< I Samuela 3 >

1 A pacholę Samuel służył Panu przed Heli, a słowo Pańskie było drogie w one dni, bo nie bywało widzenia jawnego.
उस समय बालक शमुएल एली के सामने याहवेह की सेवा कर रहा था. उन दिनों याहवेह का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलते थे.
2 I stało się dnia onego, gdy Heli leżał na miejscu swojem, (a oczy jego już się były poczęły zaciemniać, i nie mógł dojrzeć.)
यह वह स्थिति थी, जब एली के आंखों की रोशनी कम हो रही थी; तब वह स्पष्ट देखने में असमर्थ था, उस समय वह अपने कमरे में लेटा हुआ था.
3 A lampa Boża jeszcze nie była zagaszona, Samuel też spał w kościele Pańskim, gdzie była skrzynia Boża,
शमुएल भी याहवेह के मंदिर में विश्राम कर रहा था. वही परमेश्वर का संदूक था और परमेश्वर का दीप अब तक बुझा नहीं था.
4 Że zawołał Pan na Samuela, a on się ozwał: Owom ja.
याहवेह ने शमुएल को पुकारा. शमुएल ने उत्तर दिया, “आज्ञा दीजिए, मैं यहां हूं.”
5 I przybieżał do Heliego i rzekł: Owom ja, gdyżeś mię wołał. A on rzekł: Nie wołałem, wróć się, śpij; i poszedł a spał.
और वह दौड़कर एली के पास जा पहुंचे और कहने लगे, “आपने मुझे पुकारा है, मैं हूं यहां.” मगर एली ने उन्हें उत्तर दिया, “नहीं तो; मैंने तुम्हें नहीं पुकारा. जाओ सो जाओ.” शमुएल जाकर सो गए.
6 Powtóre Pan jeszcze zawołał Samuela; i wstał Samuel, a poszedł do Heliego, i rzekł: Owom ja, gdyżeś mię wołał; któremu on rzekł: nie wołałem, synu mój, wróć się a śpij.
तब याहवेह ने शमुएल को पुनः पुकारा, “शमुएल!” तब शमुएल उठकर एली के पास गए और कहा, “आपने मुझे पुकारा है, मैं यहां हूं.” मगर एली ने उससे कहा, “मैंने तुम्हें नहीं पुकारा, मेरे पुत्र जाओ, जाकर सो जाओ.”
7 A Samuel jeszcze nie znał Pana, i jeszcze mu nie było objawione słowo Pańskie.
शमुएल को अब तक याहवेह का अनुभव नहीं था, और न ही अब तक उन पर याहवेह के संदेश का कोई प्रकाशन ही हुआ था.
8 Nadto jeszcze Pan zawołał Samuela po trzecie; a on wstawszy szedł do Heliego i rzekł: Owom ja, gdyżeś mię wołał. Tedy zrozumiał Heli, że Pan wołał pacholęcia.
अब याहवेह ने तीसरी बार पुकारा, “शमुएल!” तब वह उठा और उठकर एली के पास गया और उनसे कहा, “मैं आ गया; आपने मुझे पुकारा है.” तब एली को यह अहसास हुआ कि यह याहवेह है, जो शमुएल को पुकार रहे हैं.
9 I rzekł Heli do Samuela: Idź, śpij, a jeźli cię kto zawoła, rzeczesz: Mów Panie, bo słyszy sługa twój. A tak Samuel szedł i spał na miejscu swojem.
तब एली ने शमुएल से कहा, “जाकर सो जाओ. जब वह तुम्हें पुकारे तो कहना, ‘याहवेह, आप कहिए. आपका सेवक सुन रहा है.’” तब शमुएल अपने बिछौने पर जाकर लेट गए.
10 Potem przyszedł Pan, i stanął a zawołał jako i pierwszy i drugi raz: Samuelu, Samuelu! I rzekł Samuel: Mów Panie, bo sługa twój słucha.
तब याहवेह आए, शमुएल के निकट खड़े हुए और पहले जैसे पुकारा, “शमुएल! शमुएल!” शमुएल ने उत्तर दिया, “आप कहिए, आपका सेवक सुन रहा है.”
11 Tedy rzekł Pan do Samuela: Oto, Ja uczynię rzecz w Izraelu, którą ktokolwiek usłyszy, zabrzmi mu w obu uszach jego.
याहवेह ने शमुएल से कहा, “सुनो, मैं इस्राएल राष्ट्र में कुछ ऐसा करने पर हूं, कि जो कोई उसके विषय में सुनेगा, उसके दोनों कान झनझना उठेंगे.
12 Dnia onego wzbudzę przeciw Heliemu wszystko, com mówił przeciwko domowi jego; pocznę i dokonam.
उस दिन मैं एली के विरुद्ध शुरू से लेकर अंत तक वह सब करूंगा, जो मैंने उसके परिवार के विषय में कहा है.
13 I okażę mu, iż Ja sądzę dom jego aż na wieki dla nieprawości, o której wiedział; bo wiedząc, że na się przekleństwo przywodzili synowie jego, wszakże nie bronił im tego.
क्योंकि मैं उसे यह सूचित कर चुका हूं, कि जिस अपराध के विषय में उसे पूरा ज्ञान था, उसके लिए मैं उसके परिवार को स्थायी दंड दूंगा; क्योंकि उसके पुत्र परमेश्वर का अपमान करते रहे हैं; फिर भी एली ने उन्हें नहीं रोका.
14 A przetoż przysiągłem domowi Heli, że nie będzie oczyszczona nieprawość domu Heliego żadną ofiarą, ani ofiarą śniedną, aż na wieki.
तब एली के परिवार के संबंध में मैंने यह शपथ ली है, कि एली के परिवार का अपराध का प्रायश्चित कभी भी, न तो किसी बलि से, और न किसी भेंट से हो सकेगा.”
15 I spał Samuel aż do poranku, i otworzył drzwi domu Pańskiego. A Samuel bał się oznajmić widzenia tego Heliemu.
शमुएल प्रातःकाल तक अपने बिछौने पर लेटा रहा. फिर उसने याहवेह के भवन के द्वार खोल दिया. रात के दिव्य दर्शन के विषय में एली को बताने में उसे भय लग रहा था,
16 Tedy zawołał Heli Samuela, i rzekł: Samuelu, synu mój; który odpowiedział: Otom ja.
मगर एली ने उसे पुकारा, “शमुएल, मेरे पुत्र.” शमुएल ने उत्तर दिया, “आज्ञा दीजिए, मैं यहां हूं.”
17 I rzekł: Cóż to za słowa, któreć Pan powiedział? proszę nie taj przedemną; to a toć Bóg niechaj uczyni, jeźliże co zataisz przedemną ze wszystkich słów, które mówił do ciebie.
“क्या कहा याहवेह ने?” एली ने उससे पूछा. “मुझसे कुछ भी न छुपाना. जो उन्होंने तुमसे कहा है उसमें से यदि तुम मुझसे कुछ भी छिपाओ, परमेश्वर तुम्हें कठोर से कठोर दंड दें.”
18 I oznajmił mu Samuel wszystkie słowa, a nie zataił nic przed nim. A on rzekł: Pan jest; co dobrego w oczach jego, niech czyni.
तब शमुएल ने उन्हें सब कुछ बता दिया, कुछ भी नहीं छिपाया. यह सब सुन एली ने कहा, “वह याहवेह हैं; जो कुछ उन्हें सही लगे, करें.”
19 I rósł Samuel, a Pan był z nim, i nie dopuścił upaść żadnemu ze wszystkich sług jego na ziemię.
शमुएल विकास होता गया; उस पर याहवेह की विशेष कृपादृष्टि थी तब उसका कोई भी वक्तव्य कभी निरर्थक सिद्ध नहीं हुआ.
20 Poznał tedy wszystek Izrael od Dan aż do Beerseba, iż Samuel był wiernym prorokiem Panu.
दान प्रदेश से लेकर बेअरशेबा तक सारा इस्राएल राष्ट्र को यह पता चल गया कि शमुएल याहवेह द्वारा समर्थित भविष्यद्वक्ता हैं.
21 Bo i napotem ukazywał się Pan Samuelowi w Sylo, tak jako mu się przedtem objawił Pan w Sylo przez słowo swoje.
एक बार फिर याहवेह ने शीलो नगर में अपना दर्शन दिया, क्योंकि शीलो नगर में ही याहवेह ने अपने वचन द्वारा स्वयं को शमुएल पर प्रकाशित किया था.

< I Samuela 3 >