< Deuteronômio 8 >
1 Todos os mandamentos que hoje vos ordeno guardareis para os fazer: para que vivais, e vos multipliqueis, e entreis, e possuais a terra que o Senhor jurou a vossos pais.
१“जो-जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूँ उन सभी पर चलने की चौकसी करना, इसलिए कि तुम जीवित रहो और बढ़ते रहो, और जिस देश के विषय में यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाई है उसमें जाकर उसके अधिकारी हो जाओ।
2 E te lembrarás de todo o caminho, pelo qual o Senhor teu Deus te guiou no deserto estes quarenta anos, para te humilhar, e te tentar, para saber o que estava no teu coração, se guardarias os seus mandamentos, ou não.
२और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिए ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके यह जान ले कि तेरे मन में क्या-क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा या नहीं।
3 E te humilhou, e te deixou ter fome, e te sustentou com o maná, que tu não conheceste, nem teus pais o conheceram: para te dar a entender que o homem não viverá só de pão, mas que de tudo o que sai da boca do Senhor viverá o homem.
३उसने तुझको नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा भी जानते थे, वही तुझको खिलाया; इसलिए कि वह तुझको सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो-जो वचन यहोवा के मुँह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।
4 Nunca se envelheceu o teu vestido sobre ti, nem se inchou o teu pé estes quarenta anos.
४इन चालीस वर्षों में तेरे वस्त्र पुराने न हुए, और तेरे तन से भी नहीं गिरे, और न तेरे पाँव फूले।
5 Confessa pois no teu coração que, como um homem castiga a seu filho, assim te castiga o Senhor teu Deus.
५फिर अपने मन में यह तो विचार कर, कि जैसा कोई अपने बेटे को ताड़ना देता है वैसे ही तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको ताड़ना देता है।
6 E guarda os mandamentos do Senhor teu Deus, para o temer, e andar nos seus caminhos.
६इसलिए अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करते हुए उसके मार्गों पर चलना, और उसका भय मानते रहना।
7 Porque o Senhor teu Deus te mete numa boa terra, terra de ribeiros de águas, de fontes, e de abismos, que saem dos vales e das montanhas;
७क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहरे-गहरे सोतों का देश है।
8 Terra de trigo e cevada, e de vides, e figueiras, e romeiras; terra de oliveiras, abundante de azeite e mel;
८फिर वह गेहूँ, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाले जैतून और मधु का भी देश है।
9 Terra em que comerás o pão sem escassez, e nada te faltará nela: terra cujas pedras são ferro, e de cujos montes tu cavarás o cobre.
९उस देश में अन्न की महँगी न होगी, और न उसमें तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहाँ के पत्थर लोहे के हैं, और वहाँ के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा।
10 Quando pois tiveres comido, e fores farto, louvarás ao Senhor teu Deus pela boa terra que te deu.
१०और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसे धन्य मानेगा।
11 Guarda-te que te esqueças do Senhor teu Deus, não guardando os seus mandamentos, e os seus juízos, e os seus estatutos que hoje te ordeno:
११“इसलिए सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो-जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूँ उनका मानना छोड़ दे;
12 Para que, porventura, havendo tu comido e fores farto, e havendo edificado boas casas, e habitando-as,
१२ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे-अच्छे घर बनाकर उनमें रहने लगे,
13 E se tiverem aumentado as tuas vacas e as tuas ovelhas, e se acrescentar a prata e o ouro, e se multiplicar tudo quanto tens,
१३और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चाँदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए,
14 Se não eleve o teu coração e te esqueças do Senhor teu Deus, que te tirou da terra do Egito, da casa da servidão;
१४तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझको दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है,
15 Que te guiou por aquele grande e terrível deserto de serpentes ardentes, e de escorpiões, e de secura, em que não havia água; e tirou água para ti da rocha do seixal;
१५और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहाँ तेज विषवाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्टान से जल निकाला,
16 Que no deserto te sustentou com maná, que teus pais não conheceram; para te humilhar, e para te provar, para no teu fim te fazer bem;
१६और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिए कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके अन्त में तेरा भला ही करे।
17 E digas no teu coração: A minha força, e a fortaleza de meu braço, me adquiriu este poder.
१७और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई।
18 Antes te lembrarás do Senhor teu Deus, que ele é o que te dá força para adquirires poder; para confirmar o seu concerto, que jurou a teus pais; como se vê neste dia.
१८परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पत्ति प्राप्त करने की सामर्थ्य इसलिए देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बाँधी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।
19 Será porém que, se de qualquer sorte te esqueceres do Senhor teu Deus, e se ouvires outros deuses, e os servires, e te inclinares perante eles, hoje eu protesto contra vós que certamente perecereis.
१९यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लेगा, और उनकी उपासना और उनको दण्डवत् करेगा, तो मैं आज तुम को चिता देता हूँ कि तुम निःसन्देह नष्ट हो जाओगे।
20 Como as gentes que o Senhor destruiu diante de vós, assim vós perecereis: porquanto não querieis obedecer à voz do Senhor vosso Deus.
२०जिन जातियों को यहोवा तुम्हारे सम्मुख से नष्ट करने पर है, उन्हीं के समान तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा का वचन न मानने के कारण नष्ट हो जाओगे।