< مزامیر 132 >
سرود زائران به هنگام بالا رفتن به اورشلیم. ای خداوند، داوود و تمام سختیهای او را به یاد آور | 1 |
१यात्रा का गीत हे यहोवा, दाऊद के लिये उसकी सारी दुर्दशा को स्मरण कर;
که چگونه برای خداوند قسم خورد و برای قدیرِ یعقوب نذر کرده، گفت: | 2 |
२उसने यहोवा से शपथ खाई, और याकूब के सर्वशक्तिमान की मन्नत मानी है,
«به خانۀ خود نخواهم رفت؛ و در بستر خویش آرام نخواهم گرفت، | 3 |
३उसने कहा, “निश्चय मैं उस समय तक अपने घर में प्रवेश न करूँगा, और न अपने पलंग पर चढूँगा;
خواب به چشمانم راه نخواهم داد، و نه سنگینی به مژگانم، | 4 |
४न अपनी आँखों में नींद, और न अपनी पलकों में झपकी आने दूँगा,
تا وقتی که مکانی برای ساختن خانهای برای خداوندم بیابم و مسکنی برای قدیرِ یعقوب.» | 5 |
५जब तक मैं यहोवा के लिये एक स्थान, अर्थात् याकूब के सर्वशक्तिमान के लिये निवास-स्थान न पाऊँ।”
در بیتلحم راجع به صندوق عهد تو شنیدیم، و در صحرای یعاریم آن را یافتیم. | 6 |
६देखो, हमने एप्राता में इसकी चर्चा सुनी है, हमने इसको वन के खेतों में पाया है।
گفتیم: «بیایید به مسکن خداوند وارد شویم، و در پیشگاه او پرستش کنیم.» | 7 |
७आओ, हम उसके निवास में प्रवेश करें, हम उसके चरणों की चौकी के आगे दण्डवत् करें!
ای خداوند، برخیز و همراه صندوق عهد خود که نشانهٔ قدرت توست به عبادتگاه خود بیا! | 8 |
८हे यहोवा, उठकर अपने विश्रामस्थान में अपनी सामर्थ्य के सन्दूक समेत आ।
باشد که کاهنان تو جامهٔ پاکی و راستی را در بر کنند و قوم تو با شادی سرود خوانند! | 9 |
९तेरे याजक धर्म के वस्त्र पहने रहें, और तेरे भक्त लोग जयजयकार करें।
ای خداوند، به خاطر بندهات داوود، پادشاه برگزیدهات را ترک نکن. | 10 |
१०अपने दास दाऊद के लिये, अपने अभिषिक्त की प्रार्थना को अनसुनी न कर।
تو به داوود وعده فرمودی که از نسل او برتخت سلطنت خواهد نشست، و تو به وعدهات عمل خواهی کرد. | 11 |
११यहोवा ने दाऊद से सच्ची शपथ खाई है और वह उससे न मुकरेगा: “मैं तेरी गद्दी पर तेरे एक निज पुत्र को बैठाऊँगा।
و نیز به داوود گفتی که اگر فرزندانش از احکام تو اطاعت کنند، نسل اندر نسل سلطنت خواهند کرد. | 12 |
१२यदि तेरे वंश के लोग मेरी वाचा का पालन करें और जो चितौनी मैं उन्हें सिखाऊँगा, उस पर चलें, तो उनके वंश के लोग भी तेरी गद्दी पर युग-युग बैठते चले जाएँगे।”
ای خداوند، تو اورشلیم را برگزیدهای تا در آن ساکن شوی. | 13 |
१३निश्चय यहोवा ने सिय्योन को चुना है, और उसे अपने निवास के लिये चाहा है।
تو فرمودی: «تا ابد در اینجا ساکن خواهم بود، زیرا اینچنین اراده نمودهام. | 14 |
१४“यह तो युग-युग के लिये मेरा विश्रामस्थान हैं; यहीं मैं रहूँगा, क्योंकि मैंने इसको चाहा है।
آذوقهٔ این شهر را برکت خواهم داد و فقیرانش را با نان سیر خواهم نمود. | 15 |
१५मैं इसमें की भोजनवस्तुओं पर अति आशीष दूँगा; और इसके दरिद्रों को रोटी से तृप्त करूँगा।
کاهنانش را در خدمتی که میکنند برکت خواهم داد، و مردمش با شادی سرود خواهند خواند. | 16 |
१६इसके याजकों को मैं उद्धार का वस्त्र पहनाऊँगा, और इसके भक्त लोग ऊँचे स्वर से जयजयकार करेंगे।
«در اینجا قدرت داوود را خواهم افزود و چراغ مسیح خود را روشن نگه خواهم داشت. | 17 |
१७वहाँ मैं दाऊद का एक सींग उगाऊँगा; मैंने अपने अभिषिक्त के लिये एक दीपक तैयार कर रखा है।
دشمنان او را با رسوایی خواهم پوشاند، اما سلطنت او شکوهمند خواهد بود.» | 18 |
१८मैं उसके शत्रुओं को तो लज्जा का वस्त्र पहनाऊँगा, परन्तु उसके सिर पर उसका मुकुट शोभायमान रहेगा।”