< مزامیر 131 >
سرود زائران به هنگام بالا رفتن به اورشلیم. مزمور داوود. ای خداوند، من از خودبینی و تکبر دست کشیدهام؛ از آنچه بزرگتر و بلندتر از عقل من است خود را دور نگه داشتهام. | 1 |
१दाऊद की यात्रा का गीत हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उनसे मैं काम नहीं रखता।
جان مضطرب خود را آرام ساختهام. اینک، دل من، همچون کودکی که در آغوش مادر آرمیده، آرام و بیتشویش است. | 2 |
२निश्चय मैंने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ बच्चा अपनी माँ की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए बच्चे के समान मेरा मन भी रहता है।
ای اسرائیل، بر خداوند امیدوار باش، از حال تا ابد! | 3 |
३हे इस्राएल, अब से लेकर सदा सर्वदा यहोवा ही पर आशा लगाए रह!