< مزامیر 124 >
سرود زائران به هنگام بالا رفتن به اورشلیم. مزمور داوود. اگر خداوند با ما نمیبود چه میشد؟ بگذار اسرائیل بگوید: | 1 |
१दाऊद की यात्रा का गीत इस्राएल यह कहे, कि यदि हमारी ओर यहोवा न होता,
اگر خداوند با ما نمیبود هنگامی که دشمنان بر ما یورش آوردند، | 2 |
२यदि यहोवा उस समय हमारी ओर न होता जब मनुष्यों ने हम पर चढ़ाई की,
آنها در خشم آتشین خود ما را زنده میبلعیدند! | 3 |
३तो वे हमको उसी समय जीवित निगल जाते, जब उनका क्रोध हम पर भड़का था,
سیل ما را با خود میبُرد و آبها از سر ما میگذشت. | 4 |
४हम उसी समय जल में डूब जाते और धारा में बह जाते;
آری، در گردابها غرق میشدیم! | 5 |
५उमड़ते जल में हम उसी समय ही बह जाते।
سپاس بر خداوند که نگذاشت ما شکار دندانهای آنها شویم. | 6 |
६धन्य है यहोवा, जिसने हमको उनके दाँतों तले जाने न दिया!
همچون پرنده، از دام صیاد گریختیم. دام پاره شد و ما نجات یافتیم. | 7 |
७हमारा जीव पक्षी के समान चिड़ीमार के जाल से छूट गया; जाल फट गया और हम बच निकले!
مددکار ما خداوند است که آسمان و زمین را آفرید. | 8 |
८यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है।