< داوران 17 >

در کوهستان افرایم مردی به نام میخا زندگی می‌کرد. 1
एप्रैम के पहाड़ी देश में मीका नामक एक पुरुष था।
روزی او به مادرش گفت: «آن هزار و صد مثقال نقره‌ای را که فکر می‌کردی از تو دزدیده‌اند و من شنیدم که دزدش را نفرین می‌کردی، نزد من است، من آن را برداشته‌ام.» مادرش گفت: «چون تو اعتراف کردی، خداوند تو را برکت خواهد داد.» 2
उसने अपनी माता से कहा, “जो ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी तुझ से ले लिए गए थे, जिनके विषय में तूने मेरे सुनते भी श्राप दिया था, वे मेरे पास हैं; मैंने ही उनको ले लिया था।” उसकी माता ने कहा, “मेरे बेटे पर यहोवा की ओर से आशीष हो।”
پس میخا آن مقدار نقره را که دزدیده بود، به مادرش پس داد. مادرش گفت: «من این نقره را وقف خداوند می‌نمایم و از آن یک بت نقره‌ای برای تو تهیه می‌کنم تا این لعنت از تو دور شود.» 3
जब उसने वे ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी अपनी माता को वापस दिए; तब माता ने कहा, “मैं अपनी ओर से अपने बेटे के लिये यह रुपया यहोवा को निश्चय अर्पण करती हूँ ताकि उससे एक मूरत खोदकर, और दूसरी ढालकर बनाई जाए, इसलिए अब मैं उसे तुझको वापस देती हूँ।”
پس مادرش دویست مثقال از آن نقره را گرفته، پیش زرگر برد و دستور داد با آن بُتی بسازد. بت ساخته شد و در خانهٔ میخا گذاشته شد. میخا در خانه‌اش علاوه بر بتها، ایفود نیز داشت. او یکی از پسرانش را به کاهنی بتخانهٔ خود تعیین نمود. 4
जब उसने वह रुपया अपनी माता को वापस दिया, तब माता ने दो सौ टुकड़े ढलवैयों को दिए, और उसने उनसे एक मूर्ति खोदकर, और दूसरी ढालकर बनाई; और वे मीका के घर में रहीं।
5
मीका के पास एक देवस्थान था, तब उसने एक एपोद, और कई एक गृहदेवता बनवाए; और अपने एक बेटे का संस्कार करके उसे अपना पुरोहित ठहरा लिया
در آن زمان بنی‌اسرائیل پادشاهی نداشت و هر کس هر کاری را که دلش می‌خواست انجام می‌داد. 6
उन दिनों में इस्राएलियों का कोई राजा न था; जिसको जो ठीक जान पड़ता था वही वह करता था।
یک روز جوانی از قبیلهٔ لاوی که اهل بیت‌لحم یهودا بود شهر خود را ترک گفت تا جای مناسبی برای زندگی پیدا کند. در طول سفر به خانهٔ میخا در کوهستان افرایم رسید. 7
यहूदा के कुल का एक जवान लेवीय यहूदा के बैतलहम में परदेशी होकर रहता था।
8
वह यहूदा के बैतलहम नगर से इसलिए निकला, कि जहाँ कहीं स्थान मिले वहाँ जा रहे। चलते-चलते वह एप्रैम के पहाड़ी देश में मीका के घर पर आ निकला।
میخا از او پرسید: «اهل کجا هستی؟» او گفت: «من از قبیلهٔ لاوی و اهل بیت‌لحم یهودا هستم و می‌خواهم جای مناسبی برای سکونت پیدا کنم.» 9
मीका ने उससे पूछा, “तू कहाँ से आता है?” उसने कहा, “मैं तो यहूदा के बैतलहम से आया हुआ एक लेवीय हूँ, और इसलिए चला जाता हूँ, कि जहाँ कहीं ठिकाना मुझे मिले वहीं रहूँ।”
میخا گفت: «اگر بخواهی می‌توانی پیش من بمانی و کاهن من باشی. سالیانه ده مثقال نقره، یک دست لباس و خوراک به تو خواهم داد.» آن لاوی جوان موافقت کرد و پیش او ماند. میخا او را چون یکی از پسرانش می‌دانست 10
१०मीका ने उससे कहा, “मेरे संग रहकर मेरे लिये पिता और पुरोहित बन, और मैं तुझे प्रतिवर्ष दस टुकड़े रूपे, और एक जोड़ा कपड़ा, और भोजनवस्तु दिया करूँगा,” तब वह लेवीय भीतर गया।
11
११और वह लेवीय उस पुरुष के संग रहने से प्रसन्न हुआ; और वह जवान उसके साथ बेटा सा बना रहा।
و وی را کاهن خود تعیین نمود و او در منزل میخا سکونت گزید. 12
१२तब मीका ने उस लेवीय का संस्कार किया, और वह जवान उसका पुरोहित होकर मीका के घर में रहने लगा।
میخا گفت: «حال که از قبیلهٔ لاوی کاهنی برای خود دارم، می‌دانم که خداوند مرا برکت خواهد داد.» 13
१३और मीका सोचता था, कि अब मैं जानता हूँ कि यहोवा मेरा भला करेगा, क्योंकि मैंने एक लेवीय को अपना पुरोहित रखा है।

< داوران 17 >