< Второзаконие 12 >
1 Вот постановления и законы, которые вы должны стараться исполнять в земле, которую Господь, Бог отцов твоих, дает тебе во владение, во все дни, которые вы будете жить на той земле.
“जब तक तुम दुनिया में ज़िन्दा रहो तुम एहतियात करके इन ही आईन और अहकाम पर उस मुल्क में 'अमल करना जिसे ख़ुदावन्द तेरे बाप — दादा के ख़ुदा ने तुझको दिया है, ताकि तू उस पर क़ब्ज़ा करे।
2 Истребите все места, где народы, которыми вы овладеете, служили богам своим, на высоких горах и на холмах, и под всяким ветвистым деревом;
वहाँ तुम ज़रूर उन सब जगहों को बर्बाद कर देना जहाँ — जहाँ वह क़ौमें जिनके तुम वारिस होगे, ऊँचे ऊँचे पहाड़ों पर और टीलों पर और हर एक हरे दरख़्त के नीचे अपने मा'बूदों की पूजा करती थीं।
3 и разрушьте жертвенники их, и сокрушите столбы их, и сожгите огнем рощи их, и разбейте истуканы богов их, и истребите имя их от места того.
तुम उनके मज़बहों को ढा देना, और उनके सुतूनों को तोड़ डालना, और उनकी यसीरतों को आग लगा देना, और उनके मा'बूदों की खुदी हुई मूरतों को काट कर गिरा देना, और उस जगह से उनके नाम तक को मिटा डालना।
4 Не то должны вы делать для Господа, Бога вашего;
लेकिन ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से ऐसा न करना।
5 но к месту, какое изберет Господь, Бог ваш, из всех колен ваших, чтобы пребывать имени Его там, обращайтесь и туда приходите,
बल्कि जिस जगह को ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुम्हारे सब क़बीलों में से चुन ले, ताकि वहाँ अपना नाम क़ाईम करे, तुम उसके उसी घर के तालिब होकर वहाँ जाया करना।
6 и туда приносите всесожжения ваши, и жертвы ваши, и десятины ваши, и возношение рук ваших, и обеты ваши, и добровольные приношения ваши, и мирные жертвы ваши, и первенцев крупного скота вашего и мелкого скота вашего;
और वहीं तुम अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियों और ज़बीहों और दहेकियों और उठाने की क़ुर्बानियों और अपनी मिन्नतों की चीज़ों और अपनी रज़ा की क़ुर्बानियों और गाय बैलों और भेड़ बकरियों के पहलौठों को पेश करना।
7 и ешьте там пред Господом, Богом вашим, и веселитесь вы и семейства ваши о всем, что делалось руками вашими, чем благословил тебя Господь, Бог твой.
और वहीं ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने खाना और अपने घरानों समेत अपने हाथ की कमाई की ख़ुशी भी करना, जिसमें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको बरकत बख़्शी हो।
8 Там вы не должны делать всего, как мы теперь здесь делаем, каждый, что ему кажется правильным;
और जैसे हम यहाँ जो काम जिसको ठीक दिखाई देता है वही करते हैं, ऐसे तुम वहाँ न करना।
9 ибо вы ныне еще не вступили в место покоя и в удел, который Господь, Бог твой, дает тебе.
क्यूँकि तुम अब तक उस आरामगाह और मीरास की जगह तक, जो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है नहीं पहुँचे हो।
10 Но когда перейдете Иордан и поселитесь на земле, которую Господь, Бог ваш, дает вам в удел, и когда Он успокоит вас от всех врагов ваших, окружающих вас, и будете жить безопасно,
लेकिन जब तुम यरदन पार जाकर उस मुल्क में जिसका मालिक ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुमको बनाता है बस जाओ, और वह तुम्हारे सब दुश्मनों की तरफ़ से जो चारों तरफ़ हैं तुमको राहत दे, और तुम अम्न से रहने लगो;
11 тогда, какое место изберет Господь, Бог ваш, чтобы пребывать имени Его там, туда приносите все, что я заповедую вам сегодня: всесожжения ваши и жертвы ваши, десятины ваши и возношение рук ваших, и все, избранное по обетам вашим, что вы обещали Господу Богу вашему;
तो वहाँ जिस जगह को ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा अपने नाम के घर के लिए चुन ले, वहीं तुम ये सब कुछ जिसका मैं तुमको हुक्म देता हूँ ले जाया करना; या'नी अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और ज़बीहे और अपनी दहेकियाँ, और अपने हाथ के उठाए हुए हदिये, और अपनी ख़ास नज़्र की चीज़ें जिनकी मन्नत तुमने ख़ुदावन्द के लिए मानी हो।
12 и веселитесь пред Господом, Богом вашим, вы и сыны ваши, и дочери ваши, и рабы ваши, и рабыни ваши, и левит, который посреди жилищ ваших, ибо нет ему части и удела с вами.
और वहीं तुम और तुम्हारे बेटे बेटियाँ और तुम्हारे नौकर चाकर और लौंडियाँ और वह लावी भी जो तुम्हारे फाटकों के अन्दर रहता हो और जिसका कोई हिस्सा या मीरास तुम्हारे साथ नहीं, सब के सब मिल कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने ख़ुशी मनाना।
13 Берегись приносить всесожжения твои на всяком месте, которое ты увидишь;
और तुम ख़बरदार रहना, कहीं ऐसा न हो कि जिस जगह को देख ले। वहीं अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करो।
14 но на том только месте, которое изберет Господь Бог твой в одном из колен твоих, приноси всесожжения твои и делай все, что заповедую тебе сегодня.
बल्कि सिर्फ़ उसी जगह जिसे ख़ुदावन्द तेरे किसी क़बीले में चुन ले, तू अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करना और वहीं सब कुछ जिसका मैं तुमको हुक्म देता हूँ करना।
15 Впрочем, когда только пожелает душа твоя, можешь заколать и есть, по благословению Господа, Бога твоего, мясо, которое Он дал тебе, во всех жилищах твоих: нечистый и чистый могут есть сие, как серну и как оленя;
“लेकिन गोश्त को तुम अपने सब फाटकों के अन्दर अपने दिल की चाहत और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की दी हुई बरकत के मुवाफ़िक़ ज़बह कर के खा सकेगा। पाक और नापाक दोनों तरह के आदमी उसे खा सकेंगे, जैसे चिकारे और हिरन को खाते हैं।
16 только крови не ешьте: на землю выливайте ее, как воду.
लेकिन तुम ख़ून को बिल्कुल न खाना, बल्कि तुम उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।
17 Нельзя тебе есть в жилищах твоих десятины хлеба твоего, и вина твоего, и елея твоего, и первенцев крупного скота твоего и мелкого скота твоего, и всех обетов твоих, которые ты обещал, и добровольных приношений твоих, и возношения рук твоих;
और तू अपने फाटकों के अन्दर अपने ग़ल्ले और मय और तेल की दहेकियाँ, और गाय — बैलों और भेड़ — बकरियों के पहलौठे, और अपनी मन्नत मानी हुई चीज़ें और रज़ा की क़ुर्बानियाँ और अपने हाथ की उठाई हुई क़ुर्बानियाँ कभी न खाना।
18 но ешь сие только пред Господом, Богом твоим, на том месте, которое изберет Господь, Бог твой, - ты и сын твой, и дочь твоя, и раб твой, и раба твоя, и левит, и пришелец, который в жилищах твоих, и веселись пред Господом, Богом твоим, о всем, что делалось руками твоими.
बल्कि तू और तेरे बेटे बेटियाँ और तेरे नौकर — चाकर और लौंडियाँ, और वह लावी भी जो तेरे फाटकों के अन्दर हो, उन चीज़ों को ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने उस जगह खाना जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा चुन ले, और तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने अपने हाथ की कमाई की ख़ुशी मनाना।
19 Смотри, не оставляй левита во все дни, которые будешь жить на земле твоей.
और ख़बरदार जब तक तू अपने मुल्क में ज़िन्दा रहे लावियों को छोड़ न देना।
20 Когда распространит Господь, Бог твой, пределы твои, как Он говорил тебе, и ты скажешь: “поем я мяса”, потому что душа твоя пожелает есть мяса, - тогда, по желанию души твоей, ешь мясо.
“जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उस वा'दे के मुताबिक़ जो उसने तुझ से किया है तुम्हारी सरहद को बढ़ाए, और तेरा जी गोश्त खाने को करे और तू कहने लगे कि मै तो गोश्त खाऊँगा, तो तू जैसा तेरा जी चाहे गोश्त खा सकता है।
21 Если далеко будет от тебя то место, которое изберет Господь, Бог твой, чтобы пребывать имени Его там, то заколай из крупного и мелкого скота твоего, который дал тебе Господь Бог твой, как я повелел тебе, и ешь в жилищах твоих, по желанию души твоей;
और अगर वह जगह जिसे ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने अपने नाम को वहाँ क़ाईम करने के लिए चुना है तेरे मकान से बहुत दूर हो, तो तूअपने गाय बैल और भेड़ — बकरी में से जिनको ख़ुदावन्द ने तुझको दिया है किसी को ज़बह कर लेना और जैसा मैंने तुझको हुक्म दिया है तू उसके गोश्त को अपने दिल की चाहत के मुताबिक़ अपने फाटकों के अन्दर खाना;
22 но ешь их так, как едят серну и оленя; нечистый как и чистый у тебя могут есть сие;
जैसे चिकारे और हिरन को खाते हैं वैसे ही तू उसे खाना। पाक और नापाक दोनों तरह के आदमी उसे एक जैसे खा सकेंगे।
23 только строго наблюдай, чтобы не есть крови, потому что кровь есть душа: не ешь души вместе с мясом;
सिर्फ़ इतनी एहतियात ज़रूर रखना कि तू ख़ून को न खाना; क्यूँकि ख़ून ही तो जान है, इसलिए तू गोश्त के साथ जान को हरगिज़ न खाना।
24 не ешь ее: выливай ее на землю, как воду;
तू उसको खाना मत, बल्कि उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना;
25 не ешь ее, дабы хорошо было тебе и детям твоим после тебя вовеки, если будешь делать доброе и справедливое пред очами Господа Бога твоего.
तू उसे न खाना; ताकि तेरे उस काम के करने से जो ख़ुदावन्द की नज़र में ठीक है, तेरा और तेरे साथ तेरी औलाद का भी भला हो।
26 Только святыни твои, какие будут у тебя, и обеты твои приноси, и приходи на то место, которое изберет Господь Бог твой, чтобы призываемо было там имя Его;
लेकिन अपनी पाक चीज़ों को जो तेरे पास हों और अपनी मन्नतो की चीज़ों को उसी जगह ले जाना जिसे ख़ुदावन्द चुन ले।
27 и совершай всесожжения твои, мясо и кровь, на жертвеннике Господа, Бога твоего; но кровь других жертв твоих должна быть проливаема у жертвенника Господа, Бога твоего, а мясо ешь.
और वहीं अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियों का गोश्त और ख़ून दोनों ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के मज़बह पर पेश करना; और ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ही के मज़बह पर तेरे ज़बीहों का ख़ून उँडेला जाए, मगर उनका गोश्त तू खाना।
28 Слушай и исполняй все слова сии, которые заповедую тебе, дабы хорошо было тебе и детям твоим после тебя вовек, если будешь делать доброе и угодное пред очами Господа, Бога твоего.
इन सब बातों को जिनका मैं तुझको हुक्म देता हूँ ग़ौर से सुन ले, ताकि तेरे उस काम के करने से जो ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा की नज़र में अच्छा और ठीक है, तेरा और तेरे बाद तेरी औलाद का भला हो।
29 Когда Господь, Бог твой, истребит от лица твоего народы, к которым ты идешь, чтобы взять их во владение, и ты, взяв их, поселишься в земле их;
“जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे सामने से उन क़ौमों को उस जगह जहाँ तू उनके वारिस होने को जा रहा है काट डाले, और तू उनका वारिस होकर उनके मुल्क में बस जाये,
30 тогда берегись, чтобы ты не попал в сеть, последуя им, по истреблении их от лица твоего, и не искал богов их, говоря: “как служили народы сии богам своим, так буду и я делать”;
तो तू ख़बरदार रहना, कहीं ऐसा न हो कि जब वह तेरे आगे से ख़त्म हो जाएँ तो तू इस फंदे में फँस जाये, कि उनकी पैरवी करे और उनके मा'बूदों के बारे में ये दरियाफ़्त करे कि ये क़ौमें किस तरह से अपने मा'बूदों की पूजा करती है? मै भी वैसा ही करूँगा।
31 не делай так Господу, Богу твоему, ибо все, чего гнушается Господь, что ненавидит Он, они делают богам своим: они и сыновей своих и дочерей своих сожигают на огне богам своим.
तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए ऐसा न करना, क्यूँकि जिन जिन कामों से ख़ुदावन्द को नफ़रत और 'अदावत है वह सब उन्होंने अपने मा'बूदों के लिए किए हैं, बल्कि अपने बेटों और बेटियों को भी वह अपने मा'बूदों के नाम पर आग में डाल कर जला देते हैं।
32 Все, что я заповедую вам, старайтесь исполнить; не прибавляй к тому и не убавляй от того.
“जिस जिस बात का मैं हुक्म करता हूँ, तुम एहतियात करके उस पर 'अमल करना और उसमें न तो कुछ बढ़ाना और न उसमें से कुछ घटाना।