< لاویان 26 >
«برای خود بت نسازید و مجسمه، ستونهای سنگی و سنگهای تراشیده شده برای پرستش بر پا نکنید، زیرا من یهوه، خدای شما هستم. | 1 |
“‘न तो तुम अपने लिए मूरतें बनाओगे और न ही किसी खुदी हुई मूरत अथवा पवित्र पत्थर बनाओगे और न ही उसके सामने झुकने के उद्देश्य से किसी पत्थर में से मूरत गढ़ोगे; क्योंकि मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.
قانون روز شَبّات مرا اطاعت کنید و خیمۀ ملاقات مرا محترم بدارید، زیرا من یهوه هستم. | 2 |
“‘तुम मेरे शब्बाथों का पालन करो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान; मैं ही याहवेह हूं.
«اگر فرایض و فرامین مرا اطاعت کنید، | 3 |
“‘यदि तुम मेरी विधियों का पालन करोगे और मेरी आज्ञाओं का पालन कर उन्हें व्यवहार में लाओगे,
به موقع برای شما باران خواهم فرستاد و زمین، محصول خود را و درختان، میوهٔ خود را خواهند داد. | 4 |
तो मैं वर्षा ऋतु में तुम्हें बारिश दिया करूंगा, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अपनी उपज और मैदान के वृक्ष फल उत्पन्न करेंगे.
خرمن شما به قدری زیاد خواهد بود که کوبیدن آن تا هنگام چیدن انگور ادامه خواهد داشت و انگور شما به قدری فراوان خواهد بود که چیدن آن تا فصل کاشتن بذر طول خواهد کشید. خوراک کافی خواهید داشت و در سرزمین خود در امنیت زندگی خواهید کرد، | 5 |
तुम्हारी दांवनी तुम्हारी अंगूर की उपज इकट्ठा करने तक चलेगी और तुम्हारी अंगूर की उपज, बीज बोने तक. इस प्रकार तुम भरपेट भोजन करोगे और इस प्रकार तुम इस देश में सुरक्षापूर्वक निवास कर सकोगे.
زیرا من به سرزمین شما صلح و آرامش خواهم بخشید و شما با خاطری آسوده به خواب خواهید رفت. حیوانات خطرناک را از سرزمینتان دور خواهم نمود و شمشیر از زمین شما گذر نخواهد کرد. | 6 |
“‘देश में मेरे द्वारा दी गई शांति बसेगी, जिससे कि तुम आराम कर सको. कोई तुम्हें भयभीत न करेगा. मैं उस देश से हिंसक पशुओं को भी दूर कर दूंगा और तुम्हारे देश में कोई भी तलवार से मारा न जाएगा.
دشمنانتان را تعقیب خواهید کرد و ایشان را با شمشیرهایتان خواهید کشت. | 7 |
किंतु तुम अपने शत्रुओं का पीछा करोगे और वे तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे;
پنج نفر از شما صد نفر را تعقیب خواهند کرد و صد نفرتان ده هزار نفر را! تمام دشمنانتان را شکست خواهید داد. | 8 |
तुममें से पांच एक सौ को और एक सौ दस हज़ार को खदेड़ डालेंगे और तुम्हारे शत्रु तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे.
شما را مورد لطف خود قرار خواهم داد و شما را کثیر گردانیده، به عهدی که با شما بستهام وفا خواهم کرد. | 9 |
“‘फिर मैं तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूंगा और तुम्हें फलवंत कर तुम्हारी संख्या बहुत बढ़ाऊंगा और तुम्हारे साथ की गई मेरी वाचा को पूरी करूंगा.
به قدری محصول اضافی خواهید داشت که در وقت به دست آمدن محصول جدید ندانید با آن چه کنید! | 10 |
तुम पुरानी उपज को खाओगे और नई उपज को स्थान देने के उद्देश्य से पुरानी को हटा दोगे.
من در میان شما ساکن خواهم شد و دیگر شما را منقطع نخواهم کرد. | 11 |
इसके अलावा मैं तुम्हारे बीच निवास करूंगा और मेरा प्राण तुमसे घृणा न करेगा.
در میان شما راه خواهم رفت و خدای شما خواهم بود و شما قوم من خواهید بود. | 12 |
मैं तुम्हारे बीच चला फिरा भी करूंगा. मैं तुम्हारा परमेश्वर हो जाऊंगा और तुम मेरी प्रजा.
من یهوه، خدای شما هستم که شما را از سرزمین مصر بیرون آوردم تا دیگر برده نباشید. زنجیرهای اسارت شما را پاره کردم و شما را سربلند نمودم. | 13 |
मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं, जो तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया है कि तुम मिस्रियों के दास न बने रह जाओ, मैंने तुम्हारे जूए की पट्टियों को तोड़ दिया है और तुम्हें सीधा होकर चलने में समर्थ किया है.
«ولی اگر به من گوش ندهید و مرا اطاعت نکنید، | 14 |
“‘किंतु यदि तुम मेरी न सुनोगे और इन सारी आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे,
فرایض و قوانین مرا به جا نیاورید و عهدی را که با شما بستهام بشکنید، | 15 |
यदि तुम मेरी विधियों को नकार दोगे; तुम्हारे प्राण मेरे निर्णयों को इतना तुच्छ जानें कि तुम मेरी सारी आज्ञाओं का पालन करना ही छोड़ दो और इस प्रकार मेरी वाचा को तोड़ ही डालो,
آنگاه من شما را تنبیه خواهم کرد و وحشت و بیماریهای مهلک و تبی که چشمهایتان را کور کند و عمرتان را تلف نماید بر شما خواهم فرستاد. بذر خود را بیهوده خواهید کاشت، زیرا دشمنانتان حاصل آن را خواهند خورد. | 16 |
तो निश्चित ही मैं तुम्हारे साथ यह करूंगा कि मैं तुमको अचानक ही आतंक, क्षय रोग और ज्वर-पीड़ित कर दूंगा, जिसके कारण तुम्हारी आंखें धुंधली हो जाएंगी तथा तुम्हारे प्राण मुरझा जाएंगे, तुम्हारा बीजारोपण भी व्यर्थ ही होगा क्योंकि तुम्हारे शत्रु इसको खा लेंगे.
من بر ضد شما برخواهم خاست و شما در برابر دشمنان خود پا به فرار خواهید گذاشت. کسانی که از شما نفرت دارند بر شما حکومت خواهند کرد. حتی از سایهٔ خود خواهید ترسید. | 17 |
मैं तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊंगा, जिससे तुम्हारे शत्रु तुम्हें हरा देंगे और जो तुमसे घृणा करते हैं, वे तुम पर शासन करेंगे. जब तुम्हारा पीछा कोई भी न कर रहा होगा, तब भी तुम भागते रहोगे.
«اگر باز هم مرا اطاعت نکنید، هفت بار شدیدتر از پیش، شما را به خاطر گناهانتان مجازات خواهم کرد. | 18 |
“‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा नहीं मानोगे, तो मैं तुम्हें तुम्हारे पापों का सात गुणा दंड दूंगा.
قدرت شما را که به آن فخر میکنید، نابود خواهم کرد. آسمان شما بیباران و زمین شما خشک خواهد شد. | 19 |
मैं तुम्हारे बल के घमण्ड़ को समाप्त कर दूंगा और तुम्हारे आकाश को लोहे के समान और तुम्हारी भूमि को कांसे के समान बना दूंगा.
نیروی خود را از دست خواهید داد، چون زمین شما بیحاصل خواهد شد و درختانتان میوهٔ خود را نخواهند داد. | 20 |
तुम्हारे द्वारा की गई मेहनत बेकार होगी क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज पैदा न करेगी और न ही देश के वृक्ष अपना फल उत्पन्न करेंगे.
«اگر همچنان با من مخالفت کنید و به من گوش ندهید، آنگاه به خاطر گناهانتان هفت مرتبه بیشتر بلا بر سرتان خواهم فرستاد. | 21 |
“‘इतना होने पर भी यदि तुम अपना स्वभाव मेरे विरुद्ध ही रखोगे और मेरी आज्ञा न मानोगे, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम पर महामारी में सात गुणा वृद्धि कर दूंगा.
جانوران وحشی را میفرستم تا فرزندانتان را بکشند و حیوانات شما را هلاک کنند. در نتیجه تعداد جمعیت شما کاسته خواهد شد و جادههایتان بدون رهگذر و متروک خواهد گردید. | 22 |
मैं तुम पर जंगली जानवर भेज दूंगा, जो तुम्हें संतानहीन बना डालेंगे और तुम्हारे पशुओं को नष्ट कर डालेंगे. वे तुम्हारी संख्या इतनी कम कर देंगे, कि तुम्हारे रास्ते निर्जन रह जाएंगे.
«اگر با وجود این اصلاح نشوید و برخلاف خواست من رفتار کنید، | 23 |
“‘यदि इस ताड़ना के बाद भी तुम मेरी ओर न मुड़े, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रुता भाव ही बनाए रखा,
آنگاه من هم برخلاف میل شما رفتار خواهم کرد و شما را به سبب گناهانتان هفت بار بیشتر از پیش تنبیه خواهم نمود. | 24 |
तो मैं भी तुमसे शत्रुता भाव रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के कारण तुम पर सात गुणा आक्रमण करूंगा.
اگر عهد مرا بشکنید، از شما انتقام خواهم گرفت و علیه شما جنگ بر پا خواهم کرد. وقتی از دست دشمن به شهرهایتان بگریزید در آنجا وبا به میان شما خواهم فرستاد، و شما مغلوب دشمنانتان خواهید شد. | 25 |
मैं तुम पर एक तलवार भेजूंगा, जो वाचा को तोड़ने का पूरा बदला लेगी. जब तुम अपने नगरों में इकट्ठे होंगे, मैं तुम्हारे बीच महामारी भेजूंगा, और तुम शत्रुओं के अधीन कर दिए जाओ.
ذخیرهٔ آرد شما را از بین خواهم برد به طوری که حتی یک تنور هم برای پختن نان ده خانواده زیاد باشد. وقتی سهم نان خود را بخورید، باز هم گرسنه خواهید ماند. | 26 |
जब मैं तुम्हारे भोजन के आधार को दूर कर दूंगा, तब दस महिलाएं एक ही चूल्हे पर रोटी सेकेंगी और वे इन्हें तोल-तोल कर छोटी संख्या में बांट देंगी, कि तुम उनको खाओगे, परंतु तृप्त न होंगे.
«با وجود این اگر باز به من گوش ندهید و اطاعت نکنید، | 27 |
“‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करोगे, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रु सा व्यवहार ही बनाए रखोगे,
به شدت غضبناک خواهم شد و به سبب گناهانتان هفت مرتبه شدیدتر از پیش شما را تنبیه خواهم کرد، | 28 |
तब मैं अत्यंत क्रोधित होकर तुमसे शत्रुता रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात गुणा दंड दूंगा.
به حدی که از شدت گرسنگی پسران و دختران خود را خواهید خورد. | 29 |
तुम अपने पुत्रों के मांस को खाओगे और हां, तुम अपनी पुत्रियों के मांस को खाओगे.
بتخانههایی را که در بالای تپهها ساختهاید خراب خواهم کرد، مذبحهایی را که بر آنها بخور میسوزانید با خاک یکسان خواهم نمود، جسدهای شما را بر بتهای بیجانتان خواهم انداخت و از شما نفرت خواهم داشت. | 30 |
मैं तुम्हारे ऊंचे पूजा स्थलों को नाश कर, तुम्हारी धूप वेदियों को तोड़ दूंगा, मैं तुम्हारे शवों को तुम्हारी मूर्तियों के ढेर पर फेंक दूंगा, और मेरा आत्मा तुमसे घृणा करेगा.
شهرهایتان را ویران و مکانهای عبادتتان را خراب خواهم کرد. قربانیهایتان را نخواهم پذیرفت. | 31 |
मैं तुम्हारे नगरों को भी उजाड़ दूंगा और तुम्हारे पवित्र स्थानों को सूना कर दूंगा, मैं तुम्हारी सुखद-सुगंध को स्वीकार नहीं करूंगा.
آری، سرزمین شما را خالی از سکنه خواهم کرد به طوری که دشمنانتان در آنجا ساکن خواهند شد و از بلایی که بر سر شما آوردهام، حیران خواهند شد. | 32 |
मैं तुम्हारे नगरों को सूना बना दूंगा जिससे कि तुम्हारे शत्रु जो वहां बसने आएंगे, इसे देख भयभीत हो जाएंगे.
«بلای جنگ را بر شما خواهم فرستاد تا در میان قومها پراکنده شوید. سرزمین شما خالی و شهرهایتان خراب خواهند شد. | 33 |
तुम जाति-जाति के बीच बिखर जाओगे और तलवार तुम्हारा पीछा करेगी, तुम्हारा देश निर्जन और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएंगे.
سرانجام در تمام سالهایی که شما در سرزمین دشمن در اسارت به سر میبرید، زمین بایر خواهد ماند و از سالهای شَبّات خود برخوردار خواهد شد و استراحت خواهد کرد. | 34 |
तुम्हारे इस भूमि पर निवास करने की स्थिति में, भूमि को जो विश्राम तुम्हारे शब्बाथों में प्राप्त नहीं हुआ था, वह उस विश्राम अब, इस पूरे खाली समय की अवधि में, प्राप्त होगा. इस प्रकार भूमि को अपने शब्बाथ प्राप्त हो जाएंगे. जब तुम अपने शत्रुओं के देश में जाओगे, तब सूनेपन की अवस्था में भूमि अपने शब्बाथों का आनंद उठाएगी.
آری، زمین در تمام مدتی که متروک است استراحت خواهد کرد، استراحتی که در شَبّاتهای ایام سکونت شما از آن بیبهره بود. | 35 |
«کاری میکنم که آن عده از شما هم که به سرزمین دشمن به اسارت رفتهاید، در آنجا پیوسته در ترس و وحشت به سر برید. از صدای برگ درختی که باد آن را بر روی زمین حرکت میدهد پا به فرار خواهید گذاشت. به گمان اینکه دشمن در تعقیب شماست، خواهید گریخت و بر زمین خواهید افتاد. | 36 |
“‘तुममें जो बचे रह गए होंगे, मैं उनके शत्रुओं के देश में उनका मनोबल इतना कमजोर कर दूंगा कि वे हवा के द्वारा छितराए पत्ते की खड़खड़ाहट सुनकर भाग खड़े होंगे. जब कोई उनका पीछा भी नहीं कर रहा होगा, तो भी वे भाग खड़े होंगे, मानो कोई तलवार लिए उनका पीछा कर रहा हो और वे गिर-गिर पड़ेंगे.
آری، هر چند کسی شما را تعقیب نکند، پا به فرار خواهید گذاشت و در حین فرار روی هم خواهید افتاد، گویی از جنگ میگریزید؛ و توان مقابله با دشمن را نخواهید داشت. | 37 |
वे लड़खड़ा कर एक दूसरे पर ऐसे गिरेंगे, मानो वे तलवार से भाग रहे हों, जबकि कोई भी उनका पीछा नहीं कर रहा होगा; तुम्हारे शत्रुओं के सामने खड़ा होने के लिए तुम्हारे अंदर शक्ति न बचेगी.
در میان قومها هلاک خواهید شد و در میان دشمنانتان از پای در خواهید آمد. | 38 |
तुम बंधुआई में देशों के बीच नाश हो जाओगे और तुम्हारे शत्रुओं का देश तुम्हें चट कर डालेगा;
آنهایی که باقی بمانند در سرزمین دشمن به خاطر گناهان خود و گناهان اجدادشان از بین خواهند رفت. | 39 |
तुममें से जो बचे रह जाएंगे, वे अपने और उनके पुरखों के अधर्म के कारण उनके शत्रुओं के देश में गल जाएंगे.
«ولی اگر به تقصیرات خود و تقصیرات پدرانشان اعتراف کنند، یعنی به خیانتی که به من ورزیده و به مخالفت با من برخاستهاند | 40 |
“‘यदि वे अपनी और अपने पूर्वजों के उन अधर्मों को स्वीकार कर लेंगे, जो उन्होंने अपने विश्वासघात और मेरे विरुद्ध शत्रु के भाव की स्थिति में की थी,
و من نیز به مخالفت با ایشان برخاسته و ایشان را به سرزمین دشمنانشان تبعید کردهام؛ پس اگر دل نامختونِ ایشان فروتن شود و تقصیرات خود را بپذیرند، | 41 |
जिससे मैंने भी उनके विरुद्ध हो उन्हें उनके शत्रुओं के देश में बसा दिया; अथवा उनका खतना-रहित हृदय इस प्रकार दब जाए कि वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित्त कर लें,
آنگاه دوباره وعدههای خود را با ابراهیم و اسحاق و یعقوب به یاد خواهم آورد و به یاد سرزمین آنها خواهم افتاد، | 42 |
तो मैं याकोब के साथ अपनी वाचा को, यित्सहाक के साथ अपनी वाचा को और अब्राहाम के साथ अपनी वाचा को, और इस देश को भी स्मरण करूंगा.
سرزمینی که متروک مانده، کشت نشده و استراحت یافته است. هر چند ایشان به خاطر رد کردن قوانین من و خوار شمردن فرایض من مجازات خواهند شد، | 43 |
किंतु उनके निकल जाने के कारण यह देश सूना हो जाएगा, कि यह भूमि अपने शब्बाथों के नुकसान की पूर्ति कर ले. इसी अवधि में वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित करेंगे; क्योंकि उन्होंने मेरे नियमों को नकार दिया था और मेरी विधियों से घृणा की थी.
ولی با وجود این من ایشان را در سرزمین دشمنانشان ترک نخواهم کرد و به کلی از بین نخواهم برد و عهد خود را با آنها نخواهم شکست، چون من یهوه، خدای ایشان هستم. | 44 |
इतना होने पर भी, जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे, तब भी मैं उनको नहीं छोडूंगा और न ही उनसे इतनी घृणा करूंगा कि मैं उनका नाश कर दूं और उनके साथ अपनी वाचा को भंग करूं. मैं ही याहवेह, उनका परमेश्वर हूं.
من عهدی را که با اجداد ایشان بستم به یاد خواهم آورد، زیرا من اجداد ایشان را پیش چشم تمام قومها از مصر بیرون آوردم تا خدای ایشان باشم. من یهوه هستم.» | 45 |
मैं उनके उन पूर्वजों से की गई वाचा को स्मरण करूंगा, जिन्हें मैं जातियों के देखते-देखते मिस्र से निकालकर लाया था कि मैं उनका परमेश्वर हो जाऊं. मैं ही याहवेह हूं.’”
اینها احکام، قوانین و مقرراتی هستند که خداوند در کوه سینا توسط موسی به قوم اسرائیل داد. | 46 |
यही वे विधियां, व्यवस्था और नियम हैं, जिन्हें याहवेह ने, मोशेह के द्वारा सीनायी पर्वत पर अपने और इस्राएल के घराने के बीच ठहराई.