< Salmos 120 >
1 Cântico dos degraus: Em minha angústia clamei ao SENHOR, e ele me respondeu.
१यात्रा का गीत संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा, और उसने मेरी सुन ली।
2 Ó SENHOR, livra minha alma dos lábios mentirosos, da língua enganadora.
२हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुँह से और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।
3 O que ele te dará, e o que ele fará contigo, ó língua enganadora?
३हे छली जीभ, तुझको क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?
4 Flechas afiadas de um guerreiro, com brasas de zimbro.
४वीर के नोकीले तीर और झाऊ के अंगारे!
5 Ai de mim, que peregrino em Meseque, [e] habito nas tendas de Quedar!
५हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!
6 Minha alma morou [tempo] demais com os que odeiam a paz.
६बहुत समय से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।
7 Eu sou da paz; mas quando falo, eles [entram] em guerra.
७मैं तो मेल चाहता हूँ; परन्तु मेरे बोलते ही, वे लड़ना चाहते हैं!