< Amós 9 >
1 Eu vi o Senhor de pé ao lado do altar, e ele disse: “Bata no topo dos pilares, para que as soleiras se abanem”. Quebrá-los em pedaços na cabeça de todos eles”. Matarei o último deles com a espada”. Nem um deles fugirá. Nem um deles escapará.
१मैंने प्रभु को वेदी के ऊपर खड़ा देखा, और उसने कहा, “खम्भे की कँगनियों पर मार जिससे डेवढ़ियाँ हिलें, और उनको सब लोगों के सिर पर गिराकर टुकड़े-टुकड़े कर; और जो नाश होने से बचें, उन्हें मैं तलवार से घात करूँगा; उनमें से एक भी न भाग निकलेगा, और जो अपने को बचाए, वह बचने न पाएगा।
2 Embora eles cavem no Sheol, lá minha mão os levará; e embora eles subam ao céu, lá os derrubarei. (Sheol )
२“क्योंकि चाहे वे खोदकर अधोलोक में उतर जाएँ, तो वहाँ से मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें लाऊँगा; चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएँ, तो वहाँ से मैं उन्हें उतार लाऊँगा। (Sheol )
3 Embora se escondam no topo do Carmelo, eu os procurarei e os tirarei dali; e embora estejam escondidos de minha vista no fundo do mar, ali eu comandarei a serpente, e ela os morderá.
३चाहे वे कर्मेल में छिप जाएँ, परन्तु वहाँ भी मैं उन्हें ढूँढ़ ढूँढ़कर पकड़ लूँगा, और चाहे वे समुद्र की थाह में मेरी दृष्टि से ओट हों, वहाँ भी मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूँगा।
4 Embora eles vão para o cativeiro diante de seus inimigos, lá eu comandarei a espada, e ela os matará. Colocarei meus olhos sobre eles para o mal, e não para o bem.
४चाहे शत्रु उन्हें हाँककर बँधुआई में ले जाएँ, वहाँ भी मैं आज्ञा देकर तलवार से उन्हें घात कराऊँगा; और मैं उन पर भलाई करने के लिये नहीं, बुराई ही करने के लिये दृष्टि करूँगा।”
5 Pois o Senhor, Javé dos Exércitos, é aquele que toca a terra e ela derrete, e todos os que nela habitam lamentarão; e ela se levantará totalmente como o rio, e afundará novamente, como o rio do Egito.
५सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के स्पर्श करने से पृथ्वी पिघलती है, और उसके सारे रहनेवाले विलाप करते हैं; और वह सब की सब मिस्र की नदी के समान हो जाती हैं, जो बढ़ती है फिर लहरें मारती, और घट जाती है।
6 É aquele que constrói seus quartos nos céus, e fundou sua abóbada na terra; é aquele que clama pelas águas do mar, e as derrama sobre a superfície da terra - Yahweh é seu nome.
६जो आकाश में अपनी कोठरियाँ बनाता, और अपने आकाशमण्डल की नींव पृथ्वी पर डालता, और समुद्र का जल धरती पर बहा देता है, उसी का नाम यहोवा है।
7 Não são vocês como os filhos dos etíopes para mim, filhos de Israel?” diz Yahweh. “Eu não trouxe Israel da terra do Egito, e os filisteus de Caphtor, e os sírios de Kir?
७“हे इस्राएलियों,” यहोवा की यह वाणी है, “क्या तुम मेरे लिए कूशियों के समान नहीं हो? क्या मैं इस्राएल को मिस्र देश से और पलिश्तियों को कप्तोर से नहीं निकाल लाया? और अरामियों को कीर से नहीं निकाल लाया?
8 Eis que os olhos do Senhor Javé estão sobre o reino pecaminoso, e eu o destruirei da superfície da terra, exceto que não destruirei totalmente a casa de Jacó”, diz Javé.
८देखो, परमेश्वर यहोवा की दृष्टि इस पापमय राज्य पर लगी है, और मैं इसको धरती पर से नष्ट करूँगा; तो भी मैं पूरी रीति से याकूब के घराने को नाश न करूँगा,” यहोवा की यही वाणी है।
9 “Pois eis que eu mandarei, e peneirarei a casa de Israel entre todas as nações como se peneiram grãos em uma peneira, mas não cairá o menor grão sobre a terra”.
९“मेरी आज्ञा से इस्राएल का घराना सब जातियों में ऐसा चाला जाएगा जैसा अन्न चलनी में चाला जाता है, परन्तु उसका एक भी पुष्ट दाना भूमि पर न गिरेगा।
10 Todos os pecadores de meu povo morrerão pela espada, que dizem: 'O mal não nos alcançará nem nos encontrará'.
१०मेरी प्रजा में के सब पापी जो कहते हैं, ‘वह विपत्ति हम पर न पड़ेगी, और न हमें घेरेगी,’ वे सब तलवार से मारे जाएँगे।
11 Nesse dia levantarei a tenda de David que caiu e fecharei suas brechas, e levantarei suas ruínas, e a construirei como nos velhos tempos,
११“उस समय मैं दाऊद की गिरी हुई झोपड़ी को खड़ा करूँगा, और उसके बाड़े के नाकों को सुधारूँगा, और उसके खण्डहरों को फिर बनाऊँगा, और जैसा वह प्राचीनकाल से था, उसको वैसा ही बना दूँगा;
12 para que eles possam possuir o remanescente de Edom e todas as nações que são chamadas pelo meu nome”, diz Yahweh que faz isso.
१२जिससे वे बचे हुए एदोमियों को वरन् सब जातियों को जो मेरी कहलाती हैं, अपने अधिकार में लें,” यहोवा जो यह काम पूरा करता है, उसकी यही वाणी है।
13 “Eis que os dias vêm”, diz Yahweh, “que o lavrador deve ultrapassar o ceifeiro”, e o que pisa uvas aquele que semeia sementes; e o vinho doce vai pingar das montanhas, e fluem das colinas.
१३यहोवा की यह भी वाणी है, “देखो, ऐसे दिन आते हैं, कि हल जोतनेवाला लवनेवाले को और दाख रौंदनेवाला बीज बोनेवाले को जा लेगा; और पहाड़ों से नया दाखमधु टपकने लगेगा, और सब पहाड़ियों से बह निकलेगा।
14 Vou trazer meu povo Israel de volta do cativeiro, e eles reconstruirão as cidades arruinadas, e as habitarão; e eles plantarão vinhedos e beberão vinho deles. Eles também devem fazer jardins, e comer suas frutas.
१४मैं अपनी प्रजा इस्राएल के बन्दियों को लौटा ले आऊँगा, और वे उजड़े हुए नगरों को सुधारकर उनमें बसेंगे; वे दाख की बारियाँ लगाकर दाखमधु पीएँगे, और बगीचे लगाकर उनके फल खाएँगे।
15 Eu os plantarei em suas terras, e eles não serão mais arrancados de suas terras que eu lhes dei”. diz Yahweh seu Deus.
१५मैं उन्हें, उन्हीं की भूमि में बोऊँगा, और वे अपनी भूमि में से जो मैंने उन्हें दी है, फिर कभी उखाड़े न जाएँगे,” तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।