< Аввакум 2 >
1 На стражу мою стал я и, стоя на башне, наблюдал, чтобы узнать, что скажет Он во мне и что мне отвечать по жалобе моей.
१मी आपल्या पहाऱ्यावर उभा राहिन आणि बुरुजावर पहारा करीन, आणि तो मला काय म्हणेल व माझ्या तक्रारीपासून मी कसा वळेन ते लक्षपूर्वक पाहीन.
2 И отвечал мне Господь и сказал: запиши видение и начертай ясно на скрижалях, чтобы читающий легко мог прочитать,
२परमेश्वराने मला उत्तर दिले आणि म्हटले, “मी तुला जो दृष्टांत दाखवतो, तो स्पष्टपणे पाट्यांवर लिहून ठेव अशासाठी की जो कोणी ते वाचतो त्याने धावावे!
3 ибо видение относится еще к определенному времени и говорит о конце и не обманет; и хотя бы и замедлило, жди его, ибо непременно сбудется, не отменится.
३कारण हा दृष्टांत नेमलेल्या समयासाठी अजून राखून ठेवला आहे, शेवटी तो बोलणार व फसवणार नाही, जरी त्यांने विलंब केला तरी, त्याची वाट पाहा! खचित तो येणारच आणि थांबणार नाही!
4 Вот, душа надменная не успокоится, а праведный своею верою жив будет.
४पाहा! मनुष्याचा आत्मा गर्विष्ठ झाला आहे, आणि स्वत: च्या ठायीच तो सरळ नाही, परंतू न्यायी आपल्या विश्वासाने वाचेल.
5 Надменный человек, как бродящее вино, не успокаивается, так что расширяет душу свою, как ад, и, как смерть, он ненасытен, и собирает к себе все народы, и захватывает себе все племена. (Sheol )
५कारण द्राक्षरस तर विश्वासघात करणारा आहे, तो उन्मत्त तरूण पुरुष आहे आणि घरी राहत नाही. परंतू तो कबरेसारख्या आपल्या इच्छा वाढवतो, तो मृत्यूसारखा असतो, तो कधीच तृप्त होत नाही. तो आपल्याजवळ प्रत्येक राष्ट्र एकत्र करतो आणि आपल्यासाठी सर्व लोकांस एकत्र करतो. (Sheol )
6 Но не все ли они будут произносить о нем притчу и насмешливую песнь: “горе тому, кто без меры обогащает себя не своим - надолго ли? - и обременяет себя залогами!”
६सर्वच लोक त्याच्या विरुद्ध बोधकथा घेणार नाहीत काय, आणि त्यास म्हणीने टोमणे मारतील व म्हणतील. जो आपले नाही ते वाढवतो, त्यास हाय हाय! कारण किती वेळ तू घेतलेल्या प्रतिज्ञांचा बोजा वाढवशील?
7 Не восстанут ли внезапно те, которые будут терзать тебя, и не поднимутся ли против тебя грабители, и ты достанешься им на расхищение?
७तुला भेवाडणारे व तुझ्यावर कडक टीका करणारे असे अचानक उठणार नाहीत काय? तू त्यांच्यासाठी बली असा होशील.
8 Так как ты ограбил многие народы, то и тебя ограбят все остальные народы за пролитие крови человеческой, за разорение страны, города и всех живущих в нем.
८कारण तू पुष्कळ राष्ट्रे लुटली आहेत, म्हणून त्या लोकांतले उरलेले तुला लुटतील, ते अशासाठी की, मनुष्याच्या रक्तामुळे, देश व गावे यांच्यावर केलेले जुलूम ह्यांमुळे त्या देशांतील व गावांतील लोक तुला लुटतील.
9 Горе тому, кто жаждет неправедных приобретений для дома своего, чтобы устроить гнездо свое на высоте и тем обезопасить себя от руки несчастья!
९‘जो आपल्या घराण्यासाठी वाईट लाभ मिळवतो व त्याद्वारे अरीष्टांच्या हातातून सुटावे म्हणून आपले घरटे उंच स्थापितो, त्यास हाय हाय!’
10 Бесславие измыслил ты для твоего дома, истребляя многие народы, и согрешил против души твоей.
१०तू अनेक लोकांस मारलेस, त्यामुळे तू स्वत: च्या घरासाठी अप्रतिष्ठा तयार केली आहेस आणि आपल्या स्वत: च्या जिवा विरुद्ध पाप केले आहेस.
11 Камни из стен возопиют, и перекладины из дерева будут отвечать им:
११भिंतीतील दगडसुध्दा तुझ्याविरुध्द ओरडतील आणि तुझ्या घराचे वासे त्यांना उत्तर देतील.
12 “Горе строящему город на крови и созидающему крепости неправдою!”
१२‘जो रक्ताने शहर बांधतो, आणि जो अन्यायाने गाव वसवितो त्यास हाय हाय!’
13 Вот, не от Господа ли Саваофа это, что народы трудятся для огня и племена мучат себя напрасно?
१३त्या लोकांनी उभारलेले सर्व आगीत भस्मसात होईल, आणि राष्ट्रे केवळ व्यर्थतेसाठी थकतील, हे सैन्याच्या परमेश्वरा कडून घडून आले नाही काय?
14 Ибо земля наполнится познанием славы Господа, как воды наполняют море.
१४तरीही जसे पाणी समुद्राला झाकते, तशी पृथ्वी परमेश्वराच्या गौरवाच्या ज्ञानाने भरेल.
15 Горе тебе, который подаешь ближнему твоему питье с примесью злобы твоей и делаешь его пьяным, чтобы видеть срамоту его!
१५‘जी व्यक्ती आपल्या शेजाऱ्याला मद्य प्यायला लावते त्यास हाय हाय! तू आपले विष त्यामध्ये घालून त्यास मस्त करतो,’ ह्यासाठी की त्याचे नग्नपण पाहावे.
16 Ты пресытился стыдом вместо славы; пей же и ты и показывай срамоту, - обратится и к тебе чаша десницы Господней и посрамление на славу твою.
१६तू गौरवाने नाही तर अप्रतिष्ठेणे भरला आहेस! तू पण त्याची चव घे आणि आपली नग्नता प्रकट कर! परमेश्वराच्या उजव्या हातांतला प्याला तुझ्याकडे फिरत येईल, आणि तुझ्या सर्व गौरवावर अप्रतिष्ठा पसरवली जाईल.
17 Ибо злодейство твое на Ливане обрушится на тебя за истребление устрашенных животных, за пролитие крови человеческой, за опустошение страны, города и всех живущих в нем.
१७लबानोनावर केलेला जुलूम तुला झाकेल आणि पशूंचा केलेला नाश तुला भयभीत करील. कारण मनुष्याचा रक्तपात व तेथील भूमीवर, शहरांवर, आणि त्यातील सर्व रहिवाशांवर केलेला जुलूम ह्यांमुळे असे होईल.
18 Что за польза от истукана, сделанного художником, этого литого лжеучителя, хотя ваятель, делая немые кумиры, полагается на свое произведение?
१८मूर्तीकाराने कोरून केलेल्या मुर्तिंमध्ये त्यास काय लाभ? कारण जो कोणी त्यास कोरतो, किंवा ओतीव मूर्ती तयार करतो, तो खोटा शिक्षक आहे, कारण तो जेव्हा अशा मुक्या देवांना बनवतो तेव्हा तो स्वतःच्या हस्तकृतीवर विश्वास ठेवतो, जेव्हा तो अशा मुक्या देवांना बनवतो.
19 Горе тому, кто говорит дереву: “встань!” - и бессловесному камню: “пробудись!” Научит ли он чему-нибудь? Вот, он обложен золотом и серебром, но дыхания в нем нет.
१९जो लाकडांच्या मूर्तीस म्हणतो जागा हो! किंवा दगडांच्या मूर्तीस म्हणतो ऊठ! त्यास हाय हाय! या वस्तू शिकवतील काय? पाहा! ते सोन्याने आणि चांदीने मढवले आहेत, पण त्यामध्ये मुळीच श्वास नाही.
20 А Господь - во святом храме Своем: да молчит вся земля пред лицем Его!
२०परंतु परमेश्वर त्याच्या पवित्र मंदिरात आहे, सर्व पृथ्वी त्यापुढे स्तब्ध राहो!”