< مراثی 1 >

اورشلیم که زمانی شهری پرجمعیت بود اینک متروک شده است! شهری که در بین قومها محبوب بود اینک بیوه گشته است! او که ملکهٔ شهرها بود اکنون برده شده است! 1
जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली बैठी हुई है! वह क्यों एक विधवा के समान बन गई? वह जो जातियों की दृष्टि में महान और प्रान्तों में रानी थी, अब क्यों कर देनेवाली हो गई है।
اورشلیم تمام شب می‌گرید و قطره‌های اشک روی گونه‌هایش می‌غلتند. از میان یارانش یکی هم باقی نمانده که او را تسلی دهد. دوستانش به او خیانت کرده و همگی با او دشمن شده‌اند. 2
रात को वह फूट फूटकर रोती है, उसके आँसू गालों पर ढलकते हैं; उसके सब यारों में से अब कोई उसे शान्ति नहीं देता; उसके सब मित्रों ने उससे विश्वासघात किया, और उसके शत्रु बन गए हैं।
مردم مصیبت‌زده و رنجدیدهٔ یهودا به اسارت رفته‌اند؛ به دیار غربت تبعید شده‌اند و اینک هیچ آسایش ندارند. دشمنان، آنها را احاطه نموده عرصه را بر آنها تنگ کرده‌اند. 3
यहूदा दुःख और कठिन दासत्व के कारण परदेश चली गई; परन्तु अन्यजातियों में रहती हुई वह चैन नहीं पाती; उसके सब खदेड़नेवालों ने उसकी सकेती में उसे पकड़ लिया है।
راههای اورشلیم ماتم گرفته‌اند، زیرا دیگر مردم نمی‌آیند تا در روزهای عید عبادت کنند. دروازه‌های شهر ساکتند، کاهنانش آه می‌کشند و دوشیزگانش عزادارند. اورشلیم در اضطراب و تلخکامی فرو رفته است. 4
सिय्योन के मार्ग विलाप कर रहे हैं, क्योंकि नियत पर्वों में कोई नहीं आता है; उसके सब फाटक सुनसान पड़े हैं, उसके याजक कराहते हैं; उसकी कुमारियाँ शोकित हैं, और वह आप कठिन दुःख भोग रही है।
دشمنانش سَروَرِ او شده‌اند و خصمانش در آسایش‌اند. خداوند اورشلیم را برای گناهان بسیارش تنبیه کرده است. دشمنان، فرزندان او را اسیر کرده، به دیار غربت به بردگی برده‌اند. 5
उसके द्रोही प्रधान हो गए, उसके शत्रु उन्नति कर रहे हैं, क्योंकि यहोवा ने उसके बहुत से अपराधों के कारण उसे दुःख दिया है; उसके बाल-बच्चों को शत्रु हाँक-हाँककर बँधुआई में ले गए।
تمام شکوه و زیبایی اورشلیم از دست رفته است. بزرگانش مانند غزالهای گرسنه دنبال چراگاه می‌گردند و ناتوانتر از آنند که بتوانند از چنگ دشمن فرار کنند. 6
सिय्योन की पुत्री का सारा प्रताप जाता रहा है। उसके हाकिम ऐसे हिरनों के समान हो गए हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिलती; वे खदेड़नेवालों के सामने से बलहीन होकर भागते हैं।
اینک اورشلیم در میان مصیبتها، روزهای پرشکوه گذشته را به یاد می‌آورد. زمانی که او به محاصرهٔ دشمن درآمد، هیچ مدد کننده‌ای نداشت؛ دشمن او را مغلوب کرد و به شکست او خندید. 7
यरूशलेम ने, इन दुःख भरे और संकट के दिनों में, जब उसके लोग द्रोहियों के हाथ में पड़े और उसका कोई सहायक न रहा, अपनी सब मनभावनी वस्तुओं को जो प्राचीनकाल से उसकी थीं, स्मरण किया है। उसके द्रोहियों ने उसको उजड़ा देखकर उपहास में उड़ाया है।
اورشلیم گناهان بسیاری مرتکب شده و ناپاک گردیده است. تمام کسانی که او را تکریم می‌کردند، اینک تحقیرش می‌کنند، زیرا برهنگی و خواری او را دیده‌اند. او می‌نالد و از شرم، چهرهٔ خود را می‌پوشاند. 8
यरूशलेम ने बड़ा पाप किया, इसलिए वह अशुद्ध स्त्री सी हो गई है; जितने उसका आदर करते थे वे उसका निरादर करते हैं, क्योंकि उन्होंने उसकी नंगाई देखी है; हाँ, वह कराहती हुई मुँह फेर लेती है।
لکهٔ ننگی بر دامن اورشلیم بود، اما او اعتنایی نکرد؛ او به عاقبت خود نیاندیشید و ناگهان سقوط کرد. اینک کسی نیست که او را تسلی دهد. او فریاد برمی‌آورد، «خداوندا، به مصیبتم نگاه کن، زیرا دشمن بر من پیروز شده است.» 9
उसकी अशुद्धता उसके वस्त्र पर है; उसने अपने अन्त का स्मरण न रखा; इसलिए वह भयंकर रीति से गिराई गई, और कोई उसे शान्ति नहीं देता है। हे यहोवा, मेरे दुःख पर दृष्टि कर, क्योंकि शत्रु मेरे विरुद्ध सफल हुआ है!
دشمن، گنجینه‌های او را غارت کرد و قومهای بیگانه در برابر چشمانش به عبادتگاه مقدّسش داخل شدند، قومهایی که خدا ورود آنها را به عبادتگاهش قدغن کرده بود. 10
१०द्रोहियों ने उसकी सब मनभावनी वस्तुओं पर हाथ बढ़ाया है; हाँ, अन्यजातियों को, जिनके विषय में तूने आज्ञा दी थी कि वे तेरी सभा में भागी न होने पाएँगी, उनको उसने तेरे पवित्रस्थान में घुसा हुआ देखा है।
اهالی اورشلیم برای یک لقمه نان آه می‌کشند. هر چه داشتند برای خوراک دادند تا زنده بمانند. اورشلیم می‌گوید: «خداوندا، ببین چگونه خوار شده‌ام! 11
११उसके सब निवासी कराहते हुए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे हैं; उन्होंने अपना प्राण बचाने के लिये अपनी मनभावनी वस्तुएँ बेचकर भोजन मोल लिया है। हे यहोवा, दृष्टि कर, और ध्यान से देख, क्योंकि मैं तुच्छ हो गई हूँ।
«ای کسانی که از کنارم می‌گذرید، چرا به من نگاه نمی‌کنید؟ نگاهی به من بیندازید و ببینید آیا غمی همچون غم من وجود دارد؟ ببینید خداوند به هنگام خشم خود به من چه کرده است! 12
१२हे सब बटोहियों, क्या तुम्हें इस बात की कुछ भी चिन्ता नहीं? दृष्टि करके देखो, क्या मेरे दुःख से बढ़कर कोई और पीड़ा है जो यहोवा ने अपने क्रोध के दिन मुझ पर डाल दी है?
«او از آسمان آتش فرستاد و تا مغز استخوان مرا سوزاند. سر راهم دام گسترد و مرا به زمین کوبید. او مرا در مصیبتم ترک گفت و در غمی بی‌پایان رهایم کرد. 13
१३उसने ऊपर से मेरी हड्डियों में आग लगाई है, और वे उससे भस्म हो गईं; उसने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया, और मुझ को उलटा फेर दिया है; उसने ऐसा किया कि मैं त्यागी हुई सी और रोग से लगातार निर्बल रहती हूँ।
«گناهانم را به هم بافت و همچون طنابی بر گردنم انداخت و مرا زیر یوغ بردگی کشاند. تمام توانم را از من گرفت و مرا در چنگ دشمنانم که قویتر از من بودند رها کرد. 14
१४उसने जूए की रस्सियों की समान मेरे अपराधों को अपने हाथ से कसा है; उसने उन्हें बटकर मेरी गर्दन पर चढ़ाया, और मेरा बल घटा दिया है; जिनका मैं सामना भी नहीं कर सकती, उन्हीं के वश में यहोवा ने मुझे कर दिया है।
«خداوند تمام سربازان شجاع مرا از من گرفت. او لشکری بر ضد من فرا خواند تا جوانان مرا از بین ببرند. خداوند شهر محبوب خود را همچون انگور در چرخشت پایمال کرد. 15
१५यहोवा ने मेरे सब पराक्रमी पुरुषों को तुच्छ जाना; उसने नियत पर्व का प्रचार करके लोगों को मेरे विरुद्ध बुलाया कि मेरे जवानों को पीस डाले; यहूदा की कुमारी कन्या को यहोवा ने मानो कुण्ड में पेरा है।
«برای این مصیبتهاست که می‌گریم و قطره‌های اشک بر گونه‌هایم می‌غلتند. آن که به من دلداری می‌داد و جانم را تازه می‌ساخت از من دور شده است. دشمن بر من غالب آمده و فرزندانم بی‌کس شده‌اند.» 16
१६इन बातों के कारण मैं रोती हूँ; मेरी आँखों से आँसू की धारा बहती रहती है; क्योंकि जिस शान्तिदाता के कारण मेरा जी हरा भरा हो जाता था, वह मुझसे दूर हो गया; मेरे बच्चे अकेले हो गए, क्योंकि शत्रु प्रबल हुआ है।
اورشلیم دستهای خود را دراز می‌کند و کمک می‌طلبد، اما کسی نیست که به دادش برسد. خداوند قومهای همسایه را بر ضد اسرائیل فرا خوانده است تا اورشلیم را همچون پارچه‌ای کثیف دور اندازند. 17
१७सिय्योन हाथ फैलाए हुए है, उसे कोई शान्ति नहीं देता; यहोवा ने याकूब के विषय में यह आज्ञा दी है कि उसके चारों ओर के निवासी उसके द्रोही हो जाएँ; यरूशलेम उनके बीच अशुद्ध स्त्री के समान हो गई है।
«اما خداوند عادلانه حکم فرموده است، زیرا من از فرمان او سرپیچی کرده بودم. ای مردم جهان، اندوه مرا بنگرید و ببینید چگونه پسران و دخترانم را به اسیری برده‌اند. 18
१८यहोवा सच्चाई पर है, क्योंकि मैंने उसकी आज्ञा का उल्लंघन किया है; हे सब लोगों, सुनो, और मेरी पीड़ा को देखो! मेरे कुमार और कुमारियाँ बँधुआई में चली गई हैं।
«از یاران کمک خواستم، اما ایشان به من خیانت کردند. کاهنان و ریش‌سفیدان در حالی که به دنبال لقمه نانی بودند تا خود را زنده نگه دارند، در کوچه‌های شهر از شدت گرسنگی جان دادند. 19
१९मैंने अपने मित्रों को पुकारा परन्तु उन्होंने भी मुझे धोखा दिया; जब मेरे याजक और पुरनिये इसलिए भोजनवस्तु ढूँढ़ रहे थे कि खाने से उनका जी हरा हो जाए, तब नगर ही में उनके प्राण छूट गए।
«ای خداوند، ببین چقدر پریشان و نگرانم! به خاطر گناهانی که انجام داده‌ام جانم در عذاب است. در خانه، بلای کشنده در انتظارم است و در بیرون، شمشیر مرگبار. 20
२०हे यहोवा, दृष्टि कर, क्योंकि मैं संकट में हूँ, मेरी अंतड़ियाँ ऐंठी जाती हैं, मेरा हृदय उलट गया है, क्योंकि मैंने बहुत बलवा किया है। बाहर तो मैं तलवार से निर्वंश होती हूँ; और घर में मृत्यु विराज रही है।
«مردم ناله‌هایم را می‌شنوند، اما کسی به دادم نمی‌رسد. دشمنانم چون شنیدند چه بلایی بر سرم آوردی، شاد شدند. ای خداوند، به وعده‌ات وفا کن و بگذار دشمنانم نیز به بلای من دچار گردند. 21
२१उन्होंने सुना है कि मैं कराहती हूँ, परन्तु कोई मुझे शान्ति नहीं देता। मेरे सब शत्रुओं ने मेरी विपत्ति का समाचार सुना है; वे इससे हर्षित हो गए कि तू ही ने यह किया है। परन्तु जिस दिन की चर्चा तूने प्रचार करके सुनाई है उसको तू दिखा, तब वे भी मेरे समान हो जाएँगे।
«به گناهان آنها نیز نظر کن و همان‌گونه که مرا برای گناهانم تنبیه کرده‌ای، آنان را نیز به سزای کردارشان برسان. ناله‌های من بسیار و دلم بی‌تاب است.» 22
२२उनकी सारी दुष्टता की ओर दृष्टि कर; और जैसा मेरे सारे अपराधों के कारण तूने मुझे दण्ड दिया, वैसा ही उनको भी दण्ड दे; क्योंकि मैं बहुत ही कराहती हूँ, और मेरा हृदय रोग से निर्बल हो गया है।

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