< یوشع 8 >

خداوند به یوشع فرمود: «ترس و واهمه را از خود دور کن! برخیز و تمام سربازان را همراه خود بردار و به عای روانه شو. من پادشاه آنجا را به دست تو تسلیم می‌کنم. مردم و شهر و زمین عای از آن تو خواهند شد. 1
तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “मत डर, और तेरा मन कच्चा न हो; कमर बाँधकर सब योद्धाओं को साथ ले, और आई पर चढ़ाई कर; सुन, मैंने आई के राजा को उसकी प्रजा और उसके नगर और देश समेत तेरे वश में कर दिया है।
با ایشان همان‌طور رفتار کن که با پادشاه اریحا و مردم آنجا رفتار نمودی. اما این بار چارپایان و غنایم شهر را می‌توانید میان خود قسمت کنید. در ضمن برای حمله به دشمن در پشت آن شهر، یک کمینگاه بساز.» 2
और जैसा तूने यरीहो और उसके राजा से किया वैसा ही आई और उसके राजा के साथ भी करना; केवल तुम पशुओं समेत उसकी लूट तो अपने लिये ले सकोगे; इसलिए उस नगर के पीछे की ओर अपने पुरुष घात में लगा दो।”
پس یوشع و تمام لشکر او آمادهٔ حمله به عای شدند. یوشع سی هزار تن از افراد دلیر خود را انتخاب کرد تا آنها را شبانه به عای بفرستد. 3
अतः यहोशू ने सब योद्धाओं समेत आई पर चढ़ाई करने की तैयारी की; और यहोशू ने तीस हजार पुरुषों को जो शूरवीर थे चुनकर रात ही को आज्ञा देकर भेजा।
او به آنها این دستور را داد: «در پشت شهر در کمین بنشینید، ولی از شهر زیاد دور نشوید و برای حمله آماده باشید. 4
और उनको यह आज्ञा दी, “सुनो, तुम उस नगर के पीछे की ओर घात लगाए बैठे रहना; नगर से बहुत दूर न जाना, और सब के सब तैयार रहना;
نقشهٔ ما چنین است: من و افرادم به شهر نزدیک خواهیم شد. مردان شهر مانند دفعهٔ پیش به مقابلهٔ ما برخواهند خاست. در این هنگام ما عقب‌نشینی می‌کنیم. 5
और मैं अपने सब साथियों समेत उस नगर के निकट जाऊँगा। और जब वे पहले के समान हमारा सामना करने को निकलें, तब हम उनके आगे से भागेंगे;
آنها به گمان اینکه مانند دفعهٔ پیش در حال فرار هستیم به تعقیب ما خواهند پرداخت و بدین ترتیب از شهر دور خواهند شد. 6
तब वे यह सोचकर, कि वे पहले की भाँति हमारे सामने से भागे जाते हैं, हमारा पीछा करेंगे; इस प्रकार हम उनके सामने से भागकर उन्हें नगर से दूर निकाल ले जाएँगे;
بعد، شما از کمینگاه بیرون بیایید و به داخل شهر حمله کنید، زیرا خداوند آن را به دست شما تسلیم کرده است. 7
तब तुम घात में से उठकर नगर को अपना कर लेना; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उसको तुम्हारे हाथ में कर देगा।
چنانکه خداوند فرموده است، شهر را بسوزانید. این یک دستور است.» 8
और जब नगर को ले लो, तब उसमें आग लगाकर फूँक देना, यहोवा की आज्ञा के अनुसार ही काम करना; सुनो, मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।”
پس آنها همان شب روانه شده، در کمینگاه بین بیت‌ئیل و طرف غربی عای پنهان شدند. اما یوشع و بقیهٔ لشکر در اردوگاه ماندند. 9
तब यहोशू ने उनको भेज दिया; और वे घात में बैठने को चले गए, और बेतेल और आई के मध्य में और आई की पश्चिम की ओर बैठे रहे; परन्तु यहोशू उस रात को लोगों के बीच टिका रहा।
روز بعد، صبح زود یوشع سربازان خود را صف‌آرایی نمود و خود با بزرگان اسرائیل در پیشاپیش لشکر به سوی عای حرکت کرد. 10
१०यहोशू सवेरे उठा, और लोगों की गिनती करके इस्राएली वृद्ध लोगों समेत लोगों के आगे-आगे आई की ओर चला।
آنها در سمت شمالی شهر در کنار دره‌ای که بین آنها و شهر قرار داشت توقف کردند. یوشع پنج هزار نفر دیگر را هم فرستاد تا به سی هزار نفری که در کمینگاه بودند ملحق شوند. خود او با بقیهٔ نفرات، آن شب در همان دره ماند. 11
११और उसके संग के सब योद्धा चढ़ गए, और आई नगर के निकट पहुँचकर उसके सामने उत्तर की ओर डेरे डाल दिए, और उनके और आई के बीच एक तराई थी।
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१२तब उसने कोई पाँच हजार पुरुष चुनकर बेतेल और आई के मध्य नगर के पश्चिम की ओर उनको घात में बैठा दिया।
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१३और जब लोगों ने नगर के उत्तर ओर की सारी सेना को और उसके पश्चिम ओर घात में बैठे हुओं को भी ठिकाने पर कर दिया, तब यहोशू उसी रात तराई के बीच गया।
پادشاه عای با دیدن لشکر اسرائیل در آن سوی دره، با لشکر خود برای مقابله با آنها به دشت اردن رفت، غافل از اینکه عدهٔ زیادی از اسرائیلی‌ها در پشت شهر در کمین نشسته‌اند. 14
१४जब आई के राजा ने यह देखा, तब वे फुर्ती करके सवेरे उठे, और राजा अपनी सारी प्रजा को लेकर इस्राएलियों के सामने उनसे लड़ने को निकलकर ठहराए हुए स्थान पर जो अराबा के सामने है पहुँचा; और वह नहीं जानता था कि नगर की पिछली ओर लोग घात लगाए बैठे हैं।
یوشع و لشکر اسرائیل برای اینکه وانمود کنند که از دشمن شکست خورده‌اند، در بیابان پا به فرار گذاشتند. 15
१५तब यहोशू और सब इस्राएली उनसे मानो हार मानकर जंगल का मार्ग लेकर भाग निकले।
به تمام مردان عای دستور داده شد به تعقیب آنها بپردازند. آنها برای تعقیب یوشع از شهر خارج شدند، 16
१६तब नगर के सब लोग इस्राएलियों का पीछा करने को पुकार-पुकारके बुलाए गए; और वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर निकल गए।
به طوری که در عای و بیت‌ئیل یک سرباز هم باقی نماند و دروازه‌ها نیز به روی اسرائیلی‌ها باز بود! 17
१७और न आई में और न बेतेल में कोई पुरुष रह गया, जो इस्राएलियों का पीछा करने को न गया हो; और उन्होंने नगर को खुला हुआ छोड़कर इस्राएलियों का पीछा किया।
آنگاه خداوند به یوشع فرمود: «نیزهٔ خود را به سوی عای دراز کن، زیرا آن را به تو داده‌ام.» یوشع چنین کرد. 18
१८तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “अपने हाथ का बर्छा आई की ओर बढ़ा; क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ में दे दूँगा।” और यहोशू ने अपने हाथ के बर्छे को नगर की ओर बढ़ाया।
سربازانی که در کمینگاه منتظر بودند وقتی این علامت را که یوشع داده بود دیدند، از کمینگاه بیرون آمده، به شهر هجوم بردند و آن را به آتش کشیدند. 19
१९उसके हाथ बढ़ाते ही जो लोग घात में बैठे थे वे झटपट अपने स्थान से उठे, और दौड़कर नगर में प्रवेश किया और उसको ले लिया; और झटपट उसमें आग लगा दी।
سربازان عای وقتی به پشت سر نگاه کردند و دیدند دود غلیظی آسمان شهرشان را فرا گرفته است دست و پایشان چنان سست شد که قدرت فرار کردن هم از آنها سلب گردید. یوشع و همراهانش چون دود را بر فراز شهر دیدند فهمیدند سربازانی که در کمینگاه بودند به شهر حمله‌ور شده‌اند، پس خودشان هم بازگشتند و به کشتار تعقیب‌کنندگان خود پرداختند. 20
२०जब आई के पुरुषों ने पीछे की ओर फिरकर दृष्टि की, तो क्या देखा, कि नगर का धुआँ आकाश की ओर उठ रहा है; और उन्हें न तो इधर भागने की शक्ति रही, और न उधर, और जो लोग जंगल की ओर भागे जाते थे वे फिरकर अपने खदेड़नेवालों पर टूट पड़े।
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२१जब यहोशू और सब इस्राएलियों ने देखा कि घातियों ने नगर को ले लिया, और उसका धुआँ उठ रहा है, तब घूमकर आई के पुरुषों को मारने लगे।
از طرف دیگر، سربازان اسرائیلی که در داخل شهر بودند بیرون آمده، به دشمن حمله کردند. به این ترتیب سربازان عای از دو طرف به دام سپاه اسرائیل افتادند و همه کشته شدند. 22
२२और उनका सामना करने को दूसरे भी नगर से निकल आए; सो वे इस्राएलियों के बीच में पड़ गए, कुछ इस्राएली तो उनके आगे, और कुछ उनके पीछे थे; अतः उन्होंने उनको यहाँ तक मार डाला कि उनमें से न तो कोई बचने और न भागने पाया।
تنها کسی که زنده ماند پادشاه عای بود که او را هم اسیر کرده، نزد یوشع آوردند. 23
२३और आई के राजा को वे जीवित पकड़कर यहोशू के पास ले आए।
لشکر اسرائیل پس از اینکه افراد دشمن را در خارج از شهر کشتند، به عای وارد شدند تا بقیهٔ اهالی شهر را نیز از دم شمشیر بگذرانند. 24
२४और जब इस्राएली आई के सब निवासियों को मैदान में, अर्थात् उस जंगल में जहाँ उन्होंने उनका पीछा किया था घात कर चुके, और वे सब के सब तलवार से मारे गए यहाँ तक कि उनका अन्त ही हो गया, तब सब इस्राएलियों ने आई को लौटकर उसे भी तलवार से मारा।
در آن روز، تمام جمعیت شهر که تعدادشان بالغ بر دوازده هزار نفر بود، هلاک شدند، 25
२५और स्त्री पुरुष, सब मिलाकर जो उस दिन मारे गए वे बारह हजार थे, और आई के सब पुरुष इतने ही थे।
زیرا یوشع نیزهٔ خود را که به سوی عای دراز نموده بود، به همان حالت نگاه داشت تا موقعی که همهٔ مردم آن شهر کشته شدند. 26
२६क्योंकि जब तक यहोशू ने आई के सब निवासियों का सत्यानाश न कर डाला तब तक उसने अपना हाथ, जिससे बर्छा बढ़ाया था, फिर न खींचा।
فقط اموال و چارپایان شهر باقی ماندند که قوم اسرائیل آنها را برای خود به غنیمت گرفتند. (خداوند به یوشع فرموده بود که آنها می‌توانند غنایم را برای خود نگه دارند.) 27
२७यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो उसने यहोशू को दी थी इस्राएलियों ने पशु आदि नगर की लूट अपनी कर ली।
یوشع شهر عای را سوزانیده، به صورت خرابه‌ای درآورد که تا به امروز به همان حال باقیست. 28
२८तब यहोशू ने आई को फुँकवा दिया, और उसे सदा के लिये खण्डहर कर दिया: वह आज तक उजाड़ पड़ा है।
یوشع، پادشاه عای را به دار آویخت. هنگام غروب به دستور یوشع جسد او را پایین آورده، جلوی دروازۀ شهر انداختند و توده‌ای بزرگ از سنگ روی جسد او انباشتند که تا به امروز نیز باقیست. 29
२९और आई के राजा को उसने साँझ तक वृक्ष पर लटका रखा; और सूर्य डूबते-डूबते यहोशू की आज्ञा से उसका शव वृक्ष पर से उतारकर नगर के फाटक के सामने डाल दिया गया, और उस पर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक बना है।
سپس یوشع برای خداوند، خدای اسرائیل مذبحی بر کوه عیبال بنا کرد. 30
३०तब यहोशू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये एबाल पर्वत पर एक वेदी बनवाई,
چنانکه موسی، خدمتگزار خداوند، در تورات به قوم اسرائیل دستور داده بود، برای ساختن این مذبح از سنگهای نتراشیده استفاده کردند. سپس کاهنان، قربانیهای سلامتی بر آن به خداوند تقدیم کردند. 31
३१जैसा यहोवा के दास मूसा ने इस्राएलियों को आज्ञा दी थी, और जैसा मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखा है, उसने समूचे पत्थरों की एक वेदी बनवाई जिस पर औज़ार नहीं चलाया गया था। और उस पर उन्होंने यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि किए।
آنگاه یوشع در حضور جماعت اسرائیل، ده فرمان موسی را روی سنگهای مذبح نوشت. 32
३२उसी स्थान पर यहोशू ने इस्राएलियों के सामने उन पत्थरों के ऊपर मूसा की व्यवस्था, जो उसने लिखी थी, उसकी नकल कराई।
پس از آن، تمام قوم اسرائیل با بزرگان، رهبران، داوران و حتی افراد غریبی که در میان ایشان بودند، به دو دسته تقسیم شدند. یک دسته در دامنهٔ کوه جَرِزیم ایستادند و دستهٔ دیگر در دامنهٔ کوه عیبال. در وسط این دو دسته، لاویان کاهن، در حالی که صندوق عهد را بر دوش داشتند، ایستادند تا قوم اسرائیل را برکت دهند. (همهٔ این رسوم مطابق دستوری که موسی قبلاً داده بود، انجام شد.) 33
३३और वे, क्या देशी क्या परदेशी, सारे इस्राएली अपने वृद्ध लोगों, सरदारों, और न्यायियों समेत यहोवा की वाचा का सन्दूक उठानेवाले लेवीय याजकों के सामने उस सन्दूक के इधर-उधर खड़े हुए, अर्थात् आधे लोग तो गिरिज्जीम पर्वत के, और आधे एबाल पर्वत के सामने खड़े हुए, जैसा कि यहोवा के दास मूसा ने पहले आज्ञा दी थी, कि इस्राएली प्रजा को आशीर्वाद दिए जाएँ।
آنگاه یوشع تمام قوانین نوشته شده در تورات را که شامل برکت‌ها و لعنتها بود، برای مردم اسرائیل خواند. 34
३४उसके बाद उसने आशीष और श्राप की व्यवस्था के सारे वचन, जैसे-जैसे व्यवस्था की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वैसे-वैसे पढ़ पढ़कर सुना दिए।
خلاصه، تمام دستورهای موسی بدون کم و کاست در حضور تمام مردان، زنان، جوانان، کودکان اسرائیل و غریبانی که با آنها بودند، خوانده شد. 35
३५जितनी बातों की मूसा ने आज्ञा दी थी, उनमें से कोई ऐसी बात नहीं रह गई जो यहोशू ने इस्राएल की सारी सभा, और स्त्रियों, और बाल-बच्चों, और उनके साथ रहनेवाले परदेशी लोगों के सामने भी पढ़कर न सुनाई।

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