< ایوب 20 >

آنگاه صوفر نعماتی پاسخ داد: 1
तब नामाती सोपर ने कहा,
ای ایوب، بیش از این نمی‌توانم حرفهای تو را تحمل کنم و مجبورم جوابت را بدهم. 2
“मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ।
توهین‌هایت را تحمل کرده‌ام اما الان مجبورم پاسخ تو را بدهم. 3
मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।
مگر نمی‌دانی که از دوران قدیم که انسان بر زمین قرار داده شد خوشبختی شریران همیشه زودگذر بوده است؟ 4
क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,
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दुष्टों की विजय क्षण भर का होता है, और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है?
اگرچه مرد بدکار سرافراز گردد و شوکتش سر به فلک کشد، 6
चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुँचे,
ولی به‌زودی مثل فضله به دور انداخته شده، نابود خواهد گردید و کسانی که او را می‌شناختند حیران شده، خواهند گفت که او چه شد؟ 7
तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा?
او همچون یک رؤیا محو خواهد شد. 8
वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा।
دیگر هرگز نه دوستانش او را خواهند دید و نه خانواده‌اش. 9
जिसने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा।
فرزندانش از فقیران گدایی خواهند کرد و با زحمت و مشقت قرضهای پدرشان را خواهند پرداخت. 10
१०उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा।
هنوز به پیری نرسیده، خواهد مرد و استخوانهایش در خاک خواهد پوسید. 11
११उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा।
او از طعم شرارت لذت می‌برد و آن را در دهان خود نگه داشته، مزه‌مزه می‌کند. 12
१२“चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,
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१३और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,
اما آنچه که خورده است در معده‌اش ترش می‌شود، و در شکمش به زهرِ مار تبدیل می‌گردد. 14
१४तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।
ثروتی را که بلعیده، قی خواهد کرد؛ خدا آن را از شکمش بیرون خواهد کشید. 15
१५उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।
آنچه خورده است مانند زهر مار تلخ شده، طعم مرگ خواهد داشت. 16
१६वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।
او دیگر از نهرهای روغن زیتون، شیر و عسل لذت نخواهد برد. 17
१७वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।
زحماتش برای او ثمری نخواهد داشت و ثروتش باعث خوشی او نخواهد شد. 18
१८जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।
زیرا به فقرا ظلم کرده، آنها را از خانه و زندگیشان محروم ساخته است. 19
१९क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया।
از آنچه با حرص و طمع به چنگ آورده است هرگز ارضا نخواهد شد، 20
२०“लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा।
و از آنچه با دزدی اندوخته است لذت نخواهد برد و کامیابی او دوام نخواهد داشت. 21
२१कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा
وقتی به اوج کامیابی برسد بدبختی دامنگیر او خواهد شد. 22
२२पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे।
هنگامی که او می‌خورد و شکم خود را پر می‌کند، خدا خشم خود را بر او نازل خواهد کرد. 23
२३ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा।
در حالی که می‌کوشد از شمشیر آهنین فرار کند، تیری از کمانی مفرغین رها شده، در بدن او فرو خواهد رفت. 24
२४वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा।
هنگامی که تیر را از بدنش بیرون می‌کشد نوک براق آن جگرش را پاره خواهد کرد و وحشت مرگ بر او چیره خواهد شد. 25
२५वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा।
دارایی او نابود خواهد شد و آتشی ناگهانی به اموالش خواهد افتاد و آنچه را که برایش باقی مانده است خواهد بلعید. 26
२६उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूँकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा।
آسمانها گناهان او را آشکار خواهند ساخت و زمین علیه او شهادت خواهد داد. 27
२७आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी।
مال و ثروتش در اثر خشم خدا نابود خواهد گردید. 28
२८उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी।
این است سرنوشتی که خدای قادر مطلق برای بدکاران تعیین کرده است. 29
२९परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।”

< ایوب 20 >