< Hioba 23 >

1 A odpowiadając Ijob rzekł:
तब अय्यूब ने जवाब दिया,
2 Czemuż jeszcze uporem zowiecie narzekanie moje, choć bieda moja cięższa jest niż wzdychanie moje?
मेरी शिकायत आज भी तल्ख़ है; मेरी मार मेरे कराहने से भी भारी है।
3 Obym wiedział, gdziebym go mógł znaleść, szedłbym aż do stolicy jego.
काश कि मुझे मा'लूम होता कि वह मुझे कहाँ मिल सकता है ताकि मैं ऐन उसकी मसनद तक पहुँच जाता।
4 Przełożyłbym przed nim sprawę moję, a usta moje napełniłbym dowodami.
मैं अपना मु'आमिला उसके सामने पेश करता, और अपना मुँह दलीलों से भर लेता।
5 Dowiedziałbym się, jakoby mi odpowiedział, a zrozumiałbym, coby mi rzekł.
मैं उन लफ़्ज़ों को जान लेता जिनमें वह मुझे जवाब देता और जो कुछ वह मुझ से कहता मैं समझ लेता।
6 Izaż się w wielkości siły swojej będzie spierał ze mną? Nie; i owszem sam mi doda siły.
क्या वह अपनी क़ुदरत की 'अज़मत में मुझ से लड़ता? नहीं, बल्कि वह मेरी तरफ़ तवज्जुह करता।
7 Tamby się człowiek szczery rozprawił z nim, i byłbym wolnym wiecznie od sędziego mego.
रास्तबाज़ वहाँ उसके साथ बहस कर सकते, यूँ मैं अपने मुन्सिफ़ के हाथ से हमेशा के लिए रिहाई पाता।
8 Ale oto, pójdęli wprost, niemasz go; a jeźli nazad, nie dojdę go.
देखो, मैं आगे जाता हूँ लेकिन वह वहाँ नहीं, और पीछे हटता हूँ लेकिन मैं उसे देख नहीं सकता।
9 Pójdęli w lewo, choćby zatrudniony był, nie oglądam go; ukryłliby się w prawo, nie ujrzę go,
बाएँ हाथ फिरता हूँ जब वह काम करता है, लेकिन वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह दहने हाथ की तरफ़ छिप जाता है, ऐसा कि मैं उसे देख नहीं सकता।
10 Gdyż on zna drogę moję; a będzieli mię doświadczał, jako złoto wynijdę.
लेकिन वह उस रास्ते को जिस पर मैं चलता हूँ जानता है; जब वह मुझे पालेगा तो मैं सोने के तरह निकल आऊँगा।
11 Śladu jego trzymała się noga moja; drogim jego przestrzegał, a nie zstępowałem z niej.
मेरा पाँव उसके क़दमों से लगा रहा है। मैं उसके रास्ते पर चलता रहा हूँ और नाफ़रमान नहीं हुआ।
12 Od przykazania ust jego nie odchylałem się; owszem, postanowiłem u siebie zachować słowa ust jego.
मैं उसके लबों के हुक्म से हटा नहीं; मैंने उसके मुँह की बातों को अपनी ज़रूरी ख़ुराक से भी ज़्यादा ज़ख़ीरा किया।
13 Jeźli on przy swem stanie, któż go odwróci? bo co dusza jego żąda, to uczyni:
लेकिन वह एक ख़याल में रहता है, और कौन उसको फिरा सकता है? और जो कुछ उसका जी चाहता है करता है।
14 Bo on wykona, co postanowił o mnie, a takowych przykładów dosyć jest u niego.
क्यूँकि जो कुछ मेरे लिए मुक़र्रर है, वह पूरा करता है; और बहुत सी ऐसी बातें उसके हाथ में हैं।
15 Przetoż od oblicza jego strwożyłem się, a uważając to, lękam się go.
इसलिए मैं उसके सामने घबरा जाता हूँ, मैं जब सोचता हूँ तो उससे डर जाता हूँ।
16 Bóg zemdlił serce moje, a Wszechmocny zatrwożył mną.
क्यूँकि ख़ुदा ने मेरे दिल को बूदा कर डाला है, और क़ादिर — ए — मुतलक़ ने मुझ को घबरा दिया है।
17 Tak, żem mało nie zginął od ciemności; bo przed oblicznością moją nie zakrył zamroczenia.
इसलिए कि मैं इस ज़ुल्मत से पहले काट डाला न गया और उसने बड़ी तारीकी को मेरे सामने से न छिपाया।

< Hioba 23 >