< مزامیر 82 >
مزمور آساف. خدا در دادگاه آسمانی ایستاده است تا قضات را به پای میز محاکمه بکشاند. | 1 |
१आसाप का भजन परमेश्वर दिव्य सभा में खड़ा है: वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है।
او به قضات این جهان میگوید: «تا به کی با بیانصافی قضاوت خواهید کرد؟ تا به کی از مجرمین جانبداری خواهید نمود؟ | 2 |
२“तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे? (सेला)
از حقوق بیچارگان و یتیمان دفاع کنید؛ به داد مظلومان و فقیران برسید. | 3 |
३कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन-दरिद्र का विचार धर्म से करो।
ستمدیدگان و درماندگان را از چنگ ظالمان برهانید. | 4 |
४कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ।”
«اما شما به حماقت رفتار مینمایید و در جهل و تاریکی زندگی میکنید، به همین جهت اساس اجتماع متزلزل است. | 5 |
५वे न तो कुछ समझते और न कुछ जानते हैं, परन्तु अंधेरे में चलते फिरते रहते हैं; पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है।
«گفتم:”شما خدایانید؛ همۀ شما فرزندان خدای متعال هستید. | 6 |
६मैंने कहा था “तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो;
اما شما مانند هر انسان دیگر خواهید مرد و همچون سایر رهبران خواهید افتاد.“» | 7 |
७तो भी तुम मनुष्यों के समान मरोगे, और किसी प्रधान के समान गिर जाओगे।”
ای خدا، برخیز و بر جهان داوری کن! زیرا تو همهٔ قومها را به تصرف در خواهی آورد. | 8 |
८हे परमेश्वर उठ, पृथ्वी का न्याय कर; क्योंकि तू ही सब जातियों को अपने भाग में लेगा!