< مزامیر 44 >
برای رهبر سرایندگان. قصیدۀ پسران قورَح. ای خدا، ما به گوشهای خود شنیدهایم و اجدادمان برای ما تعریف کردهاند که تو در گذشته چه کارهای شگفتانگیزی برای آنان انجام دادهای. | 1 |
१प्रधान बजानेवाले के लिये कोरहवंशियों का मश्कील हे परमेश्वर, हमने अपने कानों से सुना, हमारे बापदादों ने हम से वर्णन किया है, कि तूने उनके दिनों में और प्राचीनकाल में क्या-क्या काम किए हैं।
تو به دست خود قومهای بتپرست را از این سرزمین بیرون راندی و اجداد ما را به جای آنها مستقر نمودی. قومهای خدانشناس را از بین بردی، اما بنیاسرائیل را در سرزمین موعود تثبیت نمودی. | 2 |
२तूने अपने हाथ से जातियों को निकाल दिया, और इनको बसाया; तूने देश-देश के लोगों को दुःख दिया, और इनको चारों ओर फैला दिया;
قوم تو به زور شمشیر این سرزمین را تسخیر نکردند و به قدرت بازوی خویش نجات نیافتند، بلکه قدرت و توانایی تو و اطمینان به حضور تو ایشان را رهانید، زیرا از ایشان خرسند بودی. | 3 |
३क्योंकि वे न तो अपनी तलवार के बल से इस देश के अधिकारी हुए, और न अपने बाहुबल से; परन्तु तेरे दाहिने हाथ और तेरी भुजा और तेरे प्रसन्न मुख के कारण जयवन्त हुए; क्योंकि तू उनको चाहता था।
ای خدا، تو پادشاه من هستی؛ اکنون نیز قوم خود اسرائیل را پیروز گردان. | 4 |
४हे परमेश्वर, तू ही हमारा महाराजा है, तू याकूब के उद्धार की आज्ञा देता है।
ما با کمک تو دشمنان خود را شکست خواهیم داد و به نام تو کسانی را که بر ضد ما برخاستهاند، پایمال خواهیم کرد. | 5 |
५तेरे सहारे से हम अपने द्रोहियों को ढकेलकर गिरा देंगे; तेरे नाम के प्रताप से हम अपने विरोधियों को रौंदेंगे।
امید من به تیر و کمانم نیست، و نه به شمشیرم که مرا نجات دهد، | 6 |
६क्योंकि मैं अपने धनुष पर भरोसा न रखूँगा, और न अपनी तलवार के बल से बचूँगा।
زیرا این تو بودی که ما را از دست دشمنان نجات دادی، و آنانی را که از ما متنفر بودند شکست دادی. | 7 |
७परन्तु तू ही ने हमको द्रोहियों से बचाया है, और हमारे बैरियों को निराश और लज्जित किया है।
برای همیشه تو را ستایش خواهیم کرد، و تا ابد از تو سپاسگزار خواهیم بود. | 8 |
८हम परमेश्वर की बड़ाई दिन भर करते रहते हैं, और सदैव तेरे नाम का धन्यवाद करते रहेंगे। (सेला)
اما اکنون تو ما را دور انداختهای و رسوا ساختهای؛ دیگر لشکرهای ما را در جنگ کمک نمیکنی. | 9 |
९तो भी तूने अब हमको त्याग दिया और हमारा अनादर किया है, और हमारे दलों के साथ आगे नहीं जाता।
تو ما را در مقابل دشمنان شکست دادهای و آنها اکنون ما را غارت میکنند. | 10 |
१०तू हमको शत्रु के सामने से हटा देता है, और हमारे बैरी मनमाने लूट मार करते हैं।
ما را همچون گوسفندان به کشتارگاه فرستادهای و در میان قومهای خدانشناس پراکنده ساختهای. | 11 |
११तूने हमें कसाई की भेड़ों के समान कर दिया है, और हमको अन्यजातियों में तितर-बितर किया है।
تو قوم برگزیدهات را ارزان فروختهای و از فروش آنها سودی نبردهای. | 12 |
१२तू अपनी प्रजा को सेंत-मेंत बेच डालता है, परन्तु उनके मोल से तू धनी नहीं होता।
ما را نزد همسایگان خوار ساختهای و ما مورد تمسخر و توهین اطرافیان قرار گرفتهایم. | 13 |
१३तू हमारे पड़ोसियों से हमारी नामधराई कराता है, और हमारे चारों ओर के रहनेवाले हम से हँसी ठट्ठा करते हैं।
ما را در میان قومهای خدانشناس انگشتنما ساختهای و آنها ما را به باد ریشخند گرفتهاند. | 14 |
१४तूने हमको अन्यजातियों के बीच में अपमान ठहराया है, और देश-देश के लोग हमारे कारण सिर हिलाते हैं।
از تحقیر دائمی آنها گریزی نیست؛ صورتهای ما از شرم پوشیده شده است. | 15 |
१५दिन भर हमें तिरस्कार सहना पड़ता है, और कलंक लगाने और निन्दा करनेवाले के बोल से,
از هر سو دشنامهای مخالفان به گوش ما میرسد و در برابر خود دشمنان انتقامجو را میبینیم. | 16 |
१६शत्रु और बदला लेनेवालों के कारण, बुरा-भला कहनेवालों और निन्दा करनेवालों के कारण।
این همه بر ما واقع شده است، ولی تو را فراموش نکردهایم و پیمانی را که با ما بستهای نشکستهایم. | 17 |
१७यह सब कुछ हम पर बीता तो भी हम तुझे नहीं भूले, न तेरी वाचा के विषय विश्वासघात किया है।
نسبت به تو دلسرد نشدهایم و از راه تو منحرف نگشتهایم. | 18 |
१८हमारे मन न बहके, न हमारे पैर तरी राह से मुड़ें;
با وجود این، تو ما را در میان حیوانات وحشی رها نمودهای و با مرگ روبرو ساختهای. | 19 |
१९तो भी तूने हमें गीदड़ों के स्थान में पीस डाला, और हमको घोर अंधकार में छिपा दिया है।
اگر ما نام خدای خود را فراموش میکردیم و دستهای خود را به سوی بتها دراز میکردیم، | 20 |
२०यदि हम अपने परमेश्वर का नाम भूल जाते, या किसी पराए देवता की ओर अपने हाथ फैलाते,
آیا خدا که اسرار دل هر کس را میداند، این را نمیدانست؟ | 21 |
२१तो क्या परमेश्वर इसका विचार न करता? क्योंकि वह तो मन की गुप्त बातों को जानता है।
تو میدانی که ما به خاطر تو هر روز با مرگ روبرو میشویم و با ما همچون گوسفندانی که باید قربانی شوند رفتار میکنند. | 22 |
२२परन्तु हम दिन भर तेरे निमित्त मार डाले जाते हैं, और उन भेड़ों के समान समझे जाते हैं जो वध होने पर हैं।
ای خداوند، بیدار شو! چرا خوابیدهای؟ بیدار شو و ما را تا ابد دور نیانداز! | 23 |
२३हे प्रभु, जाग! तू क्यों सोता है? उठ! हमको सदा के लिये त्याग न दे!
چرا روی خود را از ما برمیگردانی و ذلت و خواری ما را نادیده میگیری؟ | 24 |
२४तू क्यों अपना मुँह छिपा लेता है? और हमारा दुःख और सताया जाना भूल जाता है?
اینک به خاک افتاده و مغلوب شدهایم. | 25 |
२५हमारा प्राण मिट्टी से लग गया; हमारा शरीर भूमि से सट गया है।
برخیز و به کمک ما بشتاب و ما را نجات ده زیرا تو سراسر، رحمت و محبتی! | 26 |
२६हमारी सहायता के लिये उठ खड़ा हो। और अपनी करुणा के निमित्त हमको छुड़ा ले।