< João 10 >

1 Na verdade, na verdade vos digo que aquele que não entra pela porta no curral das ovelhas, mas sobe por outra parte, é ladrão e salteador.
“मैं तुम फ़रीसियों पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं. वह, जो भेड़शाला में द्वार से प्रवेश नहीं करता परंतु बाड़ा फांद कर घुसता है, चोर और लुटेरा है,
2 Mas aquele que entra pela porta é o pastor das ovelhas.
परंतु जो द्वार से प्रवेश करता है, वह भेड़ों का चरवाहा है.
3 A este o porteiro abre, e as ovelhas ouvem a sua voz, e chama pelo nome às suas ovelhas, e as traz para fora.
उसके लिए द्वारपाल द्वार खोल देता है, भेड़ें उसकी आवाज सुनती हैं. वह अपनी भेड़ों को नाम लेकर बुलाता और उन्हें बाहर ले जाता है.
4 E, quando tira para fora as suas ovelhas, vai adiante delas, e as ovelhas o seguem, porque conhecem a sua voz;
अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल लेने के बाद वह उनके आगे-आगे चलता है और भेड़ें उसके पीछे-पीछे क्योंकि वे उसकी आवाज पहचानती हैं.
5 Mas de modo nenhum seguirão o estranho, antes fugirão dele, porque não conhecem a voz dos estranhos.
वे किसी अनजान के पीछे कभी नहीं चलेंगी परंतु उससे भागेंगी क्योंकि वे उस अनजान की आवाज नहीं पहचानतीं.”
6 Jesus disse-lhes esta parábola; porém eles não entenderam o que era que lhes dizia.
मसीह येशु के इस दृष्टांत का मतलब सुननेवाले फ़रीसी नहीं समझे कि वह उनसे कहना क्या चाह रहे थे.
7 Tornou pois Jesus a dizer-lhes: Em verdade vos digo que eu sou a porta das ovelhas.
इसलिये मसीह येशु ने दोबारा कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: भेड़ों का द्वार मैं ही हूं.
8 Todos quantos vieram antes de mim são ladrões e salteadores; mas as ovelhas não os ouviram.
वे सभी, जो मुझसे पहले आए, चोर और लुटेरे थे. भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी.
9 Eu sou a porta; se alguém entrar por mim, salvar-se-a, e entrará, e sairá, e achará pasto.
द्वार मैं ही हूं. यदि कोई मुझसे होकर प्रवेश करता है तो उद्धार प्राप्‍त करेगा. वह भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा.
10 O ladrão não vem senão a roubar, a matar, e a destruir: eu vim para que tenham vida, e a tenham com abundância.
चोर किसी अन्य उद्देश्य से नहीं, मात्र चुराने, हत्या करने और नाश करने आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं और बहुतायत का जीवन पाएं.
11 Eu sou o bom Pastor: o bom Pastor dá a sua vida pelas ovelhas.
“मैं ही हूं अच्छा चरवाहा. अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है.
12 Mas o mercenário, e o que não é pastor, de quem não são próprias as ovelhas, vê vir o lobo, e deixa as ovelhas, e foge; e o lobo as arrebata e dispersa.
मज़दूर, जो न तो चरवाहा है और न भेड़ों का स्वामी, भेड़िये को आते देख भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है. भेड़िया उन्हें पकड़ता है और वे तितर-बितर हो जाती हैं.
13 Ora o mercenário foge, porque é mercenário, e não tem cuidado das ovelhas.
इसलिये कि वह मज़दूर है, उसे भेड़ों की कोई चिंता नहीं है.
14 Eu sou o bom Pastor, e conheço as minhas, e das minhas sou conhecido.
“मैं ही हूं अच्छा चरवाहा. मैं अपनों को जानता हूं और मेरे अपने मुझे;
15 Assim como o Pai me conhece a mim, também eu conheço o Pai, e dou a minha vida pelas ovelhas.
ठीक जिस प्रकार पिता परमेश्वर मुझे जानते हैं, और मैं उन्हें. भेड़ों के लिए मैं अपने प्राण भेंट कर देता हूं.
16 Ainda tenho outras ovelhas que não são deste curral; também me convém trazer estas, e elas ouvirão a minha voz, e haverá um rebanho e um Pastor.
मेरी और भी भेड़ें हैं, जो अब तक इस भेड़शाला में नहीं हैं. मुझे उन्हें भी लाना है. वे मेरी आवाज सुनेंगी; तब एक ही झुंड और एक ही चरवाहा होगा.
17 Por isso o Pai me ama, porque dou a minha vida para tornar a toma-la.
पिता मुझसे प्रेम इसलिये करते हैं कि मैं अपने प्राण भेंट कर देता हूं—कि उन्हें दोबारा प्राप्‍त करूं.
18 Ninguém ma tira de mim, mas eu de mim mesmo a dou; tenho poder para a dar, e poder para tornar a toma-la. Este mandamento recebi de meu Pai.
कोई भी मुझसे मेरे प्राण छीन नहीं रहा—मैं अपने प्राण अपनी इच्छा से भेंट कर रहा हूं. मुझे अपने प्राण भेंट करने और उसे दोबारा प्राप्‍त करने का अधिकार है, जो मुझे अपने पिता की ओर से प्राप्‍त हुआ है.”
19 Tornou pois a haver divisão entre os judeus por causa destas palavras.
मसीह येशु के इस वक्तव्य के कारण यहूदियों में दोबारा मतभेद उत्पन्‍न हो गया.
20 E muitos deles diziam: Tem demônio, e está fora de si: porque o ouvis?
उनमें से कुछ ने कहा, “यह दुष्टात्मा से पीड़ित है या निपट सिरफिरा. क्यों सुनते हो तुम उसकी?”
21 Diziam outros: Estas palavras não são de endemoninhado; pode porventura um demônio abrir os olhos aos cegos?
कुछ अन्य लोगों ने कहा, “ये वचन दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति के नहीं हो सकते; क्या कोई दुष्टात्मा अंधों को आंखों की रोशनी दे सकता है?”
22 E em Jerusalém era a festa da dedicação, e era inverno.
शीत ऋतु थी और येरूशलेम में समर्पण पर्व मनाया जा रहा था.
23 E Jesus andava passeando no templo, no alpendre de Salomão.
मसीह येशु मंदिर परिसर में शलोमोन के द्वारा बनाए हुए मंडप में टहल रहे थे.
24 Rodearam-no pois os judeus, e disseram-lhe: Até quando terás a nossa alma suspensa? Se tu és o Cristo, dize-no-lo abertamente.
यहूदी अगुओं ने उन्हें घेर लिया और जानना चाहा, “तुम हमें कब तक दुविधा में डाले रहोगे? यदि तुम ही मसीह हो तो हमें स्पष्ट बता दो.”
25 Respondeu-lhes Jesus: Já vo-lo tenho dito, e não o credes. As obras que eu faço, em nome de meu Pai, essas testificam de mim
मसीह येशु ने उत्तर दिया, “मैंने तो आपको बता दिया है, किंतु आप ही विश्वास नहीं करते. सभी काम, जो मैं अपने पिता के नाम में करता हूं, वे ही मेरे गवाह हैं.
26 Mas vós não credes, porque não sois das minhas ovelhas, como já vo-lo tenho dito
आप विश्वास नहीं करते क्योंकि आप मेरी भेड़ें नहीं हैं.
27 As minhas ovelhas ouvem a minha voz, e eu conheço-as, e elas me seguem;
मेरी भेड़ें मेरी आवाज सुनती हैं. मैं उन्हें जानता हूं और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं.
28 E dou-lhes a vida eterna, e nunca perecerão, e ninguém as arrebatará da minha mão. (aiōn g165, aiōnios g166)
मैं उन्हें अनंत काल का जीवन देता हूं. वे कभी नाश न होंगी और कोई भी उन्हें मेरे हाथ से छीन नहीं सकता. (aiōn g165, aiōnios g166)
29 Meu Pai, que mas deu, é maior do que todos; e ninguém pode arrebata-las da mão de meu Pai.
मेरे पिता, जिन्होंने उन्हें मुझे सौंपा है, सबसे बड़ा हैं और कोई भी इन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता.
30 Eu e o Pai somos um.
मैं और पिता एक तत्व हैं.”
31 Os judeus pegaram então outra vez em pedras para o apedrejar.
तब यहूदियों ने दोबारा उनका पथराव करने के लिए पत्थर उठा लिए.
32 Respondeu-lhes Jesus: Tenho-vos mostrado muitas obras boas de meu Pai; por qual destas obras me apedrejais?
मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “मैंने अपने पिता की ओर से तुम्हारे सामने अनेक भले काम किए. उनमें से किस काम के लिए तुम मेरा पथराव करना चाहते हो?”
33 Os judeus responderam, dizendo-lhe: Não te apedrejamos por obra boa, mas pela blasfêmia; porque, sendo tu homem, te fazes Deus a ti mesmo.
यहूदियों ने उत्तर दिया, “भले काम के कारण नहीं, परंतु परमेश्वर-निंदा के कारण: तुम मनुष्य होते हुए स्वयं को परमेश्वर घोषित करते हो!”
34 Respondeu-lhes Jesus: Não está escrito na vossa lei: Eu disse: Sois deuses?
मसीह येशु ने उनसे पूछा, “क्या तुम्हारे व्यवस्था में यह नहीं लिखा: मैंने कहा कि तुम ईश्वर हो?
35 Pois, se a lei chamou deuses àqueles a quem a palavra de Deus foi dirigida (e a escritura não pode ser annullada),
जिन्हें परमेश्वर का संदेश दिया गया था, उन्हें ईश्वर कहकर संबोधित किया गया—और पवित्र शास्त्र का लेख टल नहीं सकता,
36 A mim, a quem o Pai santificou, e enviou ao mundo, vós dizeis: blasfemas; porque disse: Sou Filho de Deus?
तो जिसे पिता ने विशेष उद्देश्य पूरा करने के लिए अलग कर संसार में भेज दिया है, उसके विषय में आप यह घोषणा कर रहे हैं: ‘तुम परमेश्वर की निंदा कर रहे हो!’ क्या मात्र इसलिये कि मैंने यह दावा किया है, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूं’?
37 Se não faço as obras de meu Pai, não me acrediteis.
मत करो मुझमें विश्वास यदि मैं अपने पिता के काम नहीं कर रहा.
38 Porém, se as faço, e não credes em mim, crede nas obras; para que conheçais e acrediteis que o Pai está em mim e eu nele
परंतु यदि मैं ये काम कर ही रहा हूं, तो भले ही तुम मुझमें विश्वास न करो, इन कामों में तो विश्वास करो कि तुम जान जाओ और समझ लो कि पिता परमेश्वर मुझमें हैं और मैं पिता परमेश्वर में.”
39 Procuravam pois prendê-lo outra vez, mas ele escapou-se de suas mãos,
इस पर उन्होंने दोबारा मसीह येशु को बंदी बनाने का प्रयास किया, किंतु वह उनके हाथ से बचकर निकल गए.
40 E retirou-se outra vez para além do Jordão, para o lugar onde João tinha primeiramente batizado; e ali ficou.
इसके बाद मसीह येशु यरदन नदी के पार दोबारा उस स्थान को चले गए, जहां पहले योहन बपतिस्मा देते थे और वह वहीं ठहरे रहे.
41 E muitos iam ter com ele, e diziam: Na verdade João não fez sinal algum, mas tudo quanto João disse deste era verdade.
वहां अनेक लोग उनके पास आने लगे. वे कह रहे थे, “यद्यपि योहन ने कोई अद्भुत चिह्न नहीं दिखाया, फिर भी जो कुछ उन्होंने इनके विषय में कहा था, वह सब सच है.”
42 E muitos ali creram nele.
वहां अनेक लोगों ने मसीह येशु में विश्वास किया.

< João 10 >