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1 Certamente há minas para a prata, e o ouro lugar onde o derretem.
“चाँदी की खानि तो होती है, और सोने के लिये भी स्थान होता है जहाँ लोग जाते हैं।
2 O ferro é tirado do solo, e da pedra se funde o cobre.
लोहा मिट्टी में से निकाला जाता और पत्थर पिघलाकर पीतल बनाया जाता है
3 O [homem] põe fim às trevas, e investiga em toda extremidade, as pedras que estão na escuridão e nas mais sombrias trevas.
मनुष्य अंधियारे को दूर कर, दूर-दूर तक खोद-खोदकर, अंधियारे और घोर अंधकार में पत्थर ढूँढ़ते हैं।
4 Abre um poço onde não há morador, lugares esquecidos por quem passa a pé; pendurados longe da humanidade, vão de um lado para o outro.
जहाँ लोग रहते हैं वहाँ से दूर वे खानि खोदते हैं वहाँ पृथ्वी पर चलनेवालों के भूले-बिसरे हुए वे मनुष्यों से दूर लटके हुए झूलते रहते हैं।
5 Da terra o pão procede, e por debaixo ela é transformada como que pelo fogo.
यह भूमि जो है, इससे रोटी तो मिलती है, परन्तु उसके नीचे के स्थान मानो आग से उलट दिए जाते हैं।
6 Suas pedras são o lugar da safira, e contém pó de ouro.
उसके पत्थर नीलमणि का स्थान हैं, और उसी में सोने की धूलि भी है।
7 A ave de rapina não conhece essa vereda; os olhos do falcão não a viram.
“उसका मार्ग कोई माँसाहारी पक्षी नहीं जानता, और किसी गिद्ध की दृष्टि उस पर नहीं पड़ी।
8 Os filhotes de animais ferozes nunca a pisaram, nem o feroz leão passou por ela.
उस पर हिंसक पशुओं ने पाँव नहीं धरा, और न उससे होकर कोई सिंह कभी गया है।
9 [O homem] põe sua mão no rochedo, e revolve os montes desde a raiz.
“वह चकमक के पत्थर पर हाथ लगाता, और पहाड़ों को जड़ ही से उलट देता है।
10 Cortou canais pelas rochas, e seus olhos veem tudo o que é precioso.
१०वह चट्टान खोदकर नालियाँ बनाता, और उसकी आँखों को हर एक अनमोल वस्तु दिखाई देती है।
11 Ele tapa os rios desde suas nascentes, e faz o oculto sair para a luz.
११वह नदियों को ऐसा रोक देता है, कि उनसे एक बूँद भी पानी नहीं टपकता और जो कुछ छिपा है उसे वह उजियाले में निकालता है।
12 Porém onde se achará a sabedoria? E onde está o lugar da inteligência?
१२“परन्तु बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ है?
13 O ser humano não conhece o valor dela, nem ela é achada na terra dos viventes.
१३उसका मोल मनुष्य को मालूम नहीं, जीवनलोक में वह कहीं नहीं मिलती!
14 O abismo diz: Não está em mim; E o mar diz: Nem comigo.
१४अथाह सागर कहता है, ‘वह मुझ में नहीं है,’ और समुद्र भी कहता है, ‘वह मेरे पास नहीं है।’
15 Nem por ouro fino se pode comprar, nem se pesar em troca de prata.
१५शुद्ध सोने से वह मोल लिया नहीं जाता। और न उसके दाम के लिये चाँदी तौली जाती है।
16 Não pode ser avaliada com ouro de Ofir, nem com ônix precioso, nem com safira.
१६न तो उसके साथ ओपीर के कुन्दन की बराबरी हो सकती है; और न अनमोल सुलैमानी पत्थर या नीलमणि की।
17 Não se pode comparar com ela o ouro, nem o cristal; nem se pode trocar por joia de ouro fino.
१७न सोना, न काँच उसके बराबर ठहर सकता है, कुन्दन के गहने के बदले भी वह नहीं मिलती।
18 De coral nem de quartzo não se fará menção; porque o preço da sabedoria é melhor que o de rubis.
१८मूँगे और स्फटिकमणि की उसके आगे क्या चर्चा! बुद्धि का मोल माणिक से भी अधिक है।
19 O topázio de Cuxe não se pode comparar com ela; nem pode ser avaliada com o puro ouro fino.
१९कूश देश के पद्मराग उसके तुल्य नहीं ठहर सकते; और न उससे शुद्ध कुन्दन की बराबरी हो सकती है।
20 De onde, pois, vem a sabedoria? E onde está o lugar da inteligência?
२०फिर बुद्धि कहाँ मिल सकती है? और समझ का स्थान कहाँ?
21 Porque encoberta está aos olhos de todo vivente, e é oculta a toda ave do céu.
२१वह सब प्राणियों की आँखों से छिपी है, और आकाश के पक्षियों के देखने में नहीं आती।
22 O perdição e a morte dizem: Com nossos ouvidos ouvimos sua fama.
२२विनाश और मृत्यु कहती हैं, ‘हमने उसकी चर्चा सुनी है।’
23 Deus entende o caminho dela, e ele conhece seu lugar.
२३“परन्तु परमेश्वर उसका मार्ग समझता है, और उसका स्थान उसको मालूम है।
24 Porque ele enxerga até os confins da terra, e vê tudo [o que há] debaixo de céus.
२४वह तो पृथ्वी की छोर तक ताकता रहता है, और सारे आकाशमण्डल के तले देखता-भालता है।
25 Quando ele deu peso ao vento, e estabeleceu medida para as águas;
२५जब उसने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए में नापा,
26 Quando ele fez lei para a chuva, e caminho para o relâmpago dos trovões,
२६और मेंह के लिये विधि और गर्जन और बिजली के लिये मार्ग ठहराया,
27 Então ele a viu, e relatou; preparou-a, e também a examinou.
२७तब उसने बुद्धि को देखकर उसका बखान भी किया, और उसको सिद्ध करके उसका पूरा भेद बूझ लिया।
28 E disse ao homem: Eis que o temor ao Senhor é a sabedoria, e o desviar-se do mal [é] a inteligência.
२८तब उसने मनुष्य से कहा, ‘देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है और बुराई से दूर रहना यही समझ है।’”

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