< Jeremias 51 >

1 Assim diz o SENHOR: Eis que eu levanto um vento destruidor contra a Babilônia, e contra os moradores de Lebe-Camai.
यहोवा यह कहता है, मैं बाबेल के और लेबकामै के रहनेवालों के विरुद्ध एक नाश करनेवाली वायु चलाऊँगा;
2 E enviarei padejadores à Babilônia, que a padejarão, e esvaziarão sua terra; porque virão contra ela por todos os lados no dia da calamidade.
और मैं बाबेल के पास ऐसे लोगों को भेजूँगा जो उसको फटक-फटककर उड़ा देंगे, और इस रीति से उसके देश को सुनसान करेंगे; और विपत्ति के दिन चारों ओर से उसके विरुद्ध होंगे।
3 Que o flecheiro não arme o seu arco, nem deixes que ponham sua couraça; não poupeis a seus rapazes, destruí todo o seu exército.
धनुर्धारी के विरुद्ध और जो अपना झिलम पहने हैं धनुर्धारी धनुष चढ़ाए हुए उठे; उसके जवानों से कुछ कोमलता न करना; उसकी सारी सेना को सत्यानाश करो।
4 E os mortos cairão na terra dos caldeus, e os perfurados em suas ruas.
कसदियों के देश में मरे हुए और उसकी सड़कों में छिदे हुए लोग गिरेंगे।
5 Porque Israel e Judá não foram abandonados por seu Deus, o SENHOR dos exércitos, ainda que sua terra foi cheia de pecado contra o Santo de Israel.
क्योंकि, यद्यपि इस्राएल और यहूदा के देश, इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध किए हुए पापों से भरपूर हो गए हैं, तो भी उनके परमेश्वर, सेनाओं के यहोवा ने उनको त्याग नहीं दिया।
6 Fugi do meio de Babilônia, e livrai cada um sua alma; não pereçais por causa de sua maldade; pois é tempo de vingança do SENHOR, em que ele lhe dará o pagamento dela.
“बाबेल में से भागो, अपना-अपना प्राण बचाओ! उसके अधर्म में भागी होकर तुम भी न मिट जाओ; क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है, वह उसको बदला देने पर है।
7 A Babilônia era um copo de ouro na mão do SENHOR, que embriagava toda a terra; de seu vinho beberam as nações; por isso as nações se enlouqueceram.
बाबेल यहोवा के हाथ में सोने का कटोरा था, जिससे सारी पृथ्वी के लोग मतवाले होते थे; जाति-जाति के लोगों ने उसके दाखमधु में से पिया, इस कारण वे भी बावले हो गए।
8 Repentinamente Babilônia caiu, e se despedaçou: uivai por ela; tomai bálsamo para sua dor, talvez sare.
बाबेल अचानक ले ली गई और नाश की गई है। उसके लिये हाय-हाय करो! उसके घावों के लिये बलसान औषधि लाओ; सम्भव है वह चंगी हो सके।
9 Sararíamos Babilônia, porém ela não se sarou; deixai-a, e vamo-nos cada um a sua terra; pois seu julgamento chegou até o céu, e subiu até as nuvens.
हम बाबेल का इलाज करते तो थे, परन्तु वह चंगी नहीं हुई। इसलिए आओ, हम उसको तजकर अपने-अपने देश को चले जाएँ; क्योंकि उस पर किए हुए न्याय का निर्णय आकाश वरन् स्वर्ग तक भी पहुँच गया है।
10 O SENHOR trouxe à luz nossas justiças; vinde, e contemos em Sião a obra do SENHOR nosso Deus.
१०यहोवा ने हमारे धार्मिकता के काम प्रगट किए हैं; अतः आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्वर यहोवा के काम का वर्णन करें।
11 Limpai as flechas, preparai os escudos; o SENHOR levantou o espírito dos reis da Média; pois seu pensamento é contra Babilônia para destruí-la; pois esta é vingança do SENHOR, a vingança de seu templo.
११“तीरों को पैना करो! ढालें थामे रहो! क्योंकि यहोवा ने मादी राजाओं के मन को उभारा है, उसने बाबेल को नाश करने की कल्पना की है, क्योंकि यहोवा अर्थात् उसके मन्दिर का यही बदला है
12 Levantai bandeira sobre os muros da Babilônia, reforçai a guarda, ponde vigilantes, preparai ciladas; pois assim o SENHOR tanto planejou como fez o que disse sobre os moradores de Babilônia.
१२बाबेल की शहरपनाह के विरुद्ध झण्डा खड़ा करो; बहुत पहरुए बैठाओ; घात लगाने वालों को बैठाओ; क्योंकि यहोवा ने बाबेल के रहनेवालों के विरुद्ध जो कुछ कहा था, वह अब करने पर है वरन् किया भी है।
13 Tu que habitas sobre muitas águas, rica em tesouros, chegou o teu fim, o limite de tua ganância.
१३हे बहुत जलाशयों के बीच बसी हुई और बहुत भण्डार रखनेवाली, तेरा अन्त आ गया, तेरे लोभ की सीमा पहुँच गई है।
14 O SENHOR dos exércitos jurou por si mesmo, [dizendo]: Eu te encherei de homens como de gafanhotos, que darão gritos [de guerra] contra ti.
१४सेनाओं के यहोवा ने अपनी ही शपथ खाई है, कि निश्चय मैं तुझको टिड्डियों के समान अनगिनत मनुष्यों से भर दूँगा, और वे तेरे विरुद्ध ललकारेंगे।
15 Ele é o que fez a terra com sua força, o que estabeleceu o mundo com sua sabedoria, e estendeu os céus com seu entendimento;
१५“उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
16 Quando ele dá sua voz, há um grande estrondo de águas no céu, e faz subir as nuvens desde os confins da terra; ele faz os relâmpagos com a chuva, e tira o vento de seus tesouros.
१६जब वह बोलता है तब आकाश में जल का बड़ा शब्द होता है, वह पृथ्वी की छोर से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिये बिजली बनाता, और अपने भण्डार में से पवन निकाल ले आता है।
17 Todo homem tem se tornado bruto, e sem conhecimento; envergonha-se todo artífice da imagem de escultura, porque sua imagem de fundição é mentira, e não há espírito nelas.
१७सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित है; सब सुनारों को अपनी खोदी हुई मूरतों के कारण लज्जित होना पड़ेगा; क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरतें धोखा देनेवाली हैं, और उनके कुछ भी साँस नहीं चलती।
18 Elas são inúteis, obra de enganos; no tempo de seu castigo perecerão.
१८वे तो व्यर्थ और ठट्ठे ही के योग्य है; जब उनके नाश किए जाने का समय आएगा, तब वे नाश ही होंगी।
19 A porção de Jacó não é como eles; pois ele é o Formador de tudo; e Israel é a vara de sua herança; EU-SOU dos exércitos é o seu nome.
१९परन्तु जो याकूब का निज भाग है, वह उनके समान नहीं, वह तो सब का बनानेवाला है, और इस्राएल उसका निज भाग है; उसका नाम सेनाओं का यहोवा है।
20 Tu és para mim um martelo, [e] armas de guerra; contigo despedaçarei nações, e contigo destruirei reinos;
२०“तू मेरा फरसा और युद्ध के लिये हथियार ठहराया गया है; तेरे द्वारा मैं जाति-जाति को तितर-बितर करूँगा; और तेरे ही द्वारा राज्य-राज्य को नाश करूँगा।
21 Contigo despedaçarei o cavalo e seus cavaleiro, contigo despedaçarei a carruagem, e os que nela sobem;
२१तेरे ही द्वारा मैं सवार समेत घोड़ों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
22 Contigo despedaçarei o homem e a mulher, contigo despedaçarei o velho e o jovem, contigo despedaçarei o rapaz e a moça;
२२तेरे ही द्वारा रथी समेत रथ को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं स्त्री पुरुष दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं बूढ़े और लड़के दोनों को टुकड़े-टुकड़े करूँगा, और जवान पुरुष और जवान स्त्री दोनों को मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा;
23 Contigo despedaçarei o pastor e seu rebanho; contigo despedaçarei o lavrador e suas juntas [de bois]; e contigo despedaçarei governadores e príncipes.
२३तेरे ही द्वारा मैं भेड़-बकरियों समेत चरवाहे को टुकड़े-टुकड़े करूँगा; तेरे ही द्वारा मैं किसान और उसके जोड़े बैलों को भी टुकड़े-टुकड़े करूँगा; अधिपतियों और हाकिमों को भी मैं तेरे ही द्वारा टुकड़े-टुकड़े करूँगा।
24 Mas retribuirei à Babilônia e a todos os moradores da Caldeia todo a sua maldade, que fizeram em Sião diante de vossos olhos, diz o SENHOR.
२४“मैं बाबेल को और सारे कसदियों को भी उन सब बुराइयों का बदला दूँगा, जो उन्होंने तुम लोगों के सामने सिय्योन में की है; यहोवा की यही वाणी है।
25 Eis que eu sou contra ti, ó monte destruidor, que destróis toda a terra, diz o SENHOR, e estenderei minha mão contra ti, e te farei rolar das rochas, e te tonarei um monte queimado.
२५“हे नाश करनेवाले पहाड़ जिसके द्वारा सारी पृथ्वी नाश हुई है, यहोवा की यह वाणी है कि मैं तेरे विरुद्ध हूँ और हाथ बढ़ाकर तुझे ढाँगों पर से लुढ़का दूँगा और जला हुआ पहाड़ बनाऊँगा।
26 E não tomarão de ti pedra para esquina, nem pedra para fundamentos; porque te tornarás em assolações perpétuas, diz o SENHOR.
२६लोग तुझ से न तो घर के कोने के लिये पत्थर लेंगे, और न नींव के लिये, क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा, यहोवा की यही वाणी है।
27 Levantai bandeira na terra, tocai trombeta entre as nações, preparai nações contra ela; convocai contra ela os reinos de Ararate, Mini, e Asquenaz; ordenai contra ela capitães, fazei subir cavalos como gafanhotos eriçados.
२७“देश में झण्डा खड़ा करो, जाति-जाति में नरसिंगा फूँको; उसके विरुद्ध जाति-जाति को तैयार करो; अरारात, मिन्नी और अश्कनज नामक राज्यों को उसके विरुद्ध बुलाओ, उसके विरुद्ध सेनापति भी ठहराओ; घोड़ों को शिखरवाली टिड्डियों के समान अनगिनत चढ़ा ले आओ।
28 Preparai contra ela as nações; os reis da Média, seus capitães, e todos seus chefes, e também toda a terra em que eles governam.
२८उसके विरुद्ध जातियों को तैयार करो; मादी राजाओं को उनके अधिपतियों सब हाकिमों सहित और उस राज्य के सारे देश को तैयार करो।
29 Então a terra tremerá, e se afligirá; porque todos os pensamentos do SENHOR estão firmes contra a Babilônia, para tornar a terra de Babilônia em desolação, de modo que não haja morador [nela].
२९यहोवा ने विचारा है कि वह बाबेल के देश को ऐसा उजाड़ करे कि उसमें कोई भी न रहे; इसलिए पृथ्वी काँपती है और दुःखित होती है
30 Os guerreiros de Babilônia pararam de lutar, ficaram-se nas fortalezas; faltou-lhes sua força, tornaram-se como mulheres; incendiaram-se suas casas, quebraram-se seus ferrolhos.
३०बाबेल के शूरवीर गढ़ों में रहकर लड़ने से इन्कार करते हैं, उनकी वीरता जाती रही है; और यह देखकर कि उनके वासस्थानों में आग लग गई वे स्त्री बन गए हैं; उसके फाटकों के बेंड़े तोड़े गए हैं।
31 Corredor se encontrará com corredor, mensageiro se encontrará com mensageiro, para anunciar ao rei de Babilônia que sua cidade é tomada por todas os lados;
३१एक हरकारा दूसरे हरकारे से और एक समाचार देनेवाला दूसरे समाचार देनेवाले से मिलने और बाबेल के राजा को यह समाचार देने के लिये दौड़ेगा कि तेरा नगर चारों ओर से ले लिया गया है;
32 E os vaus foram tomados, os canaviais foram queimados a fogo, e os homens de guerra foram assombrados.
३२और घाट शत्रुओं के वश में हो गए हैं, ताल भी सुखाए गए, और योद्धा घबरा उठे हैं।
33 Pois assim diz o SENHOR dos exércitos, Deus de Israel: A filha de Babilônia é como uma eira; já é tempo de trilhá-la; daqui a pouco lhe virá o tempo da ceifa.
३३क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा यह कहता है: बाबेल की बेटी दाँवते समय के खलिहान के समान है, थोड़े ही दिनों में उसकी कटनी का समय आएगा।”
34 Comeu-me, esmagou-me Nabucodonosor rei de Babilônia; tornou-me como um vaso vazio, tragou-me como um chacal, seu ventre se encheu do que eu tinha de melhor, e me lançou fora.
३४“बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझ को खा लिया, मुझ को पीस डाला; उसने मुझे खाली बर्तन के समान कर दिया, उसने मगरमच्छ के समान मुझ को निगल लिया है; और मुझ को स्वादिष्ट भोजन जानकर अपना पेट मुझसे भर लिया है, उसने मुझ को जबरन निकाल दिया है।”
35 A violência feita contra mim e minha carne [venha] sobre a Babilônia, dirá a moradora de Sião; e meu sangue sobre os moradores da Caldeia, dirá Jerusalém.
३५सिय्योन की रहनेवाली कहेगी, “जो उपद्रव मुझ पर और मेरे शरीर पर हुआ है, वह बाबेल पर पलट जाए।” और यरूशलेम कहेगी, “मुझ में की हुई हत्याओं का दोष कसदियों के देश के रहनेवालों पर लगे।”
36 Portanto assim diz o SENHOR: Eis que eu defenderei a tua causa, e vingarei por ti; secarei seu mar, e farei que seu manancial fique seco.
३६इसलिए यहोवा कहता है, “मैं तेरा मुकद्दमा लड़ूँगा और तेरा बदला लूँगा। मैं उसके ताल को और उसके सोतों को सूखा दूँगा;
37 E Babilônia se tornará em amontoados, em morada de chacais, espanto e assovio, sem morador algum.
३७और बाबेल खण्डहर, और गीदड़ों का वासस्थान होगा; और लोग उसे देखकर चकित होंगे और ताली बजाएँगे, और उसमें कोई न रहेगा।
38 Juntamente rugirão como leões; como filhotes de leões bramarão.
३८“लोग एक संग ऐसे गरजेंगे और गुर्राएँगे, जैसे युवा सिंह व सिंह के बच्चे आहेर पर करते हैं।
39 Quando estiverem esquentados, eu lhes porei seus banquetes, e farei com que se embriaguem, para que se alegrem, e durmam um sono eterno, e não despertem, diz o SENHOR.
३९परन्तु जब जब वे उत्तेजित हों, तब मैं भोज तैयार करके उन्हें ऐसा मतवाला करूँगा, कि वे हुलसकर सदा की नींद में पड़ेंगे और कभी न जागेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
40 Eu os levarei abaixo como cordeiros ao matadouro, como carneiros e bodes.
४०मैं उनको, भेड़ों के बच्चों, और मेढ़ों और बकरों के समान घात करा दूँगा।
41 Como foi capturada Sesaque, e tomada a que era o louvor de toda a terra! Como Babilônia se tornou em espanto entre as nações!
४१“शेशक, जिसकी प्रशंसा सारे पृथ्वी पर होती थी कैसे ले लिया गया? वह कैसे पकड़ा गया? बाबेल जातियों के बीच कैसे सुनसान हो गया है?
42 O mar subiu sobre a Babilônia; pela multidão de suas ondas foi coberta.
४२बाबेल के ऊपर समुद्र चढ़ आया है, वह उसकी बहुत सी लहरों में डूब गया है।
43 Suas cidades se tornaram desoladas, uma terra seca e deserta, terra que ninguém habita, nem filho de homem passa por ela.
४३उसके नगर उजड़ गए, उसका देश निर्जन और निर्जल हो गया है, उसमें कोई मनुष्य नहीं रहता, और उससे होकर कोई आदमी नहीं चलता।
44 E punirei a Bel na Babilônia, e tirarei de sua boca o que tragou; e nunca mais as nações virão a ele; e o muro da Babilônia cairá.
४४मैं बाबेल में बेल को दण्ड दूँगा, और उसने जो कुछ निगल लिया है, वह उसके मुँह से उगलवाऊँगा। जातियों के लोग फिर उसकी ओर ताँता बाँधे हुए न चलेंगे; बाबेल की शहरपनाह गिराई जाएगी।
45 Saí do meio dela, ó povo meu, e livrai cada um sua alma do ardor da ira do SENHOR.
४५हे मेरी प्रजा, उसमें से निकल आओ! अपने-अपने प्राण को यहोवा के भड़के हुए कोप से बचाओ!
46 E para que vosso coração não perca as forças, e tenhais medo por causa das notícias que forem ouvidas pela terra; pois em um ano virá notícias, e depois em outro ano mais notícias; e haverá violência na terra, dominador sobre dominador.
४६जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न घबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृथ्वी पर सुनी जाएगी तुम उससे न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्ध होगा।
47 Portanto eis que vêm dias em que punirei as imagens de escultura da Babilônia, e toda a sua terra será envergonhada, e todos seus mortos cairão no meio dela.
४७“इसलिए देख, वे दिन आते हैं जब मैं बाबेल की खुदी हुई मूरतों पर दण्ड की आज्ञा करूँगा; उस सारे देश के लोगों का मुँह काला हो जाएगा, और उसके सब मारे हुए लोग उसी में पड़े रहेंगे।
48 E os céus, a terra, e tudo quanto neles há, cantarão vitória sobre a Babilônia; porque do norte virão destruidores contra ela, diz o SENHOR.
४८तब स्वर्ग और पृथ्वी के सारे निवासी बाबेल पर जयजयकार करेंगे; क्योंकि उत्तर दिशा से नाश करनेवाले उस पर चढ़ाई करेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
49 Pois Babilônia cairá por causa dos mortos de Israel, assim como por causa da Babilônia caíram mortos de toda a terra.
४९जैसे बाबेल ने इस्राएल के लोगों को मारा, वैसे ही सारे देश के लोग उसी में मार डाले जाएँगे।
50 Vós que escapastes do espada, ide embora, não pareis; lembrai-vos do SENHOR até longe, e Jerusalém venha à vossa mente.
५०“हे तलवार से बचे हुओं, भागो, खड़े मत रहो! यहोवा को दूर से स्मरण करो, और यरूशलेम की भी सुधि लो:
51 [Direis, porém]: Estamos envergonhados, porque ouvimos a humilhação; a vergonha cobriu nossos rostos, porque vieram estrangeiros contra os santuários da casa do SENHOR.
५१‘हम व्याकुल हैं, क्योंकि हमने अपनी नामधराई सुनी है; यहोवा के पवित्र भवन में विधर्मी घुस आए हैं, इस कारण हम लज्जित हैं।’
52 Portanto eis que vêm dias, diz o SENHOR, em que punirei suas imagens de escultura, e em toda a sua terra gemerão os feridos.
५२“इसलिए देखो, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आनेवाले हैं कि मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर दण्ड भेजूँगा, और उसके सारे देश में लोग घायल होकर कराहते रहेंगे।
53 Mesmo se a Babilônia subisse ao céu e se fortificasse no alto seu poder, ainda assim de mim virão destruidores contra ela, diz o SENHOR.
५३चाहे बाबेल ऐसा ऊँचा बन जाए कि आकाश से बातें करे और उसके ऊँचे गढ़ और भी दृढ़ किए जाएँ, तो भी मैं उसे नाश करने के लिये, लोगों को भेजूँगा, यहोवा की यह वाणी है।
54 [Ouve-se] som de gritos da Babilônia, e grande quebrantamento da terra dos caldeus!
५४“बाबेल से चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता है! कसदियों के देश से सत्यानाश का बड़ा कोलाहल सुनाई देता है।
55 Pois o SENHOR destrói a Babilônia, e eliminará dela [seu] grande ruído; e suas ondas bramarão, como muitas águas será o ruído da voz deles:
५५क्योंकि यहोवा बाबेल को नाश कर रहा है और उसके बड़े कोलाहल को बन्द कर रहा है। इससे उनका कोलाहल महासागर का सा सुनाई देता है।
56 Pois o destruidor vem contra ela, contra Babilônia; seus guerreiros serão presos, o arco deles será quebrado; porque o SENHOR, Deus de retribuições, certamente dará a pagamento.
५६बाबेल पर भी नाश करनेवाले चढ़ आए हैं, और उसके शूरवीर पकड़े गए हैं और उनके धनुष तोड़ डाले गए; क्योंकि यहोवा बदला देनेवाला परमेश्वर है, वह अवश्य ही बदला लेगा।
57 E embriagarei a seus príncipes e seus sábios, a seus governadores, seus chefes e seus guerreiros; e dormirão sonho perpétuo, e não despertarão, diz o Rei, cujo nome é EU-SOU dos exércitos.
५७मैं उसके हाकिमों, पंडितों, अधिपतियों, रईसों, और शूरवीरों को ऐसा मतवाला करूँगा कि वे सदा की नींद में पड़ेंगे और फिर न जागेंगे, सेनाओं के यहोवा, जिसका नाम राजाधिराज है, उसकी यही वाणी है।
58 Assim diz o SENHOR dos exércitos: Os largos muros da Babilônia serão derrubado por completo, e suas altas portas serão incendiadas a fogo; os povos trabalharão para nada, as nações para o fogo, e se cansarão.
५८“सेनाओं का यहोवा यह भी कहता है, बाबेल की चौड़ी शहरपनाह नींव से ढाई जाएगी, और उसके ऊँचे फाटक आग लगाकर जलाए जाएँगे। और उसमें राज्य-राज्य के लोगों का परिश्रम व्यर्थ ठहरेगा, और जातियों का परिश्रम आग का कौर हो जाएगा और वे थक जाएँगे।”
59 Palavra que o profeta Jeremias enviou a Seraías, filho de Nerias, filho de Maasias, quando ele foi com Zedequias rei de Judá para a Babilônia, no quarto ano de seu reinado. E Seraías era o camareiro-chefe.
५९यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जब उसके साथ सरायाह भी बाबेल को गया था, जो नेरिय्याह का पुत्र और महसेयाह का पोता और राजभवन का अधिकारी भी था,
60 Escreveu, pois, Jeremias em um livro todo o mal que viria sobre a Babilônia, todas estas palavras que estavam escritas contra a Babilônia.
६०तब यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने उसको ये बातें बताई अर्थात् वे सब बातें जो बाबेल पर पड़नेवाली विपत्ति के विषय लिखी हुई हैं, उन्हें यिर्मयाह ने पुस्तक में लिख दिया।
61 E Jeremias disse a Seraías: Quando chegares à Babilônia, tu deves ler e dizer todas estas palavras,
६१यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बाबेल में पहुँचे, तब अवश्य ही ये सब वचन पढ़ना,
62 Então dirás: Ó SENHOR, tu falaste sobre este lugar, que o cortarias fora, até não ficar nele morador, nem homem nem animal, e que se tornaria em desolação perpétua.
६२और यह कहना, ‘हे यहोवा तूने तो इस स्थान के विषय में यह कहा है कि मैं इसे ऐसा मिटा दूँगा कि इसमें क्या मनुष्य, क्या पशु, कोई भी न रहेगा, वरन् यह सदा उजाड़ पड़ा रहेगा।’
63 E será que, quando acabares de ler este livro, tu o atarás a uma pedra, e o lançarás no meio do Eufrates,
६३और जब तू इस पुस्तक को पढ़ चुके, तब इसे एक पत्थर के संग बाँधकर फरात महानद के बीच में फेंक देना,
64 E dirás: Assim Babilônia será afundada, e não se levantará da calamidade que eu trago sobre ela; e se cansarão. Até aqui são as palavras de Jeremias.
६४और यह कहना, ‘इस प्रकार बाबेल डूब जाएगा और मैं उस पर ऐसी विपत्ति डालूँगा कि वह फिर कभी न उठेगा और वे थके रहेंगे।’” यहाँ तक यिर्मयाह के वचन हैं।

< Jeremias 51 >