< مزامیر 142 >
قصیدۀ داوود دربارۀ زمانی که در غار بود. دعا. با صدای بلند نزد خداوند فریاد میزنم و درخواست کمک مینمایم. | 1 |
Давидово поучение. Молитва когато беше в пещерата. С гласа си викам към Господа; С гласа си към Господа се моля.
تمام شکایات خود را به حضور او میآورم و مشکلات خود را برای او بازگو میکنم. | 2 |
Изливам пред Него оплакването си, Скръбта си изповядвам пред Него.
وقتی جانم به لب میرسد او به کمکم میشتابد و راهی پیش پایم مینهد. دشمنانم بر سر راه من دام میگذارند. | 3 |
Когато духът ми изнемогваше в мене, тогава Ти знаеше пътя ми. Примка скриха за мене на пътя, по който ходят.
به اطراف خود نگاه میکنم و میبینم کسی نیست که مرا کمک کند. پناهی ندارم و کسی به فکر من نیست. | 4 |
Погледни надясно ми и виж, че никой не иска да знае за мене; Избавление няма вече за мене; никой не се грижи за живота ми.
ای خداوند، نزد تو فریاد برمیآورم، و میگویم، «تویی پناهگاه من. در زندگی، تنها تو را آرزو دارم. | 5 |
Към Тебе, Господи, извиках; Рекох: Ти си мое прибежище, Дял мой в земята на живите.
فریادم را بشنو، زیرا بسیار درمانده هستم. مرا از دست دشمنانم برهان، زیرا آنها بسیار قویتر از من هستند. | 6 |
Внимавай на вика ми, защото съм много унижен; Избави ме от гонителите ми, защото са по-силни от мене.
مرا از این پریشانی و اسارت آزاد کن، تا تو را به سبب خوبیهایی که برایم کردهای در جمع عادلان ستایش کنم.» | 7 |
Изведи из тъмница душата ми, за да слави името Ти; Праведните ще се съберат около мене, Защото ще постъпваш щедро към мене.