< Salmos 18 >
1 Eu te amarei do coração, ó Senhor, fortaleza minha.
ऐ ख़ुदावन्द, ऐ मेरी ताक़त! मैं तुझसे मुहब्बत रखता हूँ।
2 O Senhor é o meu rochedo, e o meu logar forte e o meu libertador; o meu Deus, a minha fortaleza, em quem confio, o meu escudo, a força da minha salvação, e o meu alto refugio.
ख़ुदावन्द मेरी चट्टान, और मेरा किला और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ख़ुदा, मेरी चट्टान जिस पर मैं भरोसा रखूँगा, मेरी ढाल और मेरी नजात का सींग, मेरा ऊँचा बुर्ज।
3 Invocarei o nome do Senhor, que é digno de louvor, e ficarei livre dos meus inimigos.
मैं ख़ुदावन्द को, जो सिताइश के लायक़ है पुकारूँगा। यूँ मैं अपने दुश्मनों से बचाया जाऊँगा।
4 Tristezas de morte me cercaram, e torrentes de impiedade me assombraram.
मौत की रस्सियों ने मुझे घेर लिया, और बेदीनी के सैलाबों ने मुझे डराया;
5 Tristezas do inferno me cingiram, laços de morte me surprehenderam. (Sheol )
पाताल की रस्सियाँ मेरे चारों तरफ़ थीं, मौत के फंदे मुझ पर आ पड़े थे। (Sheol )
6 Na angustia invoquei ao Senhor, e clamei ao meu Deus: desde o seu templo ouviu a minha voz, aos seus ouvidos chegou o meu clamor perante a sua face.
अपनी मुसीबत में मैंने ख़ुदावन्द को पुकाराः और अपने ख़ुदा से फ़रियाद की; उसने अपनी हैकल में से मेरी आवाज़ सुनी, और मेरी फ़रियाद जो उसके सामने थी, उसके कान में पहुँची।
7 Então a terra se abalou e tremeu; e os fundamentos dos montes tambem se moveram e se abalaram, porquanto se indignou.
तब ज़मीन हिल गई और कॉप उठी, पहाड़ों की बुनियादों ने जुम्बिश खाई और हिल गई, इसलिए कि वह ग़ज़बनाक हुआ।
8 Do seu nariz subiu fumo, e da sua bocca saiu fogo que consumia; carvões se accenderam d'elle.
उसके नथनों से धुवाँ उठा, और उसके मुँह से आग निकलकर भसम करने लगी; कोयले उससे दहक उठे।
9 Abaixou os céus, e desceu, e a escuridão estava debaixo de seus pés.
उसने आसमानों को भी झुका दिया और नीचे उतर आया; और उसके पाँव तले गहरी तारीकी थी।
10 E montou n'um cherubim, e voou; sim, voou sobre as azas do vento.
वह करूबी पर सवार होकर उड़ा, बल्कि वह तेज़ी से हवा के बाजू़ओं पर उड़ा।
11 Fez das trevas o seu logar occulto; o pavilhão que o cercava era a escuridão das aguas e as nuvens dos céus.
उसने ज़ुल्मत या'नी बादल की तारीकी और आसमान के दलदार बादलों को अपने चारों तरफ़अपने छिपने की जगह और अपना शामियाना बनाया।
12 Ao resplandor da sua presença as nuvens se espalharam; a saraiva e as brazas de fogo.
उसकी हुज़ूरी की झलक से उसके दलदार बादल फट गए, ओले और अंगारे।
13 E o Senhor trovejou nos céus, o Altissimo levantou a sua voz; a saraiva e as brazas de fogo.
और ख़ुदावन्द आसमान में गरजा, हक़ ता'ला ने अपनी आवाज़ सुनाई, ओले और अंगारे।
14 Despediu as suas settas, e os espalhou: multiplicou raios, e os perturbou.
उसने अपने तीर चलाकर उनको तितर बितर किया, बल्कि ताबड़ तोड़ बिजली से उनको शिकस्त दी।
15 Então foram vistas as profundezas das aguas, e foram descobertos os fundamentos do mundo; pela tua reprehensão. Senhor, ao sopro do vento dos teus narizes.
तब तेरी डाँट से ऐ ख़ुदावन्द! तेरे नथनों के दम के झोंके से, पानी की थाह दिखाई देने लगीऔर जहान की बुनियादें नमूदार हुई।
16 Enviou desde o alto, e me tomou: tirou-me das muitas aguas.
उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और मुझे बहुत पानी में से खींचकर बाहर निकाला।
17 Livrou-me do meu inimigo forte e dos que me aborreciam, pois eram mais poderosos do que eu.
उसने मेरे ताक़तवर दुश्मन और मेरे'अदावत रखने वालों से मुझे छुड़ा लिया, क्यूँकि वह मेरे लिए बहुत ही ज़बरदस्त थे।
18 Surprehenderam-me no dia da minha calamidade; mas o Senhor foi o meu encosto.
वह मेरी मुसीबत के दिन मुझ पर आ पड़े; लेकिन ख़ुदावन्द मेरा सहारा था।
19 Trouxe-me para um logar espaçoso; livrou-me, porque tinha prazer em mim.
वह मुझे कुशादा जगह में निकाल भी लाया। उसने मुझे छुड़ाया, इसलिए कि वह मुझ से ख़ुश था।
20 Recompensou-me o Senhor conforme a minha justiça, retribuiu-me conforme a pureza das minhas mãos.
ख़ुदावन्द ने मेरी रास्ती के मुवाफ़िक़ मुझे बदला दिया: और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ मुझे बदला दिया।
21 Porque guardei os caminhos do Senhor, e não me apartei impiamente do meu Deus.
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की राहों पर चलता रहा, और शरारत से अपने ख़ुदा से अलग न हुआ।
22 Porque todos os seus juizos estavam diante de mim, e não rejeitei os seus estatutos.
क्यूँकि उसके सब फ़ैसले मेरे सामने रहे, और मैं उसके आईन से नाफ़रमान न हुआ।
23 Tambem fui sincero perante elle, e me guardei da minha iniquidade.
मैं उसके सामने कामिल भी रहा, और अपने को अपनी बदकारी से रोके रख्खा।
24 Portanto retribuiu-me o Senhor conforme a minha justiça, conforme a pureza de minhas mãos perante os seus olhos.
ख़ुदावन्द ने मुझे मेरी रास्ती के मुवाफ़िक़ और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ जो उसके सामने थी बदला दिया।
25 Com o benigno te mostrarás benigno; e com o homem sincero te mostrarás sincero;
रहम दिल के साथ तू रहीम होगा, और कामिल आदमी के साथ कामिल।
26 Com o puro te mostrarás puro; e com o perverso te mostrarás indomavel.
नेकोकार के साथ नेक होगा, और कजरों के साथ टेढ़ा।
27 Porque tu livrarás ao povo afflicto, e abaterás os olhos altivos.
क्यूँकि तू मुसीबत ज़दा लोगों को बचाएगा; लेकिन मग़रूरों की आँखों को नीचा करेगा।
28 Porque tu accenderás a minha candeia; o Senhor meu Deus allumiará as minhas trevas.
इसलिए के तू मेरे चराग़ को रौशन करेगा: ख़ुदावन्द मेरा ख़ुदा मेरे अंधेरे को उजाला कर देगा।
29 Porque comtigo entrei pelo meio d'um esquadrão, com o meu Deus saltei uma muralha.
क्यूँकि तेरी बदौलत मैं फ़ौज पर धावा करता हूँ। और अपने ख़ुदा की बदौलत दीवार फाँद जाता हूँ।
30 O caminho de Deus é perfeito; a palavra do Senhor é provada: é um escudo para todos os que n'elle confiam.
लेकिन ख़ुदा की राह कामिल है; ख़ुदावन्द का कलाम ताया हुआ है; वह उन सबकी ढाल है जो उस पर भरोसा रखते हैं।
31 Porque quem é Deus senão o Senhor? e quem é rochedo senão o nosso Deus?
क्यूँकि ख़ुदावन्द के अलावा और कौन ख़ुदा है? और हमारे ख़ुदा को छोड़कर और कौन चट्टान है?
32 Deus é o que me cinge de força e aperfeiçoa o meu caminho.
ख़ुदा ही मुझे ताक़त से कमर बस्ता करता है, और मेरी राह को कामिल करता है।
33 Faz os meus pés como os das cervas, e põe-me nas minhas alturas.
वही मेरे पाँव हिरनीयों के से बना देता है, और मुझे मेरी ऊँची जगहों में क़ाईम करता है।
34 Ensina as minhas mãos para a guerra, de sorte que os meus braços quebraram um arco de cobre.
वह मेरे हाथों को जंग करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरे बाजू़ पीतल की कमान को झुका देते हैं।
35 Tambem me déste o escudo da tua salvação: a tua mão direita me susteve, e a tua mansidão me engrandeceu.
तूने मुझ को अपनी नजात की ढाल बख़्शी, और तेरे दहने हाथ ने मुझे संभाला, और तेरी नमी ने मुझे बुज़ूर्ग बनाया है।
36 Alargaste os meus passos debaixo de mim, de maneira que os meus artelhos não vacillaram.
तूने मेरे नीचे, मेरे क़दम कुशादा कर दिए; और मेरे पाँव नहीं फिसले।
37 Persegui os meus inimigos, e os alcancei: não voltei senão depois de os ter consumido.
मैं अपने दुश्मनों का पीछा करके उनको जा लूँगा; और जब तक वह फ़ना न हो जाएँ, वापस नहीं आऊँगा।
38 Atravessei-os, de sorte que não se poderam levantar: cairam debaixo dos meus pés.
मैं उनको ऐसा छेदुँगा कि वह उठ न सकेंगे; वह मेरे पाँव के नीचे गिर पड़ेंगे।
39 Pois me cingiste de força para a peleja: fizeste abater debaixo de mim aquelles que contra mim se levantaram.
क्यूँकि तूने लड़ाई के लिए मुझे ताक़त से कमरबस्ता किया; और मेरे मुख़ालिफ़ों को मेरे सामने नीचा दिखाया।
40 Déste-me tambem o pescoço dos meus inimigos para que eu podesse destruir os que me aborrecem.
तूने मेरे दुश्मनों की नसल मेरी तरफ़ फेर दी, ताकि मैं अपने 'अदावत रखने वालों को काट डालूँ।
41 Clamaram, mas não houve quem os livrasse: até ao Senhor, mas elle não lhes respondeu.
उन्होंने दुहाई दी लेकिन कोई न था जो बचाए, ख़ुदावन्द को भी पुकारा लेकिन उसने उनको जवाब न दिया।
42 Então os esmiucei como o pó diante do vento; deitei-os fóra como a lama das ruas.
तब मैंने उनको कूट कूट कर हवा में उड़ती हुई गर्द की तरह कर दिया; मैंने उनको गली कूचों की कीचड़ की तरह निकाल फेंका
43 Livraste-me das contendas do povo, e me fizeste cabeça das nações; um povo que não conheci, me servirá.
तूने मुझे क़ौम के झगड़ों से भी छुड़ाया; तूने मुझे क़ौमों का सरदार बनाया है; जिस क़ौम से मैं वाक़िफ़ भी नहीं वह मेरी फ़र्माबरदार होगी।
44 Em ouvindo a minha voz, me obedecerão: os estranhos se submetterão a mim.
मेरा नाम सुनते ही वह मेरी फ़रमाबरदारी करेंगे; परदेसी मेरे ताबे' हो जाएँगे।
45 Os estranhos decairão, e terão medo nos seus encerramentos.
परदेसी मुरझा जाएँगे, और अपने क़िले' से थरथराते हुए निकलेंगे।
46 O Senhor vive: e bemdito seja o meu rochedo, e exaltado seja o Deus da minha salvação.
ख़ुदावन्द ज़िन्दा है! मेरी चट्टान मुबारक हो, और मेरा नजात देने वाला ख़ुदा मुम्ताज़ हो।
47 É Deus que me vinga inteiramente, e sujeita os povos debaixo de mim;
वही ख़ुदा जो मेरा इन्तक़ाम लेता है; और उम्मतों को मेरे सामने नीचा करता है।
48 O que me livra de meus inimigos; --sim, tu me exaltas sobre os que se levantam contra mim, tu me livras do homem violento.
वह मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ाता है; बल्कि तू मुझे मेरे मुख़ालिफ़ों पर सरफ़राज़ करता है। तू मुझे टेढ़े आदमी से रिहाई देता है।
49 Pelo que, ó Senhor, te louvarei entre as nações, e cantarei louvores ao teu nome.
इसलिए ऐ ख़ुदावन्द! मैं क़ौमों के बीच तेरी शुक्रगुज़ारी, और तेरे नाम की मदहसराई करूँगा।
50 Pois engrandece a salvação do teu rei, e usa de benignidade com o seu ungido, com David, e com a sua semente para sempre.
वह अपने बादशाह को बड़ी नजात 'इनायत करता है, और अपने मम्सूह दाऊद और उसकी नसल पर हमेशा शफ़क़त करता है।