< Salmos 52 >

1 Porque te glorias na malicia, ó homem poderoso? pois a bondade de Deus permanece continuamente.
ऐ ज़बरदस्त, तू शरारत पर क्यूँ फ़ख़्र करता है? ख़ुदा की शफ़क़त हमेशा की है।
2 A tua lingua intenta o mal, como uma navalha amolada, traçando enganos.
तेरी ज़बान महज़ शरारत ईजाद करती है; ऐ दग़ाबाज़, वह तेज़ उस्तरे की तरह है।
3 Tu amas mais o mal do que o bem, e a mentira mais do que o fallar a rectidão (Selah)
तू बदी को नेकी से ज़्यादा पसंद करता है, और झूट को सदाक़त की बात से।
4 Amas todas as palavras devoradoras, ó lingua fraudulenta.
ऐ दग़ाबाज़ ज़बान! तू मुहलिक बातों को पसंद करती है।
5 Tambem Deus te destruirá para sempre; arrebatar-te-ha e arrancar-te-ha da tua habitação; e desarreigar-te-ha da terra dos viventes (Selah)
ख़ुदा भी तुझे हमेशा के लिए हलाक कर डालेगा; वह तुझे पकड़ कर तेरे ख़ेमे से निकाल फेंकेगा, और ज़िन्दों की ज़मीन से तुझे उखाड़ डालेगा। (सिलाह)
6 E os justos o verão, e temerão: e se rirão d'elle:
सादिक़ भी इस बात को देख कर डर जाएँगे, और उस पर हँसेंगे,
7 Eis aqui o homem que não poz em Deus a sua fortaleza; antes confiou na abundancia das suas riquezas, e se fortaleceu na sua maldade.
कि देखो, यह वही आदमी है जिसने ख़ुदा को अपनी पनाहगाह न बनाया, बल्कि अपने माल की ज़यादती पर भरोसा किया, और शरारत में पक्का हो गया।
8 Mas eu sou como a oliveira verde na casa de Deus; confio na misericordia de Deus para sempre, eternamente.
लेकिन मैं तो ख़ुदा के घर में जैतून के हरे दरख़्त की तरह हूँ। मेरा भरोसा हमेशा से हमेशा तक ख़ुदा की शफ़क़त पर है।
9 Para sempre te louvarei, porque tu o fizeste, e esperarei no teu nome, porque é bom diante de teus sanctos.
मैं हमेशा तेरी शुक्रगुज़ारी करता रहूँगा, क्यूँकि तू ही ने यह किया है; और मुझे तेरे ही नाम की आस होगी, क्यूँकि वह तेरे पाक लोगों के नज़दीक खू़ब है।

< Salmos 52 >