< ایوب 28 >
مردم میدانند چگونه نقره را از معدن استخراج نمایند، طلا را تصفیه کنند، | 1 |
इसमें कोई संदेह नहीं, कि वहां चांदी की खान है तथा एक ऐसा स्थान, जहां वे स्वर्ण को शुद्ध करते हैं.
آهن را از زمین بیرون آورند و مس را از سنگ جدا سازند. | 2 |
धूल में से लौह को अलग किया जाता है, तथा चट्टान में से तांबा धातु पिघलाया जाता है.
آنها میدانند چطور معادن تاریک را روشن کنند و در جستجوی سنگهای معدن تا عمقهای تاریک زمین فرو روند. | 3 |
मनुष्य इसकी खोज में अंधकार भरे स्थल में दूर-दूर तक जाता है; चाहे वह अंधकार में छिपी कोई चट्टान है अथवा कोई घोर अंधकार भरे स्थल.
آنها در نقاطی دور دست، جایی که پای بشری بدان راه نیافته، در دل زمین نقب میزنند و از طنابها آویزان شده، به عمق معادن میروند. | 4 |
मनुष्य के घर से दूर वह गहरी खान खोदते हैं, रेगिस्तान स्थान में से दुर्गम स्थलों में जा पहुंचते हैं; तथा गहराई में लटके रहते हैं.
مردم میدانند چگونه از روی زمین غذا تهیه کنند، در حالی که در زیر پوستهٔ همین زمین، آتش نهفته است. | 5 |
पृथ्वी-पृथ्वी ही है, जो हमें भोजन प्रदान करती है, किंतु नीचे भूगर्भ अग्निमय है.
آنها میدانند چگونه از سنگهای آن یاقوت و طلا به دست بیاورند. | 6 |
पृथ्वी में चट्टानें नीलमणि का स्रोत हैं, पृथ्वी की धूल में ही स्वर्ण मिलता है.
حتی پرندگان شکاری راه معادن را نمیدانند و چشم هیچ عقابی آن را نمیتواند ببیند؛ | 7 |
यह मार्ग हिंसक पक्षियों को मालूम नहीं है, और न इस पर बाज की दृष्टि ही कभी पड़ी है.
پای شیر یا جانور درندهٔ دیگری به این معادن نرسیده است؛ | 8 |
इस मार्ग पर निश्चिंत, हृष्ट-पुष्ट पशु कभी नहीं चले हैं, और न हिंसक सिंह इस मार्ग से कभी गया है.
ولی مردم میدانند چطور سنگهای خارا را تکهتکه نموده، کوهها را از بیخ و بن برکنند، | 9 |
मनुष्य चकमक के पत्थर को स्पर्श करता है, पर्वतों को तो वह आधार से ही पलटा देता है.
صخرهها را بشکافند و به سنگهای قیمتی دست یابند. | 10 |
वह चट्टानों में से मार्ग निकाल लेते हैं तथा उनकी दृष्टि वहीं पड़ती है, जहां कुछ अमूल्य होता है;
آنها حتی سرچشمهٔ رودها را کاوش میکنند و گنجهای مخفی از آن بیرون میآورند. | 11 |
जल प्रवाह रोक कर वह बांध खड़े कर देते हैं तथा वह जो अदृश्य था, उसे प्रकाशित कर देते हैं.
مردم همهٔ اینها را میدانند، ولی نمیدانند فهم و حکمت را در کجا بیابند. | 12 |
प्रश्न यही उठता है कि कहां मिल सकती है बुद्धि? कहां है वह स्थान जहां समझ की जड़ है?
حکمت در بین انسانها پیدا نمیشود و هیچکس ارزش آن را نمیداند. | 13 |
मनुष्य इसका मूल्य नहीं जानता वस्तुतः जीवितों के लोक में यह पाई ही नहीं जाती.
اقیانوسها میگویند: «در اینجا حکمت نیست.» و دریاها جواب میدهند: «در اینجا هم نیست.» | 14 |
सागर की गहराई की घोषणा है, “मुझमें नहीं है यह”; महासागर स्पष्ट करता है, “मैंने इसे नहीं छिपाया.”
حکمت را با طلا و نقره نمیتوان خرید، | 15 |
स्वर्ण से इसको मोल नहीं लिया जा सकता, वैसे ही चांदी माप कर इसका मूल्य निर्धारण संभव नहीं है.
و نه با طلای خالص و سنگهای قیمتی. | 16 |
ओफीर का स्वर्ण भी इसे खरीद नहीं सकता, न ही गोमेद अथवा नीलमणि इसके लिए पर्याप्त होंगे.
حکمت از طلا و الماس بسیار گرانبهاتر است و آن را نمیتوان با جواهرات خریداری کرد. | 17 |
स्वर्ण एवं स्फटिक इसके स्तर पर नहीं पहुंच सकते, और वैसे ही कुन्दन के आभूषण से इसका विनिमय संभव नहीं है.
مرجان و بلور در برابر حکمت هیچ ارزشی ندارند. قیمت آن از لعل بسیار گرانتر است. | 18 |
मूंगा तथा स्फटिक मणियों का यहां उल्लेख करना व्यर्थ है; ज्ञान की उपलब्धि मोतियों से कहीं अधिक ऊपर है.
نه میتوان آن را با زبرجد مرغوب خرید و نه با طلای ناب. | 19 |
कूश देश का पुखराज इसके बराबर नहीं हो सकता; कुन्दन से इसका मूल्यांकन संभव नहीं है.
پس حکمت را از کجا میتوان به دست آورد؟ در کجا پیدا میشود؟ | 20 |
तब, कहां है विवेक का उद्गम? कहां है समझ का निवास?
زیرا از چشمان تمامی افراد بشر پنهان است. حتی از چشمان تیزبین پرندگان هوا نیز مخفی است؛ | 21 |
तब यह स्पष्ट है कि यह मनुष्यों की दृष्टि से छिपी है, हां, पक्षियों की दृष्टि से भी इसे नहीं देख पाते है.
هلاکت و مرگ میگویند: «ما فقط شایعاتی در مورد مکان حکمت شنیدهایم.» | 22 |
नाश एवं मृत्यु स्पष्ट कहते हैं “अपने कानों से तो हमने बस, इसका उल्लेख सुना है.”
فقط خدا میداند که حکمت را کجا میتوان پیدا کرد؛ | 23 |
मात्र परमेश्वर को इस तक पहुंचने का मार्ग मालूम है, उन्हें ही मालूम है इसका स्थान.
زیرا او تمامی زمین را زیر نظر دارد و آنچه را که در زیر آسمان است مشاهده میکند. | 24 |
क्योंकि वे पृथ्वी के छोर तक दृष्टि करते हैं तथा आकाश के नीचे की हर एक वस्तु उनकी दृष्टि में होती है.
او باد را به حرکت درمیآورد و حدود اقیانوسها را تعیین میکند. | 25 |
जब उन्होंने वायु को बोझ प्रदान किया तथा जल को आयतन से मापा,
به باران فرمان میدهد که ببارد و مسیر برق آسمان را تعیین میکند. | 26 |
जब उन्होंने वृष्टि की सीमा तय कर दी तथा गर्जन और बिजली की दिशा निर्धारित कर दी,
پس او میداند حکمت کجاست. او آن را آزمایش کرده و تأیید نموده است، | 27 |
तभी उन्होंने इसे देखा तथा इसकी घोषणा की उन्होंने इसे संस्थापित किया तथा इसे खोज भी निकाला.
و به افراد بشر میگوید: «بدانید که ترس از خداوند، حکمت واقعی، و دوری نمودن از شرارت، فهم حقیقی میباشد.» | 28 |
तब उन्होंने मनुष्य पर यह प्रकाशित किया, “इसे समझ लो प्रभु के प्रति भय, यही है बुद्धि, तथा बुराइयों से दूरी बनाए रखना ही समझदारी है.”