< مراثی 2 >
چگونه خداوند اورشلیم را با ابر خشم و غضب خویش پوشانید و جلال آسمانی اسرائیل را تباه کرد. او در روز خشم خود، حتی خانهٔ خویش را به یاد نیاورد. | 1 |
१यहोवा ने सिय्योन की पुत्री को किस प्रकार अपने कोप के बादलों से ढाँप दिया है! उसने इस्राएल की शोभा को आकाश से धरती पर पटक दिया; और कोप के दिन अपने पाँवों की चौकी को स्मरण नहीं किया।
خداوند به خانههای قوم اسرائیل رحم نکرد و تمام آنها را ویران نمود. او قلعههای اورشلیم را در هم شکست و اسرائیل را با تمام بزرگانش بیحرمت نمود. | 2 |
२यहोवा ने याकूब की सब बस्तियों को निष्ठुरता से नष्ट किया है; उसने रोष में आकर यहूदा की पुत्री के दृढ़ गढ़ों को ढाकर मिट्टी में मिला दिया है; उसने हाकिमों समेत राज्य को अपवित्र ठहराया है।
او به هنگام خشم خود حاکمان اسرائیل را نابود کرد و هنگام حملهٔ دشمن از قوم خود حمایت ننمود. آتش خشم او سراسر خاک اسرائیل را به نابودی کشاند. | 3 |
३उसने क्रोध में आकर इस्राएल के सींग को जड़ से काट डाला है; उसने शत्रु के सामने उनकी सहायता करने से अपना दाहिना हाथ खींच लिया है; उसने चारों ओर भस्म करती हुई लौ के समान याकूब को जला दिया है।
او مانند یک دشمن، تیر و کمانش را به سوی ما نشانه گرفت و جوانان برومند ما را کشت. او خشم خود را همچون شعلهٔ آتش بر خیمههای اورشلیم فرود آورد. | 4 |
४उसने शत्रु बनकर धनुष चढ़ाया, और बैरी बनकर दाहिना हाथ बढ़ाए हुए खड़ा है; और जितने देखने में मनभावने थे, उन सब को उसने घात किया; सिय्योन की पुत्री के तम्बू पर उसने आग के समान अपनी जलजलाहट भड़का दी है।
بله، خداوند همچون یک دشمن، اسرائیل را هلاک کرد و قصرها و قلعههایش را ویران نمود و بر غم و غصهٔ ساکنان یهودا افزود. | 5 |
५यहोवा शत्रु बन गया, उसने इस्राएल को निगल लिया; उसके सारे भवनों को उसने मिटा दिया, और उसके दृढ़ गढ़ों को नष्ट कर डाला है; और यहूदा की पुत्री का रोना-पीटना बहुत बढ़ाया है।
او خانهٔ خود را همچون آلاچیقی در باغ ویران نموده است و دیگر کسی در صَهیون روزهای شَبّات و عیدهای مقدّس را گرامی نمیدارد. او در شدت خشم خویش پادشاهان و کاهنان را خوار نموده است. | 6 |
६उसने अपना मण्डप बारी के मचान के समान अचानक गिरा दिया, अपने मिलाप-स्थान को उसने नाश किया है; यहोवा ने सिय्योन में नियत पर्व और विश्रामदिन दोनों को भुला दिया है, और अपने भड़के हुए कोप से राजा और याजक दोनों का तिरस्कार किया है।
خداوند مذبح خود را واگذارد و خانهٔ خویش را ترک گفت. دیوارهای قصرهای اورشلیم را به دست دشمن سپرد. اینک دشمن در خانهٔ خداوند که زمانی در آن عبادت میکردیم، فریاد شادی و پیروزی سر میدهد. | 7 |
७यहोवा ने अपनी वेदी मन से उतार दी, और अपना पवित्रस्थान अपमान के साथ तज दिया है; उसके भवनों की दीवारों को उसने शत्रुओं के वश में कर दिया; यहोवा के भवन में उन्होंने ऐसा कोलाहल मचाया कि मानो नियत पर्व का दिन हो।
خداوند قصد نمود حصارهای اورشلیم را در هم بکوبد. او شهر را اندازهگیری کرد تا هیچ قسمتش از خرابی در امان نماند؛ و اینک برجها و حصارهای اورشلیم فرو ریختهاند. | 8 |
८यहोवा ने सिय्योन की कुमारी की शहरपनाह तोड़ डालने की ठानी थी: उसने डोरी डाली और अपना हाथ उसे नाश करने से नहीं खींचा; उसने किले और शहरपनाह दोनों से विलाप करवाया, वे दोनों एक साथ गिराए गए हैं।
دروازههای اورشلیم به زمین افتادهاند و پشتبندهایشان شکستهاند. پادشاهان و بزرگان اسرائیل به سرزمینهای دور دست تبعید شدهاند. دیگر شریعت خدا تعلیم داده نمیشود و انبیا نیز از جانب خداوند رؤیا نمیبینند. | 9 |
९उसके फाटक भूमि में धस गए हैं, उनके बेंड़ों को उसने तोड़कर नाश किया। उसके राजा और हाकिम अन्यजातियों में रहने के कारण व्यवस्थारहित हो गए हैं, और उसके भविष्यद्वक्ता यहोवा से दर्शन नहीं पाते हैं।
ریشسفیدان اورشلیم پلاس بر تن کرده، خاموش بر زمین نشستهاند و از شدت غم بر سر خود خاک میریزند. دختران جوان اورشلیم از شرم سر خود را به زیر میافکنند. | 10 |
१०सिय्योन की पुत्री के पुरनिये भूमि पर चुपचाप बैठे हैं; उन्होंने अपने सिर पर धूल उड़ाई और टाट का फेंटा बाँधा है; यरूशलेम की कुमारियों ने अपना-अपना सिर भूमि तक झुकाया है।
چشمانم از گریه تار شده است. از دیدن مصیبتی که بر سر قومم آمده، غمی جانکاه وجودم را فرا گرفته است. کودکان و شیرخوارگان در کوچههای شهر از حال رفتهاند. | 11 |
११मेरी आँखें आँसू बहाते-बहाते धुँधली पड़ गई हैं; मेरी अंतड़ियाँ ऐंठी जाती हैं; मेरे लोगों की पुत्री के विनाश के कारण मेरा कलेजा फट गया है, क्योंकि बच्चे वरन् दूध-पीते बच्चे भी नगर के चौकों में मूर्छित होते हैं।
آنها مانند مجروحان جنگی در کوچهها افتادهاند؛ گرسنه و تشنه، مادران خود را میخوانند و در آغوش ایشان جان میدهند. | 12 |
१२वे अपनी-अपनी माता से रोकर कहते हैं, अन्न और दाखमधु कहाँ हैं? वे नगर के चौकों में घायल किए हुए मनुष्य के समान मूर्छित होकर अपने प्राण अपनी-अपनी माता की गोद में छोड़ते हैं।
ای اورشلیم، غم تو را با غم چه کسی میتوانم مقایسه کنم؟ ای صهیون، چه بگویم و چگونه تو را دلداری دهم؟ زخم تو همچون دریا عمیق است. چه کسی میتواند شفایت دهد؟ | 13 |
१३हे यरूशलेम की पुत्री, मैं तुझ से क्या कहूँ? मैं तेरी उपमा किस से दूँ? हे सिय्योन की कुमारी कन्या, मैं कौन सी वस्तु तेरे समान ठहराकर तुझे शान्ति दूँ? क्योंकि तेरा दुःख समुद्र सा अपार है; तुझे कौन चंगा कर सकता है?
انبیایت به دروغ برای تو نبوّت کردند و گناهانت را به تو نشان ندادند. آنها با دادن پیامهای دروغ تو را فریب دادند و باعث اسارتت شدند. | 14 |
१४तेरे भविष्यद्वक्ताओं ने दर्शन का दावा करके तुझ से व्यर्थ और मूर्खता की बातें कही हैं; उन्होंने तेरा अधर्म प्रगट नहीं किया, नहीं तो तेरी बँधुआई न होने पाती; परन्तु उन्होंने तुझे व्यर्थ के और झूठे वचन बताए। जो तेरे लिये देश से निकाल दिए जाने का कारण हुए।
ای اورشلیم، هر رهگذری که از کنارت میگذرد با استهزا سر خود را تکان داده میگوید: «آیا این است آن شهری که به زیباترین و محبوبترین شهر دنیا معروف بود!» | 15 |
१५सब बटोही तुझ पर ताली बजाते हैं; वे यरूशलेम की पुत्री पर यह कहकर ताली बजाते और सिर हिलाते हैं, क्या यह वही नगरी है जिसे परम सुन्दरी और सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण कहते थे?
تمام دشمنانت تو را مسخره میکنند و با نفرت میگویند: «بالاخره نابودش کردیم! انتظار چنین روزی را میکشیدیم و آن را با چشمان خود دیدیم.» | 16 |
१६तेरे सब शत्रुओं ने तुझ पर मुँह पसारा है, वे ताली बजाते और दाँत पीसते हैं, वे कहते हैं, हम उसे निगल गए हैं! जिस दिन की बाट हम जोहते थे, वह यही है, वह हमको मिल गया, हम उसको देख चुके हैं!
اما این کار، کار خداوند بود. او آنچه را سالها پیش فرموده بود انجام داد. همانگونه که بارها اخطار کرده بود، به اورشلیم رحم نکرد و آن را از بین برد و باعث شد دشمنانش از خرابی شهر شاد شوند و به قدرتشان ببالند. | 17 |
१७यहोवा ने जो कुछ ठाना था वही किया भी है, जो वचन वह प्राचीनकाल से कहता आया है वही उसने पूरा भी किया है; उसने निष्ठुरता से तुझे ढा दिया है, उसने शत्रुओं को तुझ पर आनन्दित किया, और तेरे द्रोहियों के सींग को ऊँचा किया है।
ای مردم اورشلیم در حضور خداوند گریه کنید؛ ای دیوارهای اورشلیم، شب و روز همچون سیل، اشک بریزید و چشمان خود را از گریستن بازمدارید. | 18 |
१८वे प्रभु की ओर तन मन से पुकारते हैं! हे सिय्योन की कुमारी की शहरपनाह, अपने आँसू रात दिन नदी के समान बहाती रह! तनिक भी विश्राम न ले, न तेरी आँख की पुतली चैन ले!
شب هنگام برخیزید و نالههای دل خود را همچون آب در حضور خداوند بریزید! دستهای خود را به سوی او بلند کنید و برای فرزندانتان که در کوچهها از گرسنگی میمیرند، التماس نمایید! | 19 |
१९रात के हर पहर के आरम्भ में उठकर चिल्लाया कर! प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को धारा के समान उण्डेल! तेरे बाल-बच्चे जो हर एक सड़क के सिरे पर भूख के कारण मूर्छित हो रहे हैं, उनके प्राण के निमित्त अपने हाथ उसकी ओर फैला।
خداوندا، این قوم تو هستند که آنها را به چنین بلایی دچار کردهای. ببین چگونه مادران کودکانشان را که در آغوش خود پروردهاند، میخورند؛ و کاهنان و انبیا در خانۀ خداوند کشته میشوند. | 20 |
२०हे यहोवा दृष्टि कर, और ध्यान से देख कि तूने यह सब दुःख किसको दिया है? क्या स्त्रियाँ अपना फल अर्थात् अपनी गोद के बच्चों को खा डालें? हे प्रभु, क्या याजक और भविष्यद्वक्ता तेरे पवित्रस्थान में घात किए जाएँ?
ببین چگونه پیر و جوان، دختر و پسر، به شمشیر دشمن کشته شده و در کوچهها افتادهاند. تو در روز غضبت بر ایشان رحم نکردی و ایشان را کشتی. | 21 |
२१सड़कों में लड़के और बूढ़े दोनों भूमि पर पड़े हैं; मेरी कुमारियाँ और जवान लोग तलवार से गिर गए हैं; तूने कोप करने के दिन उन्हें घात किया; तूने निष्ठुरता के साथ उनका वध किया है।
ای خداوند، تو دشمنانم را بر من فراخواندی و آنها از هر سو مرا به وحشت انداختند. در آن روز غضبت، کسی جان به در نبرد، تمام فرزندانم که آنها را در آغوش خود پرورده بودم به دست دشمنانم کشته شدند. | 22 |
२२तूने मेरे भय के कारणों को नियत पर्व की भीड़ के समान चारों ओर से बुलाया है; और यहोवा के कोप के दिन न तो कोई भाग निकला और न कोई बच रहा है; जिनको मैंने गोद में लिया और पाल-पोसकर बढ़ाया था, मेरे शत्रु ने उनका अन्त कर डाला है।