< Числа 23 >

1 И сказал Валаам Валаку: построй мне здесь семь жертвенников и приготовь мне семь тельцов и семь овнов.
तब बिलाम ने बालाक से कहा, “यहाँ पर मेरे लिये सात वेदियाँ बनवा, और इसी स्थान पर सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर।”
2 Валак сделал так, как говорил Валаам, и вознесли Валак и Валаам по тельцу и по овну на каждом жертвеннике.
तब बालाक ने बिलाम के कहने के अनुसार किया; और बालाक और बिलाम ने मिलकर प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया।
3 И сказал Валаам Валаку: постой у всесожжения твоего, а я пойду; может быть, Господь выйдет мне навстречу, и что Он откроет мне, я объявлю тебе. И остался Валак у всесожжения своего, а Валаам пошел на возвышенное место вопросить Бога.
फिर बिलाम ने बालाक से कहा, “तू अपने होमबलि के पास खड़ा रह, और मैं जाता हूँ; सम्भव है कि यहोवा मुझसे भेंट करने को आए; और जो कुछ वह मुझ पर प्रगट करेगा वही मैं तुझको बताऊँगा।” तब वह एक मुण्डे पहाड़ पर गया।
4 И встретился Бог с Валаамом, и сказал ему Валаам: семь жертвенников устроил я и вознес по тельцу и по овну на каждом жертвен-нике.
और परमेश्वर बिलाम से मिला; और बिलाम ने उससे कहा, “मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं, और प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया है।”
5 И вложил Господь слово в уста Валаамовы и сказал: возвратись к Валаку и так говори.
यहोवा ने बिलाम के मुँह में एक बात डाली, और कहा, “बालाक के पास लौट जा, और इस प्रकार कहना।”
6 И возвратился к нему, и вот, он стоит у всесожжения своего, он и все князья Моавитские. И был на нем Дух Божий.
और वह उसके पास लौटकर आ गया, और क्या देखता है कि वह सारे मोआबी हाकिमों समेत अपने होमबलि के पास खड़ा है।
7 И произнес притчу свою и сказал: из Месопотамии привел меня Валак, царь Моава, от гор восточных: приди, прокляни мне Иакова, приди, изреки зло на Израиля!
तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, “बालाक ने मुझे अराम से, अर्थात् मोआब के राजा ने मुझे पूर्व के पहाड़ों से बुलवा भेजा: ‘आ, मेरे लिये याकूब को श्राप दे, आ, इस्राएल को धमकी दे!’
8 Как прокляну я? Бог не проклинает его. Как изреку зло? Господь не изрекает на него зла.
परन्तु जिन्हें परमेश्वर ने श्राप नहीं दिया उन्हें मैं क्यों श्राप दूँ? और जिन्हें यहोवा ने धमकी नहीं दी उन्हें मैं कैसे धमकी दूँ?
9 С вершины скал вижу я его, и с холмов смотрю на него: вот, народ живет отдельно и между народами не числится.
चट्टानों की चोटी पर से वे मुझे दिखाई पड़ते हैं, पहाड़ियों पर से मैं उनको देखता हूँ; वह ऐसी जाति है जो अकेली बसी रहेगी, और अन्यजातियों से अलग गिनी जाएगी!
10 Кто исчислит песок Иакова и число четвертой части Израиля? Да умрет душа моя смертью праведников, и да будет кончина моя, как их!
१०याकूब के धूलि के किनके को कौन गिन सकता है, या इस्राएल की चौथाई की गिनती कौन ले सकता है? सौभाग्य यदि मेरी मृत्यु धर्मियों की सी, और मेरा अन्त भी उन्हीं के समान हो!”
11 И сказал Валак Валааму: что ты со мною делаешь? я взял тебя, чтобы проклясть врагов моих, а ты, вот, благословляешь?
११तब बालाक ने बिलाम से कहा, “तूने मुझसे क्या किया है? मैंने तुझे अपने शत्रुओं को श्राप देने को बुलवाया था, परन्तु तूने उन्हें आशीष ही आशीष दी है।”
12 И отвечал он и сказал: не должен ли я в точности сказать то, что влагает Господь в уста мои?
१२उसने कहा, “जो बात यहोवा ने मुझे सिखलाई, क्या मुझे उसी को सावधानी से बोलना न चाहिये?”
13 И сказал ему Валак: пойди со мною на другое место, с которого ты увидишь его, но только часть его увидишь, а всего его не увидишь; и прокляни мне его оттуда.
१३बालाक ने उससे कहा, “मेरे संग दूसरे स्थान पर चल, जहाँ से वे तुझे दिखाई देंगे; तू उन सभी को तो नहीं, केवल बाहरवालों को देख सकेगा; वहाँ से उन्हें मेरे लिये श्राप दे।”
14 И взял его на место стражей, на вершину горы Фасги, и построил семь жертвенников, и вознес по тельцу и по овну на каждом жертвеннике.
१४तब वह उसको सोपीम नामक मैदान में पिसगा के सिरे पर ले गया, और वहाँ सात वेदियाँ बनवाकर प्रत्येक पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया।
15 И сказал Валаам Валаку: постой здесь у всесожжения твоего, а я пойду туда навстречу Богу.
१५तब बिलाम ने बालाक से कहा, “अपने होमबलि के पास यहीं खड़ा रह, और मैं उधर जाकर यहोवा से भेंट करूँ।”
16 И встретился Господь с Валаамом, и вложил слово в уста его, и сказал: возвратись к Валаку и так говори.
१६और यहोवा ने बिलाम से भेंट की, और उसने उसके मुँह में एक बात डाली, और कहा, “बालाक के पास लौट जा, और इस प्रकार कहना।”
17 И пришел к нему, и вот, он стоит у всесожжения своего, и с ним все князья Моавитские. И сказал ему Валак: что говорил Господь?
१७और वह उसके पास गया, और क्या देखता है कि वह मोआबी हाकिमों समेत अपने होमबलि के पास खड़ा है। और बालाक ने पूछा, “यहोवा ने क्या कहा है?”
18 Он произнес притчу свою и сказал: встань, Валак, и послушай, внимай мне, сын Сепфоров.
१८तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, “हे बालाक, मन लगाकर सुन, हे सिप्पोर के पुत्र, मेरी बात पर कान लगा:
19 Бог не человек, чтоб Ему лгать, и не сын человеческий, чтоб Ему изменяться. Он ли скажет и не сделает? будет говорить и не исполнит?
१९परमेश्वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे?
20 Вот, благословлять начал я, ибо Он благословил, и я не могу изменить сего.
२०देख, आशीर्वाद ही देने की आज्ञा मैंने पाई है: वह आशीष दे चुका है, और मैं उसे नहीं पलट सकता।
21 Не видно бедствия в Иакове, и не заметно несчастья в Израиле; Господь, Бог его, с ним, и трубный царский звук у него;
२१उसने याकूब में अनर्थ नहीं पाया; और न इस्राएल में अन्याय देखा है। उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग है, और उनमें राजा की सी ललकार होती है।
22 Бог вывел их из Египта, быстрота единорога у него;
२२उनको मिस्र में से परमेश्वर ही निकाले लिए आ रहा है, वह तो जंगली साँड़ के समान बल रखता है।
23 нет волшебства в Иакове и нет ворожбы в Израиле. В свое время скажут об Иакове и об Израиле: вот что творит Бог!
२३निश्चय कोई मंत्र याकूब पर नहीं चल सकता, और इस्राएल पर भावी कहना कोई अर्थ नहीं रखता; परन्तु याकूब और इस्राएल के विषय में अब यह कहा जाएगा, कि परमेश्वर ने क्या ही विचित्र काम किया है!
24 Вот, народ как львица встает и как лев поднимается; не ляжет, пока не съест добычи и не напьется крови убитых.
२४सुन, वह दल सिंहनी के समान उठेगा, और सिंह के समान खड़ा होगा; वह जब तक शिकार को न खा ले, और मरे हुओं के लहू को न पी ले, तब तक न लेटेगा।”
25 И сказал Валак Валааму: ни клясть не кляни его, ни благословлять не благословляй его.
२५तब बालाक ने बिलाम से कहा, “उनको न तो श्राप देना, और न आशीष देना।”
26 И отвечал Валаам и сказал Валаку: не говорил ли я тебе, что я буду делать все то, что скажет мне Господь?
२६बिलाम ने बालाक से कहा, “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा कि जो कुछ यहोवा मुझसे कहेगा, वही मुझे करना पड़ेगा?”
27 И сказал Валак Валааму: пойди, я возьму тебя на другое место; может быть, угодно будет Богу, и оттуда проклянешь мне его.
२७बालाक ने बिलाम से कहा, “चल मैं तुझको एक और स्थान पर ले चलता हूँ; सम्भव है कि परमेश्वर की इच्छा हो कि तू वहाँ से उन्हें मेरे लिये श्राप दे।”
28 И взял Валак Валаама на верх Фегора, обращенного к пустыне.
२८तब बालाक बिलाम को पोर के सिरे पर, जहाँ से यशीमोन देश दिखाई देता है, ले गया।
29 И сказал Валаам Валаку: построй мне здесь семь жертвенников и приготовь мне здесь семь тельцов и семь овнов.
२९और बिलाम ने बालाक से कहा, “यहाँ पर मेरे लिये सात वेदियाँ बनवा, और यहाँ सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर।”
30 И сделал Валак, как сказал Валаам, и вознес по тельцу и овну на каждом жертвеннике.
३०बिलाम के कहने के अनुसार बालाक ने प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया।

< Числа 23 >