< Lamentações de Jeremias 4 >

1 Como se escureceu o oiro! como se mudou o oiro fino e bom! como estão espalhadas as pedras do sanctuario ao canto de todas as ruas!
सोना कैसे खोटा हो गया, अत्यन्त खरा सोना कैसे बदल गया है? पवित्रस्थान के पत्थर तो हर एक सड़क के सिरे पर फेंक दिए गए हैं।
2 Os preciosos filhos de Sião, avaliados a puro oiro, como são agora reputados por vasos de barro, obra das mãos do oleiro!
सिय्योन के उत्तम पुत्र जो कुन्दन के तुल्य थे, वे कुम्हार के बनाए हुए मिट्टी के घड़ों के समान कैसे तुच्छ गिने गए हैं!
3 Até as vaccas marinhas abaixam o peito, dão de mamar aos seus filhos; porém a filha do meu povo fez-se cruel como as abestruzes no deserto.
गीदड़िन भी अपने बच्चों को थन से लगाकर पिलाती है, परन्तु मेरे लोगों की बेटी वन के शुतुर्मुर्गों के तुल्य निर्दयी हो गई है।
4 A lingua do mesmo que mama de sêde fica pegada ao seu paladar: os meninos pedem pão, e não ha quem lh'o reparta.
दूध-पीते बच्चों की जीभ प्यास के मारे तालू में चिपट गई है; बाल-बच्चे रोटी माँगते हैं, परन्तु कोई उनको नहीं देता।
5 Os que comiam delicadezas agora desfallecem nas ruas: os que se crearam em carmezim abraçam o esterco.
जो स्वादिष्ट भोजन खाते थे, वे अब सड़कों में व्याकुल फिरते हैं; जो मखमल के वस्त्रों में पले थे अब घूरों पर लेटते हैं।
6 E maior é a maldade da filha do meu povo do que o peccado de Sodoma, a qual se subverteu como n'um momento, sem que trabalhassem n'ella mãos algumas.
मेरे लोगों की बेटी का अधर्म सदोम के पाप से भी अधिक हो गया जो किसी के हाथ डाले बिना भी क्षण भर में उलट गया था।
7 Os seus nazireos eram mais alvos do que a neve, eram mais brancos do que o leite, eram mais roxos de corpo do que os rubis, e mais lisos do que a saphira.
उसके कुलीन हिम से निर्मल और दूध से भी अधिक उज्जवल थे; उनकी देह मूँगों से अधिक लाल, और उनकी सुन्दरता नीलमणि की सी थी।
8 Mas agora escureceu-se o seu parecer mais do que o negrume, não se conhecem nas ruas: a sua pelle se lhes pegou aos ossos, seccou-se, tornou-se como um pau.
परन्तु अब उनका रूप अंधकार से भी अधिक काला है, वे सड़कों में पहचाने नहीं जाते; उनका चमड़ा हड्डियों में सट गया, और लकड़ी के समान सूख गया है।
9 Os mortos á espada mais ditosos são do que os mortos á fome; porque estes se esgotam como traspassados, por falta dos fructos dos campos.
तलवार के मारे हुए भूख के मारे हुओं से अधिक अच्छे थे जिनका प्राण खेत की उपज बिना भूख के मारे सूखता जाता है।
10 As mãos das mulheres compassivas cozeram seus filhos: serviram-lhes de comida no quebrantamento da filha do meu povo.
१०दयालु स्त्रियों ने अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया है; मेरे लोगों के विनाश के समय वे ही उनका आहार बन गए।
11 Deu o Senhor cumprimento ao seu furor: derramou o ardor da sua ira, e accendeu fogo em Sião, que consumiu os seus fundamentos.
११यहोवा ने अपनी पूरी जलजलाहट प्रगट की, उसने अपना कोप बहुत ही भड़काया; और सिय्योन में ऐसी आग लगाई जिससे उसकी नींव तक भस्म हो गई है।
12 Não creram os reis da terra, nem todos os moradores do mundo, que entrasse o adversario e o inimigo pelas portas de Jerusalem.
१२पृथ्वी का कोई राजा या जगत का कोई निवासी इसका कभी विश्वास न कर सकता था, कि द्रोही और शत्रु यरूशलेम के फाटकों के भीतर घुसने पाएँगे।
13 Pelos peccados dos prophetas, pelas maldades dos seus sacerdotes, que derramaram o sangue dos justos no meio d'ella,
१३यह उसके भविष्यद्वक्ताओं के पापों और उसके याजकों के अधर्म के कामों के कारण हुआ है; क्योंकि वे उसके बीच धर्मियों की हत्या करते आए हैं।
14 Erraram cegos nas ruas, andavam contaminados de sangue; e, não podendo, levantavam as extremidades das suas roupas.
१४वे अब सड़कों में अंधे सरीखे मारे-मारे फिरते हैं, और मानो लहू की छींटों से यहाँ तक अशुद्ध हैं कि कोई उनके वस्त्र नहीं छू सकता।
15 Chamavam-lhes: Desviae-vos, é immundo; desviae-vos, desviae-vos, não toqueis, certo é que já voaram, tambem erraram: disseram entre as nações: Nunca mais morarão aqui.
१५लोग उनको पुकारकर कहते हैं, “अरे अशुद्ध लोगों, हट जाओ! हट जाओ! हमको मत छूओ” जब वे भागकर मारे-मारे फिरने लगे, तब अन्यजाति लोगों ने कहा, “भविष्य में वे यहाँ टिकने नहीं पाएँगे।”
16 A face do Senhor os apartou, nunca mais tornará a olhar para elles: não reverenciaram a face dos sacerdotes, nem se compadeceram dos velhos.
१६यहोवा ने अपने कोप से उन्हें तितर-बितर किया, वह फिर उन पर दयादृष्टि न करेगा; न तो याजकों का सम्मान हुआ, और न पुरनियों पर कुछ अनुग्रह किया गया।
17 Emquanto subsistiamos, ainda desfalleciam os nossos olhos, esperando o nosso vão soccorro: olhavamos attentamente pela gente que não podia livrar.
१७हमारी आँखें व्यर्थ ही सहायता की बाट जोहते-जोहते धुँधली पड़ गई हैं, हम लगातार एक ऐसी जाति की ओर ताकते रहे जो बचा नहीं सकी।
18 Espiaram os nossos passos, de maneira que não podiamos andar pelas nossas ruas: está chegado o nosso fim, estão cumpridos os nossos dias, porque é vindo o nosso fim
१८लोग हमारे पीछे ऐसे पड़े कि हम अपने नगर के चौकों में भी नहीं चल सके; हमारा अन्त निकट आया; हमारी आयु पूरी हुई; क्योंकि हमारा अन्त आ गया था।
19 Os nossos perseguidores foram mais ligeiros do que as aves dos céus: sobre os montes nos perseguiram, no deserto nos armaram ciladas.
१९हमारे खदेड़नेवाले आकाश के उकाबों से भी अधिक वेग से चलते थे; वे पहाड़ों पर हमारे पीछे पड़ गए और जंगल में हमारे लिये घात लगाकर बैठ गए।
20 O respiro dos nossos narizes, o ungido do Senhor, foi preso nas suas covas; do qual diziamos: Debaixo da sua sombra viveremos entre as nações.
२०यहोवा का अभिषिक्त जो हमारा प्राण था, और जिसके विषय हमने सोचा था कि अन्यजातियों के बीच हम उसकी शरण में जीवित रहेंगे, वह उनके खोदे हुए गड्ढों में पकड़ा गया।
21 Regozija-te, e alegra-te, ó filha de Edom, que habitas na terra de Uz; porém ainda até a ti passará o copo; embebedar-te-has, e te descobrirás.
२१हे एदोम की पुत्री, तू जो ऊस देश में रहती है, हर्षित और आनन्दित रह; परन्तु यह कटोरा तुझ तक भी पहुँचेगा, और तू मतवाली होकर अपने आपको नंगा करेगी।
22 Já se cumpriu a tua maldade, ó filha de Sião, nunca mais te levará em captiveiro: visitará a tua maldade, ó filha de Edom, descobrirá os teus peccados.
२२हे सिय्योन की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड समाप्त हुआ, वह फिर तुझे बँधुआई में न ले जाएगा; परन्तु हे एदोम की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड वह तुझे देगा, वह तेरे पापों को प्रगट कर देगा।

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