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1 Então respondeu Eliphaz o temanita, e disse:
तब तेमानी एलीपज ने कहा,
2 Porventura o homem será d'algum proveito a Deus? antes a si mesmo o prudente será proveitoso.
“क्या मनुष्य से परमेश्वर को लाभ पहुँच सकता है? जो बुद्धिमान है, वह स्वयं के लिए लाभदायक है।
3 Ou tem o Todo-poderoso prazer em que tu sejas justo? ou lucro algum que tu faças perfeitos os teus caminhos?
क्या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्या उसे कुछ लाभ हो सकता है?
4 Ou te reprehende, pelo temor que tem de ti? ou entra comtigo em juizo?
वह तो तुझे डाँटता है, और तुझ से मुकद्दमा लड़ता है, तो क्या यह तेरी भक्‍ति के कारण है?
5 Porventura não é grande a tua malicia? e sem termo as tuas iniquidades?
क्या तेरी बुराई बहुत नहीं? तेरे अधर्म के कामों का कुछ अन्त नहीं।
6 Porque penhoraste a teus irmãos sem causa alguma, e aos nus despiste os vestidos.
तूने तो अपने भाई का बन्धक अकारण रख लिया है, और नंगे के वस्त्र उतार लिये हैं।
7 Não déste de beber agua ao cançado, e ao faminto retiveste o pão.
थके हुए को तूने पानी न पिलाया, और भूखे को रोटी देने से इन्कार किया।
8 Mas para o violento era a terra, e o homem tido em respeito habitava n'ella.
जो बलवान था उसी को भूमि मिली, और जिस पुरुष की प्रतिष्ठा हुई थी, वही उसमें बस गया।
9 As viuvas despediste vazias, e os braços dos orphãos foram quebrantados.
तूने विधवाओं को खाली हाथ लौटा दिया। और अनाथों की बाहें तोड़ डाली गई।
10 Por isso é que estás cercado de laços, e te perturbou um pavor repentino,
१०इस कारण तेरे चारों ओर फंदे लगे हैं, और अचानक डर के मारे तू घबरा रहा है।
11 Ou as trevas que não vês, e a abundancia d'agua que te cobre.
११क्या तू अंधियारे को नहीं देखता, और उस बाढ़ को जिसमें तू डूब रहा है?
12 Porventura Deus não está na altura dos céus? olha pois para o cume das estrellas, quão levantadas estão.
१२“क्या परमेश्वर स्वर्ग के ऊँचे स्थान में नहीं है? ऊँचे से ऊँचे तारों को देख कि वे कितने ऊँचे हैं।
13 E dizes que sabe Deus d'isto? porventura julgará por entre a escuridão?
१३फिर तू कहता है, ‘परमेश्वर क्या जानता है? क्या वह घोर अंधकार की आड़ में होकर न्याय करेगा?
14 As nuvens são escondedura para elle, para que não veja: e passeia pelo circuito dos céus.
१४काली घटाओं से वह ऐसा छिपा रहता है कि वह कुछ नहीं देख सकता, वह तो आकाशमण्डल ही के ऊपर चलता फिरता है।’
15 Porventura consideraste a vereda do seculo passado, que pisaram os homens iniquos?
१५क्या तू उस पुराने रास्ते को पकड़े रहेगा, जिस पर वे अनर्थ करनेवाले चलते हैं?
16 Os quaes foram arrebatados antes do seu tempo: sobre cujo fundamento um diluvio se derramou.
१६वे अपने समय से पहले उठा लिए गए और उनके घर की नींव नदी बहा ले गई।
17 Diziam a Deus: Retira-te de nós. E que é o que o Todo-poderoso lhes fez?
१७उन्होंने परमेश्वर से कहा था, ‘हम से दूर हो जा;’ और यह कि ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारा क्या कर सकता है?’
18 Sendo elle o que enchera de bens as suas casas: mas o conselho dos impios esteja longe de mim.
१८तो भी उसने उनके घर अच्छे-अच्छे पदार्थों से भर दिए परन्तु दुष्ट लोगों का विचार मुझसे दूर रहे।
19 Os justos o viram, e se alegravam, e o innocente escarneceu d'elles.
१९धर्मी लोग देखकर आनन्दित होते हैं; और निर्दोष लोग उनकी हँसी करते हैं, कि
20 Porquanto o nosso estado não foi destruido, mas o fogo consumiu o resto d'elles.
२०‘जो हमारे विरुद्ध उठे थे, निःसन्देह मिट गए और उनका बड़ा धन आग का कौर हो गया है।’
21 Acostuma-te pois a elle, e tem paz, e assim te sobrevirá o bem.
२१“परमेश्वर से मेल मिलाप कर तब तुझे शान्ति मिलेगी; और इससे तेरी भलाई होगी।
22 Acceita, peço-te, a lei da sua bocca, e põe as suas palavras no teu coração.
२२उसके मुँह से शिक्षा सुन ले, और उसके वचन अपने मन में रख।
23 Se te converteres ao Todo-poderoso, serás edificado: affasta a iniquidade da tua tenda.
२३यदि तू सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर फिरके समीप जाए, और अपने तम्बू से कुटिल काम दूर करे, तो तू बन जाएगा।
24 Então amontoarás oiro como pó, e o oiro d'Ophir como pedras dos ribeiros.
२४तू अपनी अनमोल वस्तुओं को धूलि पर, वरन् ओपीर का कुन्दन भी नालों के पत्थरों में डाल दे,
25 E até o Todo-poderoso te será por oiro, e a tua prata amontoada.
२५तब सर्वशक्तिमान आप तेरी अनमोल वस्तु और तेरे लिये चमकीली चाँदी होगा।
26 Porque então te deleitarás no Todo-poderoso, e levantarás o teu rosto para Deus.
२६तब तू सर्वशक्तिमान से सुख पाएगा, और परमेश्वर की ओर अपना मुँह बेखटके उठा सकेगा।
27 Devéras orarás, a elle, e elle te ouvirá, e pagarás os teus votos.
२७और तू उससे प्रार्थना करेगा, और वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मन्नतों को पूरी करेगा।
28 Determinando tu algum negocio, ser-te-ha firme, e a luz brilhará em teus caminhos.
२८जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पड़ेगी, और तेरे मार्गों पर प्रकाश रहेगा।
29 Quando abaterem, então tu dirás: Haja exaltação: e Deus salvará ao humilde.
२९मनुष्य जब गिरता है, तो तू कहता है की वह उठाया जाएगा; क्योंकि वह नम्र मनुष्य को बचाता है।
30 E livrará até ao que não é innocente; porque fica livre pela pureza de tuas mãos.
३०वरन् जो निर्दोष न हो उसको भी वह बचाता है; तेरे शुद्ध कामों के कारण तू छुड़ाया जाएगा।”

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