< مزامیر 18 >
برای رهبر سرایندگان. مزمور داوود، خدمتگزار خداوند. داوود این سرود را هنگامی سرایید که خداوند او را از چنگ تمام دشمنان و از چنگ شائول رهانید. داوود چنین سرود: ای خداوند، ای قوت من، تو را دوست دارم! | 1 |
ऐ ख़ुदावन्द, ऐ मेरी ताक़त! मैं तुझसे मुहब्बत रखता हूँ।
خداوند قلعهٔ من است. او صخرهٔ من است و مرا نجات میبخشد. خدایم صخرهٔ محکمی است که به آن پناه میبرم. او همچون سپر از من محافظت میکند، به من پناه میدهد و با قدرتش مرا میرهاند. نجاتدهندۀ من، مرا از ظلم میرهاند. | 2 |
ख़ुदावन्द मेरी चट्टान, और मेरा किला और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ख़ुदा, मेरी चट्टान जिस पर मैं भरोसा रखूँगा, मेरी ढाल और मेरी नजात का सींग, मेरा ऊँचा बुर्ज।
او را به کمک خواهم طلبید و از چنگ دشمنان رهایی خواهم یافت. ای خداوند تو شایستهٔ پرستش هستی! | 3 |
मैं ख़ुदावन्द को, जो सिताइश के लायक़ है पुकारूँगा। यूँ मैं अपने दुश्मनों से बचाया जाऊँगा।
مرگ، مرا در چنگال خود گرفتار کرده بود و موجهای ویرانگرش مرا در بر گرفته بود. | 4 |
मौत की रस्सियों ने मुझे घेर लिया, और बेदीनी के सैलाबों ने मुझे डराया;
مرگ برای من دام نهاده بود تا مرا به کام خود بکشد. (Sheol ) | 5 |
पाताल की रस्सियाँ मेरे चारों तरफ़ थीं, मौत के फंदे मुझ पर आ पड़े थे। (Sheol )
اما من در این پریشانی به سوی خداوند فریاد برآوردم و از خدایم کمک خواستم. فریاد من به گوش او رسید و او از خانهٔ مقدّسش نالهٔ مرا شنید. | 6 |
अपनी मुसीबत में मैंने ख़ुदावन्द को पुकाराः और अपने ख़ुदा से फ़रियाद की; उसने अपनी हैकल में से मेरी आवाज़ सुनी, और मेरी फ़रियाद जो उसके सामने थी, उसके कान में पहुँची।
آنگاه زمین تکان خورد و لرزید و بنیاد آسمان مرتعش شد و به لرزه درآمد، زیرا خداوند به خشم آمده بود. | 7 |
तब ज़मीन हिल गई और कॉप उठी, पहाड़ों की बुनियादों ने जुम्बिश खाई और हिल गई, इसलिए कि वह ग़ज़बनाक हुआ।
دود از بینی او برآمد و شعلههای سوزانندهٔ آتش از دهانش زبانه کشید. | 8 |
उसके नथनों से धुवाँ उठा, और उसके मुँह से आग निकलकर भसम करने लगी; कोयले उससे दहक उठे।
او آسمان را شکافت و فرود آمد، زیر پایش ابرهای سیاه قرار داشت. | 9 |
उसने आसमानों को भी झुका दिया और नीचे उतर आया; और उसके पाँव तले गहरी तारीकी थी।
سوار بر فرشتهای پرواز کرد و بر بالهای باد اوج گرفت. | 10 |
वह करूबी पर सवार होकर उड़ा, बल्कि वह तेज़ी से हवा के बाजू़ओं पर उड़ा।
او خود را با تاریکی پوشاند و ابرهای غلیظ و پر آب او را احاطه کردند. | 11 |
उसने ज़ुल्मत या'नी बादल की तारीकी और आसमान के दलदार बादलों को अपने चारों तरफ़अपने छिपने की जगह और अपना शामियाना बनाया।
درخشندگی حضور او، شعلههای آتش پدید آورد. | 12 |
उसकी हुज़ूरी की झलक से उसके दलदार बादल फट गए, ओले और अंगारे।
آنگاه خداوند، خدای متعال، با صدای رعدآسا از آسمان سخن گفت. | 13 |
और ख़ुदावन्द आसमान में गरजा, हक़ ता'ला ने अपनी आवाज़ सुनाई, ओले और अंगारे।
او با تیرهای آتشین خود، دشمنانم را پراکنده و پریشان ساخت. | 14 |
उसने अपने तीर चलाकर उनको तितर बितर किया, बल्कि ताबड़ तोड़ बिजली से उनको शिकस्त दी।
آنگاه به فرمان تو و با دم نفس تو، ای خداوند، آب دریا به عقب رفت و خشکی پدید آمد. | 15 |
तब तेरी डाँट से ऐ ख़ुदावन्द! तेरे नथनों के दम के झोंके से, पानी की थाह दिखाई देने लगीऔर जहान की बुनियादें नमूदार हुई।
خداوند از آسمان دست خود را دراز کرد و مرا از اعماق آبهای بسیار بیرون کشید. | 16 |
उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और मुझे बहुत पानी में से खींचकर बाहर निकाला।
مرا از چنگ دشمنان نیرومندی که از من تواناتر بودند، رهانید. | 17 |
उसने मेरे ताक़तवर दुश्मन और मेरे'अदावत रखने वालों से मुझे छुड़ा लिया, क्यूँकि वह मेरे लिए बहुत ही ज़बरदस्त थे।
وقتی در سختی و پریشانی بودم، دشمنان بر من هجوم آوردند، اما خداوند مرا حفظ کرد. | 18 |
वह मेरी मुसीबत के दिन मुझ पर आ पड़े; लेकिन ख़ुदावन्द मेरा सहारा था।
او مرا به جای امنی برد، او مرا نجات داد، زیرا مرا دوست میداشت. | 19 |
वह मुझे कुशादा जगह में निकाल भी लाया। उसने मुझे छुड़ाया, इसलिए कि वह मुझ से ख़ुश था।
خداوند پاداش درستکاری و پاکی مرا داده است، | 20 |
ख़ुदावन्द ने मेरी रास्ती के मुवाफ़िक़ मुझे बदला दिया: और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ मुझे बदला दिया।
زیرا از دستورهای خداوند اطاعت نمودهام و به خدای خود گناه نورزیدهام. | 21 |
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की राहों पर चलता रहा, और शरारत से अपने ख़ुदा से अलग न हुआ।
همهٔ احکامش را بهجا آوردهام و از فرمان او سرپیچی نکردهام. | 22 |
क्यूँकि उसके सब फ़ैसले मेरे सामने रहे, और मैं उसके आईन से नाफ़रमान न हुआ।
در نظر خداوند بیعیب بودهام، خود را از گناه دور نگاه داشتهام. | 23 |
मैं उसके सामने कामिल भी रहा, और अपने को अपनी बदकारी से रोके रख्खा।
خداوند به من پاداش داده است، زیرا در نظر او پاک و عادل بودهام. | 24 |
ख़ुदावन्द ने मुझे मेरी रास्ती के मुवाफ़िक़ और मेरे हाथों की पाकीज़गी के मुताबिक़ जो उसके सामने थी बदला दिया।
خدایا، تو نسبت به کسانی که به تو وفادارند، امین هستی و کسانی را که کاملند محبت میکنی. | 25 |
रहम दिल के साथ तू रहीम होगा, और कामिल आदमी के साथ कामिल।
اشخاص پاک را برکت میدهی و افراد فاسد را مجازات میکنی. | 26 |
नेकोकार के साथ नेक होगा, और कजरों के साथ टेढ़ा।
تو افتادگان را نجات میدهی، اما متکبران را سرنگون میکنی. | 27 |
क्यूँकि तू मुसीबत ज़दा लोगों को बचाएगा; लेकिन मग़रूरों की आँखों को नीचा करेगा।
ای خداوند، تو نور من هستی، تو تاریکی مرا به روشنایی تبدیل میکنی. | 28 |
इसलिए के तू मेरे चराग़ को रौशन करेगा: ख़ुदावन्द मेरा ख़ुदा मेरे अंधेरे को उजाला कर देगा।
با کمک تو به صفوف دشمن حمله خواهم برد و قلعههای آنها را در هم خواهم کوبید. | 29 |
क्यूँकि तेरी बदौलत मैं फ़ौज पर धावा करता हूँ। और अपने ख़ुदा की बदौलत दीवार फाँद जाता हूँ।
راه خداوند کامل و بینقص است و وعدههای او پاک و قابل اعتماد! خداوند از کسانی که به او پناه میبرند مانند سپر محافظت میکند. | 30 |
लेकिन ख़ुदा की राह कामिल है; ख़ुदावन्द का कलाम ताया हुआ है; वह उन सबकी ढाल है जो उस पर भरोसा रखते हैं।
کیست خدا غیر از یهوه؟ و کیست صخرهٔ نجات غیر از خدای ما؟ | 31 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द के अलावा और कौन ख़ुदा है? और हमारे ख़ुदा को छोड़कर और कौन चट्टान है?
خدا به من قوت میبخشد و در راههایی که میروم مرا حفظ میکند. | 32 |
ख़ुदा ही मुझे ताक़त से कमर बस्ता करता है, और मेरी राह को कामिल करता है।
پاهایم را چون پاهای آهو میگرداند تا بتوانم بر بلندیها بایستم. | 33 |
वही मेरे पाँव हिरनीयों के से बना देता है, और मुझे मेरी ऊँची जगहों में क़ाईम करता है।
او دستهای مرا برای جنگ تقویت میکند و بازوی مرا قوت میبخشد تا بتوانم کمان مفرغین را خم کنم. | 34 |
वह मेरे हाथों को जंग करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरे बाजू़ पीतल की कमान को झुका देते हैं।
خداوندا، تو با سپرت مرا نجات دادهای و با دست راستت حمایتم نمودهای و از لطف توست که به این عظمت رسیدهام. | 35 |
तूने मुझ को अपनी नजात की ढाल बख़्शी, और तेरे दहने हाथ ने मुझे संभाला, और तेरी नमी ने मुझे बुज़ूर्ग बनाया है।
زمین زیر پایم را وسیع ساختهای تا نلغزم. | 36 |
तूने मेरे नीचे, मेरे क़दम कुशादा कर दिए; और मेरे पाँव नहीं फिसले।
دشمنانم را تعقیب کرده، به آنها میرسم، و تا آنها را از بین نبرم، باز نمیگردم. | 37 |
मैं अपने दुश्मनों का पीछा करके उनको जा लूँगा; और जब तक वह फ़ना न हो जाएँ, वापस नहीं आऊँगा।
آنها را چنان بر زمین میکوبم که زیر پاهایم بیفتند و برنخیزند. | 38 |
मैं उनको ऐसा छेदुँगा कि वह उठ न सकेंगे; वह मेरे पाँव के नीचे गिर पड़ेंगे।
تو برای جنگیدن مرا قوت بخشیدهای و دشمنانم را زیر پاهای من انداختهای. | 39 |
क्यूँकि तूने लड़ाई के लिए मुझे ताक़त से कमरबस्ता किया; और मेरे मुख़ालिफ़ों को मेरे सामने नीचा दिखाया।
تو آنها را وادار به عقبنشینی و فرار مینمایی و من آنها را نابود میکنم. | 40 |
तूने मेरे दुश्मनों की नसल मेरी तरफ़ फेर दी, ताकि मैं अपने 'अदावत रखने वालों को काट डालूँ।
فریاد برمیآورند، ولی کسی نیست که آنها را برهاند. از خداوند کمک میخواهند، اما او نیز به داد ایشان نمیرسد. | 41 |
उन्होंने दुहाई दी लेकिन कोई न था जो बचाए, ख़ुदावन्द को भी पुकारा लेकिन उसने उनको जवाब न दिया।
من آنها را خرد کرده، به صورت غبار درمیآورم، و آنها را مانند گِل کوچهها لگدمال میکنم. | 42 |
तब मैंने उनको कूट कूट कर हवा में उड़ती हुई गर्द की तरह कर दिया; मैंने उनको गली कूचों की कीचड़ की तरह निकाल फेंका
تو مرا از شورش قومم نجات دادهای و مرا رهبر قومها ساختهای. مردمی که قبلاً آنها را نمیشناختم اکنون مرا خدمت میکنند. | 43 |
तूने मुझे क़ौम के झगड़ों से भी छुड़ाया; तूने मुझे क़ौमों का सरदार बनाया है; जिस क़ौम से मैं वाक़िफ़ भी नहीं वह मेरी फ़र्माबरदार होगी।
بیگانهها در حضور من سر تعظیم فرود میآورند و به محض شنیدن دستورهایم، آنها را اجرا میکنند. | 44 |
मेरा नाम सुनते ही वह मेरी फ़रमाबरदारी करेंगे; परदेसी मेरे ताबे' हो जाएँगे।
آنها روحیهٔ خود را باختهاند و با ترس و لرز از قلعههای خود بیرون میآیند. | 45 |
परदेसी मुरझा जाएँगे, और अपने क़िले' से थरथराते हुए निकलेंगे।
خداوند زنده است! شکر و سپاس بر خدای متعال باد که صخرهٔ نجات من است! | 46 |
ख़ुदावन्द ज़िन्दा है! मेरी चट्टान मुबारक हो, और मेरा नजात देने वाला ख़ुदा मुम्ताज़ हो।
خدایی که انتقام مرا میگیرد، قومها را مغلوب من میگرداند، | 47 |
वही ख़ुदा जो मेरा इन्तक़ाम लेता है; और उम्मतों को मेरे सामने नीचा करता है।
و مرا از چنگ دشمنان میرهاند. خداوندا، تو مرا بر دشمنانم پیروز گردانیدی و از دست ظالمان رهایی دادی. | 48 |
वह मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ाता है; बल्कि तू मुझे मेरे मुख़ालिफ़ों पर सरफ़राज़ करता है। तू मुझे टेढ़े आदमी से रिहाई देता है।
ای خداوند، تو را در میان قومها خواهم ستود و در وصف تو خواهم سرایید. | 49 |
इसलिए ऐ ख़ुदावन्द! मैं क़ौमों के बीच तेरी शुक्रगुज़ारी, और तेरे नाम की मदहसराई करूँगा।
خدا پیروزیهای بزرگی نصیب پادشاه برگزیدهٔ خود، داوود، میسازد، و بر او و نسلش همیشه محبت میکند. | 50 |
वह अपने बादशाह को बड़ी नजात 'इनायत करता है, और अपने मम्सूह दाऊद और उसकी नसल पर हमेशा शफ़क़त करता है।