< لوقا 23 >

آنگاه اعضای شورا همگی برخاسته، عیسی را به حضور «پیلاتُس»، فرماندار رومی یهودیه بردند، 1
इस पर सारी सभा उठ खड़ी हुई और वे प्रभु येशु को राज्यपाल पिलातॉस के पास ले गए.
و شکایات خود را علیه او عنوان کرده، گفتند: «این شخص مردم را تحریک می‌کند که به دولت روم مالیات ندهند، و ادعا می‌کند که مسیح، یعنی پادشاه ماست.» 2
पिलातॉस के सामने वे यह कहते हुए प्रभु येशु पर दोष लगाने लगे, “हमने यह पाया है कि यह व्यक्ति हमारे राष्ट्र को भरमा रहा है. यह कयसर को कर देने का विरोध करता है तथा यह दावा करता है कि वह स्वयं ही मसीह, राजा है.”
پیلاتُس از عیسی پرسید: «آیا تو مسیح، پادشاه یهود هستی؟» عیسی جواب داد: «خودت گفتی.» 3
इसलिये पिलातॉस ने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” “सच वही है, जो आपने कहा है.” प्रभु येशु ने उत्तर दिया.
پیلاتُس رو به کاهنان اعظم و جماعت کرد و گفت: «خوب، اینکه جرم نیست!» 4
इस पर पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों और भीड़ को संबोधित करते हुए घोषणा की, “मुझे इस व्यक्ति में ऐसा कोई दोष नहीं मिला कि इस पर मुकद्दमा चलाया जाए.”
ایشان پافشاری نموده، گفتند: «اما او در سراسر یهودیه، از جلیل تا اورشلیم، هر جا می‌رود، به ضد دولت روم آشوب بپا می‌کند.» 5
किंतु वे दृढतापूर्वक कहते रहे, “यह सारे यहूदिया प्रदेश में लोगों को अपनी शिक्षाओं द्वारा भड़का रहा है. यह सब इसने गलील प्रदेश में प्रारंभ किया और अब यहां भी आ पहुंचा है.”
پیلاتُس پرسید: «مگر او اهل جلیل است؟» 6
यह सुनते ही पिलातॉस ने प्रश्न किया, “क्या यह व्यक्ति गलीलवासी है?”
وقتی از این امر اطمینان حاصل کرد، دستور داد او را نزد هیرودیس ببرند، زیرا ایالت جلیل جزو قلمرو حکومت هیرودیس بود. اتفاقاً هیرودیس در آن روزها، به مناسبت عید، در اورشلیم به سر می‌برد. 7
यह मालूम होने पर कि प्रभु येशु हेरोदेस के अधिकार क्षेत्र के हैं, उसने उन्हें हेरोदेस के पास भेज दिया, जो इस समय येरूशलेम नगर में ही था.
هیرودیس از دیدن عیسی بسیار شاد شد، چون درباره او خیلی چیزها شنیده بود و امیدوار بود که با چشم خود یکی از معجزات او را ببیند. 8
प्रभु येशु को देखकर हेरोदेस अत्यंत प्रसन्‍न हुआ क्योंकि बहुत दिनों से उसे प्रभु येशु को देखने की इच्छा थी. उसने प्रभु येशु के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था. उसे आशा थी कि वह प्रभु येशु द्वारा किया गया कोई चमत्कार देख सकेगा.
او سؤالات گوناگونی از عیسی کرد، اما هیچ جوابی نشنید. 9
उसने प्रभु येशु से अनेक प्रश्न किए किंतु प्रभु येशु ने कोई भी उत्तर न दिया.
در این میان، کاهنان اعظم و دیگر علمای دین حاضر شدند و عیسی را به باد تهمت گرفتند. 10
प्रधान पुरोहित और शास्त्री वहीं खड़े हुए थे और पूरे ज़ोर शोर से प्रभु येशु पर दोष लगा रहे थे.
هیرودیس و سربازانش نیز او را مسخره کرده، مورد اهانت قرار دادند، و ردایی شاهانه به او پوشاندند و نزد پیلاتُس باز فرستادند. 11
हेरोदेस और उसके सैनिकों ने अपमान करके प्रभु येशु का मज़ाक उड़ाया और उन पर भड़कीला वस्त्र डालकर वापस पिलातॉस के पास भेज दिया.
همان روز پیلاتُس و هیرودیس، دشمنی خود را کنار گذاشته، با یکدیگر صلح کردند. 12
उसी दिन से हेरोदेस और पिलातॉस में मित्रता हो गई—इसके पहले वे एक दूसरे के शत्रु थे.
آنگاه پیلاتُس، کاهنان اعظم و سران یهود و مردم را فرا خواند 13
पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों, नायकों और लोगों को पास बुलाया
و به ایشان گفت: «شما این مرد را به اتهام شورش به ضد حکومت روم نزد من آوردید. من در حضور خودتان از او بازجویی کردم و متوجه شدم که اتهامات شما علیه او بی‌اساس است. 14
और उनसे कहा, “तुम इस व्यक्ति को यह कहते हुए मेरे पास लाए हो कि यह लोगों को विद्रोह के लिए उकसा रहा है. तुम्हारी ही उपस्थिति में मैंने उससे पूछताछ की और मुझे उसमें तुम्हारे द्वारा लगाए आरोप के लिए कोई भी आधार नहीं मिला—न ही हेरोदेस को उसमें कोई दोष मिला है.
هیرودیس نیز به همین نتیجه رسید و به همین علّت او را نزد ما پس فرستاد. این مرد کاری نکرده است که مجازاتش اعدام باشد. 15
उसने उसे हमारे पास ही भेज दिया है. तुम देख ही रहे हो कि उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अपराध नहीं किया है.
بنابراین، فقط دستور می‌دهم شلّاقش بزنند، و بعد آزادش می‌کنم.» 16
इसलिये मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.” [
(طبق رسم، در هر عید پِسَح یک زندانی آزاد می‌شد.) 17
उत्सव के अवसर पर एक बंदी को मुक्त कर देने की प्रथा थी.]
اما مردم یکصدا فریاد برآوردند: «اعدامش کن و باراباس را برای ما آزاد کن!» 18
भीड़ एक शब्द में चिल्ला उठी, “उसे मृत्यु दंड दीजिए और हमारे लिए बार-अब्बास को मुक्त कर दीजिए!”
(باراباس به جرم شورش و قتل در اورشلیم، زندانی شده بود.) 19
(बार-अब्बास को नगर में विद्रोह भड़काने और हत्या के आरोप में बंदी बनाया गया था.)
پیلاتُس بار دیگر با مردم سخن گفت، چون می‌خواست عیسی را آزاد کند. 20
प्रभु येशु को मुक्त करने की इच्छा से पिलातॉस ने उनसे एक बार फिर विनती की,
اما ایشان بلندتر فریاد زدند: «مصلوبش کن! مصلوبش کن!» 21
किंतु वे चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ! क्रूस पर चढ़ाओ!”
باز برای بار سوم پیلاتُس گفت: «چرا؟ مگر او چه گناهی کرده است؟ من دلیلی ندارم که به مرگ محکومش کنم. دستور می‌دهم شلّاقش بزنند و آزادش می‌کنم.» 22
पिलातॉस ने तीसरी बार उनसे प्रश्न किया, “क्यों? क्या है उसका अपराध? मुझे तो उसमें मृत्यु दंड देने योग्य कोई दोष नहीं मिला. मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.”
اما مردم با صدای بلند فریاد می‌زدند و با اصرار می‌خواستند که او مصلوب شود؛ و سرانجام فریادهای ایشان غالب آمد، 23
किंतु वे हठ करते हुए ऊंचे शब्द में चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ उसे!” तब हारकर उसे उनके आगे झुकना ही पड़ा.
و پیلاتُس به درخواست ایشان، حکم اعدام عیسی را صادر کرد. 24
पिलातॉस ने अनुमति दे दी कि उनकी मांग पूरी की जाए
سپس، باراباس را که به علّت شورش و خونریزی در حبس بود، آزاد کرد و عیسی را تحویل داد تا هرگونه می‌خواهند با او رفتار کنند. 25
और उसने उस व्यक्ति को मुक्त कर दिया, जिसे विद्रोह तथा हत्या के अपराधों में बंदी बनाया गया था, जिसे छोड़ देने की उन्होंने मांग की थी और उसने प्रभु येशु को भीड़ की इच्छा अनुसार उन्हें ही सौंप दिया.
سربازان رومی عیسی را بردند. هنگامی که می‌رفتند، مردی به نام شمعون قیروانی را که از مزرعه به شهر بازمی‌گشت، گرفتند و صلیب را بر دوش او گذاشته، وادارش کردند آن را پشت سر عیسی ببرد. 26
जब सैनिक प्रभु येशु को लेकर जा रहे थे, उन्होंने सायरीनवासी शिमओन को पकड़ा, जो अपने गांव से आ रहा था. उन्होंने प्रभु येशु के लिए निर्धारित क्रूस उस पर लाद दिया कि वह उसे लेकर प्रभु येशु के पीछे-पीछे जाए.
جمعیتی انبوه در پی او به راه افتادند و زنان بسیاری نیز در میان آنان برای او گریه و ماتم می‌کردند و به سینه خود می‌زدند. 27
बड़ी संख्या में लोग उनके पीछे चल रहे थे. उनमें अनेक स्त्रियां भी थी, जो प्रभु येशु के लिए विलाप कर रही थी.
عیسی رو به این زنان کرد و گفت: «ای دختران اورشلیم، برای من گریه نکنید؛ به حال خود و فرزندانتان گریه کنید! 28
मुड़कर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “येरूशलेम की पुत्रियो! मेरे लिए रोना छोड़कर स्वयं अपने लिए तथा अपनी संतान के लिए रोओ.
چون روزهایی می‌آید که مردم خواهند گفت:”خوشا به حال زنان بی‌اولاد و رَحِمهایی که هرگز نزاییده‌اند و سینه‌هایی که هرگز شیر نداده‌اند!“ 29
क्योंकि वे दिन आ रहे हैं जब लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे स्त्रियां, जो बांझ हैं, वे गर्भ, जिन्होंने संतान पैदा नहीं किए और वे स्तन, जिन्होंने दूध नहीं पिलाया!’
و به کوهها التماس خواهند کرد که،”بر ما بیفتید“و به تپه‌ها که”ما را بپوشانید“. 30
“‘तब वे पर्वतों से कहेंगे, “हम पर आ गिरो!” और पहाड़ियों से कहेंगे, “हमें ढांप लो!”’
زیرا اگر چنین چیزهایی وقتی درخت سبز است، به انجام برسد، پس آن هنگام که درخت خشک باشد، چه رخ خواهد داد؟» 31
क्योंकि जब वे एक हरे पेड़ के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं तब क्या होगी सूखे पेड़ की दशा?”
دو جنایتکار را نیز بردند تا با او اعدام کنند. 32
राजद्रोह के अपराधी दो व्यक्ति भी प्रभु येशु के साथ मृत्यु दंड के लिए ले जाए जा रहे थे.
وقتی به محلی رسیدند به نام جمجمه، او را در آنجا به‌همراه آن دو جنایتکار به صلیب میخکوب کردند، یکی را در سَمت راست او، و دیگری را در سمت چپ. 33
जब वे कपाल नामक स्थल पर पहुंचे उन्होंने प्रभु येशु तथा उन दोनों राजद्रोहियों को भी क्रूसित कर दिया—एक को प्रभु येशु की दायीं ओर दूसरे को उनकी बायीं ओर.
در چنین وضعی، عیسی فرمود: «ای پدر، اینها را ببخش، زیرا که نمی‌دانند چه می‌کنند.» سربازان رومی لباسهای عیسی را به حکم قرعه میان خود تقسیم کردند. 34
प्रभु येशु ने प्रार्थना की, “पिता, इनको क्षमा कर दीजिए क्योंकि इन्हें यह पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं.” उन्होंने पासा फेंककर प्रभु येशु के वस्त्र आपस में बांट लिए.
مردم ایستاده بودند و تماشا می‌کردند. سران قوم نیز ایستاده، به او می‌خندیدند و مسخره‌کنان می‌گفتند: «دیگران را نجات می‌داد؛ حال اگر واقعاً مسیح و برگزیده خداست، خود را نجات دهد!» 35
भीड़ खड़ी हुई यह सब देख रही थी. यहूदी राजा यह कहते हुए प्रभु येशु का ठट्ठा कर रहे थे, “इसने अन्य लोगों की रक्षा की है. यदि यह परमेश्वर का मसीह, उनका चुना हुआ है, तो अब अपनी रक्षा स्वयं कर ले.”
سربازان نیز او را مسخره نموده، شراب ترشیده خود را به او تعارف می‌کردند، 36
सैनिक भी उनका ठट्ठा किये. वे प्रभु येशु के पास आकर उन्हें घटिया दाखरस प्रस्तुत करके कहे,
و می‌گفتند: «اگر تو پادشاه یهود هستی، خود را نجات بده!» 37
“यदि यहूदियों के राजा हो तो स्वयं को बचा लो.”
روی صلیب، بالای سر او، تخته‌ای کوبیدند که روی آن نوشته شده بود: «این است پادشاه یهود!» 38
क्रूस पर उनके सिर के ऊपर सूचना पत्र के रूप में यह लिखा था: यही वह यहूदियों का राजा है.
یکی از آن دو جنایتکار که در کنار عیسی مصلوب شده بود، به طعنه به او گفت: «اگر تو مسیح هستی، چرا خودت و ما را نجات نمی‌دهی؟» 39
वहां लटकाए गए राजद्रोहियों में से एक ने प्रभु येशु पर अपशब्दों की बौछार करते हुए कहा: “अरे! क्या तुम मसीह नहीं हो? स्वयं अपने आपको बचाओ और हमको भी!”
اما آن مجرم دیگر او را سرزنش کرد و گفت: «حتی الان هم که محکوم به مرگ شده‌ای، از خدا نمی‌ترسی؟ 40
किंतु दूसरे राजद्रोही ने डपटते हुए उससे कहा, “क्या तुझे परमेश्वर का थोड़ा भी भय नहीं है? तुझे भी तो वही दंड दिया जा रहा है!
این حق ما است که بمیریم، چون گناهکاریم. اما از این شخص، یک خطا هم سر نزده است.» 41
हमारे लिए तो यह दंड सही ही है क्योंकि हमें वही मिल रहा है, जो हमारे बुरे कामों के लिए सही है किंतु इन्होंने तो कुछ भी गलत नहीं किया.”
سپس رو به عیسی کرد و گفت: «ای عیسی، وقتی ملکوت خود را آغاز کردی، مرا هم به یاد آور!» 42
तब प्रभु येशु की ओर देखकर उसने उनसे विनती की, “आदरणीय येशु! अपने राज्य में मुझ पर दया कीजिएगा.”
عیسی جواب داد: «خاطرجمع باش که تو همین امروز با من در بهشت خواهی بود!» 43
प्रभु येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं तुम पर यह सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: आज ही तुम मेरे साथ स्वर्गलोक में होगे.”
به هنگام ظهر، تاریکی تمام آن سرزمین را فراگرفت، 44
यह दिन का मध्याह्न था. सारे क्षेत्र पर अंधकार छा गया और यह तीन बजे तक छाया रहा.
و نور خورشید از تابیدن بازایستاد. آنگاه پرده ضخیمی که در جایگاه مقدّس معبد آویزان بود، از وسط دو پاره شد. 45
सूर्य अंधियारा हो गया, मंदिर का पर्दा फटकर दो भागों में बांट दिया गया.
سپس عیسی با صدایی بلند گفت: «ای پدر، روح خود را به دستهای تو می‌سپارم.» این را گفت و جان سپرد. 46
प्रभु येशु ने ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “पिता! मैं अपनी आत्मा आपके हाथों में सौंपता हूं.” यह कहते हुए उन्होंने प्राण त्याग दिए.
افسر رومی که مأمور اجرای حکم بود، وقتی این صحنه را دید خدا را ستایش کرد و گفت: «این مرد حقیقتاً بی‌گناه بود!» 47
वह शताधिपति, जो यह सब देख रहा था, यह कहते हुए परमेश्वर की वंदना करने लगा, “सचमुच यह व्यक्ति निर्दोष था.”
کسانی که برای تماشا گرد آمده بودند، وقتی این اتفاقات را دیدند، اندوهگین و سینه‌زنان، به خانه‌های خود بازگشتند. 48
इस घटना को देखने के लिए इकट्ठा भीड़ यह सब देख छाती पीटकर विलाप करती हुई घर लौट गयी.
در این میان، دوستان عیسی و زنانی که از جلیل به دنبال او آمده بودند، دورتر ایستاده، نگاه می‌کردند. 49
प्रभु येशु के परिचित और गलील प्रदेश से प्रभु येशु के साथ आई स्त्रियां कुछ दूर खड़ी हुई ये सब देख रही थी.
در این میان، شخصی بود نیک و باتقوا به نام یوسف، از اعضای شورای عالی یهود، 50
योसेफ़ नामक एक व्यक्ति थे. वह महासभा के सदस्य, सज्जन तथा धर्मी थे.
اما با تصمیم و اقدام ایشان موافقت نکرده بود. او که زادگاهش شهر رامه، واقع در یهودیه بود، مشتاقانه در انتظار فرارسیدن ملکوت خدا به سر می‌برد. 51
वह न तो यहूदी अगुओं की योजना से और न ही उसके कामों से सहमत थे. योसेफ़ यहूदियों के एक नगर अरिमथिया के निवासी थे और वह परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे.
او نزد پیلاتُس رفت و جسد عیسی را درخواست کرد. 52
योसेफ़ ने पिलातॉस के पास जाकर प्रभु येशु का शरीर के लिए विनती की.
پس از کسب اجازه، جسد عیسی را از بالای صلیب پایین آورد، آن را در کفن پیچید و در مقبره‌ای تراشیده شده در دل صخره که قبلاً کسی در آن گذاشته نشده بود، قرار داد. 53
उन्होंने शरीर को क्रूस से उतारकर मलमल के वस्त्र में लपेटा और चट्टान में खोदकर बनाई गई एक कब्र की गुफ़ा में रख दिया. इस कब्र में अब तक कोई भी शरीर रखा नहीं गया था.
تمام کار کفن و دفن، همان عصر جمعه انجام شد. یهودیان کارهای روز تعطیل شَبّات را عصر روز جمعه تدارک می‌دیدند. 54
यह शब्बाथ की तैयारी का दिन था. शब्बाथ प्रारंभ होने पर ही था.
زنانی که از جلیل به دنبال عیسی آمده بودند، همراه یوسف رفتند و محل مقبره را دیدند و مشاهده کردند که جسد عیسی چگونه در آن گذاشته شد. 55
गलील प्रदेश से आई हुई स्त्रियां भी उनके साथ वहां गईं. उन्होंने उस कब्र को देखा तथा यह भी कि शरीर को वहां कैसे रखा गया था.
سپس به خانه بازگشتند و دارو و عطریات تهیه کردند که به رسم آن زمان، به جسد بمالند تا زود فاسد نشود. اما وقتی دارو آماده شد، دیگر روز شَبّات فرا رسیده بود. پس مطابق قانون مذهبی یهود، در آن روز به استراحت پرداختند. 56
तब वे सब घर लौट गए और उन्होंने अंत्येष्टि के लिए उबटन-लेप तैयार किए. व्यवस्था के अनुसार उन्होंने शब्बाथ पर विश्राम किया.

< لوقا 23 >