< 1 Coríntios 3 >
1 E eu, irmãos, não pude vos falar como a espirituais, mas como a carnais, como a meninos em Cristo.
हे बिश्वासी भाईयो, जिब मै थारे साथ था तो थारे ताहीं आत्मिक बात न्ही सीखा पाया, जिस तरियां मै आत्मिक माणसां नै सिखाऊँ सूं, पर मन्नै थारे तै दुनियावी माणसां की तरियां बात करी, क्यूँके थम मसीह म्ह इब भी बाळक के समान सों।
2 Com leite eu vos criei, e não com alimento sólido, porque não podíeis; nem mesmo agora ainda podeis;
मन्नै थारे ताहीं परमेसवर के सुसमाचार की शरुआती शिक्षा ए सिखाई, जिस तरियां कोए इन्सान छोट्टे बाळक नै दूध पियावै सै, अर मन्नै थारे ताहीं वचन की गहरी बात न्ही सिखाई जो की रोट्टी की तरियां सै, क्यूँके थम इब्बे उस ताहीं अपणा न्ही सकदे।
3 porque ainda sois carnais. Pois, havendo entre vós inveja, brigas, e divisões, por acaso não sois carnais, e andais fazendo conforme o costume humano?
क्यूँके इब ताहीं थम दुनियावी माणसां के पापी सुभाव के मुताबिक जीवन जिओ सों। ज्यांतै के इब भी थारे म्ह जळण अर झगड़े सै, तो के थम दुनियावी माणसां की तरियां कोनी? थम उन माणसां की तरियां सों जो परमेसवर के कोनी।
4 Porque dizendo um: “Eu sou de Paulo”, e outro: “Eu [sou] de Apolo”, por acaso não sois carnais?
क्यूँके जिब एक माणस कहवै सै, “मै पौलुस का चेल्ला सूं,” अर दुसरा कहवै सै, “मै अपुल्लोस का चेल्ला सूं,” तो के थम दुनियावी माणस की तरियां कोनी?
5 Ora, quem é Paulo, e quem é Apolo, senão servidores, pelos quais crestes, conforme o Senhor deu a cada um?
अपुल्लोस कौण सै? अर पौलुस कौण सै? सिर्फ सेवक, जिनकै जरिये थमनै मसीह म्ह बिश्वास करया। हम सब नै वोए काम करया जो म्हारे ताहीं प्रभु नै दिया।
6 Eu plantei; Apolo regou; mas foi Deus quem deu o crescimento.
यो उस पौधे की ढाळ सै, जो मन्नै लगाया, अपुल्लोस नै सींचा, अर परमेसवर नै बढ़ाया।
7 De maneira que nem o que planta é algo, nem o que rega; mas sim Deus, que dá o crescimento.
ज्यांतै ना तो लाणआळा किमे सै अर ना सींच्चण आळा, पर परमेसवर ए सारा किमे सै जो बढ़ाण आळा सै।
8 E o que planta e o que rega são um; mas cada um receberá a sua recompensa segundo o seu trabalho.
पौधा लगाण आळा अर उस ताहीं सींच्चण आळा दोनुआ का एक्के मकसद सै, पर हरेक माणस अपणी ए मेहनत कै मुताबिक अपणी ए मजदूरी पावैगा।
9 Porque somos cooperadores de Deus; vós sois a plantação de Deus, o edifício de Deus.
क्यूँके हम परमेसवर कै गैल काम करणीये सां, अर थम परमेसवर की खेत्ती अर उस घर की ढाळ सों जिस ताहीं परमेसवर बणाण लाग रह्या सै।
10 Segundo a graça de Deus que me foi dada, eu, como sábio construtor, pus o fundamento; e outro edifica sobre ele; mas cada um veja como edifica sobre ele.
परमेसवर नै जो वरदान मेरे ताहीं दिए सै, तो मन्नै एक अकलमंद चिणाई आळे मिस्त्री की तरियां घर की नीम धरी, अर दुसरा उसपै रद्दा धरै सै। पर हरेक माणस चौक्कस रहवै के वो उसपै किसा रद्दा धरै सै।
11 Pois ninguém pode pôr fundamento diferente do que já está posto, o qual é Jesus Cristo.
क्यूँके जो नीम धरी सै, वा यीशु मसीह सै, कोए दुसरी नीम कोनी धर सकदा।
12 E se alguém sobre este fundamento edificar ouro, prata, pedras preciosas, madeira, feno, palha,
जै सेवक परमेसवर की सच्ची शिक्षा सिखावै सै, जो परमेसवर नै उस ताहीं दी सै, तो वो उस राज मिस्त्री की ढाळ सै, जो उस नीम पै आच्छे समान तै, जुकर सोन्ना, चाँदी, बेसकिमती पत्थर के जरिये, नीम पै घर बणावै सै, अर जै वो झूठ्ठी शिक्षा नै सिखावै सै, तो वो उसकी ढाळ सै, जो लाकड़ी, घास-फूस तै नीम पै घर बणावै सै।
13 a obra de cada um se manifestará; porque o dia a esclarecerá; pois pelo fogo se descobre; e qual é a obra de cada um, o fogo fará a prova.
तो हरेक माणस अपणे काम नै देक्खैगा के उसनै किसा काम करया सै, क्यूँके यीशु मसीह जाहिर कर देवैगा जिब वो बोहड़ के आवैगा, यो उस दिन की तरियां होगा जिब वो समान आग म्ह डाला जावैगा तो वो देक्खैगा के किसनै किसा काम करया सै, फेर वो फैसला करैगा के किसनै आच्छा अर किसनै बुरा काम करया सै।
14 Se a obra de alguém que construiu sobre ele permanecer, receberá recompensa.
जिस किसे का बणाया गया घर उस नीम पै डटया रहवैगा, तो वोए उसकी मजदूरी पावैगा।
15 Se a obra de alguém se queimar, ele sofrerá perda; porém o tal se salvará, todavia, como que [passado] pelo fogo.
जै मसीह तय करै के जो काम करया सै वो सही कोनी तो मसीह उस काम करण आळे नै मजदूरी न्ही देवैगा, पर वो अनन्त जिन्दगी नै न्ही खोवैगा जो परमेसवर नै उस ताहीं दी सै।
16 Não sabeis vós, que sois o templo de Deus? E que o Espírito de Deus habita em vós?
के थमनै न्ही बेरा के थम परमेसवर के मन्दर सो, अर परमेसवर की आत्मा थारे म्ह वास करै सै?
17 Se alguém destruir o templo de Deus, Deus ao tal destruirá; porque o templo de Deus é santo, o qual sois vós.
जै कोए परमेसवर कै मन्दर नै नाश करैगा, तो परमेसवर उसनै नाश करैगा, क्यूँके परमेसवर का मन्दर पवित्र सै, अर वो थम सो।
18 Ninguém se engane; se alguém entre vós nestes tempos pensa ser sábio, que se faça de louco, para que seja sábio. (aiōn )
धोक्खे म्ह ना रहों, जै थारे म्ह तै कोए यो सोच बेठ्ठै के वो दुनियावी बात्तां के मुताबिक अकलमंद सै, तो ठीक तो यो होगा के वो खुद नै बेकूफ बणाले ताके अकलमंद बण जावै। (aiōn )
19 Pois a sabedoria deste mundo é loucura para Deus; porque está escrito: Ele toma aos sábios pela sua própria astúcia.
क्यूँके इस दुनिया का ज्ञान परमेसवर की नजर म्ह बेकूफी सै, जिसा पवित्र ग्रन्थ म्ह लिख्या सै, “वो ज्ञानियाँ ताहीं उनकी श्याणपत म्ह फँसा देवै सै।”
20 E outra vez: O Senhor conhece os pensamentos dos sábios, que são vãos.
अर यो भी लिख्या सै, के “प्रभु ज्ञानियाँ के विचारां नै जाणै सै, के वो बेकार सै।”
21 Portanto ninguém se orgulhe em seres humanos; porque tudo é vosso,
ज्यांतै माणसां पै कोए घमण्ड ना करै, क्यूँके सारा किमे थारा सै।
22 seja Paulo, seja Apolo, seja Cefas, seja o mundo, seja a vida, seja a morte, seja o presente, seja o futuro; tudo é vosso.
के पौलुस, के अपुल्लोस, के कैफा, के दुनिया, के जीवन, के मरण, के वर्तमान, के भविष्य, सारा किमे थारा सै,
23 Mas vós sois de Cristo; e Cristo, de Deus.
अर थम मसीह के सो, अर मसीह परमेसवर का सै।