< Jeremias 42 >
1 Então chegaram todos os comandantes dos exércitos, e Joanã filho de Careá, e Jezanias filho de Hosaías, e todo o povo desde o menor até o maior,
तब सारी सेना के सेनापति, कोरियाह का पुत्र योहानन, होशाइयाह का पुत्र येत्सानियाह, तथा प्रजा के साधारण एवं विशिष्ट सभी लोग भविष्यद्वक्ता येरेमियाह से भेंट करने आ गए
2 E disseram ao profeta Jeremias: Chegue, por favor, nossa suplicação diante de ti, e roga por nós ao SENHOR teu Deus, por todo este restante; pois de muitos restamos [apenas] uns poucos, como teus olhos nos veem,
उन्होंने येरेमियाह भविष्यद्वक्ता से आग्रह किया, “हमारा आपसे निवेदन है, कृपया, याहवेह, अपने परमेश्वर से हमारे लिए, अर्थात् उन बचे हुए लोगों के लिए बिनती कीजिए. क्योंकि बहुसंख्यकों में से अब हम मात्र अल्प ही रह गए हैं, यह तो आप स्वयं देख ही रहे हैं.
3 Para que o SENHOR teu Deus nos ensine caminho por onde devemos andar, e o que temos de fazer.
आप प्रार्थना कीजिए, कि याहवेह, आपके परमेश्वर हम पर यह प्रकट कर दें, कि अब हमारा क्या करना उपयुक्त होगा तथा हमारा कहां जाना सार्थक होगा.”
4 E Jeremias profeta lhes disse: Eu ouvi. Eis que orarei ao SENHOR vosso Deus, conforme vossas palavras; e será que toda palavra que o SENHOR vos responder, eu vos anunciarei; não vos esconderei palavra alguma.
भविष्यद्वक्ता येरेमियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मैंने तुम्हारा प्रस्ताव सुन लिया है. अब देखो, तुम्हारे अनुरोध के अनुसार मैं याहवेह तुम्हारे परमेश्वर से प्रार्थना करूंगा और जो उत्तर मुझे याहवेह की ओर से प्राप्त होगा, वह संपूर्ण संदेश मैं तुम पर प्रकट कर दूंगा और उस संदेश का एक भी शब्द मैं तुमसे न छिपाऊंगा.”
5 Então eles disseram a Jeremias: O SENHOR seja entre nós testemunha da verdade e da fidelidade, se não fizermos conforme a toda palavra com que o SENHOR teu Deus te enviar a nós.
यह सुन उन्होंने येरेमियाह को उत्तर दिया, “याहवेह ही हमारे लिए सत्य एवं विश्वसनीय गवाह हों, यदि हम उस संदेश के अनुरूप पूर्णतः आचरण न करें, जो याहवेह आपके परमेश्वर आपके द्वारा हमें प्रगट करेंगे.
6 Seja bem ou seja mal, obedeceremos à voz do SENHOR nosso Deus, ao qual te enviamos; para que, obedecendo à voz do SENHOR nosso Deus, tenhamos bem.
वह संदेश चाहे हमारे लिए सुखद हो अथवा दुखद, हम याहवेह, हमारे परमेश्वर के संदेश को सुनेंगे, जिनके समक्ष जाने का हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि जब हम याहवेह, हमारे परमेश्वर के आदेश का पालन करें, तब हमारा कल्याण हो.”
7 E aconteceu que ao fim de dez dias veio a palavra do SENHOR a Jeremias.
दस दिन समाप्त होते-होते येरेमियाह को याहवेह का संदेश प्राप्त हुआ.
8 Então ele chamou a Joanã filho de Careá, e a todos os comandantes dos exércitos que com ele estavam, e a todo o povo desde o menor até o maior;
उन्होंने कोरियाह के पुत्र योहानन को, उन सारे सेनापतियों को भी, जो उसके साथ थे तथा सारे साधारण एवं विशिष्ट लोगों की सभा आमंत्रित की.
9 E disse-lhes: Assim diz o SENHOR Deus de Israel, ao qual me enviastes para que eu apresentasse vossa suplicação diante de sua presença:
और उन्हें संबोधित कर कहा, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है, उन्हीं याहवेह का, जिनके समक्ष तुमने मुझे अपना निवेदन प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा था:
10 Se ficardes nesta terra, então eu vos edificarei, e não vos destruirei; eu vos plantarei, e não vos arrancarei; pois ressentido estou do mal que tenho vos feito.
‘यदि तुम वास्तव में इस देश में निवास करते रहो, तब मैं तुम्हें समृद्धि प्रदान करूंगा, तुम्हें नष्ट न करूंगा; मैं तुम्हें यहां रोपित करूंगा, अलग नहीं; क्योंकि मैं तुम पर प्रभावी की गई विपत्तियों के विषय में पछताऊंगा.
11 Não temais ao rei da Babilônia, do qual tendes medo; não o temais, diz o SENHOR, pois eu estou convosco para vos salvar e vos livrar de sua mão;
बाबेल के राजा से भयभीत न होना, जिससे तुम इस समय भयभीत हो रहे हो. मत हो उससे भयभीत, यह याहवेह की वाणी है, क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के निमित्त मैं तुम्हारे साथ हूं मैं तुम्हें उसकी अधीनता से मुक्त करूंगा.
12 E vos concederei misericórdia, de modo que ele tenha misericórdia de vós, e vos faça voltar a vossa terra.
मैं तुम्हें अनुकम्पा का अनुदान दूंगा कि वह तुम पर अनुकम्पा करे और तुम्हें तुम्हारी मातृभूमि पर लौटा दे.’
13 Mas se disserdes: Não ficaremos nesta terra, desobedecendo à voz do SENHOR vosso Deus,
“किंतु यदि तुम कहो, ‘हम इस देश में निवास नहीं करेंगे,’ अर्थात् तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेश का अनुकरण करना अस्वीकार कर दो,
14 E dizendo: Não, em vez disso iremos à terra do Egito, na qual não veremos guerra, nem ouviremos som de trombeta, nem teremos fome de pão, e ali ficaremos;
और यह कहो, ‘नहीं, हम तो मिस्र देश जाएंगे, जहां न तो युद्ध की स्थिति होगी, जहां न नरसिंगा का युद्धनाद सुनना पड़ेगा और न ही जहां भोजन का अभाव रहेगा. हम वहीं निवास करेंगे,’
15 Então assim ouvi a palavra do SENHOR, ó restantes de Judá; assim diz o SENHOR dos exércitos, Deus de Israel: Se dirigirdes vossos rostos para entrar no Egito, e irdes para peregrinar ali,
तब यदि स्थिति यह है, तो यहूदिया के बचे हुए लोगो, याहवेह का यह संदेश सुन लो; सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: ‘यदि तुमने मिस्र देश में प्रवेश करने तथा वहां बस जाने का निश्चय कर ही लिया है,
16 Será que a espada que vós temeis, ali ela vos tomará na terra do Egito, e a fome que vos deixa preocupados, ali no Egito ela vos pegará; e ali morrereis.
तब तो वह तलवार जिससे तुम आतंकित हो, तुम्हें वहां मिस्र देश में जा पकड़ेगी, वह अकाल जिसका तुम्हें डर है, वह तुम्हारे पीछे-पीछे मिस्र देश में जा पहुंचेगा और वहां तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी.
17 Assim será com todos os homens que dirigirem seus rostos para irem ao Egito, para ali peregrinar: morrerão pela espada, pela fome, e pela pestilência; não haverá um deles sequer que reste vivo, nem que escape do mal que eu trarei sobre eles.
तब वे सभी, जिन्होंने मिस्र में जाकर बस जाने का निश्चय कर लिया है, वे वहां जाकर तलवार, लड़ाई तथा महामारी को ग्रसित हो ही जाएंगे, और हां, वहां उस विपत्ति से, जो मैं उन पर डालने पर हूं, न तो कोई उत्तरजीवी शेष रहेगा और न ही कोई शरणार्थी.’
18 Porque assim diz o SENHOR dos exércitos, Deus de Israel: Tal como se derramou minha ira e minha indignação sobre os moradores de Jerusalém, assim também se derramará minha indignação sobre vós, quando entrardes no Egito; e servireis de maldição e de espanto; de amaldiçoamento e de humilhação; e não vereis mais a este lugar.
क्योंकि इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह की वाणी यह है: ‘जिस प्रकार मेरा क्रोध एवं आक्रोश येरूशलेम वासियों पर उंडेला जा चुका है, उसी प्रकार मेरा कोप तुम पर उस अवसर पर उंडेला जाएगा, जब तुम मिस्र देश में प्रवेश करोगे. तब तुम शाप, आतंक के प्रतिरूप, अमंगल तथा उपहास का विषय होकर रह जाओगे; इसके बाद तुम इस स्थान को कभी भी देख न सकोगे.’
19 O SENHOR já falou quanto vós, ó restantes de Judá: Não entreis no Egito; Tende certeza de que eu vos advirto hoje.
“यहूदिया के बचे हुए लोगो, याहवेह ने तुमसे बात की है, ‘मत जाओ मिस्र देश.’ स्पष्टतः यह समझ लो, कि आज मैंने तुम्हें यह चेतावनी दी है
20 Porque levais vossas próprias almas ao erro; pois vós me enviastes ao SENHOR vosso Deus, dizendo: Ora por nós ao SENHOR nosso Deus; e conforme a tudo quanto o SENHOR nosso Deus disser, assim nos faz saber, e o faremos.
छल तो तुमने स्वयं से किया है, क्योंकि स्वयं तुमने ही याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर से बात करने का यह दायित्व मुझे सौंपा था, ‘याहवेह हमारे परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए तथा जो कुछ याहवेह हमारे परमेश्वर कहें, वह हमें बता दीजिए, कि हम वैसा ही करें.’
21 E eu já vos fiz saber hoje, porém não destes ouvidos à voz do SENHOR vosso Deus, nem a tudo pelo que ele me enviou a vós.
यही मैंने आज तुम्हें बता दिया है, किंतु तुमने याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेश का पालन नहीं किया है, उसी को, जिसे तुम्हें बता देने के लिए मुझे याहवेह ने भेजा है.
22 Agora, portanto, tende certeza de que pela espada, pela fome, e pela pestilência, morrereis no lugar onde desejastes entrar para ali peregrinardes.
इसलिये अब तुम्हारा यह स्पष्टतः समझ लेना उपयुक्त होगा, कि तुम जिस स्थान पर जाने की अभिलाषा कर रहे हो, तुम्हारी मृत्यु वहीं तलवार, अकाल तथा महामारी से ही होनी है.”