< Ezequiel 12 >

1 A palavra de Javé também veio até mim, dizendo:
याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
2 “Filho do homem, você mora no meio da casa rebelde, que tem olhos para ver, e não vê, que tem ouvidos para ouvir, e não ouve; pois eles são uma casa rebelde.
“हे मनुष्य के पुत्र, तुम विद्रोही लोगों के बीच रह रहे हो. उनकी आंख तो हैं, परंतु देखते नहीं और कान तो हैं, परंतु सुनते नहीं, क्योंकि वे विद्रोही लोग हैं.
3 “Portanto, você, filho do homem, prepare sua bagagem para a mudança, e mova-se de dia à vista deles. Você deve se mover de seu lugar para outro lugar à vista deles. Pode ser que eles considerem, embora sejam uma casa rebelde.
“इसलिये, हे मनुष्य के पुत्र, बंधुवाई में जाने के लिये अपना सामान बांधो और दिन के समय, उनके देखते में चल पड़ो और जहां तुम हो, वहां से दूसरी जगह चले जाओ. यद्यपि वे विद्रोही लोग हैं, फिर भी, शायद वे समझ जाएं.
4 Você deve trazer sua bagagem de dia à vista deles, como bagagem para a mudança. Você mesmo sairá à noite à vista deles, como quando os homens saem para o exílio.
दिन के समय, उनके देखते में बंधुवाई के लिये तैयार अपने सामान को बाहर ले आओ. तब शाम के समय, जब वे देख रहे हों, तब ऐसे जाओ जैसे लोग बंधुवाई में जाते हैं.
5 Cavem através da parede à vista deles e levem sua bagagem para fora dessa maneira.
जब वे देख रहे हों, तो दीवार को फोड़ना और उसमें से अपना सामान बाहर ले जाना.
6 À vista deles, você a carregará no ombro e a levará para fora no escuro. Cobrirás teu rosto, para que não vejas a terra, pois eu te coloquei para um sinal à casa de Israel”.
उनके देखते ही में सामान को अपने कंधे पर रखना और सूर्यास्त के समय उनको बाहर ले जाना. अपने चेहरे को ढांपे रहना ताकि तुम्हें भूमि दिखाई न दे, क्योंकि मैंने तुम्हें इस्राएलियों के लिए एक चिन्ह ठहराया है.”
7 Eu o fiz como me foi ordenado. Trouxe minha bagagem de dia, como bagagem para me mover, e à noite escavei a parede com minha mão. Trouxe-a para fora no escuro, e a levei no ombro à vista deles.
मुझे जैसी आज्ञा दी गई, तब मैंने वैसा ही किया. दिन के समय, बंधुवाई के लिये तैयार, मैं अपना सामान बाहर ले आया. तब संध्या के समय, मैंने दीवार को अपने हाथों से फोड़ा. सूर्यास्त के समय, मैं अपना सामान बाहर ले गया, और उनको अपने कंधों पर उठाकर लोगों के देखते में चला गया.
8 Pela manhã, a palavra de Javé veio até mim, dizendo:
सुबह याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
9 “Filho do homem, a casa de Israel, a casa rebelde, não lhe disse: 'O que você está fazendo?
“हे मनुष्य के पुत्र, वे विद्रोही इस्राएली लोग क्या तुमसे नहीं पूछे, ‘तुम क्या कर रहे हो?’
10 “Diga-lhes: 'O Senhor Javé diz: “Este fardo diz respeito ao príncipe em Jerusalém, e a toda a casa de Israel entre os quais estão”.
“उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: इस भविष्यवाणी का संबंध येरूशलेम के राजकुमार और उन सब इस्राएलियों से है, जो वहां रहते हैं.’
11 “Diga: 'Eu sou seu signo. Como eu já fiz, assim será feito com eles. Eles irão para o exílio, para o cativeiro.
उनसे कहो, ‘मैं तुम्हारे लिये एक चिन्ह हूं.’ “जैसा मैंने किया है, ठीक वैसा ही उनके साथ भी किया जाएगा. ‘वे बंदी के रूप में बंधुवाई में चले जाएंगे.’
12 “'O príncipe que está entre eles levará sua bagagem no ombro no escuro, e sairá. Eles cavarão através da parede para levar as coisas para fora dessa maneira. Ele cobrirá seu rosto, porque não verá a terra com seus olhos.
“उनके बीच का राजकुमार शाम के समय अपने सामान को अपने कंधों पर रखकर चला जाएगा, और दीवार में एक बड़ा छेद बनाया जाएगा, ताकि वह उसमें से निकलकर जा सके. वह अपना चेहरा ढांक लेगा ताकि उसे भूमि न दिखे.
13 Também espalharei minha rede sobre ele, e ele será levado na minha armadilha. Eu o levarei à Babilônia para a terra dos caldeus; no entanto, ele não o verá, embora morra lá.
मैं उसके लिये अपना जाल बिछाऊंगा, और वह मेरे फंदे में फंस जाएगा; मैं उसे कसदियों के देश बाबेल में ले आऊंगा, पर वह इसे देख न सकेगा, और वहां वह मर जाएगा.
14 Espalharei para cada vento todos os que estão ao seu redor para ajudá-lo, e todas as suas bandas. Eu desembainharei a espada atrás deles.
मैं उसके आस-पास के सब लोगों को तितर-बितर कर दूंगा—उसके कर्मचारी और उसकी सब सेना—और नंगी तलवार लेकर मैं उनका पीछा करूंगा.
15 “'Eles saberão que eu sou Yahweh quando eu os dispersar entre as nações e os dispersar pelos países.
“जब मैं उन्हें जाति-जाति और देश-देश के बीच तितर-बितर कर दूंगा, तब वे जानेंगे कि मैं याहवेह हूं.
16 Mas deixarei alguns homens deles da espada, da fome e da peste, para que declarem todas as suas abominações entre as nações de onde eles vêm. Então eles saberão que eu sou Yahweh”.
परंतु मैं उनमें से कुछ को तलवार की मार, अकाल और महामारी से बचाऊंगा, ताकि उन जनताओं के बीच, जहां वे जाएं, वहां वे अपने सब घृणित कार्यों को मान लें. तब वे जानेंगे कि मैं याहवेह हूं.”
17 Além disso, a palavra de Javé veio a mim, dizendo:
याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
18 “Filho do homem, come teu pão com tremor e bebe tua água com tremor e com medo”.
“हे मनुष्य के पुत्र, कांपते हुए अपना भोजन करना और थरथराते हुए अपना पानी पीना.
19 Diga ao povo da terra: “O Senhor Javé diz a respeito dos habitantes de Jerusalém e da terra de Israel”: “Eles comerão seu pão com temor e beberão sua água com consternação, para que sua terra fique desolada, e tudo o que nela existe, por causa da violência de todos os que nela habitam”.
तब देश के लोगों से कहो: ‘येरूशलेम और इस्राएल देश में रहनेवालों के विषय में परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: वे चिंतित मन से अपना भोजन करेंगे और निराश मन से अपना पानी पिएंगे, क्योंकि देश में रहनेवाले सब लोगों की हिंसा के कारण, देश की सब चीज़ें ले ली जाएंगी.
20 As cidades habitadas serão assoladas e a terra será uma desolação. Então vocês saberão que eu sou Yahweh””.
बसे हुए नगर उजाड़ दिए जाएंगे और देश निर्जन हो जाएगा. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.’”
21 A palavra de Javé veio a mim, dizendo:
याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
22 “Filho do homem, que provérbio é esse que você tem na terra de Israel, dizendo: 'Os dias são prolongados, e toda visão falha...'
“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल देश में यह क्या कहावत है: ‘दिन बीतते जा रहे हैं और कोई भी दर्शन पूरा नहीं हो रहा है’?
23 Diga-lhes portanto: 'O Senhor Javé diz: “Farei cessar este provérbio, e eles não o usarão mais como provérbio em Israel;” mas diga-lhes: 'Os dias estão próximos, e o cumprimento de toda visão.
अतः उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं इस कहावत का अंत करनेवाला हूं, और वे फिर कभी इस्राएल में इस कहावत का प्रयोग नहीं करेंगे.’ उनसे कहो, ‘वे दिन निकट हैं जब हर एक दर्शन पूरा होगा.
24 Pois não haverá mais nenhuma visão falsa nem adivinhação lisonjeadora dentro da casa de Israel”.
क्योंकि तब इस्राएल के लोगों के बीच कोई झूठा दर्शन और चापलूसीपूर्ण भविष्य की बातें न होंगी.
25 Pois eu sou Yahweh. Eu falarei, e a palavra que eu falar será executada. Não haverá mais adiamento; pois em vossos dias, casa rebelde, falarei a palavra e a cumprirei”, diz o Senhor Javé'”.
क्योंकि जो भी बोलूंगा, मैं, याहवेह ही बोलूंगा, और वह बिना देरी के पूरा होगा. क्योंकि हे विद्रोही लोगों, तुम्हारे ही दिनों में, जो कुछ मैं कहता हूं, उसे मैं पूरा करूंगा, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”
26 Novamente a palavra de Javé veio a mim, dizendo:
फिर याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
27 “Filho do homem, eis que eles da casa de Israel dizem: 'A visão que ele vê está para vir por muitos dias, e ele profetiza de tempos que estão longe'.
“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएली कह रहे हैं, ‘जो दर्शन वह देख रहा है, वह अब से लेकर बहुत सालों बाद पूरा होगा, और जो भविष्यवाणी वह कर रहा है, वह अब से लेकर बहुत समय बाद की बात कर रहा है.’
28 “Portanto, diz-lhes: 'O Senhor Javé diz: “Nenhuma das minhas palavras será mais adiada, mas a palavra que eu falar será executada”, diz o Senhor Javé”.
“इसलिये उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मेरे कहे गये किसी भी वचन के पूरा होने में और देरी नहीं होगी; जो भी मैं कहता हूं, वह पूरा होगा, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”

< Ezequiel 12 >