< ایوب 37 >
“मैं इस विचार से भी कांप उठता हूं. वस्तुतः मेरा हृदय उछल पड़ता है.
گوش دهید و غرش صدای خدا را بشنوید. | 2 |
परमेश्वर के उद्घोष के नाद तथा उनके मुख से निकली गड़गड़ाहट सुनिए.
او برق خود را به سراسر آسمان میفرستد. | 3 |
इसे वह संपूर्ण आकाश में प्रसारित कर देते हैं तथा बिजली को धरती की छोरों तक.
سپس غرش صدای او شنیده میشود، غرش مهیب رعد به گوش میرسد و باز برق، آسمان را روشن میکند. | 4 |
तत्पश्चात गर्जनावत स्वर उद्भूत होता है; परमेश्वर का प्रतापमय स्वर, जब उनका यह स्वर प्रक्षेपित होता है, वह कुछ भी रख नहीं छोड़ते.
صدای او در رعد باشکوه است. ما نمیتوانیم عظمت قدرت او را درک کنیم. | 5 |
विलक्षण ही होता है परमेश्वर का यह गरजना; उनके महाकार्य हमारी बुद्धि से परे होते हैं.
وقتی او برف و باران شدید بر زمین میفرستد، | 6 |
परमेश्वर हिम को आदेश देते हैं, ‘अब पृथ्वी पर बरस पड़ो,’ तथा मूसलाधार वृष्टि को, ‘प्रचंड रखना धारा को.’
مردم از کار کردن باز میمانند و متوجه قدرت او میشوند، | 7 |
परमेश्वर हर एक व्यक्ति के हाथ रोक देते हैं कि सभी मनुष्य हर एक कार्य के लिए श्रेय परमेश्वर को दे.
حیوانات وحشی به پناهگاه خود میشتابند و در لانههای خویش پنهان میمانند. | 8 |
तब वन्य पशु अपनी गुफाओं में आश्रय ले लेते हैं तथा वहीं छिपे रहते हैं.
از جنوب طوفان میآید و از شمال سرما. | 9 |
प्रचंड वृष्टि दक्षिण दिशा से बढ़ती चली आती हैं तथा शीत लहर उत्तर दिशा से.
خدا بر آبها میدمد، به طوری که حتی وسیعترین دریاها نیز یخ میبندد. | 10 |
हिम की रचना परमेश्वर के फूंक से होती है तथा व्यापक हो जाता है जल का बर्फ बनना.
او ابرها را از رطوبت، سنگین میکند و برق خود را بهوسیلۀ آنها پراکنده میسازد. | 11 |
परमेश्वर ही घने मेघ को नमी से भर देते हैं; वे नमी के ज़रिए अपनी बिजली को बिखेर देते हैं.
آنها به دستور او به حرکت در میآیند و احکام او را در سراسر زمین به جا میآورند. | 12 |
वे सभी परमेश्वर ही के निर्देश पर अपनी दिशा परिवर्तित करते हैं कि वे समस्त मनुष्यों द्वारा बसाई पृथ्वी पर वही करें, जिसका आदेश उन्हें परमेश्वर से प्राप्त होता है.
او ابرها را برای مجازات مردم و یا برای سیراب کردن زمین و نشان دادن رحمتش به ایشان، میفرستد. | 13 |
परमेश्वर अपनी सृष्टि, इस पृथ्वी के हित में इसके सुधार के निमित्त, अथवा अपने निर्जर प्रेम से प्रेरित हो इसे निष्पन्न करते हैं.
ای ایوب، گوش بده و دربارهٔ اعمال شگفتآور خدا تأمل و تفکر کن. | 14 |
“अय्योब, कृपया यह सुनिए; परमेश्वर के विलक्षण कार्यों पर विचार कीजिए.
آیا تو میدانی که خدا چگونه تمام طبیعت را اداره نموده، برق را از ابرها ساطع میکند؟ | 15 |
क्या आपको मालूम है, कि परमेश्वर ने इन्हें स्थापित कैसे किया है, तथा वह कैसे मेघ में उस बिजली को चमकाते हैं?
آیا تو میدانی چگونه ابرها در هوا معلق میمانند؟ آیا تو عظمت این کار خدا را میتوانی درک کنی؟ | 16 |
क्या आपको मालूम है कि बादल अधर में कैसे रहते हैं? यह सब उनके द्वारा निष्पादित अद्भुत कार्य हैं, जो अपने ज्ञान में परिपूर्ण हैं.
آیا وقتی زمین زیر وزش باد گرم جنوب قرار دارد و لباسهایت از گرما به تنت چسبیده است، | 17 |
जब धरती दक्षिण वायु प्रवाह के कारण निस्तब्ध हो जाती है आपके वस्त्रों में उष्णता हुआ करती है?
تو میتوانی به خدا کمک کنی تا وضع آسمان را که مانند فلز سخت است تغییر دهد؟ | 18 |
महोदय अय्योब, क्या आप परमेश्वर के साथ मिलकर, ढली हुई धातु के दर्पण-समान आकाश को विस्तीर्ण कर सकते हैं?
آیا تو میتوانی به ما بگویی چگونه باید با خدا مواجه شد؟ ما با این فکر تاریکمان نمیدانیم چگونه با او سخن گوییم. | 19 |
“आप ही हमें बताइए, कि हमें परमेश्वर से क्या निवेदन करना होगा; हमारे अंधकार के कारण उनके सामने अपना पक्ष पेश करना हमारे लिए संभव नहीं!
من با چه جرأتی با خدا صحبت کنم؟ چرا خود را به کشتن دهم؟ | 20 |
क्या परमेश्वर को यह सूचना दे दी जाएगी, कि मैं उनसे बात करूं? कि कोई व्यक्ति अपने ही प्राणों की हानि की योजना करे?
همانطور که در یک روز آفتابی بیابر، نمیتوانیم به تابش خورشید نگاه کنیم، | 21 |
इस समय यह सत्य है, कि मनुष्य के लिए यह संभव नहीं, कि वह प्रभावी सूर्य प्रकाश की ओर दृष्टि कर सके. क्योंकि वायु प्रवाह ने आकाश से मेघ हटा दिया है.
همچنان نیز نمیتوانیم به جلال پرشکوه خدا که از آسمان با درخشندگی خیرهکنندهای بر ما نمایان میشود خیره شویم. | 22 |
उत्तर दिशा से स्वर्णिम आभा का उदय हो रहा है; परमेश्वर के चारों ओर बड़ा तेज प्रकाश है.
ما نمیتوانیم به قدرت خدای قادر مطلق پی ببریم. او نسبت به ما عادل و رحیم است و بر کسی ظلم نمیکند، | 23 |
वह सर्वशक्तिमान, जिनकी उपस्थिति में प्रवेश दुर्गम है, वह सामर्थ्य में उन्नत हैं; यह हो ही नहीं सकता कि वह न्याय तथा अतिशय धार्मिकता का हनन करें.
و تحت تأثیر داناترین مردم جهان نیز قرار نمیگیرد، از این جهت ترس و احترام او در دل همهٔ مردم جا دارد. | 24 |
इसलिये आदर्श यही है, कि मनुष्य उनके प्रति श्रद्धा भाव रखें. परमेश्वर द्वारा वे सभी आदरणीय हैं, जिन्होंने स्वयं को बुद्धिमान समझ रखा है.”