहा है, हम अहंकारियों के घोर घृणा के पात्र होकर रह गए हैं.

< Псалтирь 123 >