< یوئیل 1 >
این پیام از جانب خداوند به یوئیل پسر فتوئیل رسید: | 1 |
१यहोवा का वचन जो पतूएल के पुत्र योएल के पास पहुँचा, वह यह है:
ای ریشسفیدان بشنوید! ای همۀ ساکنان زمین گوش فرا دهید! آیا در روزگار شما یا روزگار نیاکانتان هرگز چنین چیزی رخ داده است؟ | 2 |
२हे पुरनियों, सुनो, हे देश के सब रहनेवालों, कान लगाकर सुनो! क्या ऐसी बात तुम्हारे दिनों में, या तुम्हारे पुरखाओं के दिनों में कभी हुई है?
در سالهای آینده این را برای فرزندانتان تعریف کنید تا آنان نیز آن را سینه به سینه برای نسلهای بعدی تعریف کنند. | 3 |
३अपने बच्चों से इसका वर्णन करो और वे अपने बच्चों से, और फिर उनके बच्चे आनेवाली पीढ़ी के लोगों से।
ملخها دستهدسته خواهند آمد و محصول شما را خواهند خورد. آنچه ملخهای جونده از محصول باقی بگذارند، ملخهای دونده خواهند خورد، آنچه ملخهای دونده باقی بگذارند، ملخهای جهنده خواهند خورد و آنچه ملخهای جهنده باقی بگذارند، ملخهای فروبلعنده خواهند خورد. | 4 |
४जो कुछ गाजाम नामक टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नामक टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नामक टिड्डी से बचा, उसे येलेक नामक टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नामक टिड्डी से बचा, उसे हासील नामक टिड्डी ने खा लिया है।
ای مستان، بیدار شوید و زاری کنید؛ ای میگساران، شیون کنید! زیرا هر چه انگور بوده خراب شده و هر چه شراب داشتید از بین رفته است! | 5 |
५हे मतवालों, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीनेवालों, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब न मिलेगा।
لشکر بزرگی از ملخ، تمام سرزمین اسرائیل را پوشانده است. آنقدر زیادند که نمیتوان آنها را شمرد. دندانهایشان مانند دندان شیر تیز است! | 6 |
६देखो, मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनत हैं; उसके दाँत सिंह के से, और डाढ़ें सिंहनी की सी हैं।
تاکستان مرا از بین بردهاند و پوست درختان انجیر را کنده، شاخهها و تنههای آنها را سفید و لخت باقی گذاشتهاند. | 7 |
७उसने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उसने उसकी सब छाल छीलकर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियाँ छिलने से सफेद हो गई हैं।
همچون دختر جوانی که نامزدش مرده باشد، گریه و زاری نمایید. | 8 |
८जैसे युवती अपने पति के लिये कमर में टाट बाँधे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो।
غله و شرابی که میبایست به خانهٔ خداوند تقدیم شود، از بین رفته است. کاهنان که خدمتگزاران خداوند هستند، ماتم گرفتهاند. | 9 |
९यहोवा के भवन में न तो अन्नबलि और न अर्घ आता है। उसके टहलुए जो याजक हैं, वे विलाप कर रहे हैं।
در مزرعهها محصولی باقی نمانده، غله و انگور و روغن زیتون از بین رفته و همه جا را غم و غصه فرا گرفته است. | 10 |
१०खेती मारी गई, भूमि विलाप करती है; क्योंकि अन्न नाश हो गया, नया दाखमधु सूख गया, तेल भी सूख गया है।
ای کشاورزان، گریه کنید و ای باغبانان، زاری نمایید؛ زیرا محصول گندم و جو از میان رفته است. | 11 |
११हे किसानों, लज्जित हो, हे दाख की बारी के मालियों, गेहूँ और जौ के लिये हाय, हाय करो; क्योंकि खेती मारी गई है
درختان انگور خشک شده، و درختان انجیر و انار، خرما و سیب، و تمام درختان دیگر نابود شدهاند. شادی از انسان رخت بربسته است. | 12 |
१२दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है अनार, खजूर, सेब, वरन्, मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्य का हर्ष जाता रहा है।
ای کاهنان، لباس ماتم بپوشید. ای خدمتگزاران خدای من، تمام شب در برابر مذبح گریه کنید، چون دیگر غله و شرابی نمانده تا به خانهٔ خدایتان هدیه کنید. | 13 |
१३हे याजकों, कमर में टाट बाँधकर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो। हे मेरे परमेश्वर के टहलुओ, आओ, टाट ओढ़े हुए रात बिताओ! क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्नबलि और अर्घ अब नहीं आते।
روزه را اعلام کنید و خبر دهید که مردم جمع شوند. ریشسفیدان همراه با تمام قوم در خانهٔ خداوند، خدای خود جمع شوند و آنجا در حضور او گریه و ناله کنند. | 14 |
१४उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो। पुरनियों को, वरन् देश के सब रहनेवालों को भी अपने परमेश्वर यहोवा के भवन में इकट्ठा करके उसकी दुहाई दो।
وای بر ما، چون روز هولناک مجازات نزدیک میشود. نابودی از جانب خدای قادر مطلق فرا رسیده است! | 15 |
१५उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।
خوراک از برابر چشمانمان ناپدید شده، و شادی و خوشی از خانهٔ خدای ما رخت بربسته است. | 16 |
१६क्या भोजनवस्तुएँ हमारे देखते नाश नहीं हुईं? क्या हमारे परमेश्वर के भवन का आनन्द और मगन जाता नहीं रहा?
بذر در زمین پوسیده میشود. انبارها و سیلوها خالی شدهاند. غله در مزرعهها تلف شده است. | 17 |
१७बीज ढेलों के नीचे झुलस गए, भण्डार सूने पड़े हैं; खत्ते गिर पड़े हैं, क्योंकि खेती मारी गई।
گاوان چون چراگاهی ندارند سرگردانند و از گرسنگی مینالند و گوسفندان تلف میشوند. | 18 |
१८पशु कैसे कराहते हैं? झुण्ड के झुण्ड गाय-बैल विकल हैं, क्योंकि उनके लिये चराई नहीं रही; और झुण्ड के झुण्ड भेड़-बकरियाँ पाप का फल भोग रही हैं।
ای خداوند، ما را یاری فرما! زیرا گرما و خشکسالی چراگاهها را خشکانیده و تمام درختان را سوزانیده است. | 19 |
१९हे यहोवा, मैं तेरी दुहाई देता हूँ, क्योंकि जंगल की चराइयाँ आग का कौर हो गईं, और मैदान के सब वृक्ष ज्वाला से जल गए।
حتی حیوانات وحشی هم برای کمک به سوی تو فریاد برمیآورند، چون آبی برای خوردن ندارند. نهرهای کوهستانها خشک شده و چراگاهها زیر آفتاب به کلی سوختهاند. | 20 |
२०वन-पशु भी तेरे लिये हाँफते हैं, क्योंकि जल के सोते सूख गए, और जंगल की चराइयाँ आग का कौर हो गईं।