< 1 Reis 17 >

1 Então Elias, o tesbita, dos moradores de Gilead, disse a Achab: Vive o Senhor, Deus de Israel, perante cuja face estou, que n'estes annos nem orvalho nem chuva haverá, senão segundo a minha palavra.
तिशबी एलिय्याह जो गिलाद का निवासी था उसने अहाब से कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी।”
2 Depois veiu a elle a palavra do Senhor, dizendo:
तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा,
3 Vae-te d'aqui, e vira-te para o oriente, e esconde-te junto ao ribeiro de Carith, que está diante do Jordão.
“यहाँ से चलकर पूरब की ओर जा और करीत नामक नाले में जो यरदन के पूर्व में है छिप जा।
4 E ha de ser que beberás do ribeiro: e eu tenho ordenado aos corvos que ali te sustentem.
उसी नदी का पानी तू पिया कर, और मैंने कौवों को आज्ञा दी है कि वे तुझे वहाँ खिलाएँ।”
5 Foi pois, e fez conforme á palavra do Senhor: porque foi, e habitou junto ao ribeiro de Carith, que está diante do Jordão.
यहोवा का यह वचन मानकर वह यरदन के पूर्व में करीत नामक नदी में जाकर छिपा रहा।
6 E os corvos lhe traziam pão e carne pela manhã; como tambem pão e carne á noite: e bebia do ribeiro.
और सवेरे और साँझ को कौवे उसके पास रोटी और माँस लाया करते थे और वह नदी का पानी पिया करता था।
7 E succedeu que, passados dias, o ribeiro se seccou; porque não tinha havido chuva na terra.
कुछ दिनों के बाद उस देश में वर्षा न होने के कारण नदी सूख गई।
8 Então veiu a elle a palavra do Senhor, dizendo:
तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुँचा,
9 Levanta-te, e vae-te a Sarepta, que é de Zidon, e habita ali: eis que eu ordenei ali a uma mulher viuva que te sustente.
“चलकर सीदोन के सारफत नगर में जाकर वहीं रह। सुन, मैंने वहाँ की एक विधवा को तेरे खिलाने की आज्ञा दी है।”
10 Então elle se levantou, e se foi a Sarepta; e, chegando á porta da cidade, eis que estava ali uma mulher viuva apanhando lenha; e elle a chamou, e lhe disse: Traze-me, peço-te, n'um vaso um pouco d'agua que beba,
१०अतः वह वहाँ से चल दिया, और सारफत को गया; नगर के फाटक के पास पहुँचकर उसने क्या देखा कि, एक विधवा लकड़ी बीन रही है, उसको बुलाकर उसने कहा, “किसी पात्र में मेरे पीने को थोड़ा पानी ले आ।”
11 E, indo ella a trazel-a, elle a chamou e lhe disse: Traze-me agora tambem um bocado de pão na tua mão.
११जब वह लेने जा रही थी, तो उसने उसे पुकारके कहा “अपने हाथ में एक टुकड़ा रोटी भी मेरे पास लेती आ।”
12 Porém ella disse: Vive o Senhor teu Deus, que nem um bolo tenho, senão sómente um punhado de farinha n'uma panella, e um pouco d'azeite n'uma botija: e vês aqui apanhei dois cavacos, e vou preparal-o para mim e para o meu filho, para que o comamos, e morramos.
१२उसने कहा, “तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ मेरे पास एक भी रोटी नहीं है केवल घड़े में मुट्ठी भर मैदा और कुप्पी में थोड़ा सा तेल है, और मैं दो एक लकड़ी बीनकर लिए जाती हूँ कि अपने और अपने बेटे के लिये उसे पकाऊँ, और हम उसे खाएँ, फिर मर जाएँ।”
13 E Elias lhe disse: Não temas; vae, faze conforme á tua palavra: porém faze d'elle primeiro para mim um bolo pequeno, e traze-m'o para fóra; depois farás para ti e para teu filho.
१३एलिय्याह ने उससे कहा, “मत डर; जाकर अपनी बात के अनुसार कर, परन्तु पहले मेरे लिये एक छोटी सी रोटी बनाकर मेरे पास ले आ, फिर इसके बाद अपने और अपने बेटे के लिये बनाना।
14 Porque assim diz o Senhor Deus de Israel: A farinha da panella não se acabará, e o azeite da botija não faltará, até ao dia em que o Senhor dê chuva sobre a terra
१४क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएगा तब तक न तो उस घड़े का मैदा समाप्त होगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा।”
15 E foi ella, e fez conforme á palavra de Elias: e assim comeu ella, e elle, e a sua casa muitos dias.
१५तब वह चली गई, और एलिय्याह के वचन के अनुसार किया, तब से वह और स्त्री और उसका घराना बहुत दिन तक खाते रहे।
16 Da panella a farinha se não acabou, e da botija o azeite não faltou: conforme á palavra do Senhor, que fallara pelo ministerio de Elias.
१६यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह के द्वारा कहा था, न तो उस घड़े का मैदा समाप्त हुआ, और न उस कुप्पी का तेल घटा।
17 E depois d'estas coisas succedeu que adoeceu o filho d'esta mulher, da dona da casa: e a sua doença se aggravou muito, até que n'elle nenhum folego ficou.
१७इन बातों के बाद उस स्त्री का बेटा जो घर की स्वामिनी थी, रोगी हुआ, और उसका रोग यहाँ तक बढ़ा कि उसका साँस लेना बन्द हो गया।
18 Então ella disse a Elias: Que tenho eu comtigo, homem de Deus? vieste tu a mim cara trazeres á memoria a minha iniquidade, e matares a meu filho?
१८तब वह एलिय्याह से कहने लगी, “हे परमेश्वर के जन! मेरा तुझ से क्या काम? क्या तू इसलिए मेरे यहाँ आया है कि मेरे बेटे की मृत्यु का कारण हो और मेरे पाप का स्मरण दिलाए?”
19 E elle lhe disse: Dá-me o teu filho. E elle o tomou do seu regaço, e o levou para cima, ao quarto, onde elle mesmo habitava, e o deitou em sua cama,
१९उसने उससे कहा “अपना बेटा मुझे दे;” तब वह उसे उसकी गोद से लेकर उस अटारी पर ले गया जहाँ वह स्वयं रहता था, और अपनी खाट पर लिटा दिया।
20 E clamou ao Senhor, e disse: Ó Senhor meu Deus, tambem até a esta viuva, com quem eu moro, affligiste, matando-lhe seu filho?
२०तब उसने यहोवा को पुकारकर कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा! क्या तू इस विधवा का बेटा मार डालकर जिसके यहाँ मैं टिका हूँ, इस पर भी विपत्ति ले आया है?”
21 Então se mediu sobre o menino tres vezes, e clamou ao Senhor, e disse: Ó Senhor meu Deus, rogo-te que torne a alma d'este menino a entrar n'elle.
२१तब वह बालक पर तीन बार पसर गया और यहोवा को पुकारकर कहा, “हे मेरे परमेश्वर यहोवा! इस बालक का प्राण इसमें फिर डाल दे।”
22 E o Senhor ouviu a voz de Elias; e a alma do menino tornou a entrar n'elle, e reviveu.
२२एलिय्याह की यह बात यहोवा ने सुन ली, और बालक का प्राण उसमें फिर आ गया और वह जी उठा।
23 E Elias tomou o menino, e o trouxe do quarto á casa, e o deu a sua mãe; e disse Elias: Vês ahi teu filho vive.
२३तब एलिय्याह बालक को अटारी पर से नीचे घर में ले गया, और एलिय्याह ने यह कहकर उसकी माता के हाथ में सौंप दिया, “देख तेरा बेटा जीवित है।”
24 Então a mulher disse a Elias: N'isto conheço agora que tu és homem de Deus, e que a palavra do Senhor na tua bocca é verdade.
२४स्त्री ने एलिय्याह से कहा, “अब मुझे निश्चय हो गया है कि तू परमेश्वर का जन है, और यहोवा का जो वचन तेरे मुँह से निकलता है, वह सच होता है।”

< 1 Reis 17 >