< مزامیر 113 >
سپاس بر خداوند! ای بندگان خداوند، ستایش کنید! نام او را ستایش کنید! | 1 |
याहवेह का स्तवन हो. याहवेह के सेवको, स्तवन करो; याहवेह की महिमा का स्तवन करो.
نام او از حال تا ابد متبارک باد. | 2 |
आज से सदा-सर्वदा याहवेह के नाम का स्तवन होता रहे.
از طلوع آفتاب تا غروب آن، نام خداوند را ستایش کنید! | 3 |
उपयुक्त है कि सूर्योदय से सूर्यास्त के क्षण तक, याहवेह के नाम का स्तवन हो.
خداوند بر همهٔ قومها حکمرانی میکند؛ شکوه او برتر از آسمانهاست. | 4 |
याहवेह समस्त राष्ट्रों के ऊपर हैं, उनका तेज स्वर्ग से भी महान है.
کیست مانند یهوه، خدای ما، که در آسمانها نشسته است؟ | 5 |
और कौन है याहवेह हमारे परमेश्वर के तुल्य, जो सर्वोच्च सिंहासन पर विराजमान हैं,
او از آسمان بر زمین نظر میافکند | 6 |
जिन्हें स्वर्ग एवं पृथ्वी को देखने के लिए झुककर दृष्टिपात करना पड़ता है?
تا شخص فروتن و فقیر را از خاک بلند کند و سرافراز نماید | 7 |
याहवेह ही कंगाल को धूलि से उठाकर बसाते हैं, वही दरिद्र को राख के ढेर से उठाकर ऊंचा करते हैं.
و او را در ردیف بزرگان قوم خویش قرار دهد. | 8 |
वही उन्हें प्रधानों के साथ लाकर, अपनी प्रजा के प्रधानों के साथ विराजमान करते हैं.
خداوند به زن نازا فرزندان میبخشد و او را شادمان میسازد. سپاس بر خداوند! | 9 |
वही बांझ स्त्री को बच्चों की माता का आनंद प्रदान करके परिवार में सम्मान प्रदान करते हैं. याहवेह का स्तवन हो.